थू थू करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

थू थू करना मुहावरे का अर्थ thu thu karna muhavare ka arth घृणा प्रकट करना ।

दोस्तो घृणा के बारे में आपको पता होगा यह एक ऐसा भाव होता है जो की बहुत से लोगो के द्वारा किया जाता है । अगर कोई गरीब होता है तो अमीर उससे घृणा करते है वही पर अगर कोई कुछ ऐसा कर देता है जो की अच्छा नही होता है तो भी लोग उससे घृणाकरने लग जाते है । कहने का मतलब है की घृणा अनेक कारणो से होती है ।

वही पर जिससे लोग घृणा करते है उस पर थूकते है और आपको पता होगा की थूकने पर किस तरह की आवाज आती है यानि थू थू ।

और इस बात के आधार पर कह सकते है की थू थू करना मुहावरे का अर्थ घृणा प्रकट करना होता है ।

थू थू करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

थू थू करना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग   || thu thu karna use of idioms in sentences in Hindi

1.        महेश को चोरी के इल्जाम में पुलिस ने पकड़ लिया तो गाव के लोग उस पर थू थू करने लगे ।

2.        राहुल का विवाह होने के दो साल बाद उसने अपने माता पिता को घर से निकाल दिया जिसके कारण से लोगो ने राहुल पर खुब थू थू किया ।

3.        अगर माता पिता को घर से निकाल देगे तो लोग तो थू थू करेगे ही ।

4.        राजकिशोर के बेटे चंदन ने भाग कर विवाह कर लिया तो लोग राजकिशोर पर थू थू करने लगे ।

5.        अगर तुम इसी तरह से गलत काम करते रहे तो वह दिन दूर नही जब लोग तुम पर थू थू करेगे ।

6.        कंचन जैसी पागल लड़की से रामू ने विवाह कर लिया तो लोग रामू पर थू थू करने लगे ।

7.        अरे मुर्ख तुमने तो कितना निच काम किया है लोग भी तुम पर थू थू करेगे ।

8.        खून के जुर्म में चंदन को पकड़ लिया गया तो लोग उनके पूरे परिवार पर थू थू करने लगे ।

थू थू करना मुहावरे पर कहानी || thu thu karna story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है एक गाव हुआ करता था जहां पर जो भी कोई गुन्हा करता था या नियम को तोड़ता था तो उसे सजा दी जाती थी और सजा देने का काम उस गाव के पांच महान लोग किया करते थे जिनमे से एक सरपंच हुआ करता था और बाकी चार अन्य लोग थे ।

पांचो के मिलाव से ही एक फैसला बनता था और फिर सजा दी जाती थी । और ऐसा होने के कारण से कोई भी उस गाव में गलत करना नही चाहता था । मगर जो गलत कर देता था तो वह अपने द्वारा किए गए काम को बाहर नही आने देता था । मगर एक दिन महेशर के बारे में सभी को पता चल गया था ।

दरसल उस गाव में वैसे तो कई लोग थे मगर महेश नाम का एक लड़का था जो की हमेशा पढने लिखने में ही ध्यान देता था । यहां तक की महेश जो था वह शहर में रह कर पढ लेता था ।

क्योकी जीवन में केवल पढना ही काफी नही होता है जीवन में सफल होने के लिए नोकरी करना भी जरूरी है और महेश के पिता जो थे वे गरीब थे और इस कारण से जल्द ही महेश ने जॉब करने का फैसला लिया था । उसने कई तरह की कंपनी में नोकरी मागी मगर उसे नही मिली ।

मगर महेश एक कंपनी में पहुंचा था तो वहां पर उसे काम देने कावादा कर दिया था और कहा की तुम्हे जॉब मिलेगी मगर सबसे पहले तुम्हे 20000 रूपय जमा करवाने होगे ।

 अब यह इतने रूपय थे की की महेश के पास नही थे और न ही उसके पिता के पास भी नही थे इस कारण से महेश ने कहा की मैं इंतजाम करता हूं । तभी कंपनी के बॉस ने कहा की पैसे तुम्हारे पूरी तरह से सैफ होगे और तुम्हे इसका सबुत भी दिया जाएगा की तुमने इस कंपनी को पैसे दिए है ।

