उल्टे बांस बरेली को मुहावरे का अर्थ और वाक्य व निबंध

उल्टे बांस बरेली को मुहावरे का अर्थ ulte bans bareli ko muhavara ka arth – किसी ऐसे स्थान पर कोई वस्तु लेकर जाना जहां उसकी जरूरत हो

दोस्तो आपने सुना होगा की बरेली मे बांस के पेडो की कोई कमी नही है । वहां पर चारो तरफ बांस के पेड देखने को मिल जाते है ।‌‌‌ इस कारण से वही पर बांस से बनने वाली सभी वस्तु बनाकर दूसरे शहरो मे ‌‌‌बेची जाती है। जिससे कोई भी बास से बनी वस्तु बरेली मे लेकर नही जाता है ।

क्योकी वहा पर उसकी कोई जररूत नही है वह ‌‌‌वस्तु वहा पर पहले से ही है । मगर जब कभी कोई मुर्ख व्यक्ति बरेली मे बांस लेकर जाता है । तब उल्टे बांस बरेली को ‌‌‌कहा जाता है क्योकी वहां पर बांस लेकर जाने की कोई जररूत नही है । इसी तरह से जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु को ‌‌‌ऐसे स्थान पर लेकर जाता है जहां पर उसकी जरूरत नही है तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

उल्टे बांस बरेली को मुहावरे का अर्थ और वाक्य व निबंध

उल्टे बांस बरेली को मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग ulte bans bareli ko muhavara ka vakya me prayog

  • ‌‌‌तुम अपने दोस्त से मिलने के लिए बिकानेर जा रहे हो और उसके लिए ‌‌‌पापड अपने साथ लेकर जा रहे हो अरे यह तो वही बात हुई उल्टे बांस बरेली को ।
  • हजारी बरेली जा रहा तो उसने अपने साथ बांस से बनी टोकरी ले ली जिसे देख कर रामू ने कहा ‌‌‌वहा ! क्या बात है उल्टे बांस बरेली को ।
  • लालू तो पूरा ही मुर्ख है घडी ‌‌‌के दुकानदार को घडी गिफ्ट मे दे दी यही है उल्टे बास बरेली को ।
  • हजारी को पढाई लिखाई आती नही है और उसका बेटा उनके लिए अच्छी अच्छी किताबे लेकर आ गया यह ‌‌‌तो वही बात हुई उल्टे बांस बरेली को ।
  • जब साधू राजा हरिदास के लिए सोने का हार लेकर गया तो सभा मे बैठे लोगो ने कहा उल्टे बांस बरेली को ।
  • कुलदीप की मिठाई पूरे शहर मे प्रसिद्ध है और किसन जब उससे मिलने के लिए गया तो उसे मिठाई गिफ्ट मे दे दी यही है उल्टे बांस बरेली को ।

उल्टे बांस बरेली ‌‌‌को मुहावरे पर कहानी ulte bans bareli ko muhavara par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक सेठ रहा करता था । सेठ के पास धन दोलत की कोई कमी नही थी । सेठ के घर मे उसकी पत्नी और उसके तिन बेटे ‌‌‌व एक बेटी रहा करती थी । सेठ के पास धन होने के कारण से सेठ के बेटो ने बडी ही अच्छी तरह से शिक्षा ग्रहण की थी ।

जिसके कारण से तिनो बेटे ‌‌‌शिक्षा मे माहिर थे । उन दिनो मे लडकिया विधालय नही जाती थी जिसके कारण से सेठ की बेटी ने भी विधालय रहकर पढाई नही की । परन्तु उसने अपने तिनो ‌‌‌भाईयो से अपने घर मे ही शिक्षा ग्रहण कर ली । जिसके कारण से वह भी अपने भाईयो के बाराबर थी।

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सेठ भी इस बात से बहुत खुश था की उसके बेटो ने शिक्षा ‌‌‌बहुत ही अच्छी तरह से हासिल की है । साथ ही उन्होने अपनी बहन को भी शिक्षीत बना दिया है । सेठ जिस गाव का था उस गाव का नाम बरेली था । परन्तु किसी कारण से वह अपने गाव से काफी दूर रहने के लिए चला गया था और अपने बेटो ‌‌‌का वही पर पालन पोषण किया था ।

इस तरह से सेठ को अपना जीवन बिताते हुए काफी समय बित ‌‌‌गया । जिसके कारण से उसे बरेली के बारे मे कुछ भी पता नही था की अब वह गाव अपना जीवन कैसे गुजारता है । सेठ अब जिस गाव मे रहता था वहां पर आस पास कही पर भी बांस के ‌‌‌पेड देखने को नही मिलते थे ।

साथ ही जब भी गाव का कोई व्यक्ति बांस से बनी कोई वस्तु लेकर आता तो गाव के सभी लोग उसे बहुत ही गोर से ‌‌‌देखा करते थे । जिसके कारण से सेठ को भी लगता की बास की बहुत ही अधिक किमत लगती है । और यह बात सच भी थी वहा पर बांस की किमत काफी अधिक थी ।

जिससे हर कोई बांस खरीदकर नही लाता था । इस तरह से अपने गाव से दूर जीवन यापन करते हुए सेठ को कई वर्ष बित गए । तब एक दिन अचानक उसे याद आया की उसकी जमीन ‌‌‌बरेली मे है । जिसे अगर वह बेच देगा तो उसे बहुत पैसे मिलेगे । तभी उसे अपने गाव के दोस्त याद आ गए ।

तब उसने पूरी रात सोचा की मैं समय निकालकर अपनी जमीन बेचने के लिए बरेली जरूर जाउगा । जब सेठ ने इस बारे मे अपने बेटो से बात की तो उन्होने कहा की अगर हमने वह जमीन आज के समय मे बेची तो उसकी किमत ‌‌‌काफी अधिक मिलेगी ।

