दूध का दूध और पानी का पानी मुहावरे का अर्थ

‌‌‌दूध का दूध और पानी का पानी मुहावरे का अर्थ doodh ka doodh pani ka pani muhavare होता है सच्चा न्याय करना ।

पुराने जमाने के अंदर सच्चा न्याय करने वाले लौग हुआ करते थे । आज इस प्रकार के लोग आपको कहीं नहीं मिलेंगे। भले ही आप कोर्ट के अंदर चले जाओ या घर के अंदर ।‌‌‌आज न्याय इसलिए सही नहीं हो पाती है क्योंकि हर इंसान की दुनिया बस अपने स्वार्थ तक ही सीमित हो चुकी है। कोई भी अपने स्वार्थ से उपर उठाकर खुद को नहीं देख पाता है। यदि बहु सास को पीट रही है ता बेटा अपनी पत्नी का ही पक्ष लेता है। यही न्याय है।

‌‌‌आजकल तो कम से कम यही हो रहा है। खैर सही न्याय की बात छोड़ दी जिए और सही अन्याय की बात करें तो ज्यादा बेहतर होगा ।

doodh ka doodh pani ka pani muhavare

दूध का दूध और पानी का पानी मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग || doodh ka doodh pani ka pani sentence in hindi

  • राजा सिंदकर ऐसा था कि दूध का दूध और पानी का पानी कर देता था।
  • ‌‌‌दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए इसी वक्त बोल तुमने मेरा पेसा नहीं चुराया तो अपनी माता की कसम खा।
  • ‌‌‌प्रक्रति जब न्याय करती है तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है।
  • ‌‌‌दूध का दूध और पानी का पानी करने वाले लोग अब इस दुनिया मे बहुत कम रह गए हैं।

‌‌‌दूध का दूध और पानी का पानी पर कहानी || doodh ka doodh pani ka pani idiom in story in hindi

‌‌‌एक बहुत पुरानी बात है । रामेश्वरम गांव के अंदर एक गुजरी रहा करती थी। वह सुबह सुबह अपने भैंसों का दूध निकालती और उसके बाद उस दूध को पास के गांवों के अंदर बेचने के लिए चली जाती ।‌‌‌काफी लंबे समय से वह दूध बेच रही थी लेकिन उसे कोई खास कमाई नहीं हो रही थी तो एक दिन अपने घर के आंगन मे उदास बैठी थी। उसकी पड़ोसन जो दूसरी गुजरी आई और उससे पूछा ………..अरे आज उदास क्यों बैठी हो ?

…….क्या करूं इतना दूध बेचने के बाद भी मुनाफा नहीं हो पाता है।

……… दूध मे पानी मिलाया ‌‌‌कर । इससे तू अच्छा मुनाफा तो कमा सकती है लेकिन पकड़े जाने पर नुकसान हो सकता है। इतना कहने के बाद वह गुजरी तो चली गई। उसके अगले दिन वह पांच सैर दूध को लेकर एक तालाब के पास गई और उसके अंदर पांच सैर ही पानी मिला डाला ।

‌‌‌और उसके बाद वह उसे गांव के अंदर बेच आई। गांव वाले उस गुजरी के उपर बहुत अधिक भरोसा करते थे । और उनको यकीन था कि गुजरी दूध के अंदर पानी नहीं मिलाती है।

‌‌‌लेकिन एक दिन गांव के एक चालाक लड़के ने गुजरी को दूध मे पानी मिलाते हुए देखलिया । लड़का बेहद ही दयालू था और यदि वह सीधे राजा के पास शिकायत कर देता तो गुजरी को जेल हो सकती थी लेकिन वह उसे सबक सीखाना चाहता था।

‌‌‌जब महिना पूरा हुआ तो फिर गुजरी को दुगुने पैसे मिले और वह उन पैसों को गठरी को अपने मटके के उपर रखकर ख्वाब के अंदर खोई हुई चल रही थी कि एक पेड़ के उपर एक बंदर ने उस गठरी को उठा लिया ।

‌‌‌जब गुजरी ने यह देखा तो उसकी छाती हिल गई और वह बंदर से बोली ……क्योंरे बंदर तेरे को क्या परेशानी है। इस गठरी को तू क्या करेगा ? तेरे काम की चीज नहीं है। वह बंदर काफी तेज था उसने गठरी को खोला और आधे पैसे को अपने पास रखलिया और आधे को गुजरी को दे दिया ।‌‌‌फिर एक एक पैसों को तालाब मे फेंक डाला इतने मे एक व्यक्ति वहां पर आया और गुजरी से बोला कि आप रो क्यों रही हैं ?

