थूक कर चाटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

थूक कर चाटना मुहावरे का अर्थ thuk kar chatna muhavare ka arthत्यागी गई वस्तु को पुन ग्रहण करना

दोस्तो अगर कोई व्यक्ति आवेश मे आकर किसी वस्तु का त्याग कर देता है । जब उसे पता चलता है की मैने जो किया व गलत किया है तो वह उस वस्तु को वापस पाने की कोशिश करता है । ‌‌‌इस बिच अरग किसी ने उसे कह दिया की तुमने पहले तो इसे छोडा था और अब वापस माग रहे हो । तब वह अपनी बात से ही मुकर जाता है की मेने इसे नही छोडा । कहने का अर्थ है की  वह उस वस्तु को पाने की पूरी कोशिश करता है । इसी तरह से त्यागी गई वस्तु को फिर से पाने की कोशिश को थूक कर चाटना कहते है ।

थूक कर चाटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

थूक कर चाटना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • अगर तुम इसी तरह से थूक कर चाटते रहोगे तो तुम पर कोई विश्वास नही करेगा ।
  • पहले तो तुमने इसे वादा कर दिया और अब कहते ‌‌‌हो ‌‌‌की मै यह काम नही करुगा इस तरह से थूक कर चाटोगे तो तुम पर कोई ‌‌‌कैसे विश्वास करेगा ।
  • तुम भी सेठ के साथ रह कर थूक कर चाटने लग गए हो ।
  • ‌‌‌तुम तो हर बार ऐसा ही करते हो पहले काम छोडकर चले जाते हो और फिर इसे ही वापस मागने के लिए आते हो इस तरह से हर बार थूक चाटना सही नही है ।

‌‌‌थूक कर चाटना मुहावरे पर कहानी Idiom story

‌‌‌प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक धनमान सेठ रहता था । सेठ के पास इतने रुपय थे की वह अपना पूरा जीवन आराम से गुजार ‌‌‌सकता ‌‌‌था । इसी कारण से वह स्वयं काम नही करता था । एक दिन उसे लगा की अगर मै काम नही करुगा तो मेरे बेटो के पास कुछ भी नही रहेगा ऐसा सोचकर वह काम करने लग गया था ।सेठ बहुत ही खडुस आदमी‌‌‌ था ।

उसे पता तो था नही की काम कैसे कराया जाता है बल्की अगर कोई काम नही करता दिखता तो वह उसे डाट देता था । जब सेठ ने काम कराना शुरु किया तो उसने गाव के लोगो को ही काम करने को कहा । तब लोगो को लगा की सेठ के पास तो ‌‌‌हमेशा काम रहेगा । इस कारण हर कोई उसके पास काम करने के लिए आ गया था ।

उस गाव ‌‌‌मे महावीर नाम का एक आदमी रहता था वह भी उसके पास आ गया था । तब सेठ को लगा की लोगो की सख्या बहुत ही ‌‌‌इतने लोगो को काम नही दिया जा सकता है । इस कारण सेठ ने सभी ‌‌‌जवान लोगो को ही नोकरी देने की सोची ।

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क्योकी जवान आदमी बहुत सारा काम कर सकता है और वह भी लम्बे समय तक कर सकता है । ऐसा सोचकर उस सेठ ने माहवीर के ‌‌‌साथ साथ कुछ लोगो को और काम पर रख लिया था । सेठ के पास बहुत खेत थे इस कारण वह खेतो मे मजदुरी व उसके पास दुकाने भी थी इस कारण वे कुछ लोगो को दुकानो मे रख लिया था ।

महावीर को कुछ हिसाब किताब आता था इस कारण उसे दुकान का काम मिल गया था । इस तरह से सेठ उन लोगो से काम करवाता था । सेठ के पास काम करते ‌‌‌करते माहवीर को बहुत समय बित गया था इस कारण से सेठ का उस पर विश्वास बन गया था ।

महावीर को घुस्सा बहुत आता था इस कारण एक बार सेठ ने उसे दकाल दिया तो महावीर घुस्से मे आ गया और सेठ से लडने लगा और सेठ से कहने लगा की मुझे नही करना आपके ‌‌‌यहां काम । इस तरह से महावीर सेठ को कह कर वहा से अपने घर चला ‌‌‌गया था ।

जब उसका क्रोध ‌‌‌शांत हुआ तो उसे समझ मे आया की उसे वह काम नही छोडना चाहिए था । इस कारण वह अगले ही दिन सेठ की दुकान मे जाकर काम करने लगा था । जब सेठ को पता चला की महावीर उसकी दुकान मे काम कर रहा है तो वह उसे निकालने के लिए चला गया था ।

