आँसू पोंछना मुहावरे का अर्थ / aansu pochna muhavare ka arth

आँसू पोंछना मुहावरे का अर्थ aansu pochna muhavare ka arth – तसल्ली देना

दोस्तो आज इस संसार में हर कोई दुखी है और ऐसा इंसान बहुत ही कम देखने को मिलता है जो की दुखी न हो । मगर कभी कभार कुछ ऐसा हो जाता है की मानव ‌‌‌को काफी अधिक दुख हो जाता है और इसी ‌‌‌दुख के कारण से मानव रोने लग जाता है । और जब मानव रोता है तो उसकी आंखो से जल की कुछ बूंदे निकलने लग जाती है जिसे आंसू के नाम से जाना जाता है ।

क्योकी यह आसू आंखो से निकलता रहता है जिसे पूछा जाता है । ‌‌‌मगर जब इन आसूओ को कोई दुसरा व्यक्ति पूछता है । तब वह दुसरा व्यक्ति उस मानव को दुखी न होने को कहता है । और उस मानव को दूख से बाहर निकलने के लिए तसल्ली देता है । ‌‌‌और इस तरह से जब किसी कारण से तसल्ली देने की बात होती है तो वहां पर आसू पोंछना मुहावरे का प्रयोग होता है ।

आंसू पोंछना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग (aansu pochna use of idioms in sentences in Hindi)

  • ‌‌‌जब राहुल के पिता का देहांत हुआ तो उसके प्रम मित्र किसन ने ही उसके आंसू पोंछे थे ।
  • पत्नी के छोडकर चले जाने के कारण से किसन काफी दुखी था तब किसन के मित्रो ने उसके आसू पोंछे ।
  • ‌‌‌आग लग जाने के कारण से महेश का सब कुछ नष्ट हो गया जिसके कारण से महेश काफी दुखी था तब गाव के लोगो ने ही उसके आसू पोंछे और उसकी मदद की ।
  • ‌‌‌बेटी की मृत्यु की खबर पा कर लीलावती काफी दूखी हो गई तब उसके पडोसी ने ही लीलावती के आसू पोंछ
  • ‌‌‌बेटे के कारोबार में मसुबत आ जाने के कारण से उसके पिता ने ही बेटै के आसू पुछे ।

‌‌‌आसू पोंछना मुहावरे पर कहानी

प्राचीन समय की बात है रामानन्द नामक एक राजा हुआ करता था जो की जिस राज्य में रहता था वहां पर उसका काफी अधिक नाम था । राजा नाम के अनुसार ही बहुत नेक आदमी था। और अपनी नेकी के कारण से ही समय समय पर लोगो की मदद करता था । राजा के घर में उसके अलावा उसकी चार रानिया और तीन ‌‌‌पुत्री व एक पुत्र रहा करता था ।

राजा का पुत्र भी राजा की तरह काफी अधिक नेक आदमी था । जिसके कारण से उसे भी राज्य के सभी नागरिक पसंद किया करते थे । एक बार की बात है राजा के नगर में एक साधू आया था । जो की काफी अधिक मसुबत में फस जाता है । दरसल जो साधू था उसे राज्य के नागरीक ढोगी समझ ‌‌‌लिया और साधू का काफी अधिक अपमान करने लगे थे ।

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इसके साथ ही साधू के पास जो भोजन था वह तक छिन लिया था । इस बात का कारण क्या था यह तो किसी को नही मालूम था बल्की साधू ही यह सब जानता था । मगर जब राजा को इस बारे में पता चला तो राजा ने तुरन्त अपने सेनिको को भेज कर साधू को सही सलामत महल लाने के ‌‌‌लिए भेज दिया था ।

जब साधू के पास सेनिक पहुंच गए तो साधू को लगा की राजा मुझे पकड कर सजा देने के लिए अपने सेनिको को भेजा था । मगर ऐसा कुछ नही था साधू बहुत नही नरम स्वभाव का आदमी था जो की किसी भी मुसीबत का कारण जानने के बाद में ही किसी को सजा देता था ।

