गोबर गणेश होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में  प्रयोग

गोबर गणेश होना मुहावरे का अर्थ gobar ganesh hona muhavare ka arth- मूर्ख व्यक्ति होना ।

दोस्तो गणेश जी हमारे हिंदू धर्म के एक प्रसिद्ध देवता है और इनकी पूजा हिंदू धर्म में बड़ी धुम धाम से की जाती है । कहते है की गणेश जी काफी बुद्धिमान व्यक्ति है और इनके पास ज्ञान और बुद्धि का असिमित भंडार है । इस कारण से इन्हे हमेशा ज्ञानी माना जाता है ।

मगर वही पर गोबर की बात करे तो यह एक तरह का गाय या पशुओ का मल होता है जो की बुरे या दुर्गंध  को दर्शाता है । और गोबर जो होता है वह जिस किसी के साथ होता है वह उसे अपने जैसा ही बना लेता है । जैसे की मुहावरे के रूप में गोबर गणेश का प्रयोग हुआ है  तो इसका मतलब है की गणेश जी जहां पर ज्ञानी और बुद्धिमान है वही पर गोबर मुर्खता को दर्शाता है । और इस तरह से मुहावरे का अर्थ मुर्ख व्यक्ति होना होता है ।

गोबर गणेश होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में  प्रयोग

गोबर गणेश होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || gobar ganesh hona  use of idioms in sentences in Hindi

1.        सुरज को पता नही है की किसी से क्या बात करनी है और क्या नही करनी है वह तो पुरा गोबर गणेश है ।

2.        अरे राहुल भाई आप क्या गोबर गणेश हो जो ऐसी मुर्खता वाली बाते कर रहे हो ।

3.        आर्यन भाई आप क्या गोबर गणेश हो जो घर आए मेहमानो से ऐसे बाते कर रहे हो ।

4.        अरे वह तो पूरा गोबर गणेश है जो तुम्हारी बतो में आ गया अगर मैं होता तो तुम मुझे धाका देने की तक न सोच पाते ।

5.        सज्जन नाम से पूरा सज्जन है मगर लोगो से सामान्य रूप में कैसे बाते की जाती है यह पता नही लगता है सज्जन तो पूरा गोबर गणेश है ।

6.        तुम जैसा गोबर गणेश आज तक मैंने नही देखा ।

7.        शर्मा जी इस गाव में आपको एक से बढ कर एक गोबर गणेश देखने को मिल जाएगे ।

8.        अरे वर्मा जी आपने अपनी बेटी का किस लड़के के साथ विवाह तय कर दिया है वह तो पूरा गोबर गणेश है ।

9.        सुनिता के पति के बारे में एक अफवाह फैली हुई है की वह गोबर गणेश है ।

10.      रजनी का बेटा तो सच में गोबर गणेश है, कल मैंने कहा था की शर्मा जी स्वर्ग सिधार गए है और इतने में वह कहने लगा की अब तो उनके मोज है सब कुछ वहां आराम से मिल जाएगा ।

गोबर गणेश करना मुहावरे पर कहानी || gobar ganesh hona story on idiom in Hindi

दोस्तो एक शहर की बात है वहां पर एक शर्मा नाम का आदमी रहा करता था जो की अपने जीवन मे नेक आदमी के रूप में जाना जाता था । शर्मा जो था वह शहर में अपने स्वयं का व्यापार करता था ।

दरसल उसके पास एक किराणा की दुकान थी जिसमें वह तरह तरह का समान रखता था और ग्राहको को बेच देता था । इस तरह से शर्मा जो था वह काम करता और लोग उससे समान खरीद लेते और अपना जीवन चला लेते थे ।

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शर्मा जो था उसके घर में एक बेटी ओर दो बेटे थे इसके अलावा शर्मा की पत्नी थी इस तरह से कुल 5 सदस्य ही घर में रहा करते थे । अगर शर्मा के माता पिता की बात करे तो उनकी बहुत समय पहले एक एक्सीडेंट में मोत हो चुकी थी। जिसके कारण से अब यह इतने ही सदस्य घर में रहते है ।

