चटनी हो जाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

चटनी हो जाना मुहावरे का अर्थ  chatni ho jana muhavare ka arth — बहुत जल्द खर्च हो जाना ।

दोस्तो एक समोसे बनाने वाले के लिए सबसे बडी परेशानी चटनी की होती है । क्योकी चटनी जो होती है उसका पता चलता नही है की इसे कितनी मात्रा में बनाना है। और समोसे जैसे पकवान बिकते है कम मगर चटनी बिक जाती है बहुत जल्दी तो कहा जा सकता है की चटनी बहुत जल्दी खर्च हो जाती है ।

इसे आप इस तरह से भी समझ सकते है की आपके घर में जब चटनी बनती है तो वह बहुत ही जल्दी खत्म हो जाती है और उसकी तुलना में जो सब्जी होती है वह खत्म नही होती है । कहने का मतलब है की चटनी जल्दी खर्च हो रहती है । तो इस तरह से जो जल्दी खर्च होता है उसके लिए इस मुहावरे का प्रयोग होता है ।

यानि चटनी हो जाना मुहावरे का अर्थ बहुत जल्दी खर्च हो जाना होता है।

चटनी हो जाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

चटनी हो जाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग  || chatni ho jan use of idioms in sentences in Hindi

1.            महेश ने घर में मिठाई लेकर आया था मगर कुछ ही मिंनटो में सब चटनी हो गया ।

2.            कल बेटे का जन्म दिन था तो घर में कुछ मिठाई लेकर आए थे मगर पता नही कैसे कुछ ही समय में सब चटनी हो गया ।

3.            स्वतंत्रता दिवस के दिन विद्यालय के अंदर लड्डू बाटने के लिए लेकर आए थे मगर 50 लोगो को लड्डू देने के बाद सब चटनी हो गए ।

4.            विवाह के अंदर पता नही ऐसा क्या हुआ जो भी भोजन बनाया था सब चटनी हो गया ।

5.            अरे रामलाल की बेटी की शादी में बाराती जैसे ही भोजन करने बैठे तो पता चला सब कुछ चटनी हो चुका है ।

6.            कोरोना काल के अंदर घर में जो कुछ खाने को था वह सब चटनी हो गया ।

चटनी हो जाना मुहावरे पर कहानी || chatni ho jan story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है रामलाल नाम का एक निर्धन आदमी था जो की अपने परिवार के साथ रहता था । उसके घर में उसकी पत्नी और एक बेटी रहा करती थी । रामलाल हमेशा से मजदूरी का काम करता था जिसके कारण से उसका केवल घर ही चल पाता था । और इसी से रामलाल काफी अधिक खुश था ।

इसके अलावा रामलाल जो था वह सरल स्वभाव का था और देवी देवताओ मे विश्वास नही रखता था । बल्की हमेशा जो कुछ होता था उसे लिखा हुआ ही मानता था । इसी तरह से रामलाल का जीवन चल रहा था । मगर घर में बेटी होने के कारण से केवल रामलाल का जीवन चलना ही काफी नही होता है बल्की जब बेटी का विवाह किया जाता है तो खुब सारा जो धन लगता है उसका भी पहले ही इंतजाम करना होता है ।

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अगर पहले धन का इंतजाम नही किया जाता है तो बहुत परेशानी आती है। और इस बारे में रामलाल ने भी कुछ नही किया था और समय आने पर इस तरह की समस्या का सामना रामलाल को करना पड़ गया था । दरसल अभी की बात है जब रामलाल के घर में एक आदमी आता है जो की उसका ही एक रिश्तेदार होता है उसने रामलाल से कहा की बेटी का विवाह करना चाहते हो तो एक अच्छा रिश्ता आया हुआ है ।

और यह सुन कर रामलाल ने अपनी बेटी की और देखा तो उसे लगा की उम्र तो हो रही है । और फिर अपनी पत्नी से इस बारे में बात की तो पत्नी ने भी कह दिया की लड़के को तो देख आओ अगर पसंद आता है तो फिर विवाह कर देगे । तो इस तरह से कहने के बाद में रामलाल ने भी उस रिश्तेदार को कहा की ठिक है लड़के को पहले देखेगे अगर पसंद आता है तो बेटी का विवाह कर देगे ।

