मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग लिखिए

मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक मुहावरे अर्थ है mulla ki daud masjid tak muhavare ka arthजिस व्यक्ति की जहां तक पहुंच होती है वह वही तक जा पाता है

दोस्तो मुल्ला ‌‌‌इस्लाम धर्म के मस्जिद मे रहने वाला व्यक्ति होता है जो मस्जिद के कार्यकाल को करता है । वह मस्जिद ‌‌‌से बाहर का कोई भी काम नही करता है । उसका कार्य मस्जिद के भितर ही होता है । यानि मुल्ले की पहुंच केवल मस्जित के भितर ही है और वही तक वह कार्य कर सकता है । इसी तरह से मनुष्य जीवन मे अगर कभी किसी व्यक्ति के लिए जिस व्यक्ति की जहां तक पहुंच होती है वह वही तक जा पाता है की बात होती है तो ‌‌‌इसे मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक कहा जाता है ।

मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग लिखिए

मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक मुहावरे का वाक्य में प्रयोग use in sentence

  • मां और पत्नी मे झगडा होते देख कर रामू कमरे मे चला गया क्योकी उससे लडाई रूकने वाली तो थी नही यही है मुल्ला की दोड मस्जिद तक ।
  • जब सभी छात्र कक्षा मे लडाई करने लगे तो मोनिटर ने तुरन्त इस बारे मे ‌‌‌शिक्षक को बता दिया इसे कहते है मुल्ला [मोनिटर] की दोड मस्जिद तक ।
  • सरपंच साहब ठैरे सरल आदमी और राहुल उनका साथ लडाई मे ‌‌‌साथ माग रहा है अरे राहुल को क्या पता नही मुल्ला की दोड मस्जिद तक होती है ।
  • जब कुलदिप को कुछ लोगो ने मारा पिटा तो वह चुप चाप सहता गया ‌‌‌मगर अगले ही दिन उसने पुलिस को बुलाकर उन सभी लोगो को पडवा दिया जिसके कारण से अन्य लोगो को समझ मे आ गया की मुल्ला की दोड मस्जिद तक होती है ।
  • महेश जब भी विधालय मे किसी प्रकार का खेल होता है तो वह उस खेल मे हार जाता है मगर पढाई मे वह सबसे आगे रहता है जिसे देख कर हर अध्यापक को समझ में आ ‌‌‌आ जाता है की मुल्ला की दोड मस्जिद तक होती है ।

मुल्ला की दोड मस्जिद तक मुहावरे पर प्रसिद्ध कहानी

‌‌‌प्राचिन समय की बात है किसी नगर में सुरजमल नाम का एक राजा रहा करता था । राजा बहुत ही नेक दिल्ल था मगर उसका जो सेनापति था वह राजा से बिलकुल अलग होने के साथ ही लोगो को परेशान करने मे कोई कसर नही छोडता था । इस तरह के सेनापति होने को लोगो को बिल्कुल भी अच्छा नही लगता था । मगर सेनापित ने ‌‌‌लोगो को इतना अधिक डरा रखा था की कोई भी सेनापति के खिलाफ जाना भी नही चाहता था ।

इसके अलावा सेनापति के खिलाफ अगर कोई जाता भी तो वह उसका कुछ नही बिगाड पाता था । इसके अलावा सेनापति उसे जेल मे तक डाल देता था । यह देख कर कोई उसका कुछ नही बिगाड पाता था । इसके बारे मे राजा को कुछ भी पता नही था ‌‌‌। जिसके कारण से वह सेनापति को कोई सजा भी नही दे पा रहा था ।

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ऐसा ही चलते हुए कई वर्ष बित गए मगर अब सेनापति लोगो को बहुत परेशान कर रहा था । यह देखते हुए वही का एक नोजवन लडका जिसका नाम सुरेश था उसने अपने 5 दोस्तो के साथ मिल कर सेनापति के खिलाफ राजा के पास सुचना पहुचाने की ठान ली थी । ‌‌‌अब वे सुरेश और उसके दोस्त मोके की तलाश मे थे तभी एक दिन सेनापति अपने राज्य के छोटे से गाव मे गया हुआ था ।

 तब सुरेश को इस बारे मे पता चल गया इसके अलावा सुरेश को यह भी पता चला की सेनापति वहा के लोगो को परेशान कर रहा है । यह जानने के बाद मे सुरेश ने अपने 5 दोस्तो के साथ तुरन्त योजना बना ली ‌‌‌और वे सभी एक एक कर कर महल मे जाने की कोशिश करने लगे थे ।

पहला लडका गया तो उसने महल के दरवाजे के पहले सेनिक को किसी तरह से वहां से भगा कर दूसरी और लेकर चला गया । क्योकी जैसे ही पहला लडका महल के पहले सैनिको के पास गया तो वे उन्हे अंदर जाने नही दे रहे थे । इसी तरह से दूसरे ने किया मगर अब वे ‌‌‌चार दोस्त महल के पहले दरवाजे को पर कर चुके थे । और सुरेश और उसके साथी अपने दूसरे मित्र की मदद से दूसरा दरवाजा भी पार कर चुके थे ।