शर्मा की जो बेटी थी उसका नाम सुनिता था और वह पढने लिखने में काफी होशियार थी । मगर उस समय कोई भी अपनी बेटी को स्कूल में नही भेजता था मगर शर्मा जो था वह ऐसा नही था वह अपनी बेटी को विद्यालय में भेज कर ज्ञान लेने के कहता था और उसकी जो बेटी थी वह भी ज्ञान हासिल करने के लिए स्कूल में जाती थी ।

इस तरह से काम करने के कारण से शर्मा की बेटी पढ लिख कर काफी होशियार हो गई  । अब सुनिता को वह सब मालूम था जो की शर्मा कोपता नही था क्योकी एक पढे लिखे व्यक्ति को ज्ञान हासिल हो जाता है ।

वही पर अगर शर्मा के बेटो की बात करे तो वह भी कम नही थे वे तो नोकरी तक लगे हुए थे । इस तरह से शर्मा का पूरा का पूरा परिवार जो था वह काफी अच्छा और नेक दिल होने के साथ साथ अपने जीवन में अच्छा काम भी कर लेता था ।

मगर चाहे कोई भी क्यो न हो एक समय ऐसा आता है जब उनका विवाह करना होता हे और ऐसा ही शर्मा के जीवन में भी आया । जब उसकी बेटी सुनिता की उम्र हो गई तो उसे विवाह की टेंसन परेशान करने लगी थी ।

क्योकी सुनिता के लिए एक योग्य वर चाहिए था और उसकी तलास करने के शर्मा जी ने बहुत से लोगो को कहा था ।शर्मा जी का एक मित्र था जिसका नाम वर्मा जी थार और वह जो था वह एक सरकारी विभाग में काम करता था । जिसके कारण से उसका अच्छा खास नाम था और उसके घर में एक बेटा भी थ ।

दरसल वर्मा जी पास के ही किसी गाव में रहता था और उसका जो बेटा था वह नोकरी तो नही लगा हुआ था मगर अपने जीवन को चलाने के लिए वह छोटा मोटा काम कर लेता था । तब विवाह के लिए शर्मा जी ने वर्मा जी से पूछा और कहा की आपका बेटा और हमारी बेटी दोनो का विवाह कर दे ।

मगर पता नही क्यो वर्मा जी ने मना कर दिया । इस कारण से शर्मा जी ने फिर कही और तलास जारी की । तभी पास के एक गाव में शर्मा जी को एक सेठ का बेटा मिला जो की अच्छा था और वह उन्हे पसंद भी आया था ।

इस कारण से शर्मा जी ने सेठ जी से बात कर ली और सेठ जी राजी हो गए इस कारण से दोनो का विवाह की तैयारी शुरू हो गई । मगर तभी शर्मा जी को पता चला की जिसके साथ उसने अपनी बेटी का विवाह तय किया है वह तो पूरा का पूरा गोबर गणेश है । दरसल वर्मा जी ने ही यह कहा था और कहा की उस लड़के को मैं अच्छी तरह से जानता हूं ।

गोबर गणेश होना मुहावरे का अर्थ

उसे कुछ पता तक नही है और उसके बारे में पूरे गाव के लोग कहते है की वह तो पूरा का पूरा गोबर गणेश है । और यह जानने के बाद में शर्मा जी ने रिश्ता तोड़ लिया ।

और करीब एक महिने के बाद में शर्मा जी की बेटी का विवाह एक पुलिसकर्मी के साथ हो गया । और इसके बाद में शर्मा जी खुश थे क्योकी उसकी बेटी को एक अच्छा वर मिल चुका था । और इसके बाद में सभी अपना जीवन गुजारनेलगे ।

तो इस तरह से दोस्तो कहानी से पता चला की कुछ लोग गोबर गणेश होते है जिनके कारण से उनका विवाह तक नही होता है । मगर आपने इस कहानी से मुहावरे के अर्थ के बारे में जाना होगा ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।