चक्कर में आना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

चक्कर में आना मुहावरे का अर्थ chakkar mein aana muhavare ka arth – धोका खाना या धोके में आना ।

दोस्तो आपने वाहन का पहिया देखा होगा यह देखने में गोल होता है और इस तरह से जो पहिया होता है वह एक तरह से चक्कर को दर्शाता है। मतलब यह एक तरह का चक्कर होता है । और उसी तरह से मानव के जीवन में धोका भी एक तरह का चक्कर माना जाता है। और इसी कारण  से धोके में फसने का मतलब चक्कर में आना होता है ।

चक्कर में आना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

चक्कर में आना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग ||   use of idioms in sentences in Hindi

1.        सेठ एक ब़ड़ा ठगाखोर है यह जानते हुए भी मैं उसके चक्कर में आ गया ।

2.        इस शहर में एक से बड कर एक ठगाखोर है जरा किसी के चक्कर में न आ जाना ।

3.        सरजीत ने नौकरी दिलाने का वादा किया और महेश से एक लाख रूपय ले लिए, मगर कुछ दिनो के बाद में उसे पता चला की वह तो उसके चक्कर में आ गया ।

4.        महेश ने कहा की मैं सरजीत के चक्कर में आ गया और उसे एक लाख रूपय दे दिया ।

5.        इस जीवन में बहुत से ऐसे लोग मिलेगे जो की नौकरी दिलाने को कहेगे और मोटी रकम लेगे, मगर हम सभी को सावधान रहना है और किसी के चक्कर में आना नही है ।

चक्कर में आना मुहावरे पर कहानी ||  story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है एक छोटा सा गाव हुआ करता था जहां पर बहुत सारे लोग रहते थे और उन लोगो में से एक परिवार था जो की काफी अच्छी तर ह से अपना जीवन जी रहा था ।

उसी परिवार में महेश नाम का एक लड़का रहा करता था जो की आराम से अपना जीवन जीता था और पढता रहता था ।वह पढने में काफी होशियार था इस कारण से उसके पिता ने उससे आश लगाई की बेटा बड़ा होकर नोकरी लग जाएगा और आज के समाज में नोकरी कि कितनी अहमियत है यह तो आपको पता ही है ।

और इसी कारण से उस परिवार में सभी ने महेश से आशा की की वही नोकरी लग सकता है हालाकी महेश जो था वह भी चाहता था की जीवन में नोकरी हासिल की जाए इस कारण से उसने खुब मेहनत के साथ अध्ययन किया।

मगर भगवान को शायद कुछ और ही मंजुर था इस कारण से महेश की नोकरी नही लग पा रही थी और यह सब देख कर महेश काफी परेशान हो रहा था । करीब चार वर्ष बित गए मगर महेश को नोकरी नही मिली तो उसे अपने भविष्य की टैंसन होने लगी वह अपने भविष्य में सफल होने के लिए अलग अलग तरह से ख्वाब देखने लगा था ।

मगर कुछ काम नही आ रहा था और वह नोकरी नही लग पाया । अंत में थक हार कर उसने नोकरी की आश छोड़ दी ।  इस बात को करीब छ महिने हुए थे तब महेश को पता चला की उसके गाव में ही सरजीत नाम कर कर एक आदमी है जो की किसी भी तरह की नोकरी लग साकता है ।

 दरसल एक दिन सरजीत जो था वह उसके पास आ गया और उसके पास आकर कहा की तुम नोकरी लगना चाहते हो तो मैं तुम्हे नोकरी लगा सकता हूं । मगर महेश ने जब पूछा की कैसे लगा पाओगे तब सरजीत ने कहाकी इसके लिए करीब एक लाख रूपय लगने वाले है ।

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और क्योकी तुम मेरे गाव के हो इसी कारण से इतने कम है वरना दूसरो से दो लाख रूपय लिए जाते है । और यह सुन कर महेश को लगा की चलो अच्छा है की किसी भी तरह से नोकरी हाथ आ रही है । तब महेश ने कहा की मैं पैसो की इंतजाम कर कर आपको बताता हूं ।

और उसी दिन महेश ने इस बारे में अपने दोस्तो से बात की तो उन्होने बताया की सरजीत एक ठगाखोर है ओर तुम उस पर भरोषा कर कर एक लाख रूपय दे देते हो तो यह तुम्हारी स्वयं की मुर्खता होगी । और यह कहने पर महेश को कुछ समझ मे नही आया ।

अब महेश अपने पिता के पास जाकर कहा की सरजीत ऐसा कह रहा था ं तब महेश के पिता ने कहा की अगर वह तुम्हे नोकरी लगा रहा है तो यह अच्छा है और इसके लिए एक लाख रूपय ले रहा है तो दे देने चाहिए । क्योकी नोकरी मिलने के कारण से यह सब अच्छा होगा ।

 महेश के पिता के ऐसा कहने के कारण से महेश ने सरजीत के बारे में ज्यादा कुछ नही सोचा और अपने पिता से करीब एक लाख रूपय लिए ओर दूसरे ही दिन सरजीत को दे दिए । तब सरजीन ने कहा की महेश पैसे तो आपने दे दिए अब आपको एक महिने के अंदर अंदर नोकर मिल जाएगी और इस तरह से कहने के कारण से महेश मन ही मन खुश हो गया ।

अब महेश अगल ही दिन से इंतजार करने लगा की कब वह नोकरी लगेगा । समय बितता जा रहा था ओर इधर महेश जो था वह नोकरी नही लग पा रहा था इस कारण से महेश को काफी टेंसन होने लगी थी ।

मगर अभी एक महिना नही बिता था तो महेश को ज्यादा कुछ समझ में नही आया । मगर जब महेश एक महिने के बाद में भी नोकरी नही लगा तो महेश को अब सब समझ में आ गया की सरजीत उसे नोकरी नही लगाने वाला है ।

मगर महेश ने हिम्मत न हार कर सरजीत से बात की तो सरजीत ने कहा की अभी समय लगने वाला है क्योकी किसी भी तरह की जॉब नही निकलने वाली है और यह सुन कर महेश ने कुछ समय के लिए ओर इंतजार करना शुरू कर दिया ।

महेश ने इस तरह से करीब छ महिनो तक इंतजार किया मगर जब उसकी नोकरी नही लगी तो उसने अपने पिता से कहा की मेरे दोस्तो ने मुझे पहले ही समझाया था की सरजीत एक ठगाखोर है मगर मैं मुर्ख था जो की नोकरी की लालच में उसके चक्कर में आ गया । मगर अब क्या हो सकता था ।

चक्कर में आना मुहावरे का अर्थ

इस कारण से महेश अब अपने किए पर पछताने लगा था । महेश के दोस्तो ने भी उसे कहा था की तुम नोकरी लगने के लिए यह भूल गए की हम क्या कह रहे है और तुम सरजीत के चक्कर में आ गए और एक लाख रूपय नष्ट कर दिए ।

 अब तुम्हारे रूपय नही मिलने वाले है और हुआ ऐसा ही उसे अपने रूपय जीवन भर नही मिले । तो हमेशा एक बात का ध्यान रखना की इस तरह के लोगो के चक्कर में नही आना है ।

तो दोस्तो इस कहानी से आपको चक्कर में आना मुहावरे के अर्थ के बारे में पता चल गया होगा अगर कुछ पूछना है तो कमेंट में पूछ लेना ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।