आँखों से परदा हटाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

आंखो से परदा हटाना मुहावरे का अर्थ aankhon se parda hatana muhavare ka arth वास्तविकता से अवगत कराना ।

दोस्तो आंखे जो होती है वह देखने का काम करती हैं और कहा जाता है की जो मानव देखता है वही सत्य होता है । मगर जब आंखो पर परदा होता है तो इससे क्या होता है की जो सत्य होता है वह नजर नही आता है । जो वास्तविकता है उसके बारे में जानकारी नही हो पाती है । मगर जब इसी  परदे को आंखो के आगे से हटा दिया जाता है तो इससे फिर जो कुछ वास्तविकता होती है उसके बारे में पता होने लग जाता है।

इस तरह से आंखो से परदा हटाने का अर्थ होता है वास्तविकता से अवगत कराना । क्योकी यहां पर पदे को हटाने की बात हो रही है तो जाहिर होगा की अवगत कराया जाएगा ।

आंखो से परदा हटाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

1.        मैं तो रामू को अच्छा आदमी मानता था मगर किसन ने मेरी आंखो से परदा हटाया तो पता चला की वह तो एक ठागाखोर है ।

2.        राहुल सेठ धनपाल को एक नेक आदमी मानता था और अपना घर उसके पास गिरवी रखने को तैयार था मगर राहुल के दोस्त ने सेठ धनपाल के बारे में सब कुछ बता कर राहुल की आंखो से परदा हटा दिया ।

3.        अविनाश से कंचन प्रेम करती थी मगर कंचन के भाई ने अविनाश की सच्चाई कंचन को बता कर आंखो से परदा हटाने का काम किया ।

4.        भाई श्याम ने जब कंचन की आंखो से परदा हटाया तो उसे पता चला की जिसे वह अपना साथी समझ रही है वह तो असल में एक बुरा लड़का है ।

5.        रविकांत अपने दोस्त प्रताब पर भरोषा कर कर लाखो रूपय देने को तैयार था मगर फिर रविकांत के पिता ने उसकी आंखो से परदा हटाया तो रविकांत को पता चला की प्रताब तो लोगो को ठगता रहता है ।

6.        अगर आज आप मेरी आंखो से परदा न हटाते तो मैं तो इसके झांसे में आ जाता और अपनी जमीन इसके नाम कर देता ।

7.        पार्वती रिया को अपनी सच्चे सहेली समझती थी मगर जब उसकी आंखो से परदा हटाया गया तो पता चला की रिया तो पीछ पीछे उसी का बुरा कर रही है ।

आंखे से परदा हटाना मुहावरे पर कहानी

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है एक राजा हुआ करता था जो की अपने राज्य के लोगो को अपना ही मानता था । इतना ही नही बल्की महल में जो कोई भी था वह उसे अपना मानता था और उस पर इतना अधिक विश्वास करता था की मानो कभी संका तक करने की बात होती थी तो भी डरता था ।

क्योकी वह अपने लोगो पर संका तक नही करता था । मगर कहते है की सता के लालच में अपने भी कई बार दुश्मन बन जाते है । और ऐसा ही राजा के साथ हुआ था ।

दरसल राजा की एक पत्नी थी जिसका नाम चंद्रावली था । और उसका एक भाई था जो की चंद्रसेन था । वह हमेशा राजा के साथ और अपनी बहन के पास ही रहता था । चंद्रसेन जो था वह काफी लालची तरह का आदमी था वह हमेशा राजा के सिहासन को हासिल करना चाहता था  । मगर उसे पता था की अगर सिहासन को हासिल करना है तो राजा को सिहासन से हटाना होगा ।

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क्योकी राजा के जीवित रहने के कारण से कभी भी ऐसा नही होगा की वह इस राज्य का राजा बन जाएगा । मगर वह ऐसा कर नही पाता था । क्योकी उसका इस राज्य में कोई अपना नही था जिस पर वह भरोषा कर सके और उसे इस प्लान में सामिल कर सके । मगर एक बार चंद्रसेन ने देखा की राजा जो है वह किसी मंत्री को काफी अधिक डाटता जा रहा था ।

जब इस बारे में पूरी बात का पता लगया तो पता चला की वह मंत्री राजा के खजाने से पैसे चुराने का काम कर रहा था । मगर फिर भी राजा ने उसे सजा नही दी । मंत्री को राजा का डाटना अच्छा नही लगा इस कारण से वह राजा पर क्रोधित हो गया और इसी बात का फायदा उठा कर चंद्रसेन ने मंत्री से बात की और कहा की अगर तुम मेरा साथ देते हो तो इस राज्य का राजा मैं होउगा और खजाने का हकदार तुम होगे ।

 और इस तरह से मंत्री को चंद्रसेन ने लालच दिया और उदसे अपनी टीम में सामिल कर लिया । मंत्री के पास कुछ सेनिक थे जो की उसकी बात मानते थे और उस पर विश्वास करते थे । इस कारण से चंद्रसेन के लिए रास्ता और अधिक आसान बन गया था ।

कुछ दिनो तक मंत्री के पास चंद्रसेन हमेशा जाने लगा तो एक सेनिक था जिसे कुद सक हुआ और वह जो सेनिक था उसका नाम सूर्यपाल था । सूर्यपाल जो था वह राजा का एक करीबी सेनिक रहा था और कई बार राजा के लिए उसने अपने प्राण न्योछावर करने को तैयार हुआ था । तो उसने चंद्रसेन का पिछा किया और उसे पता चला की चंद्रसेन राजा को मारने की योजना बना रहा है ।

