न्योछावर करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

न्योछावर करना मुहावरे का अर्थ nyochavar karna muhavare ka arth — बलिदान करना ।

दोस्तो ऐसा बहुत बार होता है की मानव अपने जीवन में महत्व स्थान रखने वाला कुछ बलिदान कर देता है । जैसे की देश की हिफाजत करने के लिए फोजी भाई अपने प्राण को बलिदान कर देते है । यानि इस तरह से अपने प्राणो को त्यागा जा रहा है ।

तो जब किसी कारण से त्यागने या बलिदान करने की बात होती है तो इसे फिर न्योछावर करना ही कहा जाता है । क्योकी न्योछावर का मतलब ही त्यागने या बलिदान से होता है ।

न्योछावर करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

न्योछावर करना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग  ||   nyochavar karna use of idioms in sentences in Hindi

1.        भारत देश की हिफाजत करने के लिए फोजी भाई अपनी जान न्योछावर करते देर नही लगाते ।

2.        भारत में ऐसे ऐसे लोग रहते है जो की देश को बचाने के लिए स्वयं के प्राण न्योछावर करने को तैयार है ।

3.        भारत देश को अंग्रेजो से आजाद करवाने के लिए महारानी लक्ष्मी बाई ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए ।

4.        जब सुरज ने अपने गाव के लोगो को आग में जलते हुए देखे तो तुरन्त उन्हे बचाने के लिए अपने प्राण न्योछावर करने को तैयार हो गया ।

5.        कुछ दुश्मनो ने भारत के चंद लोगो को पकड कर बंदी बना लिया जिन्हे आजाद करवाने के लिए पुलिसकर्मी ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए ।

6.        इन भ्रष्ट लोगो से अपने देश को बचाने के लिए मैं सब कुछ न्योछावर करने के लिए तैयार हूं ।

7. सेठ धनपाल की बेटी को गुंडो ने अगवा कर लिया तो धनपाल ने अपने करोडो रूपय न्योछावर कर कर अपनी बेटी को बचाया ।

न्योछावर करना मुहावरे पर कहानी || nyochavar karna story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है एक छोटा सा गाव हुआ करता था । सुरजमल नाम का एक राजा हुआ करता था । राजा जो था वह काफी धनवान था वह अपने धन के कारण से न केवल अपने ही राज्य में जाना जाता था बल्की अपने आस पास के राज्य में भी खुब चर्चा में रहा करता था ।

राजा सुरजमल के पास सब कुछ था उसके पास ऐसा कुछ नही था जो की उसे कमी महसुस करवाने लग जाए । उसकी कुल तीन रानिया थी और दो बेटे थे जो की देश को संभालने के लिए तैयार हो रहे थे ।

 साथ ही एक बेटी थी और इसके बाद में प्यारी सी और राजा को बहुत मान सम्मान देने वाली जंता थी । राजा इन सभी से बहुत खुश था राजा जो था वह हमेशा इसी खुशी के कारण से लोगो से जुड़ा रहता था । मगर एक दिन की बात है राजा दूसरे राज्य से अपने राज्य लोट रहा था तो बिच में उसे एक साधू मिल गया ।

जो की देखने में अपने शरीर पर साधारण कपड़े पहने हुए था और उसने दो दिनो से भोजन तक नही किया था । मगर फिर भी वह जो साधू था वह राजा को एक ही बात कह रहा था की राजन तुमसे अधिक तो खुश मैं हूं । तुम्हारे से ज्यादा धनवान मैं हूं जो मैं हूं वह तुम नही हो और यही बात राजा को पता नही कैसे अंदर जाकर लगी ।

राजा जैसे ही अपने महल में पहुंचा उसकी खुशी गायब हो गई । उसे कुछ कमी महसुस होने लगी थी राजा को समझ में नही आ रहा था की आखिर यह कैसे हो रहा है । मगर यह जो कमी थी वह एक तरह की कमी थी । ​जो की राजा को दिन ब दिन परेशान करती जा रही थी ।

अब राजा को समझ में आ गया था की वह अपने जीवन में जिस तरह से खुश है वह कुछ ही समय की खुशी है । उसे समझ में आ गया था की यह जो ​दुनिया दिखाई दे रही है वह असल में इससे अलग है । राजा के मन में तभी एक प्रशन जाग उठा की मैंरा आखिर जन्म क्यो हुआ है और इसी कारण से राजा जो था वह और अधिक परेशान हो गया ।

