टन बोल जाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

टन बोल जाना मुहावरे का अर्थ tan bol jana muhavare ka arth — मर जाना ।

दोस्तो मृत्यु वह होती है जिसका सामना सभी को एक न एक दिन करना ही पड़ता है । और जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो उससे संबंध रखने वाले लोग काफी दुखी हो जाते है और कहते है की आज वह मर चुका है।

मगर वही पर मर जाने को मुहावरो की दुनिया में टन बोल जाना कहा जाता है । और इसका मतलब हुआ की टन बोल जाना मुहावरे का अर्थ मर जाना होता है ओर जहां पर मर जाने की बात होती है वही पर इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग किया जाता है ।

टन बोल जाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

टन बोल जाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग ||  tan bol jana  use of idioms in sentences in Hindi

1.   सुनिता के पिता को हार्ट अटैंक आया था और वे टन बोल गए ।

2.   हार्टअटैंक के कारण से सुनिता के पिता कल रात को ही टन बोल गए ।

3.   मोहन लाल के दादाजी शर्दी के अंदर टन बोल गए ।

4.   अरे अभी अभी पता चला है की देश का कोई बड़ा आदमी टन बोल गया तभी स्कूलो को छुट्टी हो गई है ।

5.   बच्चो को पढाने वाले अध्यापका का ऐक्सीडेंट हो गया और वे टन बोल गए ।

6.   जीवन में तरह तरह की बीमारी होने से अच्छा है जल्दी ही टन बोल जाए ।

7.   सुखदेव की उम्र हो चुकी है अब पता नही कब टन बोल जाए ।

8.   दादी मां अभी काफी बीमार चल रही है पता नही कब टन बोल जाए ।

9.   इन दोनो छोटे से बच्चो की मां इनके बचपन में ही टन बोल गई  ।

टन बोल जाना मुहावरे पर कहानी || tan bol jana  story on idiom in Hindi

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है एक गाव हुआ करता था जहां पर एक बुढ़िया रहा करती थी और वह जो बुढ़िया थी वह काफी उम्र ले चुकी थी मगर फिर भी लोग उन्हे दादी मां कहा करते थे और बच्चो का कहना ही क्या क्योकी उनकी तो दादी मां काफी पसंदिदा थी ।

दरसल दादी मां को बहुत सारी कहानिया आया करती थी जोकी बच्चो को सुना देती थी और इससे क्या होता था की जो बच्चे थे वे खुश हो जाते थे और इस तरह से खुश होने के कारण से ही बच्चे हमेशा दादी मां के पास आते और कहानी सुना करते थे ।

दादी मां पता नही किस जमाने की कहानी सुनाईया करती थी वह शेर और बंदर की कहानी जानती थी वही पर झिंढिया की कहानी भी वह जानती थी, वह चुहे बिल्ली की कहानी जानती थी और बच्चो को डराने के लिए कभी कभार दादी मां जगल की डायन तक की कहानी सुना देती थी ।

अब इस तरह की तरह तरह की कहानी को सुन कर बच्चो को बड़ा मजा आता था । तो गाव के बहुत सारे जो बच्चे थे जैसे ही उनके स्कूल की छुट्टी होती तो वे शाम के समय में दादीमां के पास जाते और उनसे कहानी सुना करते थे । और दादी मां भी बच्चो के आने के कारण से खुश हो जाती और अपने जीवन को बिताते हुए कहानी सुनाने लग जाती थी  ।

 इस तरह से हमेशा से चलाता आ रहा था और दादी मां का जो बेटा था उसे भी इससे कोई एतराज नही था दरसल इससे क्या होता था की दादी मां का दिन​ बित जाता था और यह देख कर उनका बेटा खुश होता था ।

और इसी कारण से बच्चो को कहानी सुनाने के साथ साथ खाने के लिए टॉफी भी दे दिया करता था । और दादी मां भी बहुत बारबच्चो को टॉ​फी देती थी जिससे क्या होता था की बच्चे जो थे उनकी मन ज्यादा लग जाता था और इसी तरह से दादी मां और बच्चो का जीवन चलता रहता था ।

मगर कहते है की समय किसी कानही होता है और ऐसा ही दादी मां के साथ चलने लग गया था ।दरसल शर्दी का समय था तो दादी मां को सर्दी हो गई और सर्दी हो जाने के कारण से वह सही तरह से खान पान तक नही कर पाती थी और बोल तक नही पाती थी और ऐसे में बच्चो को कहानी सुनने को भी नही मिलता था तो बच्चे भी उदास रहते थे ।

अब बच्चो के जो माता पिता थे उन्हे इस बारे में पता था की दादी मां बीमार है ओर इसी कारण से सभी उनसे मिलने के लिए जाते रहते थे और वहां पर जाने के बाद में दादी मां का जो बेटा था वह कहता की मां की अभी उम्र हो गई है और अभी बीमार भी हो चुकी है

भगवान न करे इनका टन बोल जाए और अगर ऐसा हो गया तो मैं दादी मां के बिना अकेला कैसे रहुगा और बच्चे भी दूखी हो जाएगे और ऐसा कहने पर लोग उसे होसला देते की ऐसा नही होगा ।

मगर खुदा को शायद यही चाहिए ​था एक दिन रात के समय में  दादी मां की मृत्यु हो गई और सुबह सुबह की लोगो के पास सुचना आग की तरह फैल गई की दादी मां का टन बोल गया है  और यह जानने के बाद में सभी लोग दुखी हो गए और दादी मां के घर जाकर शोक मनाने लग गए थे।

इतना ही नही जब बच्चो को पता चला की दादी मां अब इस दुनिया में नही रही है तो किसी ने स्कूल में जाने की इच्छा नही रखी और उस दिन स्कूल में भी बहुत कम बच्चे गए थे औरसभी के सभी बच्चे भी उदास थे । मगर अब क्या हो सकता था जो होना था वह हो गया ।

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अब समय तो बित गया मगर बच्चो के मन में अभी भी दादी मां थी वे कहानी सुनना चाहते थे मगर सुने किससे क्योकी दादी मां तो थी नही ।

टन बोल जाना मुहावरे का अर्थ

तब बच्चे अपनी मां से कहते थे मां भी मन में सोचती की दादी मां थी तो बच्चो का भी मन लगा रहता और अब इनको कहानी सुनने के लिए भी हमे कहना पड़ता है और हमे कहानी आती नही है ओर इस तरह से दादी मां की मृत्यु हो जाने के कारण से सभी को दूख था ।

मगर समय बित गया और एकसाल के बाद में सभी दादी मां को भुल गए और अब बच्चे भी बीना कहानी के अपना जीवन बिताने लग गए थे । और इसी तरह से सभी का जीवन चलने लग गया था ।

तो इस तरह से दोस्तो कहानी में दादी मां यानि बुढ़िया का टन बोल चुका था । वैसे आपने टन बोल जाना मुहावरे के अर्थ के बारे में कहानी से जान लिया होगा । अगर कुछ पूछना है तो कमेंट कर देना ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।