मुँह की खाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मुँह की खाना मुहावरे का अर्थ muh ki khana muhavare ka arth – परास्त होना या बुरी तरह से हार जाना

दोस्तो अगर कोई किसी कार्य मे बुरी तरह से हार जाता है या फिर परास्त हो जाता है तो उसके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । जैसे किसी युद्ध मे एक राजा दुसरे राजा से हारता है ‌‌‌जो राजा हार जाता है उसके लिए कहा जाता है की इस युद्ध मे तो उसने मुंह की खाई अर्थात इस युद्ध मे वह बुरी तरह से हार गया ।

मुँह की खाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मुँह की खाना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌जब जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला बोला है तब तब उसे मुंह की खानी पडी ।
  • सरपंच के चुनाव मे रामलाल को मुंह की खानी पडी ।
  • तुम उसके साने खडे मत हो ‌‌‌जाना नही तो मुंह की खानी ही पडेगी ।
  • तुमने तो उससे ही पंगा ले लिया है अब तो तुम्हे मुंह की खानी ही पडेगी ।

मुँह की खाना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

‌‌‌प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक राजा रहता था । उसके पास बहुत धन था और लोग भी उसे काफी अधिक पसंद करते थे । राजा के घर मे उसकी पत्नी के अलावा और कोई भी नही रहता था । राजा का नाम फुलेराम था । राजा फुलेराम के पास बहुत सेना थी और लोगो का भी उसको साथ रहता था । इस कारण कोई भी उससे युद्ध करता तो ‌‌‌वह हार जाता था ।

राजा फुलेराम को पता था की ऐसा कोई भी समय आ सकता है की जिसमे मेरी सेना कम पड सकती है यह सोचकर राजा ने अपने नगर के सभी लोगो चाहे फिर वह औरत हो या पुरष सभी को युद्ध का अभ्यास कराता रहता था । जिससे राजा को जब भी युद्ध मे और लोगो की जरुरत पडती तो वे लोग अपने राज्य की हिफाजत कर सके ‌‌‌।

यही कारण था की राजा से कोई भी युद्ध कराता तो वह हार जाता था । राजा फुलेराम बहुत ही बलवान था और वह ‌‌‌अकेला ही अनेक लोगो को मार गिराता था । जब उसके नगर के लोग युद्ध का अभ्यास करते थे तो राजा उनसे एक वर्ष मे युद्ध के बारे मे जानता था और जो भी सबसे अच्छा प्रदर्शन करता उसे इनाम भी देता था ।

इसी कारण ‌‌‌लोग उसके युद्ध के अभ्यास मे भी भाग लेते थे । साथ ही अनेक लोग तो राजा की सेना मे भी भर्ती होना चहाते थे । इस कारण जब भी राजा को सबसे अच्छे लोग युद्ध करने के लायक दिखते तो वह उसे अपनी सेना मे ले लेता था । जिससे राजा फुलेराम की सेना बहुत ही बलवान हो जाती थी । ‌‌‌

राजा का नगर बहुत ही बडा था और अनेक राजा इसे ‌‌‌छिनना चहाते थे । इस कारण एक राजा राजा फुलेराम पर आक्रमण करने की तैयारी करने लगा था । राजा फुलेराम को गुप्त चरो से पता चला की उस पर हमला होने वाला है । इस कारण राजा फुलेराम ने अपनी सेना से युद्ध का अभ्यास करने को कह दिया था ।

जब राजा की सेना को पता ‌‌‌को पता चला की हम पर हमला होने वाला है तो उन्होने जम कर तैयारी करनी ‌‌‌शुरु कर दी । यह देखकर राजा को पता चल गया था की जब तक ये लोग मेरे साथ है मेरे नगर को कुछ भी नही हो सकता । अगले ही दिन उस राजा ने राजा फुलेराम पर हमला बोल दिया ।

राजा फुलेराम की सेना तैयार थी और जब हमला हुआ तो वे जबाब देने लगे । ‌‌‌पर राजा फुलेराम के मुकाबले उस राजा की सेना की सख्या बहुत अधिक थी । यह देखकर वह राजा बहुत खुश हुआ और सोचने लगा की इसे तो हम कब का मार डालेगे और अन्य राजा इससे डरते है । अरे इसके पास तो सेना भी हमारे मुकाबले की नही है ।

जब युद्ध प्रारम्भ हो गया तो दोनो सेना और राजा आपस मे लडने लगे थे । ‌‌‌कुछ समय तक तो राजा फुलेराम की सेना इसी तरह से उनसे युद्ध लड रही थी पर जब उनको लगा की सामने वाली सेना कुछ थक गई है तो उन्होने अपने युद्ध को तो तेज कर दिया ।

