दांव पर लगाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

दांव पर लगाना मुहावरे का अर्थ dav par lagana muhavare ka arth – जोखिम उठाना ।

दोस्तो जुए जैसे खेलो में जब कोई व्यक्ति खेलता है तो जीतने या हारने के लिए ‌‌‌कोई वस्तु या ऋण सामने रखते है । और जो व्यक्ति खेल में जीत जाता है वह वस्तु या ऋण जीतने वाले व्यक्ति की हो जाती है। इस तरह से ‌‌‌जो वस्तु या ऋण खेलने के सामने रखी गई थी वह दांव पर लगी थी।

और इसी तरह से मानव अपने जीवन में किसी मुकाम को पाने के लिए कुछ दांव पर लगाता है । जैसे – किसी कार्य में सफल होने के लिए धन को खर्च करना पडता है । ‌‌‌मगर यह जरूरी नही की धन खर्च करने के बाद मे सफलता प्राप्त हो जाए । इस कारण से धन को खर्च कर कर जोखिम उठाया जाता है । और इसी तरह से जब किसी कार्य में जोखिम उठाया जाता है तो इसे दाव पर लगाना कहा जाता है ।

दांव पर लगाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

दांव पर लगाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

  • ‌‌‌लोगो की जान बंचाने के लिए महेश ने अपनी जान दांव पर लगा दी और आग में कुद पडा ।
  • ‌‌‌हमारा फोजी भाई देश को मुसीबत में देख कर अपने आप को दांव पर लगाने को तैयार है ।
  • ‌‌‌यह तुम्हारा कुछ भी नही लगता है फिर भी तुम्हारे प्राणो के लिए अपना सब कुछ दांव पर लागाने को तैयार है ।
  • ‌‌‌हमारे विद्यालय को बचाने के लिए पुरे गाव ने अपने पैसे दांव पर लगा दिए ।
  • सिनेमा घर में आग लग गई और लोगो को बचाने के लिए फायरमैंने ने अपनी जान दांव पर लगा दी ।
  • ‌‌‌जीत हासिल करने के लिए महेश ने जुवे में अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया ।
  • राहुल जुवे की लत में अपनी सारी संपत्ति दांव पर लगा कर सब कुछ हार चुका है ।

‌‌‌दांव पर लगाना मुहावरे पर कहानी

‌‌‌प्राचीन समय की बात है एक बहुत बडा राज्य हुआ करता था जहां पर राजा रामदास नाम का एक राजा हुआ करता था । राजा रामदास के पास धन दोलत की कोई कमी नही थी और राजा को युद्ध कला भी बडी अच्छी तरह से आती थी जिसके कारण से हर राजा उसका साथी बनना चाहता था । ‌‌‌और इसी कारण से राजा रामदास के बहुत से साथी थे ।

राजाओ में से बहुत से राजा ऐसे थे जो की रामदास के धन पर अपनी नजर बनाए हुए थे और सोचते थे की यह राज्य उनका हो जाए । मगर यह हो पाना बहुत ही मुश्किल हुआ करता था । ‌‌‌क्योकी राजा बहुत ही सातिर था जिसके कारण से वह हर किसी पर भरोषा नही करता था और युद्ध कर कर तो राजा रामदास को कोई हरा नही पाता था । ‌‌‌

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मगर उन सभी राजाओ में से एक राजा ऐसा था जो रामदास को हराने की ताक्त रखता था । मगर इसमे उसे अन्य राजा का सहयोग चाहिए था जो की हो पाना आसान नही था । उस राजा का नाम किशोर था । मगर फिर भी राजा किशोर ने अपने दिमाग का उपयोग करते हुए कुछ राजाओ को अपने साथ मिला लिया और एक योजना बनई ।

जिसमें राजा ‌‌‌रामदास को पूरी तरह से फसाना था और उसे फिर हरा देना था । दरसल राजा किशोर ने योजना बनाई की वह राजा रामदास के साथ जुआ खेलेगा । जिसमें राजा रामदास का सबस कुछ लूट लेगा । मगर जब इस बारे में रामदास से बाते की तो रामदास ने कहा की हां मैं जुआ खेलने के लिए तैयार हूं ।

रामदास के इतनी जल्दी जुआ खेलने के ‌‌‌लिए तैयार होने का कारण किशोर को समझ नही आया । जिसके कारण से जब किशोर ने इस बारे में राजा रामदास के मंत्री से बात की तो उसे पता चला की राजा रामदास जुआ खेलने के बहुत ही शौकीन है और वे बहुत बार जीत हासिल कर चुके है ।

‌‌‌तब राजा किशोर ‌‌‌को समझ में आया की राजा रामदास को जुए में हराना भी आसान नही होगा । जब इस बारे में राजा किशोर ने अपने मित्र राजा से बात की तो उन्होने एक ऐसे व्यक्ति का सुझाव दिया जिसके पास जुवे के लिए ऐसी गोटी हुआ करती थी जो की जादूई थी और उन गोटी से मन चाहा नम्बर लेकर आ सकते थे ।

‌‌‌यह सुन कर राजा किशोर ने कहा व्यक्ति से गोटी लेकर आनी होगी । इस तरह से फिर राजा किशोर ने उस व्यक्ति को बुलाया और ‌‌‌उसे अच्छे रूपय देकर एक दिन के लिए गोटी ले ली  । और जब खेल शुरू हुआ तो राजा किशोर ने जुवे में असली गोटी की जगह नकली गोटी रख दी ।  ‌‌‌पहली ‌‌‌बारी राजा रामदास की थी मगर उस समय असली गोटी ही थी जिसके कारण से रामदास ने अच्छे अंक नही बनाए और वह हारता चला गया ।