और इस बारे में जैसे ही सूर्यपाल को पता चला तो वह राजा के पासा जाकर इस बारे में बताने की कोशिश करने ही वाला था तभी उसने देखा की राजा कह रहा था की चंद्रसेन तुम इस राज्य के अपने हो और तुम जब तक हो मैं मेरा कुछ हो हीनही सकता है मेरे प्राणो को किसी तरह का कोई खतरा नही है । यह सुन कर सूर्यपाल को पता चल गया की राजा की आंखो पर परदा पड़ा है जिसे हटाना होगा । मगर अकेले सेनिक के लिए यह आसान नही था ।

 जिसके कारण से सूर्यपाल ने राजा के पास जाकर कहा की महाराज एक गुप्त संदेश है की आपको कोई मारने वाला है ओर वह आपका कोई अपना है जिसके कारण से आपको सभी से सावधान रहना होगा । चाहे फिर वह आपका महल का या आपका अपना क्यो न हो । इस तरह से कहने के बाद में सूर्यपाल चला गया ।

इधर राजा को इस बात पर यकिन हुआ क्योकी काफी समय से उसका पीछा कोई करता जा रहा था । इस कारण से राजा ने सूर्यपाल की बात मानी और अपने सभी आस पास के लोगो पर निगरानी रखी । मगर उसे पता नही था की चंद्रसेन ही ऐसा करने वाला है । इस कारण सो वह चंद्रसेन के साथ पहले जैसा ही रहता था ।

मगर एक दिन की बात है राजा किसी काम से दूसरे राज्य गया हुआ था और वापस लोटने लगा था । तब सूर्यपाल भी राजा के साथ था और चंद्रसेन उस समय राजा के साथ नही था । जिसके कारण से सूर्यपाल ने राजा से कहा की महाराज आपको जो कोई मारना चाहता है वह और कोई नही आपकी पत्नी का भाई चंद्रसेन है ।

यह सुन कर राजा क्रोधित हो गया और कहा की वह ऐसा नही करने वाला है तुम सेनिक को अपनी हद में रह कर बात करो । तब सूर्यपाल ने कहा की महाराज मैं हूं तो एक सेनिक में चंद्रसेन जो है वह कुछ लोगो के पास हमेशा जा रहा है और वह जो आदमी है वह और कोई नही बल्की खजाने को चुराने वाला सेनिक है और हो सकता है की आज आप पर हमला हो जाए और इस तरह से सूर्यपाल ने राजा को कहा ।

तब राजा ने कहा की अगर ऐसी बात है तो तुम राजा बन जाओ और रथ में मूह छीपा कर बैठ जाओ मैं तुम्हारा सेनिक बन कर जाउगा । इस तरह से फिर योजना के तहत काम किया गया । जैसे ही राजा राज्य में पहुंचा तो रथ पर हमला हुआ और इससे सूर्यपाल घायल हो गया और बाकी सभी सेनिक जमीन पर गिर गए । अब जो भी कोई था उसे लगा की राजा मारा गया है । इस कारण से वे खुशी मानते हुए वहां से चले गए ।

मगर इसी बिच में राजा ने चंद्रसेन की बोली सुन ली जिसके कारण से उसे अब सक हो गया । जब सभी चले गए तो राजा वहां से खड़ा हुआ और सूर्य पाल को उठा कर कहा की तुम सही थे हो सकता है की चंद्रसेन ही वह है जो की हमला कर कर गया है । और इस तरह से सूर्यपाल ने अपने प्राण संकट में डाल कर राजा की आंखे से परदा हटाया था ।

इसके बाद में राजा के कुछ सेनिक थे जो की पीछे आ रहे थे उनके साथ राजा ने सूर्यपाल का इलाज करवाने के लिए भेज दिया था । और करीब दो ​तीन दिनो के बाद में वह महल पहुंचे थे । तब राजा ने देखा की चंद्रसेन राजा बना हुआ है और सिहासन पर बैठ कर पद संभाल रहा है ।

आँखों से परदा हटाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

तब राजा को समझ में आ गया की आखिर बात क्या है । तब तुरन्त राजा ने अपना भेज बदल कर सभी के सामने आया और कहा की यह जो चंद्रसेन है इसे गिरफतार कर लो । राजा होने के कारण से भी उनकी बात मानते थे और उनके स्वभाव के कारण से सभ सेनिको ने चंद्रसेन को पकड़ लिया और​ फिर राजा ने उससे सच पूछ कर जेल में डाल दिया था ।

इसके बाद में सूर्यपाल को सेनिक पद से हटा दिया और अपना मंत्री बना लिया गया था । इसके बाद में राजा ने बताया की वह सूर्यपाल ही था जो की उसकी आंखो से परदा हटाने का काम किया था । और यही कारण था की वह बच पाया था । इसके बाद में राजा अपना जीवन आराम से जीने लगा था और इससे सूर्यपाल का भी अच्छा फायदा हुआ था ।

तो इस तरह से दोस्तो सूर्यपाल ने राजा की आंखो से परदा हटाया और उन्हे सचाई के बारे में आवगत करवाया था ।

इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ वास्तविकता से अवगत कराना होता है ।

अगर कुछ पूछना है तो कमेंट कर देना ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।