अंग-अंग मुस्कुराना मुहावरे का अर्थ ang ang muskurana muhavare ka arth – बहुत अधिक खुश होना ।
दोस्तो जब भी मानव कुछ ऐसा कार्य करता है जिसके कारण से उसे खुशी होती है और इसी खुशी के कारण से उसके चेहरे पर चमक दिखाई देती है । इसके साथ ही यह भी देखने को मिलता है की इस खुशी के कारण से मानव के पूरा शरीर आनन्द ले रहा है । इस तरह से कहा जा सकता है की मानव बहुत अधिक खुश हो गया है । और जब कोई बहुत अधिक खुश हो जाता है तब इस मुहावरे का प्रयोग होता है ।
अंग–अंग मुस्कुराना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग
- जब किशोर की शादी एक सुंदर कन्या से होने लगी तो किशोर का अंग अंग मुस्कुराने लगा ।
- जब भारत के सेनिको ने युद्ध जीत लिया तो सभी भारतवासियो कें अंग अंग मुस्कुराने लगा ।
- जब कंचन का नम्बर डॉक्टरी में आ गया तो कंचन का अंग अंग मुस्कुराने लगा ।
- किसान को जब पता चला की उसका बेटा IAS बन गया है तो किसान का अंग अंग मुस्कुराने लगा ।
- जब राहुल के घर में कन्या का जन्म हुआ तो राहुल के घर में सभी के अंग अंग मुस्कुराने लगे ।
- पंडित जी को मंदिर में खजाना प्राप्त हुआ तो पण्डित जी का अंग अंग मुस्कुराने लगा ।
अंग अंग मुस्कुराना मुहावरे पर प्रसिद्ध कहानी
दोस्तो प्राचीन समय की बात है एक छोटा सा नगर हुआ करता था । जहां पर बहुत ही भले लोग रहा करते थे । उस गाव में एक मंदिर हुआ करता था । वहां पर मंदिर की लोगो के दिलो में बडी आस्था थी और गाव के सभी लोग भगवान की पूजा करते थे । इसके साथ ही उस मंदिर में एक पंडित रहा करता था जो की समय समय पर मंदिर में पूजा पाठ करता था ।
हैरानी की बात यह थी की लोगो में मंदिर के प्रति इतनी अधिक श्रदा थी की पूजा के समय गाव के बहुत से लोग वहा पर आ जाते थे । और गाव के लोग पूजा पाठ कर कर ही अपना भौजन बनाने का काम करते थे और फिर ही भौजन करते थे ।
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इतनी अधिक भग्ति होने के कारण से उस गाव में किसी तरह का कोई कष्ट नही आया था । मगर धरती पर जो भी रहता है उसे कभी न कभी कष्टो का सामना करना पड ही जाता है और ऐसा ही कुछ उस गाव में हुआ था ।
दरसल गाव में रहने वाले लोगो के पास घर बार थे । मगर एक दिन की बात है जब लोग अपना अपना कार्य कर रहे थे की अचानक तेज हवा चलने लगी और धरती हिलने लगी थी । जिसके कारण से लोगो के पैरो के निचे से जमीन खिसकने लगी थी । मगर इससे लोगो को किसी प्रकार का कष्ट नही हुआ । मगर हानि जरूर हुई थी ।
यानि लोगो के जो घर थे वे सभी नष्ट हो गए थे । क्योकी भुकंप इतना अधिक भयानक था की लोगो के घर टूट कर जमीन पर इस तरह से फैल गए थे की मानो वहां पर किसी तरह के घर नही थे । मगर तभी लोगो की नजर मंदिर पर पडी जिसके कारण से लोग देख कर चौक कर रह गए थे । क्योकी मंदिर की एक इंट भी नही हिल पाई थी ।
मगर यह सब लोगो को कुछ अच्छा नही लगा था । जिसके कारण से लोगो ने मंदिर में भगवान से प्राथना की की भगवान आपका घर सही सलामत है मगर हमारा घर उजड गया है । यह सही नही हुआ है । अब आपको ही हमारी मदद करनी होगी । हालाकी भगवन यह तो कर नही सकते थे की वे स्वयं आकर लोगो के घर बनाने लग जाए ।
मगर एक बडा चमतकार हुआ । मगर इससे पहले ही मंदिर का पुजारी यानि पंडित ने कहा की भगवान आपकी जरूर सहायता करेगे । और कहा की जो भी मंदिर में धन होगा उसका उपयोग आपकी सहायता में होगा । यह सुन कर लोगो ने कहा की नही पंडित जी मंदिर में इतना अधिक धन नही है की गाव के सभी लोगो की सहायता हो जाए । तो आप यह सब रहने दे ।
