अंधा बनना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

अंधा बनना मुहावरे का अर्थ andha banana muhavare ka arth — जान-बूझ कर किसी बात पर ध्यान न देना ।

दोस्तो आंखे जिसके पास होती है वह सब कुछ देख सकता है । वह यह देख सकता है की उसके आस पास क्या हो रहा है और क्या नही हो रहा है  । मगर जिसके पास आंखे होती है वे आस पास क्या हो रहा है इस पर ध्यान तक नही दे सकते है ।

मगर इस संसार में बहुत से लोग तो ऐसे भी है जिनके पास आंख है मगर फिर भी वे कभी कभार जान बूझ कर किसी बात पर ध्यान नही देते है । तो ऐसे लोगो के लिए और इस तरह की जब बात होती है जब लो जान-बूझ कर किसी बात पर ध्यान न देते हो तो उस समय इस मुहावरे का प्रयो ग किया जाता है ।

तो इस तरह से अंध बनना मुहावरे का अर्थ होता है जान-बूझ कर किसी बात पर ध्यान न देना ।

अंधा बनना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

अंधा बनना मुहावरे से मिलता हुआ मुहावरा

दोस्तो आपको बता दे की बहुत बार कुछ ऐसे भी मुहावरे होते है जो की बिल्कुल मिलते जुलते होते है तो ऐसे ही अंधा बनना मुहावरे से जुड़ा एक मुहावरा है जो की अंध बनाना होता है ।

अंधा बनाना मुहावरे का अर्थ — मूर्ख बनाना ।

अंधा बनाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

1.        पूरे गाव के लोगो को पता है की रामू के घर में किसने चोरी की थी मगर पुलिसकर्मी के पूछने पर सभी अंधे बन रहे है ।

2.        गुन्हेगार को पकड़वाने का हर नागरीक का दायित्व होता है मगर बहुत से लोग इस बात से अंधे बन रहे है ।

3.        सभी बच्चो को पता है की स्कूल में किस अध्यापक ने रामू को पीटा था मगर जब इस बारे में सभी बच्चो से पूछा गया तो सभी अंधे बन गए ।

4.        शहर में होने वाली चोरियो के पीछे किसका हाथ है इस बारे में जब पुलिसकर्मी ने लोगो से पूछा तो लोग अंधे बनने लगे ।

5.        आज के समय में जब भी अच्छी अच्छी बाते होती है तो सभी अंधे बन जाते है ।

6.        साधू बाबा जीवन का महत्व समझाने की कोशिश कर रहे थे मगर कुछ मुर्ख लोग थे जो की अंधे बनने की कोशिश कर रहे थे ।

7.        जब बच्चे पढने में ध्यान नही दे रहे थे तो अध्यापक ने कहा की मैं तुम्हे काफी समय तक पढा रहा हूं मगर तुम हो जो अंधे बन रहे हो ।

अंधा बनना मुहावरे पर कहानी

दोस्तो बहुत समय पहले की बात  है एक साधू बाबा थे जो की काफी अधिक ज्ञानी हुआ करते थे । वे भागवान कृष्ण जी के बड़े भक्त थे और वे गीता जैसे महान किताबो को पढ कर ज्ञान हासिल कर चुके थे जिसके कारण से वे हमेशा दूर दूर के स्थानो पर जाते और ​गीता का पाठ किया करते थे ।

 और लोगो को समझाने की कोशिश करते थे की आखिर इस जीवन का क्या महत्व है और यह भी बताने की कोशिश करते थे की हम जीवन बार बार क्यो लेते है  । और इसी तरह से ज्ञान बांटते हुए साधू बाबा दूसरे स्थान की और बढते रहते थे ।

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एक बार जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होने बताया की वे पूरे देश में लोगो को इस बारे में ज्ञान देने की कोशिश कर रहे है और यही कारण है की वे तरह तरह के स्थानो पर जाकर इस तरह का ज्ञान देते रहते है ।

एक बार की बात है साधू बाबा इस तरह से ज्ञान देन के लिए एक गाव में जाते है । वहां पर बहुत सारे लोग रहा करते थे करीब 700 घर उस गाव में थे । वहां पर रहने वाले लोग जो थे वे भगवान को बहुत ही मानते थे । वहा पर बहुत से लोग थे जो की हिंदू धर्म के थे । या फिर यह कह सकते है की वहां पर बहुत से लोग हिंदू ही थे ।

वहां पर जाने के बाद में साधू बाबा ने पहले तो एक मंदिर की तलास की जहां पर वे रह कर लोगो को गीता में क्या लिखा गया है इस बारे में थोड़ा बहुत ज्ञान दे सके । इसके बाद में उन्होने उस मंदिर में रह कर ज्ञान देने की योजना बना ली और पूरे गाव में स्वयं ही जाकर प्रचार करने लगे थे । ताकी लोग उनके पास आए और ज्ञान को ग्रहण करे ।

वहां पर जाने के बाद में लोगो ने जब देखा की साधू उन्हे स्वयं ही बुला रहा है तो लोगो को भी लगा की साधू बाबा का ज्ञान ग्रहण किया जाए और ऐसी ही सोच रख कर साधू बाबा जो थे उनके पास गाव के लोग जाने लगे थे ।

 मगर लोगो की वहां पर ज्यादा संख्या नही होती थी । करीब 100 लोग ही इस पाठ में आते थे । मगर साधू बाबार इन 100 लोगो को भी गीता का पाठ समझाने की कोशिश करते थे और बताते थे की आखिर इसमें क्या लिखा है ।

साधू बाबा ने यह भी बताया की इसमें लिखा है की जिस जीवन को हम अपना मान रहे है असल में यह भोतिक जीवन है और आत्मा जो होती हैवह असल में हम होते है । इस संसार में न तो कोई अपना है और न ही कोई पराया है । मतलब यह है की न भाई, न बहन, न माता पिता यानि कोई भी अपना नही है ।

अंधा बनना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

 बल्की आत्मा इन सभी से रिश्ते नही रखा करती है और जो अपने जीवन की इच्छा को खत्म कर देता है वह मोक्ष प्राप्त कर सकता है । ऐसी ऐसी बाते सुन कर बहुत से लोग जो थे वे इसे सुनना पसंद नही कर रहे थे और यह साधू बाबा को समझ में आ गया ।

जिसके कारण से एक दिन साधू बाबा ने कहा की मुझे पता है की यहां पर बहुत से लोग है जो की अंधा बनने की कोशिश कर रहे है । असल में वे लोग मुर्ख है क्योकी जो सच होता है उस  पर ध्यान जरूर देना चाहिए और इस तरह से साधू बाबा जो थे वे लोगो को समझा रहे थे की जो कुछ बताया जा रहा है वह सत्य है ।

अगले दिन की बात है फिर से लोग कुछ ऐसे मिल गए जो की अंध बनने की ​कोशिश कर रहे थे ​मगर साधू बाबा ने फिर उनको कुछ नही कहा । करीब 14 दिनो तक इस तरह से ज्ञान देने के बाद में साधू बाबा अगले गाव में चले जाते है ओर इस तरह से आगे की और बढते रहते है ।

तो इस तरह से साधू बाबा जो थे वे लोगो को ज्ञान  देने का काम करते थे । मगर कुछ लोग ऐसे थे जो की अंधा बन रहे थे ।

कहानी से समझा जा सकता है की अंधा बनना मुहावरे का अर्थ जान बुझ कर ध्यान न देना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।