जमीन आसमान एक करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

जमीन आसमान एक करना मुहावरे का अर्थ zameen aasmaan ek karna muhavare ka arth – बहुत अधिक परिश्रम करना

दोस्तो मनुष्य अगर चाहे तो कुछ भी कर सकता है उसके लिए असंभव नाम का कोई शब्द नही है । क्योकी वर्तमान मे विज्ञान की प्रगति के कारण से मनुष्य आसमान तक पहुच गया है । ‌‌‌साथ ही ऐसे अनेक हथियार बना चुका है जिसके कारण से पल भर मे बहुत से शहरो को एक साथ नष्ट किया जा सकता है । मगर यह सब ऐसे ही नही होता इसके लिए बहुत अधिक परिश्रम करना पडता है ।

आसमान और जमीन भी अलग अलग है इन दोनो का मिलना बहुत ही कठिन है मगर जब कोई ‌‌‌व्यक्ति जमीन आसामन एक करने के लिए परिश्रम करने लग जाता है तो उस व्यक्ति को बहुत अधिक परिश्रम करना पडता है । ऐसे ही इंसान अनेक कार्यो के लिए बहुत अधिक परिश्रम करता है और उन कार्यो के लिए ही जमीन आसमान एक करना मुहावरे का प्रयोग होता है ।

जमीन आसमान एक करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

‌‌‌जमीन आसमान एक करना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग zameen aasmaan ek karna muhavare ka vakya me prayog

  • भारत को आजाद कराने के लिए देशवासियो ने जमीन आसमान एक कर दिया ।
  • सरकार और देशवासियो ने एक साथ जमीन आसमान एक कर कर  कोरोना को जड से खत्म कर दिया ।
  • कोरोना को मात देने के लिए डॉक्ट्रस ने जमीन आसमान एक कर दिया ।
  • ‌‌‌अपनी गरीबी देख कर रामलाल ने जमीन आसमान एक कर दिया और नोकरी लग कर अपनी गरीबी से उपर उठ गया ।
  • वर्तमान मे नोकरी पाने के लीए जमीन आसामान एक ‌‌‌करना पडता है ।
  • पिता का लिया हुआ कर्जा उतारने के लिए बेटो ने जमीन आसमान एक कर दिया ।
  • अपनी मां की हर ख्वाहिस पूरी करने के लिए सुसिला ने जमीन आसमान एक कर ‌‌‌दिया ।
  • चाहे जो भी हो जाए मुझे गाडी लेकर आनी है इसके लिए मुझे जमीन आसमान एक करना पडा तो वह भी करूगा ।
  • अगर हर कोई जमीन आसमान एक कर पाता तो आज यहां पर कोई दुखी न होता ।
  • तुम्हे स्वयं ही इस काम को करना है चाहे फिर तुम्हे इसके लिए जमीन आसमान एक करना क्यो पडे ।

‌‌‌जमीन आसमान एक करना मुहावरे पर कहानी zameen aasmaan ek karna muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक बुडिया रहा करती थी । जिसके घर मे उसका पोता रहा करता था । इसके अलावा बुडिया के घर मे और कोई नही रहता था । बुडिया के पोते का नाम सुरेश था । सुरेश के माता पिता की मृत्यु एक रोग के कारण से हो गई थी जिसके कारण से वह अपनी ‌‌‌दादी के साथ ही रहता था । अब दादी ने ही उसे पाल पोस कर बडा किया था ।

मगर एक औरत होने के कारण से बुडिया से ज्यादा कुछ नही हो सका । फिर भी उसने अपने ‌‌‌पोते को शिक्षा से वंचित नही रहने दिया । इसका कारण यह था की बुडिया मानती थी की चाहे जो हो जाए हर बच्चे को शिक्षा ग्रहण करनी ही चाहिए क्योकी ‌‌‌आने वाले समय मे शिक्षा के बिना कुछ नही होगा ।