सेठ जैसे ही माहवीर के पास गया तो सेठ ने महावीर ‌‌‌को ‌‌‌दुकान से जाने के लिए कहा । ‌‌‌तब महावीर ने सेठ से कहा की मै यहा से नही जाउगा मै तो यही काम करुगा । तब सेठ ने उससे कहा की तुम ही तो कल कह रहे थे की मुझे यहां काम नही करना है और आज तुम यही काम करने की सोच रहे हो ।

इस तरह सेठ के कहने पर महावीर मुकर गया और कहने लगा की मैने ऐसा नही कहा । इस तरह से महावीर ने ‌‌‌थूक कर चाट लिया था । तब सेठ ने उससे कहा की तुम्हे एक और मोका दुगा । अगर तुम सही तरह से काम नही करोगे तो तुम्हे यहां से जाना होगा ।

तब महावीर ने कहा की ठिक है ‌‌‌ऐसी नोबत नही आएगी । सेठ को पता चल गया था की महावीर कछ न कुछ ऐसा करेगा ही जिससे वह नोकरी छुट जाएगी । जैसा सेठ ने सोचा था ‌‌‌वैसा ही हुआ एक दिन ‌‌‌फिर महावीर को क्रोध आ गया और ‌‌‌वहां दुकान मे और लोग रहते थे उनसे और साथ और सेठ से झगडा कर कर वहां से चला गया था ।

जब उसे फिर अगले दिन पता चला की मैने यह काम कर दिया है तो वह फिर से सेठ के पास काम मागने के लिए चला गया था । तब सेठ ने कहा की तुम तो पहले स्वयं ही इस काम को छोडकर चले गए थे ‌‌‌और अब वापस थूक कर चाटने के लिए आ गए । तब सेठ ने उसे काम नही दिया ।

इसी तरह से महावीर एक दिन अपने गाव के कुछ लोगो से झगडा करने लगा और कहने लगा की मै तो आपका मुह नही ‌‌‌देखुगा । अगर मुझे आपकी जरुरत भी होगी तो भी मै ‌‌‌आपके पास नही आउगा । इस तरह से उनको न जाने क्या क्या कहा और जब कुछ दिनो के बाद उसे पैसो की ‌‌‌जरुरत पडी तो उसने ‌‌‌सभी लोगो से मदद माग ली पर किसी ने उसकी मदद नही की ।

तब महावीर के पास और कोई चारा नही था और उसे हार मान कर उन लोगो के पास जाना ही पडा । तब उन लोगो ने कहा की तुमने तो कहा था की मै आपके पास नही आउगा और आज यही आकर मदद माग रहे हो । तब महावीर अपनी बातो से मुकरने लगा ‌‌‌और कहने लगा की मैने ‌‌‌आपसे ऐसा नही कहा था आप ही मेरी मदद कर सकते ‌‌‌हो ।

‌‌‌थूक कर चाटना मुहावरे पर कहानी Idiom story

इस तरह से उन लोगो को समझ मे आ गया था की महावीर थूक कर चाटता है । तब से लोग उसका विश्वास नही करते थे क्योकी वह कभी भी अपनी त्यागी गई वस्तु से मुकर सकता था ।

इस तरह से ‌‌‌आपको कहानी ‌‌‌से समझ मे आ गया होगा की जिस तरह से पहले तो थूक देते है और जब जरुरत होती है तो उसे ही वापस चाटने लग जाते है यानि ‌‌‌हमारे द्वारा किसी वस्तु को त्याग दिया जाता है और फिर हम ही उसे वापस लेते है यही अर्थ इस मुहावरे का होता है ।

थूक कर चाटना मुहावरे पर निबंध || thuk kar chatna essay on idioms in Hindi

दोस्तो जैसा की आपने अभी इस मुहावरे के बारे में जाना है और आपने एक कहानी को भी पढा है । तो दोस्तो जो कहानी आपको हमने बताई है उसके माध्यम से आपको इस मुहावरे के अर्थ को समझाने का प्रयास किया गया था ।

क्योकी आपने कहानी मे महावीर के बारे में पढा था और आपने यह जाना था की किस तरह से महावीर अपने द्वारा त्यागी गई वस्तु को पुन ग्रहण करता है ओर उस समय कहानी में साफ साफ इस मुहावरे का प्रयोग किया गया था ।

तो दोस्तो आप इस बात से समझ सकते है की इस मुहावरे का सही अर्थ क्या होता है ।

वैसे अगर कोई अपने असल जीवन में इसी तरह से त्यागी गई वस्तु को पुन ग्रहण करता है तो उसके लिए भी इस मुहावरे का प्रयोग होता है और ऐसा बहुत बार देखने को भी मिल जाता है । तो आप समझ सकते है की आखिर कैसे इसका वाक्य में प्रयोग करेगे ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।