चाँद पर थूकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

चाँद पर थूकना मुहावरे का अर्थ chand par thukna muhavare ka arthनिर्दोश पर दोष लगाना

दोस्तो अगर कोई किसी ऐसे व्यक्ति को गलत बता रहा है जो निर्दोश है और वह बार बार उसी पर दोष लगाने की कोशिश कर रहा है । चाहे फिर दोष लगाने को कोई भी कारण क्यो न हो तो इस तरह से निर्दोश पर‌‌‌ दोष लगाने को चांद पर थूकना कहा जाता है ।

वेसे उस आदमी पर दोष लगाने से कुछ नही होने वाला बिलकूल वेसे ही जैसे अगर कोई चांद पर थूकता है तो चांद का कूछ नही बिगडेगा बल्की वह थूक उसके मुह पर ही आकर गिरता है । यानि निर्दोष को दोषी ठहराने से उसका तो कुछ नही होगा और लोग उसे ही दोषी मानेगे तो निर्दोश ‌‌‌को दोषी बताता है । इसी कारण से इस तरह के लोगो के लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

चाँद पर थूकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

चाँद पर थूकना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌ तुम्हारा तो काम ही चांद पर थूकना है तुम से क्या बात करे ।
  • इसके पिता के बारे मे ऐसी बाते कहकर तुम चांद पर थूकने की कोशिश ‌‌‌कर रहे हो ।
  • उस आदमी के बारे मे तुम ऐसी बाते कह कर चांद पर थूक रहे हो ।
  • राम पर दोष लगाने से उसका कुछ नही होगा बल्की तुम ही गलत ठहर जाओग क्योकी चांद पर थूकने से चांद को कुछ नही होता ।
  • अगर तुमने चांद पर थूकना बंद नही किया तो एक दिन तुम्हे ही लोग बुरा कहेगे ।

चाँद पर थूकना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे ‌‌‌रामेश्वर नाम का एक आदमी रहता था । वह नाम के जैसा ही राम के समान था यानि वह लोगो को खुश रखना चाहता था । उसके घर मे उसका एक बेटा था और पत्नी रहती थी । वह अपने परिवार मे खुश रहता था ।

उसे दुनादारी से कुछ नही लेना देना था फिर भी अगर कोई उसके पास मदद ‌‌‌मागने के लिए आ जाता तो वह उसे कभी भी मना नही करता था । इस कारण से कभी कभार कुछ लोग उसके पास आ जाते थे । इसी तरह से एक दिन की बात है गाव के सेठ ने कुछ लोगो के खेतो को हडप लिया था ।

तो वे लोग रामेश्वर के पास मदद मागने के लिए आ गए थे । रामेश्वर बहुत ही धनवान था। तो उसने उन लोगो के खेतो को छुटाया ‌‌‌जिसके लिए उसने सेठ को पैसे दिए थे । उसकी इस मदद को देखकर गाव के लोग उसे ही अपना मालिक मानने गले और उससे कहने लगे की आप जो कहोगे हम वही करेगे ।

तब कुछ ही लोगो ने ऐसा कहा था । पर समय बित जाने के बाद एक दिन फिर गाव के लोगो को ‌‌‌अनाज की जरुत पड गई थी । क्योकी जिस वर्ष उन्होने अपने खेतो मे ‌‌‌फसल बोई थी उस वर्ष उनके खेतो मे पानी की मात्रा इतनी ज्यादा हो गई थी की गाव के आधे से ज्यादा लोगो के खेतो ‌‌‌की फसल नष्ट हो ‌‌‌गई थी ।

जिसके कारण ही लोगो के पास खाने को अनाज नही आया था और वे रामेश्वर से मदद मागने के लिए चले गए थे । तब रामेश्वर ने उन लोगो की मदद कर दि और कहा की कल आप शहर जाकर ‌‌‌इस पते पर काम कर कर आ जाना आप लोगो को पैसे मिल जाएगे ।

रामेश्वर के पास धन होने के साथ साथ उसकी शहर मे बहुत जानकारियां थी । अगले ही दिन लोग शहर गए तो वहां उन्हे काम मिल गया था । जिसे वे कर कर पैसे कमाने लगे थे । इस तरह से कई वर्षो  तक रामेश्वर ने उनकी मदद की और फिर उसकी उर्म ज्यादा होने लगी ‌‌‌थी ।

इस तरह से समय बित जाने के बाद लोग उसे महान मानने लगे थे और कभी भी उसके बारे मे गलत तक नही सुनते थे क्योकी कोई कहने वाला भी नही मिलता था । रामेश्वर के इस तरह से मदद करने के कारण गाव का सेठ बडा परेशान था । क्योकी लोग उसके पास मदद मागने के लिए नही आते थे और साथ ही वह लोगो को ठग नही पता था । ‌‌‌