इस तरह से किशोर ने अच्छी वस्तु जीत ली और रामदास को उकसाने लगा । जिसके कारण से रामदास ने अपने दिमाग का उपयोग नही किया और अपने राज्य की अच्छे अच्छे स्थानो को भी दांव पर ‌‌‌लगाने लगा था । मगर किशोर के पास उसकी पसंद की गोटी थी जिसके कारण से वह हर बार जीत जाता था और रामदास को हर बार हार का सामना करना पडता था ।

अंत में रामदास ने अपने ही राज्य को दाव पर लगा दिया । यह सुन कर रामदास का मंत्री बोला भी था की महाराज यह सही नही है । मगर रामदास की बुद्धी काम नही रही थी ‌‌‌जिसके कारण से उसने मंत्री की एक नही सुनी और वह अपने राज्य को भी हार बैठा । अब राजा रामदास के पास उसका महल ही था बाकी वह सब हार चुका था ।

जिसके कारण से अंत में राजा ने अपने दिमाग का उपयोग किया और अपनी हार मान ली । जिसके कारण से राजा रामदास का महल ही उसके पास बंच सका था बाकी राज्य तो किशोर ने ‌‌‌छिन लिया था । इस बात को दो दिन बित जाने के बाद में राजा रामदास को समझ में आया की वह जुऐ के खेल में यह भूल चुका था की वह क्या क्या दाव पर लागा रहा है । उसे ऐसा नही करना चाहिए था ।

तब राजा सोचने लगा की अगर मैं उस दिन ऐसा नही करता तो आज मेरा राज्य बच जाता और में ही इस राज्य का राजा होता ‌‌‌था । इस तरह से राजा को समझ में आ गया की वह जुए के खेल में सब कुछ दाव पर लगा चुका और हार गया है । ‌‌‌इस तरह से राजा केवल अपने महल का ही राजा हर गया था ।

‌‌‌दाव पर लगाना मुहावरे पर निबंध

‌‌‌दोस्तो जिस तरह से जब कोई खेल खेला जाता हे तो ‌‌‌जैसे जुए का खेल मगर इस खेल में कुछ सामने रखना होता है ताकी जो व्यक्ति जीत हासिल कर सके उसे वह सब प्राप्त हो सके । इस तरह से सामने जो कुछ भी रखा होता हे वह दाव पर लगा होता है । यानि वह सब कुछ वापस हासिल होगा की नही यह कहा नही जा सकता था । मगर खेल खेलने के लिए ‌‌‌यह जोखिम उठाया जाता है ।

‌‌‌दाव पर लगाना मुहावरे पर निबंध

आजकल के समय में ऐसे बहुत से खेल है जिनमें जोखिम उठा कर कुछ भी बाजी पर लगा होता है । जैसे धन की बात करे तो धन बाजी पर लगा होता है और उसे बाजी पर लगाने के कारण से वह जोखिम उठाया जाता है और फिर उस खेल को खेला जाता है ।

‌‌‌इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है की जब कोई फायरमैन किसी व्यक्ति की जान बचाने के लिए आग में कुदता है तो वह अपने प्राणो को संकट में डालता है और जोखिम उठाता है फिर उस व्यक्ति को बचाने के लिए आग में कुदता है ।‌‌‌क्योकी वह जोखिम उठा रहा है तो इसे दांव पर लगाना कहा जाता है । मगर यहा पर दांव में उस व्यक्ति के प्राण लगे होते है ।

‌‌‌इस तरह से जब भी किसी भी प्रकार का जोखिम उठाया जाता है जिसमें किसी तरह की हानी होने की आशंका होती है तो वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है और कहा जाता है की वह दाव पर लगा है ।

‌‌‌इसका सबसे अच्छा उदहारण महाभारत में देखने को मिलता है । क्योकी वहा पर जब पांडवों और कोरवो में खेल होता है तो ‌‌‌अर्जुन दाव में अपनी पत्नी द्रोपदी को लगा देते है । यानि द्रोपदी को दाव पर लगा कर वे जुआ खेलते है । जो की गलत होता है और जब जुआ खेलने में द्रोपदी को हार जाते है तो वह कोरवो की बन जाती ‌‌‌है । जिसके कारण से चिरहरण जैसी घटना सामने आ जाती है । मगर कृष्ण के कारण से यह नही हो पाता है ।

‌‌‌इस तरह से पांडवो ने द्रोपदी को दांव पर लगा कर जोखिम उठा कर खेल खेल रहे थे । मगर यह गलत होता है । ऐसा नही करना चाहिए था । मगर इस तरह से जोखिम उठाने की बात हुई है और वही खेल में दांव पर द्रोपदी लगी थी । तभी जोखिम उठता है यही कारण होता है की जोखिम उठाना इस मुहावरे का अर्थ होता है ।

‌‌‌इस तरह से मैं आसा करता हूं की मेरे प्यारे दोस्तो को यह लेख पसंद आया होगा और उम्मीद करता हूं की आप जीवन में इस मुहावरे को नही भूल पाओगे ।

क्या आपको मुहावरा पूरी तरह से समझ में आ गया है? बताना न भूले ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।