घर का बोझ उठाना‌‌ ‌‌‌मुहावरे का अर्थ , ghar ka bojh uthana muhavare ka arth

घर का बोझ उठाना‌‌ ‌‌‌मुहावरे का अर्थ ghar ka bojh uthana muhavare ka arth – घर का सब काम काज करना या घर की जीम्मेदारी अपने पर लेना ।

दोस्तो आज हम अपने माता पिता भाई बहनो के साथ जिस स्थान पर रह रहे है वह हमारा घर होता है । और इस घर में जो कुछ करना होता है यानि घर की जिम्मेदारियां पिता ‌‌‌पर होती है। जब तक पिता है घर में जो कुछ करना होता है वह पिता करता है ।

मगर पिता के बाद में घर की सारी जिम्मेदारी बड़े बेटे पर आ जाती है । और जब पिता किसी कारण से घर से बहार चले जाते है या किसी के पिता की मृत्यु हो जाती है तो जो घर में बचता है उसे ही घर का सारा काम करना होता है घर की ‌‌‌सारी जिम्मेदारियां निभानी होती है विशेष रूप से बड़ा बेटा है तो उसे यह सब करना होता है ।

और आपको बता दे की घर की जिम्मेदारियां या घर का काम काज को घर का बोझ कहा जाता है । तो इस तरह से जो घर का बोझ उठाता है वह घर की जिम्मेदारिया उठाता है या यह कह सकते है की घर की ज़िम्मेदारी अपने ‌‌‌पर लेता है । और इस तरह से घर की जिम्मेदारिया अपने पर लेना या घर का सब काम काज करना को ही घर का बोझ उठाना कहा जाता है ।

घर का बोझ उठाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || ghar ka bojh uthana muhavare ka vakya mein prayog

  • पिता के मर जाने के बाद में किसन को अपने घर का बोझ उठाना पड़ा ।
  • बेटा अभी बड़ा हो गया है तो घर का बोझ तो उठाना ही चाहिए ।
  • ‌‌‌कालीचंद का विवाह हो गया और वह अभी तक घर का बोझ उठाना नही सिख पाया है ।
  • विवाह होते ही लड़के घर का बोझ उठाने लग जाते है ।
  • परमवीर की नोकरी लग गई और उसने घर का बोझ उठाना शुरू कर दिया ।
  • ‌‌‌कंचन के पिता की मृत्यु के बाद वही जॉब कर कर घर का बोझ उठा रही है ।
  • जब राहुल के पिता बीमार हो गए तो राहुल को छोटी मोटी जॉब कर कर घर का बोझ उठाना पड़ गया ।

घर पर मुहावरे ghar par muhavare

घर का बोझ उठाना ‌‌‌मुहावरे पर कहानी || bojh uthana muhavare par kahani

‌‌‌दोस्तो यह जो हमारा समाज है यह काफी अलग है । यहां पर आपको अनेक तरह के लोग देखने को मिल सकते है और उन लोगो के कारण से जीवन में काफी परेशानिया भी उनके परिवार को देखनी पड़ती है । और आज तो बहुत से लोग ऐसे है जो की शराब की लत लगने के कारण से अपने घर पर जरा सा ध्यान तक नही देते है ।

और यही कारण है ‌‌‌की जहां उनके बेटे अपना अच्छा भविष्य बना सकते थे वही पर उन्हे मजबुरन छोटा मोटा काम कर कर घर को चलाना पड़ रहा है । ऐसी ही एक कहानी है जो की मैं आपको बताने जा रहा हूं जरा ध्यान से पढे ।

दोस्तो आज के लगभग 40 से 45 वर्ष पूर्व की बात है किसनलाल नाम का एक आदमी था जो की काफी अच्छा था और किसी का ‌‌‌बुरा नही करता था । बल्की वह काम भी अच्छा करता था यानि वह कपड़े सिलने का काम करता था। और उस समय कपड़े सिले हुए ज्यादा पहने जाते थे । और किसनलाल जो था वह भारत के ही एक बड़े शहर में काम करने के लिए जात था । और वहां पर वह खुब रूपय कमाने लगा था ।

