मुंह छिपाना का अर्थ और मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

मुंह छिपाना मुहावरे का अर्थ muh chipana muhavare ka arth — लज्जित होना।

दोस्तो जब कोई व्यक्ति अपने मुंह पर कपड़ा डाल लेता है जैसे की महिलाए अपने मुंह पर कपड़ा रखती है वैसे ही तो इससे क्या होता है की यह जो मुंह है वह छिप जाता है। यानि सरल भाषा में कहे तो मुंह को छिपाने के लिए कपड़ा मुंह पर डाला जाता है ।

मगर लज्जित होना एक ऐसी क्रिया या भाव होता है जिसमें मानव को शर्म आती है या फिर कह सकते है की लज्जा युक्त, शर्मिंदा होने को लज्जित होना कहा जाता है । और इस लज्जित होने की स्थिति में भी मानव अपने चेहरे को छिपाने की कोशिश करता है ।

इस कारण से मुंह छिपाना मुहावरे का सही अर्थ लज्जित होना ही होता है।

मुंह छिपाना का अर्थ और मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

मुंह छिपाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || muh chipana use of idioms in sentences in Hindi

1.        जब तुमने कुछ गलत किया ही नही है तो क्यो लोगो से मुंह छिपाना पड़ रहा है ।

2.        अक्षर गलत काम करने वाले लोगो को मुंह छिपाना पड़ जाता है।

3.        शर्मा जी को लोगो ने इतना भला बुरा कहा की बिचारे को मुंह छिपाना पड़ गया ।

4.        लड़की ने अपने दुल्हे को देख कर शर्म के मारे मुंह छिपा लिया ।

5.        हम तो आपके अपने है और आप हमसे मुंह छिपाने लगे तो कैसे काम चलेगा ।

6.        जब राहुल को पता चला की उसने अपने पिता के साथ ऐसे वैसे बाते कर कर अच्छा नही किया तो राहुल पिताजी से मुंह छिपाने लगा ।

7.        अपनी गलती का अहसास होने के कारण से कंचन ने अपने माता पिता से मुंह छिपना सही समझा ।

8.        बेटी के किसी लड़के के साथ भाग जाने पर माता पिता को मुंह छिपा कर रहना पड़ रहा है ।

9.        उस कलमुही ने घर से भाग कर किया ही ऐसा काम है जो हमको मुंह छिपाना पड़ रहा है।

मुंह छिपाना मुहावरे पर कहानी || muh chipana story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है एक छोटा सा गाव हुआ करता था जहां पर बहुत से लोग रहते थे और एक छोटा सा स्कूल भी वहां पर था । अब क्योकी स्कूल मे बच्चो को पढाने का काम किया जाता है मतलब बच्चो को ज्ञान दिया जाता है और यह जो ज्ञान होता है वह कोई और नही बल्की वहां पर रहने वाले शिक्षक ही देते है ।

और उस छोटे से स्कूल में ज्यादा शिक्षक तो नही थे मगर करीब 5 से 6 शिक्षक तो वहां पर थे ही । और उन्ही शिक्षक में से एक ऐसा शिक्षक था जिसका नाम राजेंद्र प्रसाद था और यहदेखने में काफी चर्बी वाला व्यक्ति था ।

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 यह बच्चो को पढाने का काम तो अच्छी तरह से करते ही थे मगर बच्चो को क्या समझ में आता यह शिक्षक को कुछ लेना देना नही  था । राजेंद्र प्रसाद तो जब भी कक्षा में प्रवेश लेते थे तो पहले तो बच्चो को पढाने लग जाते थे दरसल यह गणित विषय को पढाने का काम करते थे जिसके कारण से जो भी गणित को पढता था उससे यह प्रशन भी पूछा करते थे ।

हालाकी बच्चो को पहले पढाया जाए और फिर उनसे ही प्रशन पूछा जाए तो यह एक अच्छा तरीका होता है। मगर राजेंद्र प्रसाद जो था उसे भोजन का लालच था । और जो बच्चा सही तरह से उत्तर नही निकाल पाता था उसका भोजन राजेंद्र प्रसाद ले लेता था ।

