दांत काटी रोटी होना मुहावरे का अर्थ dant kati roti hona muhavare ka arth — अत्यन्त गहरी मित्रता होना ।
दोस्तो रोटी जो होती है वह कई तरह से खा सकते है कुछ लोग रोटी को पहले तोड़ते है और फिर खाते है वही पर कुछ लोग रोटी को अपने दांतो से तोड़ते है और फिर खाते है ।
तो इस तरह से दांत से रोटी को तोड़ा जाता है तो यह दांत के द्वारा कटी रोटी बच जाती है और रोटी दांत के काफी नजदिक जाकर भी बची रह जाती है और कह सकते है की दांत और रोटी के बिच में अत्यन्त गहरी नजदिकी है ।
उसी तरह से जो दोस्त होते है वे भी एक दूसरे के काफी नजदिक होते है और यह दांत के द्वारा कटी रोटी की तरह ही होते है । और यही कारण है की कहा जाता है की दांत कटी रोटी होना मुहावरे का अर्थ अत्यन्त गहरी दोस्ती होना होता है ।
दांत कटी रोटी होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || dant kati roti hona use of idioms in sentences in Hindi
1. पार्वती और सीता दो ऐसी लड़किया है जिन्हे देख कर हर कोई बता देगे की यह तो दांत कटी रोटी है ।
2. सुदामा जब भगवान श्री कृष्ण के महल में पहुंचे थे तो सभी समझ गए की दोनो में दांत कटी रोटी है ।
3. सुदामा के पीछे पीछे भगवान श्री कृष्ण को आते देख कर हर कोई समझ गया की दोनो में दांत कटी रोटी है ।
4. सुदामा के पैरो को भगवान श्री कृष्ण अपने हाथो से धोने लगे तो उनकी पत्निया समझ गई की दोनो दांत कटी रोटी है।
5. सुरज और रमेश को कोई देख कर यह तक नही कह सकता है की दोनो दोस्त है मगर दोनो दांत कटी रोटी की तरह है ।
6. रामप्रताब और सुरजसिंह दोनो को पता नही आज क्या हो गया एक दूसरे से बाते नही करते है मगर किसी जमाने में वे दांत कटी रोटी थ ।
दांत कटी रोटी होना मुहावरे पर कहानी || dant kati roti hona story on idiom in Hindi
दोस्तो आपको यह कहानी लगभग सभी को पता होगी और इसी कहानी के जरिए आपको इस मुहावरे के अर्थ को समझाएगे ।
दरसल बात उस समय की है जब सुदामा और श्रीकृष्ण की दोस्ती हुआ करती थी । क्योकी भगवान श्री कृष्ण के पास सब कुछ था तो वे अमीर थे वही पर सुदामा जो थे वे गरीब थे और अपने दोस्त से काफी समय तक मिले भी नही थे तो ऐसे में सुदामा को अपने दोस्त से मिलने की इच्छा हुई और उनसे मिलने के लिए चले गए ।
अब सुदामा जो थे वे कृष्ण जी के के राज्य में पहुंच गए थे और उसी स्थान पर पहुंचने के बाद में कुछ लोगो से पूछते हुए श्री कृष्ण जी के महन के पास पहुचं गए थे । वहा पर जाने के बाद में जब वे महल के अंदर जाने लगे तो द्वारपाल ने उन्हे रोक लिया और कहा की कहा जा रहे हो ।
तब सुदामा ने कहा की मैं भगवान श्री कृष्ण जी से मिलने के लिए जा रहा हूं । तब द्वारपाल ने सुदामा को देखा तो वे गरीब की तरह लग रहे थे और यह सब देख कर उन्हे अंदर जाने से रोक दिया ।
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सुदामा ने कहा की मैं कृष्ण जी का दोस्त हूं मगर द्वारपाल यह सुन कर हंसने लगे और उन्हे लगा की यह मजाक कर रहे है । काफी समय बित जाने के बाद में सुदामा ने उन्हे मनाया और संदेश भेजने को कहा । जिसके कारण से एक सेनिक सेंदश लेकर चला गया ।
मगर वह काफी समय तक वापस नही आया तो सुदामा को लगा की श्री कृष्ण जी उनसे नही मिल पाएगे और यह सोच कर वापस चले गए ।
और पीछे पीछे श्री कृष्ण जी नंगे पैर भागते हुए आए और सेनिको से पूछा की सुदामा कहा है तब उन्होने कहा की वह तो चला गया है और यह सुन कर श्री कृष्ण जी नंगे पैर ही उनके पीछे भागने लगे थे । और यह द्वारपाल और अन्य लोगो नेदेखा तो समझ में आ गया की दोनो के बिच में दांत कटी रोटी है ।
सुदामा को श्री कृष्ण जी ने किसी तरह से रोक लिया और फिर गले मिले और अपने महल में लेकर आ गए थे । महल में आने के बाद में श्री कृष्ण जी ने सुदामा का स्वागत धुम धाम से किया और तभी श्री कृष्ण जी की पत्नी पानी गर्म कर कर ले आती है और सुदामा के पैर के निचे थाल रखते है ।
दरसल जो भी कोई मेहमान घर आता है उसका पैर गर्म पानी से धोया जाता है और सुदामा के भी धोने थे मगर जब श्री कृष्ण जी ने उसके पैर देखे तो वह काटो से भरे हुए थे और यह देख कर श्री कृष्ण जी रोने लगे और जो आंसू बह रहे थे उनसे वह कांटो को निकालते हुए पैर धोने लगे थे ।
इसी तरह से पैर धोने के कारण से श्री कृष्ण जी की पत्निया समझ गई की दोनो के बिच में दाल कटी रोटी वाली बात है और उन्हे यह भी पता था की ये बचपन के दोसत है जो की एक साथ रहे थे और आज मिले है ।
इतना ही नही बल्की इस समय में अनेक बार कुछ ऐसा हुआ था जो की दोनो की अच्छी दोस्ती होने के बारे में बताने का काम कर रहा था और इसी तरह से चलता जा रहा था और सुदामा को श्री कृष्ण जी ने भोजन भी करवाया और फिर सुदामा से पूछा की भाभिजी ने मेरे लिए क्या भेजा है तो यह सुन कर श्री कृष्ण जी ने कुछ छुपाने की कोशिश की क्योकी उन्हे लगा की जो वे लेकर आए है वे एक राजा के लिए सही नही है ।
मगर श्री कृष्ण जी माने नही और उन्होने देख लिया और उसमे चने थे जिन्हे श्री कृष्ण जी ने बड़े चाव से खाए और यह सब देख कर श्री कृष्ण की पत्नि समझ गई की इनके बिच में दाल कटी रोटी वाली बाती है ।
इसी तरह से न केवल श्री कृष्ण जी की पत्नी को इस बारे में पता चला बल्की जिसाने भी यह देखा था उसे पता चल गया की दोनो के बिच में काफी गहरी दोस्ती है और द्वारपाल को भी लगा की सुदामा को रोकना नही चाहिए था ।
तो दोस्तो इस छोटी सी कहानी से आप समझ सकते है की दाल कटी रोटी होना मुहावरे का अर्थ अत्यंत गहरी दोस्ती होना होता है ।
वैसे दोस्तो आपको बता दे की हमने संक्षिप्त में इस कहानी को आपको बताने की कोशिश की है तो कुछ गलत है तो माफ कर कदेना क्योकी श्री कृष्ण जी की इस महिमा को गलत लिखना और बोलना भी गलत है ।
वैसे आप अधिक इस बारे में जानना चाहते है तो इस विडियो को देख सकते है ।
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