क्योकी बुडिया के पास धन नही था जिसके कारण से उसे ऐसा करने के लिए बहुत से कष्टो का सामना करना पडा । जब सुरेश छोटा था तब उसे इस बारे मे पता नही था मगर जैसे जैसे सुरेश बडा हुआ ‌‌‌तो उसे पता चलने लगा की उसकी दादी ने उसे कितने कष्ट झेल कर पढाया है ।

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इस ‌‌‌कारण से फिर सुरेश ने पढाई मे कडी मेहनत करनी शुरू कर दी थी । अब वह केवल 10 वी कक्षा मे ही था मगर उसने ठान लिया था की वह कुछ ऐसा करेगा जो आज तक किसी ने नही किया होगा । जिसके कारण से मेरा नाम तो होगा ही साथ ही मेरी दादी के बारे मे भी लोगो को पता चलेगा ।

इस तरह से सुरेश सोच रहा था और अपनी ‌‌‌पढाई में लगा रहा । अब वह पढाई करते हुए 12 कक्षा मे ही हुआ की उसकी बुद्धी बहुत ही अधिक ‌‌‌तेज गई । जिसके कारण से वह अपने दिमाग के साहरे कुछ ऐसा करने की सोच रहा था जिसे किसी ने नही किया है ।

तब उसने अपने आस पास देखा की जो भी लोग है वे बाजार जाने के लिए अपने पैरो का ही स्तेमाल करते है । ‌‌‌जिसके कारण से उन्हे काफी समय लग जाता है । इस तरह से देख कर सुरेश ने सोचा की  क्यो न इन लोगो के लिए कुछ ऐसा बन जाए जिसके कारण से ये कुछ ही समय मे बाजार जाकर आ जाए । इस तरह से सोच कर अपने कार्य मे लगा रहा ।

मगर तभी उसे एक किताब मे पढने को मिला की पुराने समय मे जब राजा महाराज युद्ध करने के लिए‌‌‌ जाते थे तो उनके पास एक रथ होता था । जिस पर वे बेठ कर आगे की और बढते थे । साथ ही कुछ के पास ऐसी शक्तियां थी जिसके कारण से वे अपने आप के रथ को हवा मे उडाने लग जाते थे।

इस तरह से पढने पर उसके दिमाग मे एक ख्याल आया की अगर वह कुछ ऐसा वहान बना दे की वह भी अपने आप चलने लगे तो दुनिया मे उसका नाम होगा ‌‌‌साथ ही ऐसा करने के बाद मे उसकी दादी ने मुझे किस तरह से पढाया था, यह सब लोग जान पाएगे । इस तरह से सोच कर सुरेश इस काम मे लग गया ।

तब उसने लकडियो की एक साईकिल बनाई । जो बिल्कुल एक रथ की तरह थी । अब यह रथ चल तो रहा था मगर इसके लिए बैल जरूरी था । यानि यह अपने आप नही चल रहा था । तब सुरेश ‌‌‌को जब भी समय मिलता तो इस कार्य मे लग जाता था । इस तरह से वह 12 कक्षा पास करने के बाद मे इसी कार्य मे लगा रहा ।

मगर उसे सफलता नही मिल पा रही थी । मगर उसने हार नही मानी बल्की वह इसी तरह से जमीन आसमान एक करने मे लगा रहा । जब इस बात को एक वर्ष बित गया तो उसने एक ऐसी बेंटरी बनाई ‌‌‌जो सुरज की रोशनी से चार्च हो सके और उस चार्च के कारण से रथ अपने आप आगे बढ सके । जब यह प्रयोग गाव के लोगो ने देखा तो वे हक्का बक्का रह गए ।

क्योकी उन्होने आज तक ऐसा नही देखा की एक लकडी का वाहन जो सुरज की रोसनी से चल रहा है । इस बात को कुछ ही दिन ‌‌‌बीता था की शहर मे भी खबर फैल गई । जिसके कारण ‌‌‌से शहर के कुछ न्यूज वाले सुरेश के पास आ गए और उससे सवाल जबाब कर कर वापस चले गए ।