मगर उसमे एक गलत आदद पड़ गई थी और वह और कुछ नही ‌‌‌बल्की शराब की थी । धिरे धिरे वह शराब पीने लगा तो किसी को पता ही चला था । मगर जैसे जैसे समय बिता किसनलाल की पत्नी को इस बारे में पता चल गया था । तब किसनलाल की पत्नी ने काफी कोशिश की मगर किसनालल ने शराब पीना नही छोडा और पांच वर्षों के अंदर किसनाल के अंदर बुरी लत लग चुकी थी ।

अब वह काम ‌‌‌भी नही कर रहा था । उस समय किसनलाल के तीन बेटे थे और एक बेटा और एक बेटी का जन्म बादमें हुआ था । किसनलाल की हालत देख कर और अपने घर की हालत देख कर किसनलाल के बड़े बेटे जिसका नाम वीरू था वह भी इसी काम को करने लगा था । और काम कर कर अपने घर को चलाने लगा था ।

क्योकी पिता शराब पीने लगा था जिसके ‌‌‌कारण से छोटी सी उम्र में वीरू के कंधो पर घर का बोझ आ गया था । और वह अपने घर की हालत को देख कर पढने लिखने की बजाय काम करने लगा और ऐसा ही चलता रहा था । समय के साथ साथ वीरू इस काम को अच्छा सिखता गया ओर काफी पैसे भी मिलने लगे थे । मगर घर का खर्चा ही निकल पाता था यह इतने ही पैसे थे ।

जिसके कारण ‌‌‌से फिर वीरू ने अपने छोटे भाई काली को भी यह काम सिखाने लगा था । तो इस तरह से काली भी तीन वर्षों के अंदर काम को सिख चुका था और फिर दोनो भाई अपने घर को चलाते रहते थे । हालाकी ऐसा नही है की किसन भी काम नही करता था ।

मगर किसन जो भी काम करता था उसके रूपयो से शराब पी लेता था । ‌‌‌और यही कारण था की किसनलाल के दोनो बेटो को घर का बोझ उठाना पड़ गया था । हालाकी उस समय तो किसनालाल को यह बात समझ में नही आई की छोटी उम्र में बेटो का यह काम करना अच्छा नही होगा ।

क्योकी आज ऐसा समय आ चुका है की जो पढा लिखा है उसका ही विवाह होता है और जो नही पढा लिखा है उसका विवाह नही होता ‌‌‌है और जब लड़की वाले वीरू और काली को देखने के लिए आते थे तो घर की हालत देखर कर मना कर देते थे और बेटो के बारे में जब यह जान लेते थे की इन्होने किस कारण से छोटी सी उम्र में काम करना शुरू कर दिया था तो मना कर दिया करते थे ।

‌‌‌अब आप ही बताओ की आज के समय में कोन होगा जो की अपनी बेटी का विवाह इस तरह के घर में करना चाहेगा जिसमें शराब का सेवन किया जाता है ।

और इसी तरह से एक बार मेरे साथ हुआ था मैं भी अपने मित्र की बेटी के लिए लड़का देखने के लिए उसके साथ गया था और उसी समय मेरा इस घर में मुझे लगकर गया था और तब ही मुझे ‌‌‌यह सब बाते पता चली थी ।

दरसल हुआ कुछ यह था की मेरा मित्र एक दिन मेरे पास आता है ओर कहता है की भाई कल बेटी के लिए लड़का देखने के लिए जा रहे है तो मेरे साथ चलना । यह सुन कर मैंने कहा ठिक है भाई चलेगे । जब अगले दिन हम दोनो और ‌‌‌हमारे साथ कुछ  और लोग भी थे जो लड़के को देखने के लिए गए थे । तब हम ‌‌‌वहां पर पहुंचे तो हमने लड़को को देखा उसके घर को देखा ।

तब मुझे यह पता चला की लड़का तो सिलाई का काम करता है और महिने के लगभग 18 से 20 हजार रूपय महिने के कमा लेता है । यह सुन कर मुझे अच्छा लगा क्योकी आज के समय में जो नोकरी करता है वही 20 हजार के आसपास कमाता है । तो इस तरह से मुझे लड़का काफी ‌‌‌पसंद आ गया था और हम सभी को वह लड़का पसंद आया था ।

तो जब हम सभी घर आ गए थे तो रात्री को ऐसे ही किसी रिश्तेदार से बात कर रहे थे तो मैंने उनसे दिन भर की बाते की । और यह भी बताया था की आज हम लड़का देखने के लिए गए थे । तब उस रिश्तेदार ने भी मुझसे पुछ लिया की किस गाव में गए थे तब मैंने पूरी बाते ‌‌‌बता दी । तब उस रिश्तेदार ने कहा की मैं उन लोगो के बारे में जानता हूं वह एक बार मेरे बगल की दुकान में सिलाई का काम करने के लिए आए थे ।

