उल्टा चोर कोतवाल को डांटे मुहावरे का अर्थ

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे मुहावरे का अर्थ होता है ulta chor kotwal ko dante in hindi अपनी गलती ना मानकर सामने वाले को ही दोषी ठहराना ।

आजकल इस मुहावरे के जैसा काम बहुत अधिक होता है। कोई भी इंसान हो अपनी गलती मानने को तैयार ही नहीं होगा । यदि किसी ने रेप कर दिया तो वह भी यही कहेगा कि इसके अंदर उसकी कोई गलती नहीं है बस हो गया । ‌‌‌इसी प्रकार से जब कोई अपनी गलती को मनने से ही इनकार करदे तो उसे कहेंगे उल्टा चोर कोतवाल को डांटे । आजकल हो भी यही रहा है। पुलिस अपराधियों को पकड़ने जाती है और उसके बाद अपराधी ही पुलिस को डांटने लग जाते हैं। यह इंडिया मे कोई नई बात नहीं है। जब अपराधी सैरेआम पुलिस को धमकी देते हैं। 

ulta chor kotwal ko dante in hindi

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग || ulta chor kotwal ko dante muhavare ka vakya prayog

  • रमेश ने कभी भी पूरे साल पढ़ाई नहीं की और अब जब फैल हो गया तो टीचर को दोष दे रहा है कि उसने पढ़ाया नहीं सही है। उल्टा चोर कोतवाल को डांटे ।
  • ‌‌‌पुलिस चोर को पकड़ने गई लेकिन चोर पकड़ जाने पर पुलिस को ही लताड़ लगाते हुए बोला कि उसने तो चोरी की ही नहीं है। पुलिस खुद चोर है। उल्टा चोर कोतवाल को डांटे
  • टीचर स्कूल मे समय पर नहीं आए तो हेडमास्टर ने कहा कि आपको समय पर आना चाहिए । इतने मे टीचर बोले की सर हम तो समय पर आते ही हैं आज ही लेट ‌‌‌हो गए आपको अपना समय सुधारने की जरूरत है। इसे कहते हैं उल्टा चोर कोतवाल को डांटे ।
  • ‌‌‌रमेश का जब नौकरी का नंबर नहीं आया तो अपने माता पिता के उपर अपना दोष थोपते हुए बोला कि इसमे मेरी कोई गलती नहीं है । मेरा नंबर तो मेरे माता पिता की गलतियों की वजह से नहीं आया ।

‌‌‌ ulta chor kotwal ko dante story कहानी उल्टा चोर कोतवाल को डांटे 

दोस्तों प्राचीन काल के अंदर एक राजा था।उस राजा के राज्य के अंदर सब ओर से सुख शांति थी और कहीं भी चोरी और बुरे काम नहीं होते थे । चारो ओर खुशहाली का मौसम ही था। ‌‌‌एक बार उस राज्य के अंदर दो विदेशी लोग आए और रात के अंदर शरण मांग कर रूक गए । जब विदेशियों ने देखा कि सब लोग बड़े ही आराम से बिना चोरी की टेंशन किये सो रहे हैं तो उनके मन मे लालच आ गया ।

‌‌‌एक चोर ने दूसरे से कहा ………क्योंना हम लोग यहां से सोना लूटकर ले जाते हैं । यह लोग तो मूर्खों की भांति सो रहे हैं। दूसरे को भी यह सूझाव पंसद आया ।और दूसरों ने सोना लूटा और उसके बाद घोड़ों पर बांध कर ले गए ।

‌‌‌सुबह जब गांव वाले जागे तो सब को पता चल गया कि रात विदेशियों ने चोरी करली ।सारे गांव वाले एकत्रित होकर राजा के पास गए और अपनी समस्या सुनाई । राजा काफी बुद्विमान था। उसने कहा कि अब हम उनको नहीं पकड़ सकते हैं लेकिन एक युक्ति हम आपको बताते हैं। और राजा ने चुपके से वह युक्ति सब को बतादी ।

‌‌‌उधर चोर फ्री के धन से काफी मौजमस्ती करते रहे और वह एक ना एक दिन तो खत्म होना ही था । जब  धन खत्म हो गया तो दोनों ने वापस उसी गांव के अंदर जाने का विचार किया । लेकिन अबकि बार वे पहले से अधिक सचेत थे । ‌‌‌लेकिन उनको यह भी पता था कि गांव के अंदर चोरी को काफी अधिक समय बीत चुका है तो लोग इस बात को अधिक याद नहीं रख पाएंगे ।और रात होने के बाद वे घोड़ों के उपर सवार होकर राज्य की तरफ चल निकले ।

 कहानी उल्टा चोर कोतवाल को डांटे

राज्य की सीमा पर देखा ‌‌‌लेकिन उनको कोई भी सिपाही गस्त करता हुआ नजर नहीं आया तो वे बहुत अधिक खुश होगए और उनको लगा कि सारे मूर्ख हैं। और वे राज्य के अंदर घुसे व घरों से सोना चोरी करने लगे । उन्हें कुछ ही सोना बांधा था कि हजारों लोग ‌‌‌वहां पर आ गए । और उसके बाद चोरों को पकड़ लिया गया ।बेचारे चोरो की पीटाई भी की गई। उनको राजा के सामने पेश किया गया ।

……..हां तो तुम यहां पर चोरी करने के लिए क्यों आए थे ? राजा ने पूछा

…….महाराज हमारे पास खाने के लिए नहीं था।

……… तो तुम मांग भी सकते थे ?

