अंधा क्या चाहे दो आँखें मुहावरे का अर्थ andha kya chahe do aankhen muhavare ka arth – इच्छित वस्तु का प्राप्त होना ।
दोस्तो अंधा वह व्यक्ति होता है जो की आंख से देख नही सकता है । अगर कभी उसे भगवान कोई वरदान देता है तो अंधा व्यक्ति की एक ही कामना होता है और वह आंखे ही प्राप्त करना चाहता है । अगर उसे सोना दिया जाता है और आंख दी जाती है तो वह आंख को ही प्राप्त करना चाहता है।
क्योकी वह सोने या पूरी दुनिया को देख नही पाता है तो वह आंखे प्राप्त की इच्छा हमेशा रखता है । और जब आंखे प्राप्त हो जाती है तो इसे यही कहा जाता है की अंधा क्या चाहे दो आँखें । और जब उस व्यक्ति को आंख मिल जाती है तो उसे ऐसा लगता है की मानो उसे सब कुछ मिल गया हो । क्योकी उसकी इंच्िछत वस्तु की प्राप्ती हो जाती है ।
अंधा क्या चाहे दो आंखे मुहावरे का वाक्य में प्रयोग
- किसन एक अच्छी सी नोकरी लगना चाहता था और अगले ही दिन उसे पता चलता है की वह पेपर में पास हो गया है अंधा क्या चाहे दो आंखे ।
- राहुल धनवान बनने की काफी कोशिश कर रहा था और अगले ही दिन उसे पता चलता है की उसकी लाखो की लोटरी लगी है अंधा क्या चाहे दो आंखे ।
- रवीता काफी गरीब थी वह अपनी गरीबी को दूर करने के लिए काफी धन प्राप्त करना चाहती थी और अगले ही दिन उसे खजना मिल जाता है यह तो वही बात हो गई अंधा क्या चाहे दो आंखे ।
- स्कुल में खेल प्रतियोगिता के लिए खिलाड़ियो का चयन किया जा रहा था तो रवीना भी सोच रही थी की उसका भी नाम चयन लिस्ट में हो, तभी अध्यपको ने रविना का नाम लिया यही है अंधा क्या चाहे दो आंखे ।
- रमेश काफी समय से विदेश जाने की सोच रहा था तो एक दिन उसके पिता ने कहा की तुम विदेश जाकर काम करो यह तो वही बात हुई अंधा क्या चाहे दो आंखे ।
- मै चाहता हूं की मुझे एक अच्छी सी काल मिल जाए और आपने मुझे गिफ्ट में कार दे दी यह तो वही हो गया अंधा क्या चाहे दो आंखे ।
- कोरोना काल में लोगो के पास अन्न की कमी थी तो सभी अन्न प्राप्त करना चाहते थे तभी सरकार ने फ्रि अन्न देने की घोषणा कर दी सच है अंधा क्या चाहे दो आंखे ।
अंधा क्या चाहे दो आंखे मुहावरे पर कहानी
प्राचीन समय की बात है नंदकिशोर नाम का एक राजा हुआ करता था। राजा काफी ज्ञानी और दयालु था वह हमेशा लोगो की मदद करता रहता था । अगर उसने किसी को मदद के लिए कह भी दिया होता तो वह अपने प्राण को देने तक तैयार हो जाता था । तो ऐसे नंदकिशोर थे ।
हालाकी दोस्तो जो जीतना बड़ा होता है उसका दुश्मन भी अनेक होते है और यह बात आपको पता है । दोस्तो नंदकिशोर जो था वह किसी को अपना दुश्मन नही मानता था बल्की सभी दुश्मनो को एक बार मोका देता था । मगर एक बार ऐसा कुछ हो गया की नंदकिशोर पर दुश्मनो ने हमला कर दिया और जिसके कारण से नंदकिशोर को अपनी आंखो को निकालना पड़ गया था ।
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कहानी कुछ इस तरह से है की एक समय की बात है नंदकिशोर के राज्य में एक अंधा व्यक्ति रहा करता था । जिसकी उम्र लगभग 38 वर्ष की हो चुकी थी । और इसी अंधेपन के कारण से वह अपने परिवार के लिए बोझ बना हुआ था । उसका विवाह भी नही हो रहा था । सभी कन्या सोचती की वह एक अंधे के साथ विवाहनही कर सकता है । मगर उस अंधे व्यक्ति को अपने विवाह के बारे में किसी तरह की चिंता नही थी ।