इस बात का साधू को ‌‌‌तब पता चला की जब राजा ‌‌‌ने साधू से पूछा की लोग तुम्हारे साथ ऐसा क्यो कर रहे है । तब साधू ने इसका कारण राजा को बताया और कहा की जब मैं इस राज्य में आ रहा था तो मुझे एक साधू और मिला था ।

क्योकी मैं एक सच्चा भग्त साधू ‌‌‌हूं जिसके कारण से हर साधू भाई को आदर देना मेरा कर्तव्य बनता है । ‌‌‌यही सोच कर मैं उस साधू को अपने साथ इस नगर मे लेकर आ गया । मगर मुझे मालूम नही था की वह एक ढोगी साधू है और वह मेरी सराफत का फायदा उठाकर मेरे साथ रह रह कर लोगो को लूटने लगा ।

जब मुझे इस बारे में मालूम चला तो मेने तुरन्त उस ढोगी साधू को पकडना चाहा मगर वह बच निकला । मगर जब मैं उसके साथ था तो लोगो ‌‌‌को लगा की मैं भी ढोगी साधू हूं । इसी कारण से लोग मेरे साथ ऐसा कर रहे है । यह सब जान कर राजा ने तुरन्त अपने सेनिको को कहा की राज्य में डंका बजवा दो की जीस साधू को आप ढोगी समझ कर उसके साथ गलत कर रहे हो असल में वह वैसा नही है ।

बल्की जो इसके साथ था वह ढोगी था और उसे राजा साहब पकड लेगे । यह बात ‌‌‌सेनिको ने एक एक लोगो को समझा दिया था । जिसके कारण से कोई भी साधू को ढोगी नही समझता था बल्की साधू की सभी मदद करते थे और अपने द्वारा कि गई गलती की माफी भी मागते थे । ‌‌‌यह सब देख कर साधू को बडा ही अच्छा लगा ।

तब साधू ने अपने मन ही मन सोचा की यह सब केवल राजा के नेक दिल के कारण से ही हुआ है । इस तरह से साधू को फिर वहा पर काफी महत्व दिया जाने लगा था । इस तरह से साधू जब वहां से चला गया तो इस बात को 9 महिने बित गए थे ।

तभी राजा रामानन्द के राज्य पर हमला हो ‌‌‌गया । जिसके कारण से राजा रामानन्द और उसका बेटा अपनी सेना के साथ युद्ध कर रहे थे । मगर हैरानी की बात यह रही की सामने वाला राजा काफी अधिक बलवान था । जिसका सामना राजा रामनन्द नही कर पा रहा था ।

मगर किसी तरह से राजा रामानन्द के बेटे ने सामने वाले राजा को हराने के लिए अपनी युद्ध कला का जम कर ‌‌‌परदर्शन किया । मगर तभी राजा रामानन्द ने देखा की उसके बेटे के ‌‌‌सीने में राजा ने तलवार से वार कर दिया है । यह सब देख कर राजा रामानन्द और उसकी सेना जोस में आ गई और सामने वाली सेना को हरा कर वहा से भागने पर मजबूर कर दिया था ।

मगर इस युद्ध में राजा रामानन्द के बेटे का देहांत हो गया था । जिसके ‌‌‌कारण से राजा रामानन्द दुख में डूब गया था । क्योकी उसके केवल एक ही पुत्र था जो की आगे उसकी पीढी को बनाए रखने का काम करने वाला था और इस राज्य को संभाल सकता था । यह सब सोच सोच कर राजा रामानन्द काफी अधिक दुखी हो गया था ।

इस बात को एक महिना बित गया मगर अभी भी राजा और उसका परिवार इसी दुख में ‌‌‌डूबे हुए थे । जिसका फायदा राजा रामानन्द के मंत्रीमंडल में से लोग उठाने लगे थे । और राजा के द्वारा बनाए गए नियमो का खात्मा करने लगे थे । लोगो को काफी अधिक कष्ट देने लगे थे । क्योकी राजा दुखी था तो वह राज्य पर ध्यान नही दे पा रहा था ।

