सूक्ति बाण चलाना मुहावरे का अर्थ और मजेदार वाक्य में प्रयोग

सूक्ति बाण चलाना मुहावरे का अर्थ sukti baan chalana muhavare ka arth — उपदेश देना या नीति की बातें सीखाना ।

दोस्तो आज के समय में बहुत ही ऐसे लोग है जो की  बढ़िया बात करते हो । मगर कुछ होते है जो की उपदेश देने का काम करते है और आपको पता होगा की जो उपदेश होता है उसे  बढ़िया बात कहा जाता है । और सूक्ति असल में बढ़िया बात को ही दर्शाता है ।

क्योकी जो बढिया बात होती है वह निती के अनुसार सही होती है । तो इस तरह से उपदेश देना या नीति की बातें सीखाना जो होता है असल में वही सूक्ति बाण चलाना होता है। और जहां पर उपदेश देना या ​नीति की बाते सीखाने की बात होती है वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

सूक्ति बाण चलाना मुहावरे का अर्थ और मजेदार वाक्य में प्रयोग

सूक्ति बाण चलाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग  || sukti baan chalana of idioms in sentences in Hindi

1.        कंचन जब पिता के सामने झूठ बोलने लगी तो पिताजी ने ऐसी सूक्ति बाण चलाई की कंचन को समझ में आ गया की कभी झूंठ नही बोलना चाहिए ।

2.        जब बेटे ने पहली बार चोरी की थी उसी समय अगर सूक्ति बाण चला दिया होता तो आज इतना बड़ा चोर नही बनता ।

3.        अपराधी को पकड़ कर पुलिस ने बहुत सूक्ति बाण चलाई मगर अपराधी को जरा सा असर तक नही हुआ ।

4.        पत्नी के कहने पर राहुल ने अपने माता पिता को घर से निकाल दिया तो लोगो ने राहुल पर सूक्ति बाण चलाना शुरू कर दिया ।

5.        जब धनलाल ने एक गुन्हेगार का पक्ष लिया तो लोग  उस पर सूक्ति बाण चलाने लगे ।

6.        कंचन और रजनी दोनो बहनो में झगड़ा हो जाने के कारण से पिताजी ने दोनो पर ऐसी सूक्ति बाण चलाई की दोनो को अपनी गलती का अहसास हुआ और दोनो ने एक दूसरे से माफी मांगी ।

सूक्ति बाण चलाना मुहावरे पर कहानी || sukti baan chalana story on idiom in Hindi

दोस्तो एक छोटा सा गाव हुआ करता था जहां पर धनमल नाम का एक आदमी रहा करता था । जो की हमेशा नीति पर चलने वाला था और हमेशा सत्य का साथ देने वाला था । धनमल जो था वह हमेशा एक ही बात कहता था की अपराधी को सजा देने से अच्छा है अपराधी का अपराध करने के कारण को ही खत्म कर दिया जाए ।

इसके अलावा वह यह भी कहा करता था की अगर बच्चो को बचपन में अच्छी शिक्षा नही दी गई तो हो सकता है की वे बड़े होने के बाद में अपने जीवन मे कुछ ऐसा करने लग जाए जो की उनके लिए अच्छा न हो । तो बचपन में ही छोटी सी गलती पर उन्हे यह नही करना है बताना चाहिए ।

और इसी तरह से धनमल जो था वह इस बात को अपने जीवन में लागू करता था । और एक बार की बात है धनमल की एक बेटी हुआ करती थी जिसका नाम कंचन था वह करीब 10 वर्ष की थी तो एक दिन वह स्कूल गई हुई थी मगर आधी ही छुट्टी के अंदर वह स्कूल से घर में आ जाती है ।

और धनमल जो था वह शाम को देर तक काम से घर आता था । तो उसे इस बारे में पता नही चलता था । और दूसरे दिन कंचन जो थी वह तैयार होकर घर से स्कूल में चली जाती है मगर स्कूल में पहुंचती नही है बल्की पता नही कहा अपनी कुछ सहेलियो के साथ खेलने लग जाती है । इसी तरह से लगातार दो तीन दिनो तक चलता रहा था ।  

दरसल जो कंचन थी उसकी सहेली ऐसी ही थी जिसके साथ होने के कारण से ही वह स्कूल में नही जाती था । मगर एक दिन कंचन के पिता धनमल को अध्यापक का फोन आता है और वह कहते है की आज कल कंचनस्कूल नही आ रही है । तब धनमल कहता है की नही वह तो रोजाना स्कूल जाती है ।

मगर अध्यापक फिर से कहते है की वह पीछले तीन चार दिनो से स्कूल नही आ रही है ।

तब धनमल ने कहा की ठिक है मैं उससे बाते करता हूं कल आ जाएगी । इसी तरह से उस दिन जैसे ही धनमल अपने घर में जाता है तो वहां पर जाने के बाद में सबसे पहले अपनी बेटी कंचन को पास बुलाता है और उससे पूछता है की बेटा कंचन जरा यह तो बताओ की तुम आजकल स्कूल में क्या करती हो ।

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तब कंचन बहाना बना कर स्कूल में अध्ययन के बारे में बताने लग जाती है । मगर फिर से धनमल ने कहा की तुम स्कूल क्यो नही जाती हो । तब कंचन ने कहा की मैं तो हमेशा स्कूल जाती हूं । मगर फिर धनमल ने कहा की नही तुम तीन दिनो तक स्कूल नही गई हो । और यह सुन कर कंचनी की माता आ जाती है और वह कहती है की यह तो रोजाना स्कूल जाती है ।

तब धनमल ने सारी बात बताई की यह स्कूल के बहाने अपनी सहेलियो के साथ खेलने चली जाती है । और स्कूल में जाती नही है । यह सुन कर कंचन को भी पता चल गया की पिताजी को पता चल चुका है की वह स्कूल नही जाती है । इस कारण से कंचन ने मुह लटका लिया । तब धनमल ने कंचन पर सूक्ति बाण चला दिया जिसके कारण से कंचन को अहसास हो गया की जीवन में कभी झूठ नही बोलन चाहिए ।

धनमल ने कंचन को कहा की आगे से फिर कभी ऐसा नही होना चाहिए की तुम झूठ बोलने लग जाओ । हमेशा सत्य बोलना है चाहे तुम्हारी उस काम में गलती न हो ।

इस तरह से करीब एक घंटे तक बाते होती रही । आखिर में धनमल की पत्नी ही बोल पड़ी की अब बस बहुत हुआ आखिर कितने समय तक सुक्ति बाण चलाते रहोगे । तब जाकर धनमल हंसने लगा और अपनी बेटी से कहा की जाओ खेल आओ  ।और इस तरह से धनमल की बेटी फिर खेलने के लिए चली जाती है ।

सूक्ति बाण चलाना मुहावरे का अर्थ

और इसके बाद में धनमल कीबेटी ने झूठ बोला छोड दिया था और इस सब का कारण केवल धनमल का सुक्ति बाल चलना ही था ।

इसी तरह से धनमल जो था वह जब भी कुछ गलत होते देखता था तो वहां पर उपदेश देने लग जाात था या फिर कह सकहते है की नीती की बाते सिखाने लग जाता था । जो की लोगो को सच में सही रास्ते पर लेकर आने का काम करता था । और इसी तरह से धनमल का जीवन चलता रहता था ।

तो दोस्तो कहानी से आपको सिखने को मिला है की जीवन में झूंठ नही बोलना चाहिए ।

साथ ही इस मुहावरे का अर्थ होता है उपदेश देना या नीति की बाते सिखाना यह भी आपको कहानी से समझ में आ जाना चाहिए ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।