जेब ढीली होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

जेब ढीली होना मुहावरे का अर्थ jeb dhili hona muhavare ka arth – अत्यधिक खर्च होना ।

दोस्तो जैसा की आपको पता है की पुरुष धन को अपनी पोकेट में रखता है जिसे जेब कहा जाता है । हालाकी महिलाओ की बात अलग है क्योकी उनके कपड़ो में जेब नही होती है । मगर जब पुरुष की जेब में धन होता है तो वह जेब ‌‌‌वजनदार होती है । यानि उस जेब में वजन होता है । मगर जैसे जैसे वह धन खर्च होता है तो जेब का वजन कम होने लग जाता है । और जब धन काफी अधिक खर्च हो जाता है तो जेब में वजन केवल नाम मात्र होता है । तो इस तरह से जेब ढली हो जाती है । क्योकी यह अधिक खर्च होने पर ही हो रहा है तो इसका मतलब यह है की जेब ‌‌‌ढिली होना मुहावरे का अर्थ अधिक खर्च होना होता है ।

जब ढिली होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

  • महेश की पहली पहली तनख्वाह आई थी तो अपनी पत्नी को सोपिग करवाने के लिए बाजार चला गया मगर बाजार में जाने पर महेश की जेब ढिली हो गई ।
  • आज तो पत्नी की ख्वाहिस पूरी करते करते जेब ढिली हो गई ।
  • ‌‌‌दिपावली के समय घर का सामन लेने के लिए बजार गया था मगर बाजार से इतना कुछ खरीद लिया की जेब ढिली हो गई ।
  • आईफॉन लेने के बाद मे मेरी तो जेब ढिली हो गई ।
  • विवाह के समय हर बेटी के पिता की जेब ढिली हो जाती है ।
  • ‌‌‌रमिया का विवाह था और पिता इस तरह से धन खर्च कर रहा था की अंत में उनकी जेब ढिली हो गई ।
  • बेटी के ससुराल वालो की मांगे पूरी ‌‌‌करने पर श्यामलाल की जेब ढिली हो गई  ।

जेब ढिली होना मुहावरे पर कहानी

प्राचीन समय की बात है किसी नगर में राधेश्याम नामक एक आदमी रहा करता था । उसके घर में उसकी पत्नी के अलावा ‌‌‌कोई और नही था । बल्की पत्नी के कोई बेटा या बेटी नही हुआ था । जिसके कारण से राधेश्याम और उसकी पत्नी काफी परेशान रहा करते थे । समय बितता जा रहा था मगर संतान का जन्म न होना उन्हे काफी चिंतित कर रहा था ।

मगर फिर उन्होने अपने ईश्वर की आराधाना की और ईश्वर ने भी उनकी सुन ली । जिसके कारण ‌‌‌से उनके घर में एक कन्या का जन्म हुआ था । हालाकी उस समय कन्याओ के जन्म को सही नही माना जाता था । मगर श्यामलाल के घर में किसी भी तरह की संतान का जन्म नही हुआ था तो उन्होने इस बारे में नही सोचा और समाज के विपरित अपनी बेटी का पालन करने लगा था ।

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तब लोग उससे कहते की आखिर जब बेटी का विवाह ‌‌‌करने का समय आएगा तो धन कहा से लेकर आओगे । मगर तब श्यामलाल कहता की एक ही तो बेटी है जो भी कुछ है मेरे पास सब खर्च कर कर इसका विवाह पूरी धुम धाम से करूगा । इस तरह से फिर श्यामलाल और उसकी पत्नी दोनो अपनी बेटी का पालन करने लगे थे ।

श्यामलाल की बेटी का नाम कंचन रखा गया था । समय के साथ कंचन ‌‌‌बडी होती जा रही थी और वह दिखने में भी काफी अधिक सुंदर लग रही थी । इस तरह से कुल 11 वर्षों के बाद में कंचन काफी बड़ी हो गई थी। हालाकी उस समय 11 वर्ष बहुत ही ज्यादा हुआ करती थी कन्याओ का विवाह हो जाता था । इस कारण से श्यामलाल ने भी अपनी बेटी के विवाह की चिंता की और अपनी बेटी के लिए वर ‌‌‌तलाशने लगा था ।

