दृष्टिगोचर होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

दृष्टिगोचर होना मुहावरे का अर्थ drishtigochar hona muhavare ka arth – आंखो से अच्छी तरह से दिखाई पड़ना या आंखो से दृष्टिगत होना ।

दोस्तो ‌‌‌एक अंधे व्यक्ति को किसी भी प्रकार की वस्तु या स्थान यानि कुछ भी दिखाई नही देता है । क्योकी उसकी आंखे देखने में सक्षम नही होती है । मगर जब उसी अंधे व्यक्ति को अचानक दिखाई देने लग जाता है तो उसके लिए कहा जाता है की इसकी आंखो से दृष्टिगत होने लगा है ।

इस तरह से आंखो से दृष्टिगत होने का ‌‌‌ ‌‌‌मतलब आंखो से स्पष्ट दिखाई देना होता है । और जहां पर आंखो से अच्छी तरह से दिखाई देने की बात होती है वहां पर दृष्टिगोचर होना मुहावरे का प्रयोग होता है । क्योकी दृष्टिगोचर का अर्थ भी आंखो से स्पष्ट दिखाई देना होता है ।

दृष्टिगोचर होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

दृष्टिगोचर होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

  • ‌‌‌आज तो ‌‌‌अमावश्या की रात होने के कारण से बहुत अधिक अंधेरा है मगर आपके टॉर्च जलाने के कारण से मुझे दृष्टिगोचर होने लगा ।
  • आज चांदनी रात होने के कारण से रात को भी दृष्टिगोचर होने लगा है ।
  • ‌‌‌चोर अंधा होने का दिखावा कर रहा था मगर धन देख कर उसे भी दृष्टिगोचर होने लगा है ।
  • हम गरीब है तभी हमारी समस्या किसी को दृष्टिगोचर नही होती है ।
  • अंधे की आंखो का इलाज किया गया तो उसे सब कुछ दृष्टिगोचर होने लगा ।
  • ‌‌‌स्पाइडर मैंन को मकड़ी के काटने से बिना चसमे भी दृष्टिगोचर होने लगा था ।

दृष्टिगोचर होना मुहावरे पर कहानी

‌‌‌किसी समय की बात है एक बहुत ही बड़ा शहर हुआ करता था । जहां पर तरह तरह के लोग रहते थे और उनमे से बहुत से लोग धनवान थे । और धनवान के पास पैसे अधिक होते है और इसी बात के बारे में जान कर उस नगर में एक भिखारी रहा करता था ।

जो दिन के समय भिखारी के भेष में लोगो से पैसे मागता और इसी तरह से वह कभी ‌‌‌कभी तो लोगो के घरो में भी चला जाता था । इसके साथ ही भिखारी जो था वह अंधा होने का नाटक कर रहा था । इसके पिछे भी एक विशेष कहानी छिपी हुई है ।

दरसल जो भिखारी था वह असल में भिखारी नही था । बल्की भिखारी के भेष में एक चोर था । क्योकी वह अंधा था जिसके कारण से कोई भी उस पर सक नही करता और वह एक ‌‌‌भिखारी के भेष में रहने के कारण से कोई भी यह नही सोच पाता था की यह चोर है ।

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 क्योकी जो व्यक्ति चोरी करता है उसके पास पैसे आ जाते है और पैसे आने से वह ऐसो आराम से अपना जीवन गुजारना चाहता है ।  ‌‌‌मगर चोर बड़ा चालाक था वह अंधे और भिखारी होने का नाटक कर कर रात को चोरी कर लेता था । क्योकी दिन के समय वह लोगो के घरो मे झाकता रहता था और उसे यह पता चल जाता था की किसके पास आज पैसे है ।

इस तरह से चोर उस नगर में चोरी करता जा रहा था और लोग चोरी की तलाशी में लगे रहे थे । ‌‌‌मगर किसी को यह नही समझ आ रहा था की यह अंधा भिखारी ही चोर हो सकता है । इस तरह से चोर का कोई पता नही लगा पा रहा था और चोर का जीवन बड़ी सानदार तरह से चल रहा था ।