वह विवाह नही करना चाहता था बल्की उसकी जीवन मे एक ही इच्छा थी वह इस दुनिया को देख कर मरे । मतलब वह आंखे प्राप्त करना चाहता था ताकी वह एक बार इस दुनिया को देख सके ।
दरसल वह अंधा बचपन से ही नेत्रहीन था । इस कारण से उसने कभी भी अपनी आंखो से दुनिया को नही देखा था । और इसी अंधेपन के कारण से उसे अपने घर से भी निकाल दिया गया था ।
और फिर वह लोगो से भिख मागता हुआ अपना जीवन गुजारता था । हालाकी राजा को इस बारे में कुछ पता नही था । मगर एक दिन ऐसा कुछ हुआ की राजा ने स्वयं ही इस अंधे को ढूंढना शुरू कर दिया था । दरसल बात कुछ इस तरह की थी की एक सेनिक राजा के पास आता है और वह कहता है की राजा सहब एक व्यक्ति आपके बारे में कह रहा है की कुछ लोग आपको मारने के लिए इसी राज्य में तैयारी कर रहे है ।
यह सुन कर राजा ने कहा की कोन है जिसने यह सुचना दी है । तब सेनिक ने कहा की कोई अंधा है । जो की ऐसा कुछ बता रहा है साथ ही वह एक भिखारी हैं । यह सब सुन कर राजा के मंत्री ने कहा की महाराज वह जरूर ऐसे ही कह रहा है । ऐसा कुछ नही होगा ।
मगर राजा ने इस बात को हलके में नही लिया । बल्की अपनी हिफाज के लिए अच्छे अच्छे योद्धा को अपने पास रख लिया । और करीब 20 दिनो के बाद में राजा पर चार पांच लोगो ने हमला कर दिया था । मगर राजा को एक खरोच तक नही आई थी बल्की उन लोगो मे से एक पड़ा गया था ।
तब राजा ने उसे जेल में डालने का आदेश दिया और पूछा की कोन है जो की मुझे इसी राज्य में मारना चाहता है । मगर उसने कुछ नही बताया था । कुछ ही समय के बाद में वह आदमी राजा की केद से फरार हो गया था । जब इस बारे में राजा को पता चला तो राजा को समझ में आ गया की दुश्मन कोई बाहर का नही है बल्की वह इसी महल में रहता है ।
तभी राजा की पत्नी ने उन्हे याद दिलाया की आज के करीब 25 दिनो पहले एक आदमी आपको यह सुचना देने के लिए आया था की आप पर हमला होगा । यह सुन कर राजा को सब याद आ गया । और राजा ने अपने सेनिको को आदेश दिया और कहा की जिस अंधे ने मुझ पर हमला होने की सुचना दी थी उसे जरा पैस किया जाए ।
यह बात राजा के दुश्मन के पास भी थी क्योकी वह महल का ही कोई था । मगर उसे लगा की एक अंधा क्या बता पाएगा । जिसके कारण से उसने अंधे के बारे में नही सोचा । दूसरे ही दिन राजा के सामने उस अंधे को पैसे किया गया । तब राजा ने उस अंधे से पूछा की तुम्हे किसने कहा था की मुझ पर हमला होगा ।
तब अंधे नेकहा की सरकार मैं आखो से अंधा न होता तो उस व्यक्ति के बारे में बता देता है । हालाकी मैंने उसकी आवाज साफ साफ सुनी थी । अगर वह मेरे सामने बोलेगा तो मैं उसे पहचान लूगा । यह सुनते ही राजा ने कहा की ठिक है तो महल में जो भी है सभी को यहां लेकर आ जाओ । और राजा ने एक एक कर कर सभी आवाज उस अंधे को सुनानी शुरू कर दि ।
काफी समय बित जाने के बाद में एक व्यक्ति काफी घबराता हुआ राजा के पास गया । तब राजा ने उससे कहा की जरा बोलो । यह सुन कर वह चुप रहा । तब राजा ने कहा की मंत्री सहाब आप बोले वरना मुझे मजबुरन आपको ही दुश्मन मानना होगा । यह सुन कर मंत्री बोला । जिसे सुनते ही अंधे ने कहा की महाराज मैंने इसी की आवाज सुनी थी । यह सुन कर राजा चौक उठा ।
क्योकी वह मंत्री काफी समय से बीमार चल रहा था । मगर जब राजा ने इस बात की भी छानबीन की तो उसे पता चलाकी यह मंत्री बीमार होने का नाटक कर रहा है । तब राजा को साफ साफ समझ में आ गया की उसका ही मंत्री उसका दुश्मन बना हुआ था । मगर अब वह पड़ गया तो राजा अंधे से खुश हो गया ।