वीरू और काली नाम के दो लड़के है जो की सिलाई का काम करते है । तब मैंने कहा की हा वही हमने वीरू को देखा था । तब उस रिश्तेदार ने बताया की और तो सब सही है मगर ‌‌‌वीरू के पिता यानि किसनलाल जो है वह शराब पीते है और यही कारण रहा था की दोनो बड़े बेटो को छोटी सी उम्र में घर का बोझ उठाना पड़ गया था । और बाकी सब कुछ उनके बारे में बता दिया ।

जिसके कारण से मैंने भी मेरे मित्र को यह सब बताया तो उसने कहा की अगर यह बात है तो हम यह रिश्ता नही करने वाले है । तब ‌‌‌मैंने भी कह दिया की भाई वीरू तो सही लड़का है और बाकी आपकी सोच है । तब अगले दिन मित्र  मुझसे मिल गया और उसने कहा की मैंने उन लोगो को मना कर दिया और कहा की लड़का हमे पसंद नही है । तो इस तरह की बात है दोनो जब पिता गलत रास्ते पर चला जाता है तो बेटो को छोटी सी उम्र में भी घर का बोझ उठाना पड़ ‌‌‌जाता है ।

और यह आज किसनलाल के परिवार के साथ ही नही बल्की बहुत से लोगो के साथ हो रहा है । और आपको मेरी बात जरा सभी न सही लगे तो आप अपने आस पास देख लेना  आपको ऐसा कुछ जरूर मिलेगा ।

दोस्तो मैं यहां पर किसी को गलत ठहराने की बात नही कर रहा हूं । मैं तो केवल आपको इतना समझना चाहता हूं की घर का ‌‌‌बोझ उठाने का मतलब घर की जिम्मेदारिया अपने पर लेना होता है । जिस तरह से वीरू और काली ने ली थी ठिक वैसे ही । और ऐसे अनेक तरह के कारण होते है जिसके कारण से घर की जिम्मेदारिया अपने पर ली जाती है ।

‌‌‌घर का बोझ उठाना मुहावरे पर निबंध

दोस्तो अगर आज के समय में कोई घर का बोझ उठाता है तो इसका मतलब यह नही है की घर को उखाड कर उसे अपने कंधो या सीर पर रख लिया जाए यह समझना ही मुर्खता है । क्योकी आपको पता होगा की मुहावरे के ऐसे मतलब कभी नही होते है ।

घर का बोझ उठाना‌‌ ‌‌‌मुहावरे  का अर्थ

दरसल घर का मतलब घर से ही होता है मगर घर के बोझ ‌‌‌का मतलब घर के सब काम से या घर की जिम्मेदारियो से होता है। और उठाने का मतलब अपने उपर लेना होगा। तो इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ घर की जिम्मेदारिया अपने पर लेना या घर का सारा काम करने से होता है । तो अगर आप इस मुहावरे को समझ गए होगे तो कमेंट में बता सकते है।

‌‌‌वैसे आपको फिर से बता दे की घर का बोझ उठाना आज के समय में असल जीवन में सही तरह से लागू होता है । आपने देखा होगा की जो बेटे होते है वे पढने लिखने के बाद में या तो नोकरी करते है या फिर किसी तरह का काम करते है। ताकी घर में धन आ सके । और धन का उपयोग घर के काम काज के लिए किया जाता है । तो इस तरह से ‌‌‌बेटे घर का बोझ उठाने लग जाते है।

वैसे आज कल बालिकाए भी कम नही है वह भी जॉब या नोकरी कर कर अपने घर को अच्छी तरह से चलाती है घर की सारी जिम्मेदारियां निभाती है । भगवान ऐसा किसी के साथ न करे मगर ऐसा कभी हो की किसी का पति मर जाए और महिला घर में अकेली है तो वही अपने घर की सारी जिम्मेदारिया ‌‌‌अपने पर ले लेती है । तो इसे भी घर का बोझ उठाना कह सकते है । वैसे आप समझदार लगते है और आप इस मुहावरे को समझ गए होगे ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।