सिर खुजलाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सिर खुजलाना मुहावरे का अर्थ sir khujlana muhavare ka arth – दुविधा मे पडना या सोच मे पडना 

दोस्तो अगर कोई अपने काम के लिए किसी से मदद मागता है और किसी कारण से वह काम ‌‌‌पूरा नही होता और उसमे ‌‌काम मे ‌हानी ‌‌‌हो जाता है । जिसने उसकी मदद की थी अगर उसके पुछे जाने ‌‌‌वह उससे कुछ नही कहता और सोच मे पड जाता है तो इस तरह से सोच मे पडने को ही सिर खुजलाना कहते है ।

क्योकी जब भी कोई कुछ सोच विचार करता है तो ज्यादातर लोग अपने सिर को खुजलाते है । इसी कारण इस मुहावरे का प्रयोग सोच मे पडने वाले लोगो के लिए किया जाता है ।

सिर खुजलाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सिर खुजलाना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌‌‌‌अगर पहले सही तरह से काम कर लेते तो आज हर किसी के सामने सिर खुजलाने की जरुरत नही पडती ।
  • बेटा अब सिर खुजलाने से कुछ नही होगा जो हुआ है वह बता दो ।
  • पहले तो तुमने मेरे से पैसे ले लिए और जब वापस माग रहा हूं तो अपना सिर खुजलाने लगे हो ।
  • रमेश ने पहले तो कुछ पढा नही और जब फैल हो गया तो लोगो के ‌‌‌पूछने पर सिर खुजलाने लगता है ।
  • महेश ने अपने पिता का दिया हुआ सब ‌‌‌रुपया उडा दिया और उनके पुछे जाने पर सिर खुजलाने लगा ।

सिर खुजलाना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

‌‌‌महेश नाम का एक आदमी अपने गाव मे अपने पत्नी व बेटे के साथ रहता था । महेश बहुत ही गरीब था फिर भी उसने अपने बेटे को ‌‌‌पढाने के लिए विधालय भेजता था और जिसके लिए उसे बहुत ही मेहन्त करनी पडती थी । इस कारण वह दिन व रात जब भी काम मिलता तो वह काम करने के लिए चला जाता था ।

महेश सोचता था की अगर मेरा ‌‌‌बेटा पढ लिख लेगा तो कुछ काम तो कर ही लेगा ताकी वह तो आराम से अपना जीवन गुजार सकता है । इसी सोच के साथ महेश ‌‌‌ने अपने बेटे से कभी अपने घर का काम भी नही करवाता था । महेश पहले तो पढा करता था पर जैसे जैसे बडा होता गया वह पढाई से ‌‌‌दूर भागने लगा था जिससे उसके कलाश मे कम नम्बर आने लगे थे ।

महेश तो पढा ‌‌‌लिखा था नही इस कारण उसे क्या पता था की कितने नम्बर आए तो अच्छा रहता है । इस कारण उसने अपने बेटे को कभी भी डाटा नही था । यही कारण था उसने नम्बर कम आने का क्योकी जो लोग अपने बेटो को पढने के लिए नही कहते वे पढाई मे कमजोर हो जाते है । ‌‌‌

महेश के बेटे ने किसी तरह से गाव मे पढाई पुरी कर ली थी । यानि  उसने 8 पास की ली थी । उस समय गावो मे इतनी ही बडी स्कुल हुआ करती थी । तब महेश ने सोचा की क्यो न अपने बेटे को और पढाउ ताकी वह बादमे नोकरी लग सके । ऐसा सोचकर महेश ने अपने बेटे को पढने के लिए शहर भज दिया था ।

जिसके लिए बहुत पैसो ‌‌‌की जरुरत पडती थी । इस कारण महेश ने दुगनी मेहनत की पर कुछ रुपय उधार भी लेने पडे थे । इस तरह से महेश ने अपने बेटे को पढने के लिए शहर भेजा था । शहर मे तो वह चला गया पर वहां जाकर ‌‌‌वह कुछ नही पढता था इस कारण वह ‌‌‌अपनी कक्षा मे अनउर्तिण हो गया था ।

अनउर्तिण हो जाने के कारण महेश का पिता उदास हो गया ‌‌‌और फिर महेश जब भी अपने गाव मे से होकर जाता तो उससे लोग पूछते की तुम्हारा बेटा पास हो गया क्या । तब महेश जबाब देता की नही । ‌‌‌उसका जबाब सुनकर लोग फिर उससे ‌‌‌पूछते की क्यो नही हुआ ।

तब महेश सिर खुजलाने लग जाता था और‌‌‌ सोचता की इनका मै क्या जबाब दुं और ‌‌‌फिर चुप चाप वहां से चला जाता था । इसी तरह से महेश का बेटा करता था वह जब भी अपने गाव मे जाता तो ‌‌‌उससे लोग ‌‌‌पूछते की बेटा तुम अनउर्तिण कैसे हो गए तो वह भी सिर खुजलाने लगता और चुप चाप वहां से चला ‌‌‌जाता।