 ‌‌‌मगर धिरे धिरे जब लोगो को लगा की उनके शहर में काफी अधिक चोरी होने लगी है तो धनवान लोगो ने सरकार से एक ऐसे अफसर की मांग की जो की आसानी से चोर का पता लगा ले । क्योकी यह सिफारिस शहर के धनवान लोगो के द्वारा कि गई थी तो उनकी यह बात मान ली गई और वहां पर बलवत नाम के एक पुलिस अफसर को भेजा गया । ‌‌‌

साथ ही लोगो को बताया गया की बलवत पुलिस अफसर से आज तक कोई भी गुनेहगार नही बच सका है । जब अंधे भिखारी यानि चोर को इस बारे में पता चला तो वह घबराने लगा था । क्योकी चोर यही सोचता है की वह कभी न कभी कुछ ऐसी गलती न कर दे जिसके कारण से वह पकड़ा जाए ।

‌‌‌इस कारण से फिर चोर ने कुछ दिनो तक किसी के घर में भी चोरी नही की थी । मरग जनाब चोर था वह रूक कैसे जाता वह अपनी आदद से मजबुर जो था । उसने फिर से लोगो के घरो में चोरी करनी शुरू कर दी । जिसके कारण से बलवत अपने पुलिस अफसरो के साथ चोरी की तलाशी करने में लग गया था । ‌‌‌

अब शहर में रात को पहरा लगने लगा था । घर घर के बाहर पुलिस पहरा देते देखी जाने लगी थी । इस तरह से शहर में सक्त निगरानी रखी जा रही थी । जिसके कारण से चोर चोरी नही कर पा रहा था और वह पकड़ा नही जा रहा था । ‌‌‌यह सब देख कर बलवंत को समझ में आ गया था की चोर को इस तरह से पकड़ा नही जा सकता है ।

जिसके कारण से बलवत ने अगले ही दिन शहर से अपने अफसरो को हटा दिया और एक साधारण आदमी बन कर रहने को कह दिया था  । साथ अपने एक अफसर को भिखारी के भेष में शहर में रखने लगा था । इस तरह से अंधा भिखारी और पुलिस वाला ‌‌‌भिखारी उस शहर में दो हो गए थे ।

जो दिन को भिख मागते और रात को अपना अपना काम करते थे । चोर रात को चोरी करने की सोचता तो पुलिस वाला भिखारी चोर को पकड़ने की सोचता था । ‌‌‌मगर अभी तक दोनो भिखारी को इस बारे में पता नही चला था की पास वाला भिखारी असल में कौन है।

दृष्टिगोचर होना मुहावरे पर कहानी

समय बितता गया और एक महिने के बाद में अचानक पुलिस वाले भिखारी ने देखा की एक व्यक्ति है जो की रात को किसी के घर से निकल रहा है । यह देख कर वह भिखारी के भेष में ही उसका पिछा करने लगा था । वह और कोई ‌‌‌ ‌‌‌नही बल्की अंधा भिखारी यानि चोर था ।

‌‌‌जिसने यह देख लिया की दुसरा भिखारी उसका पिछा कर रहा है । जिसके कारण से वह जल्दी जल्दी अपनी जान बचा कर वहां से भागने लगा था । ‌‌‌इसी जलदबाजी में चोर से गलती हो गई और यह गलती चोर की पुलिस ने पकड़ ली थी।

हालाकी चोर तो नही पकड़ा गया मगर चोर का जो सबूत हाथ लगा था वह काफी था चोर को पकड़ने के लिए । ‌‌‌इस सबूत के बारे में चोर को भी पता चल गया था । जिसके कारण से अगले दिन चोर यानि भिखारी के भेष में दिखाई नही दे रहा था । काफी समय बित गया तब जाकर अंधे भिखारी के भेष में चोर आ गया था ।