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अब राजा जो था वह मन ही मन सोच रहा था की उसे यह जानना जरूरी है की आखिर मेरा जन्म क्यो हुआ है । मगर यह बताने वाला राजा को कोई नही मिला । राजा ने दूर दूर से ज्ञानी लोगो को बुलाया और पूछा की मेरा जन्म क्यो हुआ है । मगर सभी बनावटी बाते बताने लगे थे ।

जिसके कारण से राजा को कोई उत्तर नही मिल पा रहा था । तभी राजा को उस साधू की बाते याद आ गई । राजा सोचने लगा की जो मैं नही जानता हूं वह साधू जानता है और यही सोच कर राजा ने अपने बड़े बेटे को राज्य संभालने के लिए दिया और स्वयं अपने सेनिको के साथ उस साधू को ढूंढने के लिए चला गया ।

करीब एक महिने तक साधू की तलास करने के कारण से साधू मिल पाया था और जैसे ही राजा ने साधू को देखा तो साधू से पूछा की महाराज आखिर मैंरा जन्म क्यो हुआ है । यह सुन कर साधू ने कहा की यह सब मोह माया है । इस संसार में न तो तुम राजा हो और न ही तुम्हारा कोई परिवार है । अरे यह तो भोतिक दुनिया है जिसके भोतिक रिश्ते है बल्की तुम तो इस दुनिया से पूरे अलग हो ।

यह सुन कर राजा को समझ में नही आया राजा का मन करने लगा की वह इस दुनिया को समझे । वह यह समझे की आखिर वह कौन है और इसी बारे में राजा ने साधू से पूछा की मैं आखिर कैसे जान सकता हूं की मैं आखिर हूं और मैं यहा पर किस कारण से जन्म लेकर आया हूं । तब साधू ने कहा की राजन तुम यह तो जान सकते हो मगर यह तभी संभव होगा जब तुम अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हो जाओगे ।

मतलब तुम्हे तमाम रिश्तो को न्योछावर करना होगा अपने राजा के पद को त्यागना होगा और सब कुछ जो तुम अपना समझ रहे हो उससे तुम्हे दूर होना होगा और ऐसा करने के बाद में तुम एक साधू की तरह रहोगे और तब जान पाओगे आखिर तुम कोन हो और क्यो जन्म लेकर यहां पर आए हो ।

यह सुन कर राजा हक्का बक्का रह गया । मगर राजा के मन में अब यह प्रशन काफी समय तक घुमता जा रहा था की उसे यह जानना जरूरी है की आखिर वह है कोन । इस कारण से राजा ने उसी समय साधू के सामने अपने ​सेनिको को बुलाया और अपने शरीर पर जो आभुषण थे वह उन्हे दे दिया । सब कुछ उन्हे देने के बाद में साधारण कपड़ो में आ गया था और सेनिको को कह कर भेज दिया की आज के बाद में उन्हे तलासा नही जाना चाहिए क्योकी वे अब राजा नही है ।

न्योछावर करना मुहावरे का अर्थ

इस तरह से कहने पर सेनिक वहां से चले गए । इसके बाद में राजा जो था वह साधू के पास जाकर कहने लगा की गुरूजी मैंने आ से सब कुछ न्योछावर कर दिया है अब मुझे इस भौतिक दुनिया से बहार जो कुछ है उसका ज्ञान हासिल करवाने में मदद करे । तब साधू ने कहा की तुम्हे ध्यान के मार्ग को अपनाना चाहिए । तभी तुम यह कर सकते हो ।

अपने मन को पूरा नष्ट कर देना है तभी तुम कर सकते हो । और साधू जैसे कह रहा था राजा वैसे वैसे ही करता हुआ अपना जीवन बिताने लगा था । अब राजा साधू का शिष्य बन चुका था और उसके के साथ रहता था । और इसी तरह से राजा का जीवन सत्य की खोज की और जाने लगा था ।

तो दोस्तो कहानी में राजा ने भौतिक दूनया से बाहर देखने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था । यानि सब कुछ त्याग दिया था । तो इस तरह से न्योछावर करना मुहावरे का अर्थ बलिदान कर देना या त्याग देना होता है।

अगर कुछ पूछना है तो कमेंट कर सकते है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।