इस तरह से फिर सेठ के बेटो ने कहा की ठिक है तो फिर हम भी आपके साथ बरेली जाएगे । यह सुनकर सेठ ने अपने तिनो बेटो को मना कर दिया । परन्तु आखिर मे अपने बडे बेटे को साथ लेजाने के लिए सेठ राजी हो गया था । अगले ही दिन सेठ अपने गाव जाने लगा था ।

तब उसने अपने साथ बांस से बनी ‌‌‌तिन बहुत ही सुंदर बांसुरी ले ली । जब सेठ के बेटे ने अपने पिता से पूछा की आप इन बांसुरी को अपने साथ क्यो ले रहे हो तब सेठ ने कहा की ये मैं अपने दोस्तो के लिए ले रहा हूं । इस तरह से फिर सेठ ‌‌‌और उसका बडा बेटा अपने गाव की तरफ चलने लगे ।

चलते चलते दोनो को रात होने को थी पर अभी तक बरेली नही आया । ‌‌‌कुछ समय के बाद उन्हे एक जंगल सा दिखाई दिया। क्योकी रात थी इस कारण से उन्हे पता नही चला की वे किसके पेड है । इस तरह से जब वे अपने दोस्तो के पास पहुंचे तो वे उसे पहचान नही पा रहे थे ।

क्योकी सेठ को अपना गाव छोडे हुए काफी समय बित गया था । तब सेठ ने उसे अपने बारे मे बताया तब जाकर सेठ के ‌‌‌दोस्तो को पता चला की यह हमारा दोस्त है । इस तरह से फिर सेठ अपने उस दोस्त को वह ‌‌‌बांसुरी दी ।

‌‌‌बांसुरी ‌‌‌को देख कर वह हसने लगा । तब सेठ ने पूछा की क्या हुआ मेरा उपहार अच्छा नही गला । तब सेठ के मित्र ने कहा की नही मैं तुम्हे सुबह बताता ‌‌‌हुं । इस तरह से जब सेठ ने अपने बाकी के दोस्तो को उपहार दिया तो वे भी हंसने लगे । तब उन्होने भी कहा की हम तुम्हे सुबह बताएगे कि हम किस कारण से हस रहे है ।

जब सुबह हुई तो सेठ को पता चला की यहां पर चारो ‌‌‌ओर बांस के पेड है । यह देख कर सेठ समझ गया की यहां पर मेरी इस ‌‌‌बांसुरी की कोई जरूरत नही है ‌‌‌। तभी उसके दोस्त उसके पास आ गए और कहने लगे की तुम तो बडा अच्छा उपहार लेकर आए हो उल्टे बांस बरेली को

उल्टे बांस बरेली ‌‌‌को मुहावरे पर कहानी ulte bans bareli ko muhavara par kahani

तब सेठ ने कहा की मुझे पता नही था की यहां पर इतने बांस के पेड हो गए है । जब सेठ ने अपने आने का कारण अपने मित्रो को बताया तो उन्होने सेठ को ‌‌‌उसकी जमीन दिखाई। तब सेठ ने देखा की उसकी जमीन पर बांस ‌‌‌के ही पेड है । यह देख कर सेठ ने अपनी जमीन बेचने का मता पलट लिया और उन बांस को काट कर दूसरे शहरो मे बेचने का फैसला किया ।

इस तरह से फिर सेठ अपने बेटो के साथ मिलकर बरेली से बांस काट कर दूर दूर सहरो मे बेचता जिससे उसे काफी अधिक लाभ पहुंचता था । ‌‌‌इस तरह से सेठ के बेटे यही कार्य करते रहे और सेठ समय आपने पर मर गया । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

उल्टे बांस बरेली को मुहावरे पर निबंध ulte bans bareli ko muhavara par nibandh

साथियो आपने उपर पढा था की किस तरह से सेठ ने अनजाने मे जिस स्थान पर बांस की कोई कमी नही है वही पर ही बांस लेकर चला ‌‌‌गया तब इसे ही उल्टे बांस बरली को यानि बरेली मे बांस की कोई कमी नही है और उल्टे बांस बरेली को ही आ रहे है ।

इसी तरह से जब कोई व्यक्ति किसी ऐसी वस्तु को ऐसी जगह लेकर चला जाता है जहां पर उसकी कोई जरूरत नही है। तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । इस तरह से आपको पता चल होगा की इस मुहावरे ‌‌‌का अर्थ क्या है और इसका ‌‌‌कहा प्रयोग किया जाता है ।

उल्टे बांस बरेली को मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of ulte bans bareli ko in Hindi

दोस्तो अगर आप बरेली के बारे में जानते है या फिर आप बांस के बारे में ज्यादा जानते है तो आपको बरेली के बारे में ही पता है ।

दरसल बांस का जब भी नाम आता है तो सबसे पहले बरेली को याद किया जाता है क्योंकी वहां पर ही सबसे अधिक बांस पाया जाता है । तो ऐसे में अगर बांस को वापस बरेली में लेकर जाया जाता है तो उसके लिएक हा जाएगा की किसी ऐसे स्थान पर कोई वस्तु लेकर जाना जहां उसकी जरूरत न हो क्योकी बांस की बरेली में कोई जरूरत नही है और इसी बात से आप समझ सकते है की ulte bans bareli ko muhavara ka arth – किसी ऐसे स्थान पर कोई वस्तु लेकर जाना जहां उसकी जरूरत न हो होता हैं

तो अगर कही पर इस मुहावरे काप्रयोग करने की बात होती है तो वहां पर किसी ऐसे स्थान पर कोई वस्तु लेकर जाना जहां उसकी जरूरत न हो की बात होनी भी जरूरी है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।