प्राण सूख जाना मुहावरे का अर्थ क्या होता है और वाक्य में प्रयोग

प्राण सूख जाना मुहावरे का अर्थ pran sukh jana muhavare ka arth — बहुत अधिक डर जाना ।

दोस्तो आज सभी को अपने प्राण नष्ट होने से डर लगता है । दरसल आपको बता दे की प्राण नष्ट होने का मतलब मृत्यु से है और हर कोई अपनी मोत से डरता है । हालाकी जो इस धरती पर जन्म लेता है उसकी मोत तो पक्की है और यह सभी को पता है । मगर भी बहुत से लोग है जो की यह जानते हुए भी डरते है।

मगर जब कोई किसी कारण से बहुत अधिक डर जाता है आपको बता दे की डरने का कारण कोई भी हो सकता है तो उस स्थिान पर इस मुहावरे का प्रयोग होता है और कहा जाता है की प्राण सूख गया । यानि प्राण सूख जाना मुहावरे का अर्थ होता है बहुत अधिक डर जाना ।

प्राण सूख जाना मुहावरे का अर्थ क्या होता है और वाक्य में प्रयोग

प्राण सूख जाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग   || pran sukh jana use of idioms in sentences in Hindi

1.        रात के समय में घर से बाहर निकलने में मेरे तो प्राण सूख जाते है ।

2.        सूरज 28 वर्ष का हो गया है मगर आज भी रात को घर से बाहर अकेला नही निकलता है लगता है जैसे की उसके प्राण सूख जाते है ।

3.        अविनाश ने पता नही घर में क्या देख लिया जो इसके प्राण सूख गए है ।

4.        रजनी रात के समय में अकेले घर आ रही थी मगर रास्ते में गुंडो को देख लिया जिसके कारण से उसके तो प्राण सूख गए है ।

5.        जब मुजरिम को गुन्हा करते हुए पुलिसकर्मी ने देख लिया तो मुजरिम के तो प्राण सूख गए ।

प्राण सूख जाना मुहावरे पर कहानी  || pran sukh jana story on idiom in Hindi

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है एक अविनाश नाम का लड़का हुआ करता था जो की अपने घर में अपने माता पिता के साथ रहता था । वह अपने माता पिता के साथ अपना जीवन काफी अधिक अच्छी तरह से बिताता था । उसे किसी तरह की ऐसी परेशानी नही थी जिसके कारण से उसे यह जो जीवन है वह एक तरह का बेकार जीवन लग सके ।

कहने का मतलब है की उसका जीवन काफी मोज मस्ती के साथ बितता था । मगर एक बार उसके जीवन में ऐसा कुछ हो जाता है जो की उसे उम्र भर परेशान करने का कारण बन सकता है । दरसल जब वह 13 वर्ष का था तो एक दिन वह अपनी मां के साथ अपनी नानी के घर चला गया था । वहां पर जाने के बाद में अविनाश ने वही पर रह कर खेलना शुरू कर दिया ।

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उन दिनो स्कूलो की छुट्टिया चल रही थी जिसके करण से अविनाश की जो मां थी वह तो अपने ससुराल वापस चली गई थी और अविनाश जो था वह अपनी नानी के पास ही रह जाता है । अब वह अपनी नानी के साथ अपना जीवन अच्छी तरह से मोज मस्ती के साथ बिता रहा था ।

मगर एक दिन की बात है वह घर के अदर किसी कमरे में खेल रहा था और उसके अलावा उस कमरे में कोई और नही था मगर पता नही फिर भी उसने वहां पर क्या देख लिया जिसके कारण से उसके तो प्राण ही सुख गए और वह डर कर बहार भाग आया और अपनी नानी के जाकर चीपक गया ।

जब नानी ने पूछा की बेटा क्या हुआ था तो अविनाश ने बताया की उस कमरे में कोई है और यह सुन कर सभी हैरान हो गए । मगर नानी ने कहा की वहां पर कोई नही है और इस तरह से कहते हुए अविनाश के डर को दूर करने का प्रयास किया था ।

मगर अब अविनाशर को रात के समय में निंद कैसे आ जाए क्योकी वह तो इतना अधिक डर गया था की उसने खाना तक नही खाया था । और नानी भी इस बारे में जानती थी जिसके कारण से उसने अविनाश को अपने पास सुला लिया और अगले दिन ही उसे अपने गाव भेज दिया था ।

अब पीछे नानी के घर में क्या था इस बारे में ​अविनाश को तो पता नही था मगर नानी ने इस बारे में जब इधर उधर देवी देवतओ के पास जाकर पूछताछ की तो पता चला की घर में किसी तरह का बुरा साया था जो की उस लड़के को दिखाई दे दिया था । मगर नानी समझदार थी जिसके कारण से उसने इसका ​इलाज करवा लिया और इसके बाद में वह किसी और कोनजर नही आया था ।

मगर अब अविनाश जो की अपने गाव में अपने माता पिता के पास रहता था उसे वहां पर भी रात के समय में डर लगने लगा था । और यह डर उसके दिल में इतना अधिक बैठ गया था की वह रात के समय में अकेला ही घर से बहर नही जाता था ।

और इसी परेशानी के कारण से एक दिन अविनाश की मांता और उसका पिता बात कर रहे थे की अविनाश ने तो पता नही नानी के घर क्या देख लिया जो की इसके प्राण सूख चुके हैं मगर फिर अविनाश की माता ने कहा की इसके अंदर से यह डर बाहर निकालना होगा । और इसके बाद में अविनाश जैसे जैसे बढा होता जा रहा था वैसे वैसे इस डर को दूर करने का प्रयास उसके माता पिता कर रहे थे ।

प्राण सूख जाना मुहावरे का अर्थ

इन सब का फायदा भीदेखने को मिला था । दरसल अविनास जैसे ही 20 वर्ष का होता है वह इस बात को पूरी तरह से भूल जाता है और फिर वह रात के समय में अकेला भी घर से बहार जा सकता था । और इसी कारण से अविनाश भी खुश था और उसके माता पिता भी खुश थे ।

मगर यह तो अविनाशर को भले ही याद नही रहा मगर उसके माता पिता को याद रहा था की बच्चे ने न जाने क्या देखा था जो की उसका प्राण सूख गया था ।

तो इस तरह से आज के समय में बहुत से बच्चे होते है जो की रात के समय में अकेले बहार नही जाते है तो उनके इस डर को दूर करना चाहिए  ।

इस तरह से दोस्तो कहानी में हमने यह देखा की प्राण सूख जाना मुहावरे का अर्थ किस तरह से बहुत अधिक डर जाना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।