‌‌‌तबसे उसके पिता ने उसे और नही पढाया और अपने साथ काम करने के लिए ले जाने लगा था । ‌‌‌तिन वर्षो वर्ष के बाद की बात है महेश के बेटे को पैसो की जरुरत पड गई थी तो उसने चुपके से किसे से पैसे उधार ले ‌‌‌लिए थे । ‌‌‌महेश के बेटे ने पैसे जिस काम के लिए लिये थे उसने वह काम तो किया नही बल्की इधर उधर ही खर्च कर दिए । उसके पिता को अभी तक मालुम नही था की उसके बेटे ने पैसे भी उधार ले रखे है ।

उसे तो ‌‌‌तब पता चला जब जिसने पैसे दि थे वह उनके घर आकर पैसे मागने लगा था । पैसे मागने पर महेश ने उस आदमी से कहा की मैने ‌‌‌तो आपसे पैसे नही लिए । तब उस आदमी ने कहा की तुम्हारे बेटे ने लिए थे ।

यह सुनकर महेश को विश्वास नही हुआ और उसने कहा की कल बात करेगे और मै आपके पास ही आ जाउगा । जब उसका बेटा अपने घर आया तो ‌‌‌महेश ने उससे पुछा की तुमने उस आदमी से पैसे किस कारण से लिए है । ‌‌‌अपने पिता को जबबा देने के लिए वह सिर खुजलाने लगा ।

कुछ समय बात उसने अपने पिता को कोई बहाना बनाकर कह दिया था। तब उसके पिता को पता चल गया की यह झुठ बोल रहा है । तब महेश ने उसे बहुत डाटा और अगले ही दिन उस आदमी के पास जाकर कहा की आपके पैसे मै कुछ दिनो मे दे दुगा । ‌‌‌ऐसा कहने पर उस आदमी ने उसे समय दे दिया था क्योकी उसे पता था की महेश ‌‌‌रुपय दे देगा ।

सिर खुजलाना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

कुछ दिनो के बाद महेश ने उसे पैसे दे दिए थे । तब से महेश अपने ‌‌‌बेटे को बहुत डाटने लगा था । इस तरह से आप सिर खुजलाना इस मुहावारे के बारे मे इस काहनी से जान गए होगे ।

‌‌‌सिर खुजलाना मुहावरे पर निबंध Essay on idiom

‌‌‌साथियो इस मुहावरे का प्रयोग वहा किया जाता है जहां दुविधा आ जाती है । दुविधा कही भी आ सकती है उसके लिए यह जरुरी नही की रुपय या फिर पढाई पर ही आई हो । कहने का अर्थ है की दुविधा आने के अनेक कारण होते है । जिस कदर से अगर हमारे साथ कुछ गलत होने लगता है तो भी हम सोचने लगते है और सोचते है की ‌‌‌किस तरह से इस मुसीबत से बाहर निकला जाए ।

मैदान मारना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सिर पर सवार होना ‌‌‌मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

पसीना पसीना होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

दाने दाने को तरसना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

हां में हां मिलाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

इसी तरह से अगर हम जब सोच विचार मे पड जाते है और ‌‌‌हमे समझ मे नही आता है की हम क्या करे ‌‌‌इस स्थिती के लिए ही सिर खुजलाना मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । जिस तरह से सामने आते शेर को देखकर भी हम सोचते है की इससे कैसे बचे तो भी इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । इस तरह से ‌‌‌आप इस मुहावरे का सही अर्थ समझ गए होगे ।

सिर खुजलाना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of sir khujlana in Hindi

दोस्तो अगर आपने इस मुहावरे के बारे में सुना है और इसके अर्थ को समझ नही पाए है तो आप काफी कमजोर है । और इसी कारण से आपको आस पास जो कुछ होता है उसे भी अपने जीवन का हिस्सा बनाए रखना जरूरी है। क्योकी मुहावरे असल में बहुत बार जीवन में प्रयोग होते रहते है और इस मुहावरे का प्रयोग भी लोग बहुत प्रयोग करते है ।

जैसे की कई बार अध्यापक ही कह देते है की तुम किस सोच में पड़े हो और वही पर कभी कभार कहा जाता है की तुम आज क्यों सिर खुजला रहे हो । तो इस तरह से कहा जाता हे की सिर खुजलाना मुहावरा सोच में पड़ना को दर्शाता है ।

इसके अलावा कभी यह वाक्य में प्रयोग सुना होगा की अध्यापक के प्रशन को सुनते ही बच्चे सिर खुजलाने लगे । तो इससे समझना आसान है क्योकी बच्चे प्रशन का उत्तर ढूंढने के लिए सोच में पड़ गए या फिर कह सके है दुविधा मे पड गए और इन दोनो बातो से समझ सकते है की इस मुहावरे का अर्थ – दुविधा मे पडना या सोच मे पडना होता है ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।