सिर नीचा करना, मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

सिर नीचा करना मुहावरे का अर्थ sir nicha karna muhavare ka arth — लज्जित करना या बेइज्जत करना।

दोस्तो आपने पहले के समय के लोगो को देखा होगा जो की अपने सिर पर पगड़ी पहनते है जैसे की आपने मोदीजी और योगीजी को देखा होगा । तो यह जो सिर पर पगड़ी पहनी जाती है तो यह व्यक्ति के सम्मान होने को दर्शाती है। इसी तरह से सिर अगर उपर की और होता है तो इसका मतलब है की लोगो की नजर में उसका सम्मान है । और मान सम्मान होने पर हमेशा सिर उपर होता है ।

मगर वही पर जब मान सम्मान नही होता है तो उस व्यक्ति का सिर हमेशा निचे की और बना रहता है और सम्मान न होने को लज्जित होना या बेइज्जत होना होता है । तो इसे सिर निचे होना कहते है । मगर वही पर जब कोई मान सम्मान को कम करता है यानि बेइज्जत करना है या लज्जित करता है तो फिर इसे सिर नीचा करना कहते है ।

अत सिर ​नीचा करना मुहावरे का अर्थ बेइज्जत करना या लज्जित करना होता है ।

सिर नीचा करना, मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

सिर नीचा करना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग  || sir nicha karna of idioms in sentences in Hindi

1.   पहले विवाह के समय में दहेश में सब कुछ नही मिलता था तो दुल्हे वाले लड़के के पिता की पगड़ी उछाल कर सिर नीचा कर देते थे ।

2.   लड़की के पिता ने जब विवाह के समय दहेज देने के लिए मना कर दिया तो लड़के वालो ने विवाह को बिच में छोड़ कर लड़की के पिता का सिर नीचा कर दिया ।

3.   भरी सभा में सूर्यकांत ने रामदेव को काफी भला बुरा कह कर उनका सिर नीचा कर दिया ।

4.   जब राहुल स्कूल में फैल आ गया तो अध्यापक राहुल के पिता को बुला कर सिर नीचा करने लगे ।

5.   स्कूल में सभी बच्चे 10 वी कक्षा में फैल हो गए तो गाव के लोगो ने अध्यापको का सिर नीचा कर दिया ।

6.   अगर जीवन में गलत काम इसी तरह से करते रहोगे तो वह दिन याद नही जब लोग तुम्हारा सिर नीचा कर देगे ।

7.   कलेक्टर के बेटे ने गरीब लड़की के साथ भाग कर शादी कर ली इस खबर ने कलेक्टर का सिर नीचा कर दिया ।

8.   विवाह में गाढी दहेज में न देने के कारण से चंद्रदेव का सिर नीचा कर दिया गया ।

सिर नीचा करना मुहावरे पर कहानी  || sir nicha karna story on idiom in Hindi

दोस्तो पहले क्या होता था की लड़के और लड़की के विवाह के अंदर दहेज दिया जाता था जो की काफी बुरा काम था और आज ऐसा करना प्रतिबंधित है । हालाकी बहुत सो लोगो को इससे फायदा हुआ था ।

क्योकी बहुत से ऐसे लोग थे जो की इसी कारण से अपनी बेटी का विवाह नही कर पाते थे और बहुत से लोगो के साथ तो इतना बुरा होता की वे किसी से चेहरा मिलाने की हिम्मत नही कर पाते थे । और ऐसा ही एक बार एक छोटे से गाव में रहने वाने घनश्याम के साथ हो गया था ।

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दरसल घनश्याम जो था वह एक नेक आदमी था और इसके साथ ही वह गरीब भी था । उसके पास तो खेत तक नही  था​ जिसके कारण से वह खेती तक नही कर पाता था । दूसरा की उसके कोई बेटा नही था केवल एक बेटी ही थी ।

जिसके कारण से धनश्याम को सहायात तक नही मिल पाती थी । मगर फिर भी धनश्याम ने अपनी मेहनत और ताक्त के कारण से अपने घर को अच्छी तरह से चलाया और जीवन में सभी का पालन करता रहा था ।

मगर अब वह दिन गया जब बेटा का पेट भरना काफी था । क्योकी अब बेटी का पेट भरने के अलावा उसका विवाह भी करना था और इसी बात की टेंसन घनश्याम को काफी अधिक थी ।