……… नहीं वो बस ‌‌‌ऐसे ही ।

 ‌‌‌चोरों की भाषण बाजी से राजा समझ गया कि चोर बड़े चालाक हैं और उनकी थोड़ी पीटाई हुई तो वे तोते की तरह बोले की महाराज पीछली बार भी हम ही आपके यहां पर चोरी करने आए थे ।  ‌‌‌लेकिन इसमे हमारी कोई गलती नहीं है।हम जब आए तो असल मे चोरी करना हमारा मकसद नहीं था हम तो यह देख रहे थे कि सिक्योरिटी कितनी टाइट है। आपकी गलती है आपने पहरेदार क्यों नहीं छोड़े दे ।

‌‌‌राजा समझ गया कि उल्टा चोर कोतवाल को डाटे । उसके बाद राजा ले उन चोरों को पकड़ कर जेल के अंदर डाल दिया और रोजाना 5 कोड़े लगाने का आदेश दिया गया ।

‌‌‌खुद की गलती ना मानना अधर्म

दोस्तों आज हमारे समाज के अंदर बहुत से लोग ऐसे बैठे हुए हैं जो गलती होने के बाद भी गलती स्वीकार नहीं करते हैं।उनकी नजर मे किसी को मार देना या काट देना भी सही होता है। और मारने काटने के बाद भी शान से घूमते हैं । उनको लगता है कि इस धरती के उपर उनके समान कोई दूसरा नहीं ‌‌‌ है। लेकिन हमे समझना होगा कि यहां पर किसी का राज नहीं चलता है। ना अकबर का राज चला ना सिकदंर का सबको एक दिन जाना है। यदि आप अपनी गलती स्वीकार कर लेते हैं तो आप इस दुनिया के अंदर कुछ अच्छा करके जा सकते हैं। और दूसरों को कीड़े मकोड़ों की तरह मसलने की जो ख्वाइस रखते हैं । वे एक दिन इन्हीं ‌‌‌कीड़े मकोड़ों के द्वारा मसल दिये जाते हैं।यदि आप पढ़ाई करते हैं तो आपको अपनी गलती स्वीकार करनी ही होगी । यहां पर यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। यदि आप अपनी गलतियों का दोष दूसरों को देते रहोगे तो आप अपनी जिंदगी के अंदर कभी भी सुधर ही नहीं सकते हो और ना ही कभी आगे बढ़ सकते हो । ‌‌‌यदि आप खुद को आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हो तो आपको अपनी गलती को स्वीकार करना ही नहीं वरन उसके अंदर सुधार करना भी आपको आना चाहिए । तभी कुछ हो सकता है।

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of ulta chor kotwal ko dante in Hindi


दोस्तो जो चोर होता है वह हमेशा चोरी की सोच रखता है । मगर आपको क्या मालूम है की कोतवाल वह होता है जिसे थानाधिकारी कहा जाता है । और वह हमेशा चोर को पकड़ने का काम करता है । मगर यह तो कभी हो ही नही सकता की एक चोर कोतवाल को डाटने लग जाए । हां ऐसा

‌‌‌हो सकता है । और यह तब होगा जब कोतवाल ने चोर से रिश्वत ली है । और आपको यह बताने की जरूरत नही है की भारत देश में कुछ लोग ऐसे है जो की कोतवाल का काम करते और रिश्वत लेते है । हालाकी उन लोगो के कारण से पुरे कोतवाल कर्मचारियो को गलत नही कह सकते है ।
वैसे जो कोतवाल रिश्वत लेता है उसे चोर डाट सकता

‌‌‌या फिर ऐसा हो सकता है की चोर स्वयं के जुर्म को नही मानता है और समाने वाले में दोष ढूंढता रहता है । तो ऐसी स्थिति में ऐसा कहा जाता है की उल्टा चोर कोतवाल को डाटे ।
अब बात करे की इस मुहावरे का अर्थ क्या है तो आपको पहले यह बता दे की यह मुहावरा कई बार कोतवाल के पेपर में पूछा गया है। मतलब जो ‌‌‌पुलिस विभाग से जुड़े पेपर होते है उसमें यह मुहावरा पूछा जाता है । तो वहां पर आपको इस मुहावरे का अर्थ अपनी गलती ना मानकर सामने वाले को ही दोषी ठहराना ही करना होगा । क्योकी यही इस मुहावरे का मतलब होता है।

क्या अपनी गलती ना मानकर सामने वाले को ही दोषी ठहराना सही है

दोस्तो सबसे पहले आपको पता होना चाहिए की उल्टा चोर कोतवाल को डांटे का ही अर्थ क्या अपनी गलती ना मानकर सामने वाले को ही दोषी ठहराना होता है ।

मगर जब हम इसके सही और गलत होने की बात करते है तो आपको बता दे की यह बिल्कुल भी सही नही होता है बल्की यह पूरी तरह से गलत होता है ।

अगर हम अपनी गलती मानेगे तो हम उसे सुधार सकते है मगर जब हम अपनी गलती को नही मानते है तो हम उसे सुधार नही पाते है और ऐसे में हम जीवन भर गलतियां करते जाते है । इस कारण से कभी भी इस मुहावरे का प्रयोग स्वयं पर न होने देना चाहिए ।

क्योकी अगर हमारी गलती है तो उसे मान लेना कोई छोटा नही करता है बल्की हमे जीवन में आगे गलती करने से रोकात है ।

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे मुहावरे का अर्थ । लेख आपको कैसा लगा नीचे कमेंट करके हमें बताएं ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।