इस कारण से एक दिन सेठ ने कुछ लोगो को पैसे दिए और काह की आप लोग रामेश्वर के बारे मे गलत फैला दो ‌‌‌ताकी लोग उनके बारे मे बुरा सोचने लग जाए । तब वे लोग लोगो को रामेश्वर के खिलाफ भडकाने लगे थे। फिर भी लोग उनकी बातो मे नही आते थे और उन्हे ही ‌‌‌बुरा ‌‌‌बता देते थे की अगर तुम चांद पर थूकोगे तो उसका तो कुछ ‌‌‌नही होगा पर आप लोगो पर ही थुक पडेगा ।

इस तरह से लोगो ने रामेश्वर को चांद के समान शुद्ध मान लिया था । तभी एक दिन रामेश्वर ने कुछ लोगो को उनके खेत देने को कहा और कहा की यहां मै कुछ काम ‌‌‌कराउगा । जिससे आप लोगो को हमेशा ही काम मिलता रह जाए ।

तभी सेठ को इस बोर मे पता चला तो वह उन लोगो के जरीय ‌‌‌गाव मे अफवा फैलाने लगे की रामेश्वर ने तुहारे खेतो को हडपने की सोच रखी है । वह आप लोगो के लिए वहां कोई भी काम नही कराएगा । इस तरह की अफवा सुनकर गाव के लोगो ने सेठ के लोगो से कहा की आप लोग अगर चांद पर थूकना बंद नही करोगे तो हम आपको मार देगे ।

इस तरह से सुनकर वे लोग फिर कभी भी रामेश्वर के बारे मे ‌‌‌गलत नही बोलते थे । कुछ महिनो के बाद रामेश्वर ने जिन खेतो पर काम शुरु करने का दावा किया था । उन खेतो मे काम शुरु कर दिया था जिससे लोग भी वहां काम करने लगे थे ।

चाँद पर थूकना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

इसके बाद जब भी कोई चांद पर थूकता तो लोग उसकी बात तक नही सुनते थे । इस तरह से आप समझ गए होगे की यहां पर रामेश्वर को लोगो ने चांद मान ‌‌‌लिया था । साथ ही यह भी समझ गए होगे की इस कहानी का अर्थ क्या है ।

चांद पर थूकना मुहावरे पर निबंध Essay on idiom

साथियो जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे आदमी पर दोष लगाता है जो उसने किया ही नही हो । तो उन व्यक्तियो के लिए कहा जाता है की तुम चांद पर थूकने की कोशिश कर रहे हो । इसी तरह से लोगो को पता होता है ‌‌‌की वह निर्दोश है और उसने यह काम नही किया है । बल्की उसके कहने पर भी वे नही मानते है ।

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इस तरह से जो लोग अच्छे होते है उन पर दोष लगाने वाले इस संसार मे बहुत ज्यादा होते है । क्योकी अच्छे लोगो को देखकर उन्हे अच्छा नही लगता और उसे किसी तरह से गलत साबित करने मे लग जाते है ।

पर उन्हे यह नही ‌‌‌पता की चांद पर थूकने पर थूक उन पर ही पडता है यानि अच्छे लोगो पर दोष लगाने से वे खुद दोषी बन जाते है । इस तरह से आप इस मुहावरे का अर्थ समझगए होगे ।

चाँद पर थूकना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of chand par thukna in Hindi

दोस्तो वैसे मानव हमेशा धरती पर रहता है और आपको पता है की इस धरती पर मानव रह कर इसी को नुकसान पहुंचाता है । अब कुछ लोग कह सकते है की भला हम नुकसान कैसे पहुंचाते है तो इसके अलग अलग तरह के कारण होते है जिनके बारे मे हम बात नही करेगे ।

मगर आपको लगता है की आप नुकसान नही पहुंचाते है तो इसे हम सही मान लेते है । मगर वही हम मान सकते है की कही न कही धरती दोषी है , क्योकी हम धरती पर रहते है इसी कारण से ऐसा मानते है । अब हम चांद पर नही रहते है और चांद को दोषी ठहराना भी सही नही होता है ।

और मानव जिस किसी को दोषी ठहराता है उस पर हमेशा थूकने का प्रयास करता है । ओर चांद एक निर्दोष है अगर उस पर थूका जाता है तो मतलब हुआ निर्दोश पर दोष लगाया जा रहा है । और आप केवल इसी बात के आधार पर समझ सकते है की chand par thukna muhavare ka arth – निर्दोश पर दोष लगाना होता है ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।