दिन लद जाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

दिन लद जाना मुहावरे का अर्थ din lad jana muhavare ka arth — समय व्यतीत हो जाना ।

दोस्तो दिन के बारे में आपको पता है की जब सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर आती है तो इसके बाद में पृथ्वी पर अंधेरा गायब हो जाता है और प्रकाश हो जाता है । तो इस समय को ही दिन कहा जाता है । हालाकी अंधेरा होने पर उसे रात कहा जाता है और यह आपको पता है ।

मगर दोस्तो जब दिन से रात हो जाती है तो इसे दिन का बितना कहा जाता है । और आपको पता है की समय बितने के कारण से ही दिन से रात होती है । तो इस तरह से जब समय व्यतीत हो जाता है या समय बित जाता है तो इसे दिन लद जाना कहा जाता है ।

यानि इस मुहावरे का अर्थ होता है समय व्यतित हो जाना ।

दिन लद जाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

दिन लद जाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग  || din lad jana use of idioms in sentences in Hindi

1.            वह दिन लद गए जब लड़कियो का छोटी उम्र में विवाह हो जाता था ।

2.            वह दिन लद गए जब भारत पर विदेशी ताक्तो का राज होता था ।

3.            वह दिन लद गए जब भारत एक गरीब देश हुआ करता था ।

4.            सुरज भाई तुम्हे क्या पता नही वह दिन लद गए जब लोग जात पात से भेदभाव करते थे ।

5.            राजा का बेटा ही राजा होगा वे तो दिन लद गए है अब तो वही राजा होगा जिसमें काबलियत होती है ।

6.            पहले तो ऐसे ही नोकरी मिल जाती थी मगर आज वे दिन लद गए है आज उसे ही नोकरी मिल पाती है जो की योग्य होता है ।

7.            पहले रेलवे विभाग में अयोग्यो को भी जॉब मिल जाती थी मगर अब वे दिन लद गए है अब तो उसे ही जॉब मिलती है जो की सभी से श्रेष्ठ होता है ।

दिन लद जाना मुहावरे पर कहानी || din lad jana story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है नंदकिशोर नाम का एक आदमी हुआ करता था । जो की काफी धनवान था और वह ही केवल धनवान नही था बल्की उसके बाप दादाओ में जो भी कोई था वह भी धनवान थे । मगर नंदकिशोर जो था वह कंजूस काफी अधिक था जिसके कारण से कभी भी धन को खर्च नही करता था ।

इसके अलावा दोस्तो आपको बता दे की नंदकिशोर जो था वह पुराने ख्यालो का भी था । इतना ही नही बल्की वह कई बार जब बाते करता था तो उनकी तुलना पहले से करता था और इसी तरह से एक बार हुआ था ।

दरसल एक बार की बात है । नंदकिशोर जो था उसके घर में उसकी एक बेटी थी और एक बेटा था । तो नंदकिशोर जो था उसकी बेटी का विवाह था । तो विवाह के समय पर उसके लिए काफी सारे ​जेवरात करवाने होते है । और आपको भी पता है की इनमे तरह तरह के जेवराते होते है ।

क्योकी नंदकिशोर जो था वह धनवान था तो उसकी बेटी ने कहा की मुझे तो केवल सोने के ही गहने या जेवरात चाहिए । तो हो गया नंदकिशोर भी सोने के जेवरात खरीदने के लिए तैयार । अब वह शहर में जाता है और वहां पर जाकर सोने के भाव को पूछता है ।

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उस समय 1 तोला 24K सोना जो था उसका भाव 54,000 रूपए के आस पास चल रहा था । मगर यह सुन कर नंदकिशोर को कुछ समझ में नही आया उसे समझ में नही आया की उसे क्या सोने के गहने खरीदने चाहिए । तो यह देख कर फिर नंदकिशोर ने कहा की इतना महगा कब का हो गया । एक तोला सोने का भाव तो 30 हजार रूपय होता है। यह सुन कर दूकानदार भी चौंक उठा और वह सोचने लगा की आखिर यह मुर्ख है  कोन जो की ऐसी बाते कर रहा था ।

 दोस्तो आपको बात दे की यह जो नंदकिशोर था वह इस तरह से एक बार फिर से कहता है की आपको तो मुझे 30 हजार रूपयो का ही एक तोला सोना देना होगा । यह सुन कर दूकानदार ने कहा की भाई साहब वह कब का दिल लद गया जब सोना  30 हजार रूपय का एक तोला आ जाता था । आज के समय मे इसकी किमत बढती जा रही है ।

यह सुन कर नंद​किशोर को कुछ समझ में नही आया की आखिर सोना लेना चाहिए की नही । मगर काफी समय बितने के बाद में उसने फैसला लिया और चांदी के गहने बना कर अपने घर लेकर आ गया । वहां पर जाते ही बेटी ने देखा की उसके पिता तो विवाह में चांदी के गहने पहना रहे है यह सुन कर नंदकिशोर की बेटी ने उनसे कहा की आप यह क्या लेकर आए है आपके पास इतना रूपया है मगर फिर भी सोने के गहने नही लेकर आए थे ।

मगर नंदकिशोर ने कहा की नही मेरे पास इतने पैसे नही है  और इस तरह से कह कर किसी न किसी तरह से अपनी बेटी को मना लिया था । मगर कुछ ही समय के बाद की बात है जब नंदकिशोर के घर में उसका दोस्त आता है तो उसने पूछा की बेटी के विवाह में सोना दे रहे हो की चांदी ।

तब नंदकिशोर ने कुछ नही कहा और बेटी बोल पड़ी की चांदी दे रहे है सोने के पैसे थोड़े है इनके पास । यह सुन कर नंदकिशोर के दोस्त ने कहा की हां यह तो सच है क्याकी आज के समय में सोन का जो भाव है वह सच में आसमान को छू रहा है ।

और इस कारण से सभी के लिए सोना खरीदना आसान नही है । मगर फिर नंदकिशोर से कहा की तुम्हारे पास इतना धन है तो बेटी के लिए कुछ तो सोने के गहने लेकर आ जाते । मगर तब नंदकिशोर ने कहा की वह तो एक तोला सोने के 50 हजार रूपय माग रहा था बल्की एक तोला सोना तो मात्र 30 हजार में ही आ जाता है ।

दिन लद जाना मुहावरे का अर्थ

यह सुन कर नंदकिशोर के दोस्त ने उससे कहा की अरे दोस्त वह दिन लद गए जब सोना 30 हजार रूपय का एक तोला आ जाता था । आज सच में 50 हजार रूपय लगते है । और इस तरह से कह कर नंदकिशोर के दोस्त ने उसे मानाया और कहा की बेटी के लिए कुछ तो सोने का होना ही चाहिए और इस तरह से फिर नंदकिशोर ने अपनी बेटी को सोने के गहने दिए थे ।

जिसके कारण से उसकी बेटी भी खुश हो गई और नंदकिशोर भी खुश था । क्योकी सभी कह रहे थे की बेटी को अच्छा धन दिया है । यानि सभी नंदकिशोर की तारिफ कर रहे थे । और तारिफ करने के कारण से भला कौन खुश नही होता है ।

तो इस तरह से नंदकिशोर ने अपने जीवन में दिन लद गए मुहावरे का प्रयोग किया था ।

दोस्तो इस कहानी से समझ गए होगे की इस मुहावरे का अर्थ समय व्यतित हो जाना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।