इस तरह से अब सुरेश अपने तीन मित्रो के साथ महल मे था । मगर किसी कारण से एक मित्र पकडा गया जिसके कारण से अब सुरेश और उसके दो ही मित्र महले मे थे । तभी सुरेश को पता ‌‌‌चला की राजा अपने कमरे मे आराम कर रहे है । जिसके कारण से सुरेश और उसके दो मित्र महल में चले गए और किसी तरह से राजा के कमरे का पता लगा लिया ।

मगर उन्हे अब अंदर जाने के लिए अब राजा के कमरे के बारह खडे दो सैनिको को वहा से भगाने को था । जिसके कारण से सुरेश ने अपने एक मित्र को सैनिक को भगाने ‌‌‌के लिए भेजा । जैसे ही सैनिको ने देखा की उनके राज्य का कोई लडका महल मे ऐसे वैसे ही घूम रहा है साथ ही वह राजा के कमरे की तरफ भी आ रहा है । तो सैनिको ने यह देख कर उसे पकडने के लिए एक दूसरे से बाते की ।

तब एक सैनिक ही उस लडके को पकडने के लिए गाया । यह देख कर सुरेश ने अपने माथे मे खाई और सोचा ‌‌‌की अब यह एक और रह गया । इस तरह से फिर बाकी बचे एक मित्र और ने उस दूसरे सैनिक को भी वहां से भगा दिया । जिसके कारण से सुरेश राजा के कमरे में चला गया ।

मगर जैसे ही वह कमरे मे गया तो राजा को पता चल गया जिसके कारण से राजा ने तुरन्त उसकी गर्दन पर अपनी तलवार रख दी । तब सुरेश ने कहा की महाराज मैं ‌‌‌हुं आपका धोबी सुरेश । असल मे सुरेश धोबी था जो राजा के कपडे धोने का काम करता था । और राजा भी उसे जानते थे ।

जिसके कारण से राजा ने उसकी बात सुनी तो उसका मुख देखा जिसके बाद मे राजा ने उसे छोड दिया और कहा की इस तरह से चोरी की तरह यहां पर क्यो आए हो । तब सुरेश ने कहा की महाराज आपके सेनापित ने ‌‌‌महल मे किसी भी बाहर के आने पर पाबंदी लगा रखी है । यह सुन कर राजा ने कहा की नही ऐसा नही हो सकता ।

मगर फिर सुरेश ने कहा की तभी आपके पास कोई भी प्रजा मे से नही आता है और किसी प्रकार की शिकायत नही होती है । यह सुन कर राजा को लगा की सुरेश सही कह रहा है । मगर फिर ‌‌‌भी उसे अपने सेनापति पर भरोषा हो रहा ‌‌‌रहा था । जिसके कारण से राजा ने सुरेश को गलत समझा और उसे कारागार मे डाल दिया ।

मगर अब भी सुरेश राजा से कह रहा था की महाराज एक बार आप मेरी बात का विश्वास कर कर जरा पता करे की मैं सही था या गलत । सुरेश की बात जब राजा ने बार बार सुनी तो उसे भी लगा की सुरेश सही हो सकता है । क्योकी राजा सुरेश के ‌‌‌पिता को बचपन से जानता है वे ही महल के सारे कपडे धोते थे । इसके अलावा सुरेश को भी उसके बचपन से देखा है ।

तब राजा ने सोचा की एक बार सेनापति के बारे मे पता किया जाए । इस तरह से सोच कर राजा महल से धोबी का रूप बना कर निकल गया । इस बिच मे जीस सेनिक ने भी धोबी को रोका तो राजा का लिखा हुआ पत्र ‌‌‌सभी सेनिको को दिखाया जिसमे लिखा था की इस धोबी को मैंने बुलाया था और अगर किसी ने इसे रोका तो उसका सर कलम हो जाएगा ।

इस तरह से राजा धोबी का नाटक करते हुए महल से निकल गया । फिर धोबी के रूप मे ही अपनी प्रजा के बिच मे फिरने लगा । तब उसने सुना की वे सभी उसके सेनापति को गालिया दे रहे है । इसके चलते हुए कुछ ही समय हुआ था की वहां पर सेनापित आ गया । और उसने उन लोगो मे से ही एक बुड्डे व्यक्ति की बात सुन ली की वे सभी मुझे गालिया दे रहा है ।

यह सुन कर सेनापति वही रूका ओर उसने उस बुड्डे व्यक्ति को मारना ‌‌‌शुरू कर दिया । यह देख कर राजा को सेनापति का असली चेहरा सामने आ गया । मगर अब ‌‌‌भी राजा ने धोबी का रूप ले रखा था और ‌‌‌उसने सेनापति को उस बुड्डे व्यक्ति को छोडने को कहा ।

