गले मढ़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

गले मढ़ना मुहावरे का अर्थ gale madna muhavare ka arth — जबरदस्ती किसी को कोई काम सौंपना ।

दोस्तो मानव जो होता है वह अपनी इच्छा के आधार पर काम करता है। अगर किसी काम में मानव की इच्छा है तो वह उस काम को मन लगा कर और खुशी के साथ करता है । मगर जिस काम में मानव की इच्छा नही है तो उसे वह नही करता है ।

मगर कुछ काम ऐसे होते है जो की दूसरे जबरदस्ती करने के लिए दे देते है । और उन्हे फिर करना भी पड़ता है । जैसे की विवाह के समय में किसी कार्य को सौंप दिया जाता है चाहे फिर उस काम को करने की इच्छा हो या न हो मगर फिर भी उसे पूरा करना पड़ता है ।

तो दोस्तो इस तरह से जब कोई जबरदस्ती किसी को कोई काम सौंपता है तो इस मुहावरे का प्रयोग होता है । यानि गले मढना मुहावरे का अर्थ होता है जबरदस्ती किसी को कोई काम सौंपना ।

गले मढ़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

गले मढ़ना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग  || gale madna use of idioms in sentences in Hindi

1.            दोस्त के विवाह में ऐसा ऐसा काम मेरे गले मढ दिया गया जो मुझे करना आता तक नही था ।

2.            सज्जन के विवाह में पानी की व्यवस्था बनाए रखने का काम सुरज के गले मढ दिया गया ।

3.            अक्षर पति पत्नी के झगड़े में पति कहता है की तुम्हारे पिता ने तुम्हे मेरे गले मंढ दिया था वरना मैं तुम जैसी से विवाह करता तक नही ।

4.            महेश के पास एक टूट फुटा मुबाईल था और उसने इसे बिकवाने के लिए मेरे गले मंढ दिया ।

5.            कक्षा में राहुल ही सबसे होशियार था जिसके कारण से अध्यापक ने उसे ही मोनिटर बना कर पूरी कलास की जिम्मेदारी गले मढ दी ।

6.            स्कूल में जो सबसे ज्ञानी माना जाता है उसे शुभ अवशर पर भाषण देने का काम गले मढ दिया जाता है ।

7.            प्रकाश का विवाह नही हो रहा था तो विवाह करवाने का काम महेश के गले मढ दिया गया ।

8.            बेटा घर में आराम से बैठा था पिता ने उसके खेत का काम गले मढ दिया ।

गले मढना मुहावरे पर कहानी || gale madna  story on idiom in Hindi

दोस्तो आज के करीब 10 वर्ष पहले की बात है एक सज्जन नाम का एक लड़का हुआ करता था । सज्जन जो था वह एक धनवान घर से था जिसके कारण से वह हमेशा सजा धजा रहा करता था और जब वह स्कूल में अध्ययन करता था तो वहां पर उसे एक दोस्त मिला था जो की सुरज था ।

जैसे जैसे सुरज और सज्जन को समय बितता गया उन दोनो में दोस्ती गहरी हो गई थी । जब दोनो ने अध्ययन का काम पूरा कर लिया तो फिर दोनो ही एक साथ अध्ययन करने लगे थे ताकी जॉब हासिल हो सके । मगर भगवान की मर्जी न होने के कारण से दोनो में से किसी को भी जॉब हासिल नही हुई थी। और यह सब देख कर सज्जन के पिता ने उसका विवाह करने की योजना बना ली ।

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और इसी कारण से सज्जन के पिता ने गाव के एक मुनिम से बात की और कहा की बेटे के लिए अगर ​कोई कन्या है तो बताना । मुनीम इस तरह का काम करवाता था । मतलब वह लोगो का विवाह करवाने का काम भी करता था ।

जिसके कारण से मुनीम जो था उसने सज्जन के विवा के लिएर एक लड़की उसके पिता को बता दी और फिरसज्जन के पिता और मुनीम दोनो साथ जाकर लड़की को देख कर आ जाते है । जब लड़की पसंद आ जाता है तो सज्जन का विवाह पक्का कर देता है ।

जब सज्जन को इस बारे में पता चला तो सज्जन ने सुरज से कहा की भाई मेरा विवाह होने वाला है । और यह सुन कर सुरज ने कहा की आज तुम बता रहे हो पहले कहा गए थे । मगर सज्जन ने कहा की मेरे पिता ने भी मुझे आज ही इस बारे में बताया है । और इस तरह से सज्जन का विवाह की तैयारी शुरू हो गई थी ।

सज्जन का कोई भाई नही था जिसके कारण से सज्जन के पिता ने सुरज को अपने घर बुलाया और उसे बहुत सारा काम पूरा करने को कहा और इस तरह से सुरज को विवाह के समय इतना काम मिल गया था जो की पूरा होना आसान नही था ।

जिसके कारण से सुरज ने सज्जन से कहा की अरे भाई तेरे पिता ने तो बहुत सारा काम मेरे गले मढ दिया है । तब सज्जन ने कहा की अब तुम ही तो तो हो तो तुम्हे ही यह काम पूरा करना होगा और इस तरह से कहने के बाद में सुरज ने कुछ नही कहा और काम पूरा करने में लग गया ।

अब विवाह वाले दिन की बात है । सब कुछ सही चल रहा था । मगर अचानक से क्या होता है की लाइट चली जाती है और अंधेरा होने को था । अब जनेटर भी वहा पर नही था तो यह एक तरह की समस्या हो गई । तब सज्जन के पिता ने सुरज से कहा की जाओ कही न कही से इस लाइट का इतजाम कर कर ले आओ ।

और इस तरह से कह कर लाइट का काम सुरज के गले मढ़ दिया । अब सुरज ने देखा तो उसे पता चला की बाकी घरो में लाईट है और सज्जन के घर में ही लाइट नही है तो उसे समझ में आ गया की लाइट खराब हो गई है । अब इस काम को पूरा केवल सुरज को ही करना था । और सुरज को यह काम करना आता नही था तो वह मन ही मन सोचने लगा की आज तो ​इस विवाह में अच्छा काम गले मढ़ा है ।

करीब एक घंटा बितने के बाद में गाव से कही उसे ऐसा आदमी मिल गया जो की लाईट सही करना जानता था और वह इसके लिए तैयार हो गया था । और इसके बाद में उस आदमी को बुलाया गया और लाईट को सही करवाया गया था । लाईट सही हो जाने के कारण से सुरज को खुशी हुई और वह आराम से कही और जाकर बैठने का फैला लेता है ।

 क्योकी उसे पता था की अगर अब सज्जन के घर के आस पास रहा गया तो कोई न कोई काम गले मढ दिया जाएगा । इसके बाद में सुरज ने करीब एक घंटे तक आराम किया और फिर अपने काम में लग गया । जब सज्जन का विवाह हो गया था तो सुरज को खुशी हुई और अब जाकर वह आराम कर पाया था ।

गले मढ़ना मुहावरे का अर्थ

अगले दिन की बात है सज्जन के पास बैठ कर सुरज ने बताया की किस तरह से उसके पिता ने विवाह के दिन लाईट को ठिक करने का काम उसके गले मढ दिया था और किस तरह से उसे परेशानी हुई थी । ओर इस तरह से फिर दोनो बाते करने लगे थे ।

तो इस तरह से विवाह के समय में सुरज को न चाहते हुए भी जबरदस्ती काम सौंपा गया था । तो इस कहानी से यह समझ सकते है की गले मढ़ना मुहावरे का अर्थ जबरदस्ती किसी को कोई काम सौंपना होता है । 

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।