जिससे सामने वाले राजा की सेना मुंह की खा कर जमीन पर पडने लगी । यह देखकर वह राजा हेरान हो गया । पर उसने हार नही मानी और ‌‌‌वह राजा राजा फुलेराम के ‌‌‌साथ क्रोध ‌‌‌मे युद्ध करने लगा । राजा फुलेराम को पता था की जब भी कोई क्रोध के साथ युद्ध करता है तो वह कुछ ही समय मे हार जाता है क्योकी क्रोध के कारण अपनी ‌‌‌पुरी सक्ती खोने लग जाता है ।

और हुआ यही वह राजा कुछ समय के बाद हार गया और घायल भी हो गया था । यह देखकर उस राजा की सेना ने सोचा की हम तो ‌‌‌राजा फुलेराम से पराजित हो जाएगे और हम मर भी जाएगे । ऐसा सोचकर उस राजा की सेना अपने राजा के प्राण बचाते हुए वहा से भागने लगे ।

मुँह की खाना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

उस समय उस राजा को भी समझ मे आ गया था की मैने तो उस राजा से मुंह की खाली है । इस तरह से वह राजा युद्ध हार कर अपने प्राण बचाकर वहां से भाग गया था । इस तरह से राजा ‌‌‌फुलेराम जित गया और वह राजा हार गया था ।

राजा फुलेराम की सेना बोलने लगी की जो भी हमारे राज्य पर हमला करेगा उसे मुंह की खानी ही पडेगी । इस तरह से आप इस कहानी से मुहावरे का अर्थ समझ गए होगे ।

‌‌‌मुंह की खाना मुहावरे पर निबंध Essay on idiom

‌‌‌साथियो जब कोई किसी कार्य मे जिस तरह से युद्ध मे हार जाता है तो उसे परास्त हो गया ऐसे ही तो कहेगे । जब किसी के मध्य युद्ध होता है तो जो परास्त होता है वह बहुत ही बुरी तरह से परास्त होता है क्योकी उसकी सेना आधी से ज्यादा मर जाती है और जो बचती है वह भी घायल ‌‌‌हुई होती है । साथ ‌‌‌ही राजा भी ‌‌‌घायल हो जाता है ।

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इस तरह से हारने को मुंह की खाना कहा जा सकता है । यह जरुरी नही है की इस मुहावरे का प्रयोग युद्ध के लिए ही किया जाए । बल्की उन सभी कार्यो पर किया जाता है जिसमे कोई हार जाता है । जिस तरह से एक सरपंच से लेकर बडे बडे चुनावो मे भी तो लोग हारते है तो उनके लिए भी इस मुहावरे का ‌‌‌प्रयोग किया जा सकताहै ।

मगर छोटी मोटी लडाई के लिए इस मुहावरे का प्रयोग लिया जाता है यह नही मान सकते । क्योकी इस मुहावरे का अर्थ ही बुरी तरह से परास्त होना है जो छोटी सी लडाई मे नही हो सकते है । इस तरह से आप इस मुहावरे का सही अर्थ समझ गए होगे ।

मुँह की खाना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of muh ki khana in Hindi

दोस्तो मुंह मानव का शरीर का एक मुहत्वपूर्ण हिस्सा होता है और इसके द्वारा स्वयं को ही मारना आसान ही नही बल्की मुमकिन नही  है ।

मगर कहते है की जब कोई व्यक्ति् परास्त हो जाता है या फिर हार जाता है और उसकी बुरी तरह से हार होती है तो कहते है की उसने मुंह की खाई ।

अब ऐसा क्यों कहा जाता है इसके बारे में सटीक जानकारी तो नही है मगर इसे याद किया जा सकता है जो की हमने आपको उपर एक तरीका बताया था और यहां पर दूसरे तरीके से समझे ।

जैसे की आपको पता है की आपका दिमाग आपके सिर में ही है । और उसी तरह से सभी का दिमाग सिर में होता है तो जो कुछ वह करता है वह अपने सिर के अंदर जो दिमाग है उसी से करता है । अब ​मुंह भी सिर और दिमाग का एक हिस्सा माना जा सकता है ।

अब अगर दिमाग से कुछ ऐसा कर दिया जाए जिसके कारण से बुरी हार का सामना करना पड़ता है तो इसे ही मुंह की खाना कहा जाता है ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।