मगर आज अंधा भिखारी के आंखो पर चश्मा दुसरे रंग का था । और तभी पुलिस आ गई। जिसमें से बलवत ने आकार सबसे पहले ‌‌‌अंधे भिखारी को पकड़ा और कहा की यह चश्मा तुम्हार है क्या । यह सुन कर चोरे यानि अंधा भिखारी ने कहा की नही साबह मेरा चश्मा तो सफेद है । और आपका यह चश्मा तो काला है । ‌‌‌

यह सुन कर बंलवत और अन्य पुलिस वालो ने कहा की अंधा भिखारी को तो दृष्टिगोचर होने लगा है । यह सुन कर अंधा भिखारी यानि चोर वहां से भागने लगा था । क्योकी जो सबूत पुलिस के पास था वह चोर यानि अंधा भिखारी का चश्मा ही था । ‌‌‌

मगर अंधा भिखारी के भागने पर पुलिस और बलवंत समझ गए की यही चोर है और उसे पकड़ने के लिए उसका पिछा किया । इस तरह से अंत में चोर पकड़ा गया । मगर अब चोर अंधा भिखारी होने का नाटक करने लगा था । तब बलवंत ने शहर के लोगो के सामने ही चोर के लिए एक बड़ा लट्ठ मगवाया । जो की काफी अधिक मोटा था ।

जब उस ‌‌‌लट्ठ से अंधा भिखारी यानि चोर को मार पड़ी तो अंधा भिखारी ने अगली बार उस लट्ठ ‌‌‌को पकड लिया । यह सब देख कर सभी लोग कहने लगे की अंधा भिखारी को तो दृष्टिगोचर होने लगा है ।  ‌‌‌तब पुलिस ने उस चोर को पकड़ कर एक और डंडा मारा तो अंधा भिखारी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया और सब सच सच बताते हुए कहा की मै ही चोर हूं । ‌‌‌

इस तरह से मार के आगे अंधो को भी दृष्टिगोचर होने लगता है ।

दृष्टिगोचर होना मुहावरे पर निबंध

‌‌‌मनुष्य के जीवन में आंखो का बड़ा महत्व रहता है । क्योकी आखे ही शरीर का वह अंग है जिससे धरती की खुबसुरती को आसानी से देखा जा सकता है। इसके साथ ही हमारे आस पास किस तरह के लोग है और क्या क्या हो रहा है यह देखने के लिए भी आंखो की ही जरूरत पड़ती है । ‌‌‌मगर एक अंधे व्यक्ति को यह नशिब नही होता है ।

वह वातावरण की खुबसुरती को नही देख पाता है । बल्की वह एक अंधेरे के सामान ही अपना जीवन गुजारता रहता है । मगर जब इस तरह के अंधे व्यक्ति को किसी कारण से दिखाई देने लगता है तो इसे दृष्टिगोचर होना कहा जाता है । ‌‌‌जिस तरह से हमारी कहानी का चोर अंधा था और पुलिस की मार के आगे उसे दृष्टिगोचर होना होने लगा था ।

दृष्टिगोचर होना मुहावरे पर कहानी

उसी तरह से जब अचानक किसी व्यक्ति को अपनी आंखो से स्पष्ट दिखाई देने लग जाता है तो इसे दृष्टिगोचर होना कहा जाता है । ‌‌‌और यही इस मुहावरे का अर्थ होता है । ‌‌‌क्योकी दृष्टिगोचर होना मुहावरे का मतलब आंखो से अच्छी तरह से दिखाई पड़ना या आंखो से दृष्टिगत होना ‌‌‌होता है । जो की मुहावरे का अर्थ ही हीता है ।

इस तरह से आप इस मुहावरे के बारे में समझ गए होगे । आप जान गए होगे की मुहावरे का अर्थ क्या है और इसका वाक्य में प्रयोग किस तरह से कर सकते है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।