और इस तरह से कहने के बाद में रिश्तेदार ने कहा की जरूर कल चलते है फिर और रामलाल ने भी कहा की ठिक है कल चलते है । इस तरह से कहने के बाद में दोनो गए और आस पास के कुछ रामलाल के जानकारी लोग भी चले गए और लड़के को देखा और पसंद आ आ गया जिसके कारण से बेटी का विवाह करने तय हो गया ।

विवाह के लिए एक शुभ मुर्हत निकलवाया गया तो विवाह के लिए एक महिनके बाद में अच्छा दिन बताया गया । रामलाल ने उसी दिन अपनी बेटी का विवा करना तय कर ​दिया था । अब रामलाल जो था वह बेटी के विवाह के लिए जो कुछ जरूरी होता था वह समान इकट्ठा करने लगा था ।

अब विवाह को जब 10 दिन बचे थे तो घर में इस बात का जिक्र होने लगा की किस तरह की मिठाईयो को घर में बनाया जाए । मगर किसी को कुछ समझ में नही आ रहा था । तो रामलाल ने भी कह दिया की ज्यादा खर्चा नही करने वाले है हम तो साधारण भोजन बनाएगे और कुछ मिठाईया जैसे की लड्डू बुंदी बना लेगे ।

और ज्यादा ही है तो गुनपाक की चक्की बना लेते है । तो इस तरह से विवाह के लिए सब तय हो गया और विवाह के दो दिन पहले मिठाईयो को बना लिया गया था और सब कुछ तेयार था । अब विवाह के दिन की बात है उस दिन समस्या बन जाती है दरसल आपको बता दे की जब विवाह के समय में आस पास के लोग आते है तो वे भोजन करने के लिए जाते है और भोजन करने लग जाते है ।

ठिक ऐसे ही रामलाल ने जिन लोगो को बुलवाया था वह भोजन कर कर ही अपने घर जाने लगे थे । अभी कुछ ही समय बच सका था और तभी रामलाल को देखने को मिलता है की बरात आ गई है तो रामलाल ने उनका स्वागत किया और उन्हे नाश्ता दिया । और इस तरह से उनकी सेवा की गई थी। जब बरात घर पहुंची तो दुल्हा तो विवाह के लिए चला गया और बाकी लोग भोजन करने केलिए चले गए थे ।

 मगर कुछ ही समय बिता था और जो कुछ बनाया था वह खत्म होने को था । तो एक आदमी ने रामलाल के पास आकर कहा की आपने तो बहुत कम भोजन बनाया है सब चटनी हो गया है । यह सुन कर रामलाल को समझ मे नही आया की क्यार कियाजाए ।

मगर तभी हलवाई से इस बारे में पूछा गया तो उसने किसी तरह का उपाय बताया और कहा की मिठाईयो को कम बहार रखो और रोटी सब्जी जाने दो । तो इस तरह से बाराती को भोजन करवाया गया था । मगर जब सभी भोजन कर चुके थे तो अब यह हालत हो गई थी की बाकी सभी के लिए कुछ बचा तक नही था ।

चटनी हो जाना मुहावरे का अर्थ

तब रामलाल के ​रिश्तेदार ने कहा की आपने तो जो कुछ बनाया था वह चटनी हो गया है । क्या आपने भगवान गणेश को भोग नही लगवाया था क्या । तब रामलाल ने कहा की नही तो मैं तो ऐसा करता ही नही हूं । यह सुन कर रिश्तेदार ने कहा आपको ऐसा करना चाहिए था खर छोड़ो अब क्या करना है यह बताओ ।

तब रामलाल ने बाकी जो भी लोग बचे थे उन्हे केवल रोटी सब्जी खिला कर ​ही विदा किया था । तो इस तरह से दोस्तो रामलाल की बेटी का विवाह रहा था  ।

तो इस तरह से दोस्तो कहानी से यह समझ में आता है की चटनी हो जाना मुहावरे का अर्थ बहुत जल्दी खत्म हो जाना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।