काफी समय खर्च हो रहा था मगर बेटी को कोई देखने तक नही आता था । इसका कारण कंचन नही थी बल्की उनकी गरीबी थी । दरसल श्यामलाल गरीब था और कोन यह चाहता की हमारे बेटे की शादी एक गरीब घर में हो । क्योकी उस समय लेने की परमपरा हुआ करती थी जिसे कारण से भी विवाह के लिए अच्छा घर देखते ताकी ‌‌‌विवाह पर उनके बेटे को भी अच्छा मिल सके ।

मगर श्यामलाल को पता था की उसकी बेटी के लिए भी कोई न कोई इंतजार कर रहा है और ऐसा ही हुआ । जब इस तरह से श्यमलाल को एक वर्ष वर की तलाश में फिरते हुए हो गए तो एक दिन श्यामलाल के पास एक आदमी आया जो की श्यामलाल का पड़ोसी था और उसने बताया की एक वर है ‌‌‌जिसके पिता अपने देश के बाहर काम करता है और खुब धन कमाता है । ‌‌‌उसका बेटा आपकी बेटी से विवाह भी कर लेगा । मगर बात यह है की उनको विवाह के समय बहुत कुछ चाहिए अगर आप दे सकते हो तो वे विवाह कर लेगे ।

यह एक ही रिश्ता आया था श्यामलाल के पास तो उसने तुरन्त हां कह दी । तब श्यामलाल के पड़ोसी ने कहा की अभी जरा वह ‌‌‌अपने गाव में आया हुआ है तो वह आपकी बेटी को देखने के लिए भी आ जाएगा । इस तरह से कहने पर श्यामलाल ने कहा की ठिक है आप उन्हे कल लेकर आ जाना । इतना कहने के बाद में दोनो और बाते करने लगे और अगले दिन श्यामलाल के घर में एक उसका पड़ोसी आ रहा था जिसके साथ तीन आदमी और थे ।

जेब ढिली होना मुहावरे पर कहानी

जिनमे से एक वर के पिता   ‌‌‌थे और एक चाचा थे और एक दादा थे । इस तरह से तीनो देखने के लिए आ गए । तब श्यामलाल ने अपनी बेटी को उन को दिखला दिया । और बेटी देखने के बाद में तीनो ने कहा की हमे आपकी बेटी पसंद है । मगर आपको इसने बता ही दिया था दरसल वह पड़ोसी के बारे में कह रहे थे की श्यामलाल को उसने बता दिया होगा की उन्हे ‌‌‌विवाह में बहुत कुछ चाहिए ।

तब श्यामलाल ने कहा ठिक है तो फिर मैं भी आपके बेटे को देखता हूं और रिश्ता पक्का कर देता हूं । इस तरह से दो दिनो के बाद मे श्यामलाल और ‌‌‌उसके आस पड़ोस के दो तीन आदमी उस लड़के को देखने के लिए चले गए ।

हलाकी लड़के में कोई कमी नही थी तो पसंद तो आना ही था । और फिर ‌‌‌श्यामलाल ने अपनी बेटी का रिश्ता पक्का कर दिया था । इस तरह से विवाह पक्का होने के बाद में दोनो और विवाह की तैयारी होने लगी थी । एक महिने के बाद विवाह होने का शुभ मुहूर्त निकला था तो श्यामलान और लड़के वालो को कोई एतराज नही था तो विवाह पक्का कर दिया ।

 इस तरह से फिर श्यामलाल अपनी बेटे ‌‌‌के विवाह के लिए धन से अपनी जेब भरने लगा था । जिसके लिए उसने अपना खेत किसी सेठ के पास गिरवी रख दिया था और अपनी जेब में पैसे भर लिए थे । इसके बाद में श्यामलाल शहर गया और अपनी बेटी के लिए अच्छा अच्छा फनीचर वगेरह लेकर आ गया ।

मगर इसमें इतना कुछ खर्च हो गया की श्यामलाल की जेब ढीली होते देर ‌‌‌नही लगी । जिसके बाद में श्यामलाल ने और धन का जोगाड़ किया । जिसके कारण से श्यामलाल के पास वापस पैसे आ गए थे । कुछ समय बितने के बाद में श्यामलाल की बेटी के विवाह का दिन नजदिक आ गया था ।