यह सुन कर महेश ने कहा की ठिक है मैं दो दिनो के बाद में पैसे लेकर आता हूं । अब महेश पहले तो अपने शहर वाले घर गया था मगर उसी समय अपने गाव के लिए रवाना हो गया था ।

 गाव जाने के बाद में महेश ने अपने पिता से बात की और कहा की 20 हजार रूपय चाहिए जॉब मिलेगी जिसमें महिने के ही 40 हजार रूपय होगे । अब महेश का पिता यह सुन कर हैरान था और कहा की बेटा 20 कहा से लेकर आएगे ।और कहा की तुम इस नोकरी से अच्छी और देखर लेना ।

अब महेश को पता था की जॉब इसके अलावा उसे नही मिलेगी तो महेश ने किसी तरह से पैस इंतजाम करने की सोची । काफी रात बित गई और उसे समझ में नही आया की पैसे कहा से लिए जाएगे । उसने दूसरे दिन बहुत से उधार भी मागे थे मगर किसी ने पैसे नही दिए ।

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तभी उसे रात को अचानक से चोरी करने का ख्याल आ गया और उसने बिना कुछ सोचे समझे ही रामलाल केघर मे चोरी कर ली जो की एक अच्छा धनवान आदमी था । और रात को ही शहर चला गया था ।

शहर में जाने के बाद में महेश ने सारे पैसे कंपनी में जमा करवा दिए और जॉब करने लगा था । मगर वही पर रामलाल को जब इस बारे में  पता चला कीचोरी हो गई है तो वह सरपंच और बाकी 4 लोगो के पास जाकर न्याय मागने लगा ।

तब लोगो ने बताया की महेश कल पैसे उधार माग रहा था और इस तरह से सक सिधा महेश पर पहुंच गया और लोगो को समझ में आ गया की महेश ही चोर है । अब सभी लोगो ने महेश के माता पिता पर थू थू करना शुरू कर दिया। लोगो ने महेश को तलासने की काफी कोशिश की मगर वह नही मिला ।

आखिर में रामलाल ने इस बात को भुला दिया और वह अपने जीवन में काम करने लगा था । मगर जब भी रामलाल महेश के माता पिता को देखता तो उन पर थू थू करने लगा था ।

मगर महेश एक अच्छा लड़का था जिसने करीब 3 महिने बाद अपने गाव में कदम रखा और कदम रखते ही लोगो ने उसे पकड़ लिया और रामलाल के पास ले गए । मगर रामलाल के पास जाते ही महेश ने कहा की रामलाल जी आपके पैसे मैंने ही चुराए है मुझे माफ करे ।

मगर मैं आपके पैसे वापस देने के लिए आया हूं । यह सुन कर रामलाल ने सोचा की पैसे मिल रहे है वह अच्छी ही बात है । मगर अब रामलाल को महेश ने पैसे दिए तो रामलाल ने देखा की वह पैसे 50 हजार रूपय है और यह देख कर रामलाल चौक ​गया ।

मगर तभी महेश ने कहा की मैंने चोरी की थी तो यह जिने अधिक रूपय है वह मेरी गलती की सजा के है । और यह सब देख कर रामलाल खुश हुआ और महेश को माफ कर दिया ।

थू थू करना मुहावरे का अर्थ

अब पंच को इस बारे में पता चला तो वे भी सजा न दे सके । क्योकी महेश ने सजा के रूप में 30 हजार रूपय और रामलाल को पहले ही दे दिए थे । अब जो गाव महेश के माता पिता पर थू थू कर रहे थे वे ही वाह वाह करने लगे थे इधर रामलाल भी अब महेश के साथ अच्छी तरह से रहने लगा था और महेश भी अपना काम शहर में करने लगा । तो इस तरह से सब कुछ पहले की तरह हो गया था ।

तो इस तरह से दोस्तो महेश नेस्वयं को ही सजा दे  दी ।

दोस्तो कहानी से समझ गए होगे की इस मुहावरे का अर्थ घृणा प्रकट करना होता है । अगर कुछ पूछना है तो कमेंट कर देना ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।