तभी वही साधू वापस राजा रामानन्द के राज्य में आ गया । मगर ‌‌‌अब वह राज्य की हालत देख कर काफी दुखी हो गया था । क्योकी जो लोग हमेशा खुश रहते थे वे अभी दुखी रहने लगे थे । तभी साधू को मालूम पडा की राजा के बेटे का देहांत हो गया है जिसके कारण से राजा काफी दूखी है और इसका फायदा दुसरे लोग उठा रहे है और प्रजा के साथ काफी अधिक अन्याय कर रहे है ।

‌‌‌आसू पोंछना मुहावरे पर कहानी

‌‌‌यह सब जान कर साधू को भी दुख पहुंचा । क्योकी राजा का केवल एक ही पुत्र था । तभी साधू ने राजा के पास जाकर उन्हें सभलने का कहने की सोची । तब साधू राजा के पास पहुंच गया । जब राजा ने साधू को देखा तो वह उन्हे अपना दूख बता कर रोने लगा था ।

यह देख कर साधू ने राजा के आसू पोंछे और राजा से कहा की महाराज ‌‌‌जो आपके साथ हुआ है वह सब निती का खेल है । मगर इस बात का जीतना दुख आपको हो रहा है उतना ही आपकी प्रजा को हो रहा है । मगर आप अगर इसी तरह से दुखी रहेगे तो राज्य की प्रजा को काफी अधिक कष्टो का सामना करते रहना पडेगा ।

तब साधू ने साफ साफ ‌‌‌शब्दो में कहा की महाराज आपको सब कूछ भूल कर अपनी प्रजा की देख ‌‌‌रेख करनी चाहिए । मगर राजा दुख से बाहर नही निकल रहा था । तब साधू ने राजा से कहा की महाराज आप क्या यह चाहते है की जीस राजा के कारण से आपके बेटे का देहांत हुआ है वह आपके राज्य पर राज करे । यह राज्य केवल आपका और आपके बेटे का है ।

जिसके कारण से आप अपने बेटे के इस राज्य पर उस राजा को राज नही करने ‌‌‌दे सकते हो । इस तरह से साधू ने राजा से कह कर उनके आसू पूछें । जिसके कारण से राजा दुख से बाहर निकल सका और अपने राज्य को संभालने लगा था ।

जिसका नतीजा यह हुआ की राज्य पहले की तरह की सही तरह से चलने लगा था । इस घटना के बाद में राजा ने साधू को अपने महल में ही रहने को कह दिया था । क्योकी राजा को ‌‌‌मालूम चल गया था की इस महल में उसका कोई नही है ।

क्योकी कोई भी उसे दूख से बाहर नही निकाल रहा था । बल्की साधू ने ही ऐसा किया था । जिसके कारण से साधू को राजा रामानन्द ने अपना मित्र बना लिया और उसके साथ महल में रहने लगे थे । इस तरह से फिर साधू भी राजा के साथ रहता था ।

इस तरह से आप समझ गए ‌‌‌होगे की इस मुहावरे का अर्थ क्या होता है ।

आसू पोंछना मुहावरे पर निबंध

‌‌‌आंसू पोंछना शब्द से ही आप आसानी से समझ सकते है की जब मानव को दुख होता है तो वह विलाप करता है या रोता है उस समय उसकी आंखो से ‌‌‌नीरनिकल कर बाहर आता है । जिसे मानव आंसू के नाम से जाना जाता है ।

और जब कोई व्यक्ति इस ‌‌‌नीर को पूछता है तो वह पूछने वाले व्यक्ति से कहता है की भाई दुखी न हो ‌‌‌सब सही हो जाएगा । इस तरह से कहने पर पता चलता है की वह व्यक्ति रोने वाले व्यक्ति को तसल्ली दे रहा है । यानि दुख को दुर हो जाएगा तुम तसल्ली रखो ऐसा कहने की कोशिश करता है ।

आसू पोंछना मुहावरे पर निबंध

इसी कारण से इस मुहावरे का अर्थ तसल्ली देना हो जाता है । क्योकी आज मानव अपने जीवन में विभिन्न तरह के कार्यों में ‌‌‌एक दुसरे को तसल्ली देता रहता है। जिसके कारण से वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है ।

अत: अंत में कहा जा सकता है की तसल्ली देना इस मुहावरे का अर्थ होगा ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।