हालाकी श्यामलाल ने सभी तरह की तैयारी कर ली थी । लड़के वालो को जो भी देना था वह सब लेकर आ गया था । इसके ‌‌‌बाद में सभी बारात का इंतजार करने लगे थे । और जैसे ही विवाह का दिन आया और समय आया तो बारात आ गई और श्यामलाल की बेटी का विवाह होने लगा । इस तरह से जब विवाह हो गया तो श्यामलाल ने अपनी बेटी के साथ साथ लड़के वालो को जो कुछ चाहिए था वह दे दिया ।

इस तरह से फिर श्यामलाल की बेटी का विवाह तो हो ‌‌‌गया मगर श्यामलाल के पास जो भी था वह खर्च हो गया और उपर से कर्जा ‌‌‌ओर हो गया था । दो दिन ही बिते थे की एक आदमी आया और श्यामलाल से कुछ धन मागने लगा तब श्यामलाल ने कहा की भाई अभी तो बेटी का विवाह किया है जेब ढीली हो गई है तो तुम्हारी जरूरत कैसे पूरी कर पाउगा ।

‌‌‌यह सुन कर उस आदमी ने कहा की हां श्यामलाल बात तो तुम्हारी सही है मगर तुम पर कर्जा तो नही हुआ है ना । यह कह कर वह आदमी पता लगाना चाहता था की श्यामलाल पर कर्जा हुआ है की नही और फिर श्यामलाल ने यह भी बता दिया की उस पर काफी कर्जा हो चुका है ।

और उस आदमी को क्या था इस बात को पूरे गाव में फैला ‌‌‌दिया की श्यामलाल के पास एक फुटी कोड़ी तक नही है । बेटी के विवाह में उसकी जेब ढीली हो गई है ।

जिसके कारण से उस सेठ ने श्यामलाल को बुला कर ‌‌‌कहा की अगर पैसे समय पर नही मिले तो जमीन भुल जाना । तब श्यामलाल ने कहा की मैं पैसो का इंतजाम करता हूं । मगर समय आने तक पैसे नही बन पाए तो सेठ ने उसकी जमीन ‌‌‌अपने नाम करवा ली थी । इस तरह से श्यामलाल जब अपनी बेटी का विवाह करता है तो उसके पास कुछ नही बचता है ।

जेब ढिली होना मुहावरे पर निबंध

साथियो आज आपको यह बताने की जरूरत नही है की पुरुष अपने पैसे कहा पर रखता है । उसकी पेंट में कुछ पोकेट होती है और उसी पोकेट मे पैसे रखे जाते है । इस पोकेट को जेब ‌‌‌भी कहा जाता है। जैसे की मान लो की आपके पास एक लाख रूपय है और आप उन रूपयो को अपनी जेब में रखते हो । मगर जब आप शहर में कुछ खरीदने के लिए जाते हो और आपके 80 हजार रूपय खर्च हो जाते है मगर कुल 20 हजार रूपय ही बच पाते है तो इस तरह से आपने बहुत अधिक खर्च कर दिया है ।

जेब ढिली होना मुहावरे पर निबंध

क्योकी जो वजन 80 हजार रूपयो मे ‌‌‌था वह वजन 20 हजार रूपयों में नही है । यह आपको मालूम है तो जब जेब में वजन कम होता है तो जेब हल्की हल्की होती है और इसे ही जेब ढिली होना कहते है । मगर इसका अर्थ यह नही की जेब का वजन कम हो जाना ।

बल्की इस मुहावरे का अर्थ बहुत अधिक खर्च हो जाना होता है । क्योकी खर्च केवल धन होता है और उसे ही ‌‌‌जेब में रखा जाता है । तो इस कारण से जहां पर अधिक धन खर्च होने की बात होती हे वही पर इस मुहावरे का प्रयोग होता है ।

अगर आप इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग करना चाहते है तो जहां पर अधिक खर्च होने की बात होती है वही पर इसका वाक्य प्रयोग होगा ।

‌‌‌इस तरह से आप मुहावरे को समझ चुके है ।

very very most important hindi muhavare

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।