फिर न्यूज वालो ने शहर मे जम कर सुरेश के बारे मे लोगो को जानकारी दी की उसने किस तरह से अपना यह काम किया है । तब न्यूज वालो ने बताया की सुरेश बहुत ही गरीब है उसके घर मे उसकी दादी के अलावा और कोई नही है ।

‌‌‌उसकी कुछ अलग करने की सोच के कारण से जमीन आसमान एक कर दिया और एक ‌‌‌ऐसा वाहन को तैयार किया जिसके कारण से हर कोई एक स्थान से दूरसे स्थान पर चला जा सकता है । साथ ही यह वाहन सुरज की रोसनी से चलता है । इस प्रयोग के बाद मे सुरेश को हर कोई जानने लगा था ।

‌‌‌जमीन आसमान एक करना मुहावरे पर कहानी zameen aasmaan ek karna muhavare par kahani

इस तरह से सुरेश ने 12 कक्षा पास करने के ‌‌‌बाद ही इतना बडा काम कर कर लोगो को हैरान कर दिया था । इस तरह से आपको इस कहानी से मुहावरे का अर्थ समझ मे आ गया होगा ।

जमीन आसमान एक करना मुहावरे पर निबंध zameen aasmaan ek karna muhavare par nibandh

साथियो आपने उपर दी गई कहानी में पढा की किस तरह से सुरेश ने कडी मेहनत की और एक ऐसे वाहन को तैयार कर दिया जो सुरज की रोसनी से चल सके । मगर यह ‌‌‌करने के लिए उसका एक वर्ष पूरा का पूरा लग गया । तब जाकर यह काम हो सका । इस तरह से उसने पूरे वर्ष परिश्रम किया था ।

इसी तहर से पहले के समय मे जब राजा महाराजा अपने बेटो को युद्ध सिखाते थे तो उन्हे छोटी सी उम्र मे ही इसकी शिक्षा देते रहते थे । जिसके कारण से वह बडा होने के बाद तक युद्ध कला ‌‌‌सिखने मे लगा रहता था । इस तरह से वह भी युद्ध कला सिखने के लिए बहुत अधिक परिश्रम करता है ।

वर्तमान मे भी ऐसा ही हो रहा है क्योकी लोग नोकरी के लिए बहुत अधिक परिश्रम करते है तब जाकर उन्हे नोकरी मिलती है । इसके अलावा अनेक ऐसे कार्य है जिनके लिए बहुत अधिक परिश्रम किया जाता ‌‌‌है । इन सभी स्थानो पर इस मुहावरे का प्रयोग कर सकते है क्योकी मुहावरे का वही प्रयोग हो रहा है जहां पर कोई बहुत अधिक परिश्रम करता है इस कारण से इस मुहावरे का अर्थ यही होता है ।

जमीन आसमान एक करना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of zameen aasmaan ek karna in Hindi

अगर आप इस मुहावरे को समझने के लिए इसी का प्रयोग करते है तो इसे काफी आसानी से समझ सकते है । क्योकी आपको पता है की जमीन और आसमान कभी एक नही होगा और इसे एक करने की कोशिश की जाए तो इसके लिए काफी अधिक परिश्रम की जरूरत है।

और इसी बात के कारण से आप यह समझ सकते है की zameen aasmaan ek karna muhavare ka arth – बहुत अधिक परिश्रम करना होता है । और जहां पर बहुत अधिक परिश्रम करने की बात होती है वही पर इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग किया जाता हे ।

तो इस तरह से दोस्तो कहा जा सकता है की जब आप या फिर कोई व्यक्ति बहुत ही अधिक मेहनत करता है तो उसके लिए कहा जाएगा की यह तो जमीन आसमान एक करने में लगा है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।