……… यह बंदर मेरा पैसा पानी के अंदर फेंक रहा  है।

……….क्या तुमने दूध के अंदर पानी मिलाया था ?

…….. हां आधा दूध और आधा पानी था।

……तो यह बंदर दूध का दूध और ‌‌‌पानी का पानी ही तो कर रहा है।

गुजरी को समझ आ चुका था कि उसने गलत किया और उसे अपनी गलती का एहसास होने के बाद गुजरी ने उस व्यक्ति से क्षमा मांगते हुए कहा कि उसकी बात का राजा को पता नहीं चलना चाहिए।

‌‌‌यदि राजा को उसकी बात का पता चल जाता है तो वह उसे जान से मार सकता है। इस राज्य के अंदर धांधली करना बहुत ही बड़ा गुनाह है। इतने मे पेड़ पर बैठा बंदर अपने इंसानी रूप मे आया और बोला कि मे लड़का हूं और एक दिन मैंने तुमको ‌‌‌दूध के अंदर पानी मिलाते हुए देखा था इस वजह से यह सब तुमको सबक सीखाने के लिए करना पड़ा । इस कहानी का अर्थ है कि उपर वाले के घर देर है अंधेर नहीं है।

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‌‌‌जब कोई दूधवाला दूध बेचता है तो उसे पता होता है कि आज के समय मे तो कोई दूध का दूध और पानी का पानी करने वाला है ही नहीं । इसलिए तो वह दूध के अंदर पानी मिला देता है और हमे इस बात का पता भी नहीं चलता है।‌‌‌अब घोर कलयुग है और आज इंसानों के पास किसी प्रकार का तपो बल नहीं है। पहले अनेक ऐसे संत हुए हैं जो लाखों कोस दूर बैठे यह बता देते थे कि कहां पर गलत किया जा रहा है।

‌‌‌तो दूध का दूध और पानी का पानी करने वाला आज कोई नहीं है। बस गलत कार्य से अपना घर बहुत से लोग चला रहे हैं। इसके अंदर मैं भी शामिल हूं और आप भी शामिल हैं जनाब यदि पूरी ईमानदारी से काम करेंगे तो लोग आपको जिंदा ही नहीं रहने देंगे।

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दूध का दूध और पानी का पानी का तात्पर्य क्या होता है || what is the meaning of Doodh Ka Doodh Aur Pani Ka Pani in Hindi


अब दूध में पानी की मिलावट करना आम बात होती है । आपने देखा होगा की आप जिस व्यक्ति से दूध देते हो वह आपको दूध में पानी मिलाकर देता है। हम भी जिससे दूध लेते है वह पानी मिलाकर हमे दे देता है। मगर फिर भी मजबुरी के कारण से लेना पड़ता है।
वैसे

‌‌‌दोस्तो हमारे में इतनी क्षमता नही है की हम दूध और पानी को अलग कर सकते है । हां इसे अलग करने के लिए आप दूध को उबार सकते हो यही एक तरीका हो सकता है । और इसके अलावा अगर आप दूध से पानी को अलग कर रहे हो तो आप यह जानते हो की दूध से पानी अलग किस तरह से किया जा सकता है ।
तो जो ऐसा कर देता है वह एक

‌‌‌सच्चा न्यायकर्ता होता है। जो की यह पहचानता है की दूध कोनसा है और पानी कौनसा है। तो दोस्तो यही कारण होता है की दूध का दूध पानी का पानी मुहावरे का अर्थ सच्चा न्याय करना होता है ।
अब इस तरह से आपको समझाने का नतिजा यह हुआ की आपको मुहावरा समझ मे आ गया ।

अगर जीवन में कुछ करना है तो दूध का दूध और पानी का पानी करना चाहिए

दूध का दूध और पानी का पानी करना

अगर आपको हम कहे की आप वकिल बन जाए तो आज का यह समाज बहुत से लोगो को सच्चा न्याय नही करने देता है । और हो सकता है की आप भी ऐसे सच्चे न्याय न करे । मगर ऐसा करना पूरी तरह से गलत होता है और आप जैसे ज्ञानी इस बात को समझ सकते है ।

मगर जब जीवन में कुछ ऐसा करने का मोका मिले जो की सच्चा न्याय हो तो आपको केवल दूध का दूध और पानी का पानी ही करना चाहिए । मतलब हमेशा सच्चा न्याय करना चाहिए चाहे फिर इसका परिणाम जो भी हो ।

दूध का दूध और पानी का पानी मुहावरे का अर्थ आपको कैसा लगा ? आप नीचे कमेंट करके बता सकते हैं।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।