तब राजा ने भरी सभा में अंधे से कहा की तुमने मेरी जान बचा ली इस कारण से तुम मागो जो कुछ मागना चाहते हो । मैं तुम्हे धन से माला माल कर दूगा । तब अंधे व्यक्ति ने कहा की राजा साहब अंधा क्या चाहे दो आंखे यानि मैं एक अंधा हूं तो मुझे आंखे चाहिए । यह सुन कर राजा ने कहा ठिक है आंखे मिल जाएगी ।
मगर अब प्रशन यह रहता है की आंखे किसकी दी जाए । क्योकी अगर राजा दुश्मन या फिर किसी अन्य की आंखे उस अंधे को देता है तो उन लोगो के साथ बुरा होता है । मगर काफी समय तक सोचने के बाद में राजा ने अपनी आंखे उस अंधे को देने का निर्णय लिया था । यह सुन कर सभी चोक गए । मगर अंधे ने कुछ नही कहा क्योकी उसे आंखे मिल रही थी ओर वह वही चाहता था तो वह कैसे मना कर सकता था ।
दो तीन दिनो में अंधे को आंखे मिल गई और वह पहली बार सारी दुनिया को देख सका था । उसने देखा की वह महान राजा कौन है जो की अपनी आंखे उसे दे चुका है । तब राजा ने कहा की देखो अंधे मेने तुम्हे अपनी आंखे दी है तो तुम आपसे मेरे पास रहोगे । और मेरे मंत्री बनोगे ।
तो इस तरह से अंधे को आंखो के साथ साथ अच्छा काम भी मिल जाता है । ओर अंधा खुश होता है । हालाकी अब राजा ने अंधे का नाम बदल कर अपना नाम नंद रखा । और कहा की आजसे तुम्हे सभी नंद कहेगे । अगले ही दिन की बात है नंद के पास विवाह के लिए रिश्ता आ गया और वह कन्या और कोई नही बल्की राजा के अनेक मंत्री में से ही किसी मंत्री की बेटी थी ।
और विवाह केवल इसी कारण से हुआ था की अंधे को आंखे मिल गई और वह भी राजा की । जब दोनो का विवाह हो गया तो नंद से उसकी पत्नी ने पूछा की आपने राजा से केवल उनकी आंखे ही क्यो मांगी ।
तब नंद ने कहा की मैंने उनकी आंखे नही मांगी बल्की मैंने केवल दो आंखे मागी थी जो किसी की भी हो सकती थी । और एक अंधे के लिए आंखो से बढकर कुछ नही है । हालाकी राजा महान थे जो किसी के साथ बुरा न करते हुए मुझे अपनी आंखे दी । तो इस तरह से राजा को अपनी आंखे दान में देनी पड़ी ।
अंधे को क्या चाहे दो आंखे मुहावरे पर निबंध
दोस्तो एक अंधे व्यक्ति को हमेशा आंखे चाहिए होती है। अगर आपको नही मालूम है तो आप किसी अंधे से पूछ भी सकते हो । और यह सच है की मानव वही प्राप्त करना चाहता है जो उसे चाहिए होता है। जैसे की एक अंधे को अनेक वस्तुओ को दिया जाए और एक तरफ आंख दि जाए को चुनेगा ।
जैसे की आपको नोकरी चाहिए होती है ओर दूसरी और आपको धन दिया जाता है । तो अगर आप समझदार है तो नोकरी को ही चुनेगे ।क्योकी वह आपकी इच्छा होती है ओर दूसरा की आप नोकरी से प्राप्त होने वाले धन से धनवान भी बन जाते है। हालाकी केवल धन मिलने के कारण से जब वह खर्च हो जाता है तो पहले से बुरी हालत होती है। इस कारण से आप नोकरी ही प्राप्त करना चाहते हो ।
जब अंधे को आंख मिलती है तो वह जरूर यह कहता है की अंधे को क्या चाहे दो आंखे । मतलब वह यहां पर बता रहा है की उसे आंधे मिल गई तो उकसी इच्छा पूरी होई यानि उसे इच्िछत वस्तु की प्राप्ति हो गई ।
और जब इच्िछत वस्तु की प्राप्ति होने की बात होती है तो इसे अंधा क्या चाहे दो आंखे कहा जाता है । तो आशा है की इस मुहावरे को आप समझे होगे ।
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