जले पर नमक छिड़कना मुहावरे का अर्थ व वाक्य‌‌‌ मे प्रयोग

जले पर नमक छिड़कना मुहावरे का अर्थ jale par namak chhidakana muhavare ka arth – दुखी को और दुखी करना

दोस्तो आज के जीवन मे कोई भी इंसान ऐसा नही है जो दुखी न हो । सभी अपने अपने जीवन मे किसी कारण से दुखी रहते ही है । पर कभी कभी उन व्यक्तियो का दुख इतना अधिक हो जाता है की वे अपने आप का दुख ‌‌‌जाहिर कर देते है ।

और उसका दुख देखकर किसी अन्य मुनष्य या यह कह सकते है की सामने वाले को उसका दुख दूर करना चाहिए पर वह उसके दूख की कोई परवाह न कर कर उसे कुछ ऐसा कहने लग जाता है जो उसके लिए दुख की बात हो । जिसके कारण से वह और दुखी हो जाता है । इस कारण से वह व्यक्ति ‌‌‌दुखी को और दुखी कर देता है । और इस तरह से दुखी को और दुखी करने को ही जले पर नमक छिडकना कहा जाता है ।

जले पर नमक छिड़कना मुहावरे का अर्थ व वाक्य‌‌‌ मे प्रयोग

जले पर नमक छिडकना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग

  • बेचारी अभी तो अपने पति के मरने के दुख मे है और तुमने उसे कटु वचन कह कर इसके जले पर नमक छिडक दिया ।
  • तुमने बेचारे के जले पर नमक छिडकर कर अच्छा नही किया ।
  • पिताजी ने कहा की इस तरह से किसी के जले पर नमक छिडकना नही चाहिए ।
  • रामप्रसाद को और कुछ काम नही है क्या जब‌‌‌ देखो जले पर नमक छिडकने के लिए आ जाता है ।
  • एक तो नोकरी नही लग रही है उपर से ये दुनिया वाले जले पर नमक छिडकने के लिए आ जाते है ।
  • इस दुनिया मे जले पर नमक छिडकने वालो की कमी थोडे ‌‌‌थी जो तुम और आ गए ।
  • दोस्त किसी के जले पर नमक छिडकने से हमे क्या हासिल हो जाएगा हमे अपने आप का ख्याल रखना ‌‌‌चाहिए ।

‌‌‌‌‌‌जले पर नमक छिडकना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है फुलाराम नाम का एक आदमी हुआ करता था । उसके घर मे उसके अलावा उसकी पत्नी और उसकी मा ही थे । फुलाराम गाव का सबसे अच्छा आदमी था वह कभी भी किसी को भला बुरा नही कहता था । जिसके कारण से गाव के लोग भी फुलाराम को बहुत अच्छा मानते थे ।

उस समय पक्के मकान नही हुआ करते थे इस कारण ‌‌‌से फुलाराम के पास रहने के लिए दो झोपडिया थी । उनमे से एक झोपडी बडी थी जिसमे उसकी मां और बाकी समान रहता था । और जो झोपडी छोटी थी उसमे फुलाराम और ‌‌‌उसकी पत्नी दोनो रहते थे ।

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साथ ही उनके आस पास अनेक लोग रहते थे जिन्होने भी झोपडी बना रखी थी । उस समय राजपुतो का राज हुआ करता था और उनके पास ही पक्के ‌‌‌मकान थे । साथ ही उनके पास गाव की सारी जमीन थी केवल फुलाराम और ‌‌‌उसके जैसे लोग रहते थे उसे छोडकर ।

उस समय फुलाराम और उनके जैसे लोग सभी राजपुतो के घरो मे जाकर काम किया करते थे और वे राजपूत उन्हे खाने के लिए अनाज दे देते थे जिसके कारण उनका पेट भरता था । इस कारण से फुलाराम ‌‌‌की मां राजपूतो के यहां काम करने के लिए जाती थी और फिर फुलाराम और उसकी पत्नी भी काम करने के लिए जाया करती थी ।

जिसके कारण से राजपूत उनसे काम कराते और उन्हे खाने पिने के लिए दे दिया करते थे । इस तरह से उनका जीवन बडी शानदार तरह से चल रहा था । ‌‌‌एक बार की बात है उस दिन फुलाराम बिमार था । इस कारण से वह राजपूतो के यहां काम करने के लिए नही गया था ।

पर फुलाराम की पत्नी और उसकी मां काम करने के लिए गए थे । तब फुलाराम अपने घर पर अकेला था और उस समय रोटियां उसके घर मे बनी नही थी। तब फुलाराम को भूख लग गई तो वह किसी तरह से उठा और रोटिया बनाने ‌‌‌लगा था ।