दरसल उस समय बेटी का जब भी विवाह होता था तो लड़के वाले जो कुछ मागते थे उन्हे वह देना होता था अगर नही दिया जाता था तो विवाह नही होता था और यहां तक की विवाह को बिच में ही रो दिया जाता था ।

मगर क्योकी विवाह करना था तो घनश्याम ने इन बातो की और ध्यान नही दिया और अपनी बेटी को लड़के वालो को दिखा दिया । तब एक लड़के को घनश्याम की लड़की पसंद आ गई मगर लड़के के पिता ने पहले ही बात कर ली ​उन्हे एक बाइक चाहिए ।

उस समय बाइक को लेकर आना बहुत मुश्किल था और यह घनश्याम को भी पता था मगर उन्होने बाइक देने के लिए हां कह दी थी । और यह सुन कर लड़के वालो ने भी कहा की जब आप राजी हो तो हम कोन होते है हम भी राजी है । और फिर सभी विवाह की तैयारी में लग गए थे ।

इतने में जिस लड़के का विवाह हो रहा था वह रेलवे विभाग में नोकरी लग गया और यह सुन कर घनश्याम खुश हुआ क्योकी उसने सोचा की बेटी का भाग्य अच्छा हो जाएगा ।

मगर उस लड़के की नोकरी लग गई तो उसने कहा की उसे बाइक के अलावा भी और कुछ चाहिए और उसने एक सोने की अंगूठी मागी । और इसके साथ ही एक सोने की चैन मागी और यह सुन कर घनश्याम ने कहा की ठिक है मैं दे दूगा ।

अब ​सब कुछ तैयार करने की घनश्याम ने काफी कोशिश की मगर वह बाइक का इंतजाम नही कर पाया था । जिसके कारण से उसे टेंसन थी की अगर दूल्हे को पता चलेगा तो क्या होगा ।

अब विवाह के दिन की बात है घनश्याम जो था वह बैठा देख रहा था की दूल्हा बारात लेकर आ रहा है की नही । मगर भगवान का शुक्र था की बारात आ गई और इस कारण से  घनश्याम ने बारात का स्वागत किया । और कुछ समय के बाद में फैरे शुरू हो गए ।

मगर अब दुल्हे ने घनश्याम से पूछा की मेरी बाइक तैयार है की नही और यह सुन कर घनश्याम ने पहले ता कुछ नही बताया और फिर कहा की नही अभी नही है बाद में देगे ।

और यह सुन कर दुल्हा गुस्सा हो गया और वह चिलाता हुआ अपने पिता के पास गया और कहा की हम विवाह नही करेगे । और जब पिता ने पूछा क्यो क्या हुआ । तब दूल्हे बताया की इन्होने बाइक का इंतजाम नही किया है ।

सिर नीचा करना मुहावरे का अर्थ

और यह सुन कर दुल्हे का पिता भी कहा की तो चलो फिर बारात को वापस लेकर जाओ । मगर यह सुन कर दुल्हन के पिता यानि घनश्याम से कहा की अगर आप वापस जाकर मेरा सिर नीचा कर रहे है । आप ऐसा न करे ।

मगर वे नही माने आखिर में बारात वापस चली गई । अब बारात के वापस जाने के कारण से घनश्याम का सिर नीता कर दिया गया था । मगर तभी घनश्याम के दोस्त ने कहा की मेरा बेटा तुम्हारी बेटी केसाथ विवाह करेगा और इस तरह से फिर घनश्याम और उसके दोस्त के लड़को का विवाह किया गया था ।

यह सब देख कर घनश्याम ने कहा की दोस्त तुमने तो आज मेरी इज्जत बचाने की कोशिश की है मगर बारात को वापस ले जाकर उन लोगो ने मेरा सिर नीचा करना चा​हा मगर तुमने बचा लिया ।

तो इस तरह से घनश्याम की बेटा का विवाह हो पाया था ।

तो दोस्तो इस कहानी में सिर नीचा करना मुहावरे के बारे में जानने को मिला है जिसका अर्थ होता है बेइज्जत करना या लज्जित करना ।

अगर कुछ पूछना है तो कमेंट कर देना ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।