यह सुन कर सेनापति ने धोबी को कहा की अरे धोबी तेरा यहां कोई काम नही है तु चला जा वरना तेरा भी ‌‌‌यही हसर होगा । मगर राजा धोबी ने सेनापति को ऐसा न करने को कहा । तब सेनापति को क्रोध आ गया और उसने धोबी के रूप मे राजा को पकड लिया और उसे मरने लगा ।

राजा को कुल 10 कोडे पडे तभी सेनापति के हाथो से राजा की सकल बिगड गई और राजा का रूप सेनापति और बाकी प्रजा के सामने आ गया । यह देख कर सेनापति हैरान हो गया । साथ ही सैनिक ने राजा को छोड कर माफी मागनी शुरू कर दी । तब राजा ने सैनापति को बंदी बनाने का आदेश ‌‌‌दिया और अपने महल लेकर चला गया ।

पिछे पिछे अपनी प्रजा को आने को भी कहा । इस तरह से महल जाने के बाद मे राजा ने सेनापति को मृत्यु दंड देते हुए कहा की जानना नही चाहोगे की तुम्हारे ‌‌‌बारे में मुझे किसने बताया । इस तरह से कहते हुए राजा ने धोबी सुरेश को बुलाया और पुरी प्रजा के सामने कहा की इस होनहार ‌‌‌धोबी ने सेनापति के गलत कारनामो के बारे मे मुझे बता कर यह सिद्ध कर दिया की मुल्ला की दोड मस्जिद तक होती है ।

साथ ही राजा ने फिर धोबी सुरेश को अपने महल मे अच्छी नोकरी दी । तब सुरेश ने कहा की महाराज इस कार्य मे मेरे 5 मित्र और थे । यह सुन कर राजा ने उनका पता लगाया तो पता चला की वे भी कारागार ‌‌‌में है । यह सुन कर राजा ने उन्हे भी छुटवाया और उन्हे भी नोकरी दी ।

मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग लिखिए

तब राजा ने प्रजा को कहा की तुम लोगो को जुर्म के बारे मे मुझे बता कर यह बात सिद्ध रखनी होगी की मुल्ला की दोड मस्जिद तक होती है । क्योकी जुर्म के बारे मे बताना तुम्हारा ही काम है । इस तरह से वह प्रजा सेनापति के जुर्मो से ‌‌‌निकल सकी । इस तरह से आपको इस कहानी से पता चल गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या होता है ।

‌‌‌मुल्ला की दोड मस्जिद तक मुहावरे पर निबंध

साथियो आपने उपर कहानी मे पढा की जो व्यक्ति जो कर सकता है उसे वही करना चाहिए यानि वह सेनापति से युद्ध तो कर नही सकता था । जिसके कारण से सुरेश ने राजा से मिलने की सोचकर राजा को सारी बात बताई । यानि सुरेश की पहुंच राजा तक आसानी थी जिसके कारण ‌‌‌से वह वहां तक पहुंच गया था ।

मगर सुरेश की सेनापति से युद्ध करने की पहुंच नही थी जिसके कारण से वह नही कर  सकता । जिस तरह से मुल्ला मस्जिद तक आसानी से जा सकता है तो वह जाता ही है । इस बात से अर्थ यही निकलता है की जीस व्यक्ति की पहुंच जहां तक होती है वह वही तक पहुंच पाता है । अगर यह बात कही पर ‌‌‌लागू होती है तो उसे मूल्ला की दोड मस्जिद तक कहा जाता है ।

इस तरह से आप इस मुहावरे के अर्थ और इसके वाक्य में प्रयोग के साथ ही मुहावरे पर कहानी व निबंध के बारे मे जान गए होगे । इस सब बातो मे कोमन यही है की मुल्ला की दोड मस्जिद तक होना मुहावरे का प्रयोग होता है जिसका अर्थ है जिस व्यक्ति की जहां तक पहुंच होती है वह वही तक जा पाता है ।

मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक मुहावरे तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of in Hindi

दोस्तो आपको सबसे पहले बता दे की मुल्ला जो होता है वह मुश्लिम धर्म मे रहने वाले मस्जिद का रखवाला या कार्यकता होता है । वैसे अगर आप मुश्लिम धर्म से है तो आप समझ सकते है की मुल्ला कौन होता है ।

वैसे दोस्तो आपको एक बात पता होगी की कुल्ला जो होता है उसका काम केवल मस्जिद से जुड़ा होता है और वह अन्य काम को बहुत ही कम करता है। तो इसका मतलब हुआ की मुल्ला हमेशा मस्जित में जाता है और आता है । और इसका मतलब हुआ की जिस व्यक्ति की जहां तक पहुंच होती है वह वही तक जा पाता है जैसे की मुल्ला जाता है ।

और इसी बात से आप यह भी समझ ले की  mulla ki daud masjid tak muhavare ka arth – जिस व्यक्ति की जहां तक पहुंच होती है वह वही तक जा पाता है और शायद आपने इसके बारे मे उपर जो कुछ पढा है उसके आधार पर यह समझ लिया होगा ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।