‌‌‌किसी तरह से उसने रोटिया बना ली और फिर उन्हे खाने लगा था । क्योकी वह दुसरी झोपडी मे रहता था । इस कारण से वह वहां जाकर रोटियां खाने लगा था । पर उस समय उसने रोटी बना कर जो अग्नि होती है उसे वही पर खुली छोड दी थी ।

जिसके कारण से उसकी मां जिस झोपडे मे रहती थी उसमे आग लग गई ‌‌‌और थोडी ही देर मे वह रहता था उसमे भी आग लग गई । जब फुलाराम को पता चला की मेरे झोपडे मे आग लग गई है तो वह वहां से भाग कर बाहर आ गया था । और कुछ ही समय मे उसकी झोपडी जल कर राख हो गई थी ।

घर के साथ साथ उसके खाने पिने व रहने का सभी समान जल गया था । इस कारण से वह दुखी होकर रोने लगा था । साथ ही जब ‌‌‌ ‌‌‌उसकी पत्नी और मां को पता चला तो वे दोडी दोडी वहां पर आई । साथ ही तभी गाव के लोग भी वहां पर आ गए थे । अभी भी फुलाराम विलाप कर रहा था ।

क्योकी घर मे वह अकेला था इस कारण से लोग उसे ही ताना देने लगे की तुमने जान बुझ कर अपने घर को जलाया है और साथ ही उसकी पत्नी भी उसे कहने लगी थी । ‌‌‌अपनी पत्नी और गाव के लोगो की बात सुन सुन कर फुलाराम और दुखी होता गया और जोर जोर से रोता जा रहा था ।

तब फुलाराम की मां ने कहा की घर जला है तो हमारा जला है आप क्यो मेरे बेटे के जले पर नमक छिडक रहे हो । उसकी बात सुन कर गाव के लोग चूप हो गए थे । तभी वहां पर कुछ राजपूत लोग आए और जब उन लोगो ने देखा ‌‌‌तो उनको पता चला की फुलाराम के पास कुछ नही रहा है ।

इस कारण से जिनके पास फुलाराम काम किया करता था वे लोग उसकी मदद करने लगे थे । यह देख कर कुछ राजपूतो ने कहा की इसने ही अपने घर को जलाया है और मदद आप क्यो कर रहे हो । यह काम कर कर स्वयं कर लेगा ।

साथ ही उन्होने कहा की क्या पता इसने जान बुझ कर अपने ‌‌‌घर को जलाया होगा । इस तरह से कुछ लोग कहने लगे की यह तो ऐसा ही है जब इसने घर जलाते समय नही सोचा तो अब यह किस बात का दिखावा कर रहा है ।

‌‌‌‌‌‌जले पर नमक छिडकना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

इतना कह कर राजपूत लोग वहां से चले गए थे । तब फुलाराम के जैसे लोगो मे से कुछ लोग कहने लगे की उन्होने इसे ‌‌‌कितना भला बुरा कहा है यह तो जले पर नमक छिडकने वाली बात ‌‌‌हो गई । इस तरह से फिर उन लोगो ने ही कुछ फुलाराम की मदद की थी ।

दो तिन दिन तक फुलाराम घर जल जाने के गम मे रहा फिर वह अपना काम करने लगा था और अपना जीवन चलाने लगा था । इस तरह से फुलाराम के घर मे आग लग गई थी । इस तरह से आप लोगो को यह पता चल गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ दुखी को और दुखी करना होता है ।

जले पर नमक छिड़कना मुहावरे पर निबंध || jale par namak chhidakana essay on idioms in Hindi

साथियों आज के समय में अगर कोई दुखी व्यक्ति हमको देखने को मिलता है तो हमें उसके दूख को दूर करना चाहिए । हालाकी वैसे तो आपको बता दे की भारत मे और विशेष रूप से गांवो में यह देखा जाता है की अगर​ किसी व्यकित को दुख होता है तो आस पास के लोग उसके दूख को दूर करने की कोशिश करते है ।

मगर कुछ लोग ऐसे भी होते है जो की दुखी को और दुखी करने का काम करते है और ऐसा हमें कभी करना ही नही है । वैसे आपने कहानी पढी है जिसमें यह बताया गया है की किस तरह से दुखी को और दुखी किया जा रहा है । जिसके कारण से उसका दुख और अधिक बढ जाता है और यह भी बताया जाता है की दुखी को और दुखी करना ही जले पर नमक छिड़कना होता है ।

इसका मतलब यह हुआ की जहां पर दुखी को और दुखी करने की बात होती है वही पर इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग होता है । वैसे आप इस बात को अभी तक समझ गए है ।

‌‌‌निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।