दरसल बच्चे जो थे वे स्कूल के अंदर भोजन करने के लिए टीफन लेकर आते थे जिसमें तरह तरह का भोजन होता था और राजेंद्र प्रसाद इसी भोजन को बच्चो से लेने के बाद में खा लेते ​थे ।

हालाकी इस बारे में स्कूल के अन्य अध्यापको को भी पता नही था क्योकी कोई भी अध्यापको को बताने से डरता था और इस कारण से काफी समय तक ऐसा चलता रहा था और अब बच्चे भी परेशान हो गए थे तो आखिर में बच्चो ने भोजन लेकर आना ही मना करने की सोची मगर राजेंद्र प्रसाद ने ऐसा नही होने दिया उन्होने बच्चो को डरा दिया और कहा की हमेशा नया नया भोजन लेकर आना है।

और होना क्या था बच्चो को मजबुरन ऐसा करना पड़ जाता था । और इस तरह से काफी समय तक चलता रहा । मगर फिर बच्चो ने योजना बनाई और कहा की हम भोजन तो लेकर आएगे मगर वह काफी घटिया भोजन होगा जिसे खाने के बाद में राजेंद्र सर को पता चलेगा की भोजन छिनना कितना बड़ा गलत काम है ।

और फिर बच्चे ऐसा ही करने लगे । कुछ बच्चे सब्जी में ज्यादा नमक गेर कर ले आते थे तो कुछ बच्चे मिर्ची ज्यादा लेकर आ जाते थे । और एक दिन की बात है जब राजेंद्र प्रसाद ने बच्चो से प्रशन पूछा तो बच्चो ने उत्तर देने की कोशिश की मगर राहुल नाम के एक लड़के से उत्तर नही दिया गया तो उसका टिफन राजेंद्र प्रसाद ने माग लिया और राहुल ने खुशी से टिफन दे दिया ।

अब हमेशा राहुल अच्छा भोजन लेकर आता था तो राजेंद्र प्रसाद ने बिना भोजन को देखे ही सब्जी को भारी मात्रा में अपने मुंह में रखा और निगल गया ।

ऐसा होने के कारण से राजेंद्र प्रसाद का मुंह जलने लगा था क्योकी उस सब्जी में बहुत ही अधिक मिर्च थी और मिर्च खाने के कारण से राजेंद्रप्रसाद का मुंह लाल हो गया और वे जल्दी से कलाश से बहार निकल कर पानी पिने के लिए बहार चले गए और जल्दी जल्दी पानी पीने लगे और यह सब अध्यापको ने देखा और उनके पास आया और पूछा की क्या हुआ है ।

मुंह छिपाना मुहावरे का अर्थ

अब राजेंद्रप्रसाद उन्हे कुछ बता भी नही सकते थे इस कारण से शांत हो गए और कहा की कुछ नही हुआ है । मगर अभी भी उनके मुंह मे जलन हो रही थी क्योकी मिर्च काफी तेज थी । और कुछ समय तक शांत रहने पर फिर से पानी पीने लगे मगर अब क्या हो सकताथा ।

मगर फिर बच्चो ने अध्यापको को हिम्मत कर करसारी सचाई बता दी ओर अध्यापको को राजेंद्र प्रसाद के बारे में पता चल गया जिसके कारण से राजेद्र पसाद ने अपना मुंह छिपा लिया ।

मगर अध्यापको ने कहा की आपकी चोरी पकड़ी गई अब मुंह छिपाने से कुछ नही होगा । इसके बाद में गाव के लोगो को भी इस बारे में पता चला तो राजेंद्र पसाद को सभी से मुंह छीपा कर रहना पड़ गया और अब उन्होने यह सब करनाभी छोड दिया था क्योकी अगर वे ऐसा नही करते तो लोग उन्हे जीने नही देते थे और अब बच्चे खुशी से अपना जीवन जीने लगे थे ।

तो इस तरह से दोस्तो मुंह छीपाना मुहावरे के अर्थ के बारे मे कहानी से जान सकते है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।