भगवान हमारे लिए कुछ न कुछ कार्य निकाल ही लेगे । इतना कह कर लोग अपने अपने टूटे घर में चले गए । रात होने को थी मगर लोगो को कैसे निंद आ सकती थी । मगर उसी दिन मंदिर में जब पुजारी यानि पंडित सो रहा था तो भगवान उसके स्वपन में आए और कहा की पंडित मैं तुम्हारी और लोगो की भग्ति से बहुत ही प्रशन्न हूं ।
मगर जो यह कष्ट आया है यह सब प्रकृति का नियम है जिसे मैं नही रोक सकता हूं । हालाकी लोगो की मदद मैं कर सकता हूं । इतना कहने के बाद में भगवान ने कहा की मंदिर के बिचो बिच आपको एक खुदाई करनी होगी जहां पर आपको एक बडा संदूक मिलेगा और उसमें खजाना है । जिसका उपयोग कर कर लोगो को एक अच्छा घर बनाकर देना है । इतना कह कर भगवान वहां से चले गए । जब सुबह हुई तो पुजारी को यह सपना पूरी तरह से याद था ।
जिसके कारण से तुरन्त पंडित ने गाव के लोगो को बुलाया और इस सपने के बारे में लोगो को बताया । यह सुन कर लोगो ने सपने के अनुसार मंदिर के बिच में एक खड्डा किया तो उन्हे वहां पर एक संदूक तो मिल गई थी । जिसे बाहर निकाल लिया । मगर उस संदूक को खोलना आसान नही था । क्योकी संदूक पर एक बडा ताला था ।
जिसकी चाबी कहा है यह किसी को नही मालूम है । तभी पंडित ने भगवान की तरफ देखा तो उसे एक चित्र दिखाई दिया । जिसके चाबी जैसा कुछ छपा था । यह देख कर पंडित ने कहा की जरूर इस चित्र में कुछ बताया गया है । तब पंडित ने अपने ज्ञान का उपयेाग किया और चाबी को ढूंढने की कोशिश की ।
तभी पंडित जी की नजरे भगवान के चरणों के पास रखे एक पत्थर पर पडी । जिस पर इसी संदूक का चित्र था । यह देख कर पंडित समझ गया और उसने तुरन्त उस पत्थर को तोडना चाहा । और इसके लिए ओजार का उपयोग किया । फिर पंडित को एक चाबी मिल गई थी ।
जिसका उपयोग कर कर संदूर खुल गया । तभी लोगो ने देखा की काफी अधिक खजाना है जो की इस संदूर में रखा गया है । यह देख कर लोगो के अंग अंग मुसकुराने लगा था । तभी पंडित ने कहा की भगवान की इंच्छा के अनुसार सभी को धन से घर बनान कर दिया जाएगा । और फिर पंडित ने अगले ही दिन से इस काम का कार्यकाल शुरू कर दिया था ।
इस तरह से छ: महिनो में गाव के सभी लोगो के पास एक एक घर था । जो की भगवान की कृपा से बना था । यह सब देख कर लोगो के अंग अंग मुस्कुराने लगे । मगर अब लोगो की आस्था इतना अधिक बढ गई थी की वे भगवान की सेवा करने में किसी प्रकार की कोई कमी नही रखते थे ।
इस तरह से भगवान की भग्ति करने के कारण से लोगो को एक बडी खुशी प्रदान हुई थी ।
अंग अंग मुस्कुराना मुहावरे पर निबंध
साथियो खुशी वह होती है जिसके कारण से मानव अपने सारे कष्टो को भूल जाता है और सभी तरह की परेशानी से दूर हो जाता है । क्योकी खुशी जब होती है तो मानव का पूरा शरीर खील उठता है । इसी कारण से कहा जाता है की जीस कार्य में खुशी प्रदान हो उसे ही करना चाहिए ।
क्योकी जिस कार्य में खुशी होती है वह बडी अच्छी तरह से हो सकता है । इसके साथ ही वर्तमान का समय ऐसा है की मानव बहुत ही अधिक दूखी रहता है । इसका मुल कारण और कुछ नही बल्की खुशी का न होना होता है । और यही कारण है की हर कोई खुशी की तलास करने में लगा है ।
मगर खुशी तलाशने से नही मिलने वाली बल्की यह नेक कार्यों के कारण से हासिल होती है ।
मगर जब भी कुछ ऐसा कार्य किया जाए जिससे खुशी प्राप्त होती है । या यह कह सकते है की जब बहुत अधिक खुशी होती है । यानि जब मानव किसी कारण से इतना अधिक खुश हो जाता है की उसके लिए कहा जाए की वह बहुत ही अधिक खुश है तो इसे अंग अंग मुस्कुराना कहा जाता है ।
क्योकी खुशी को मुस्कुरा कर ही जाहिर किया जाता है । और जब मानव मुस्कुराता है तो उसका अंग अंग खिल उठता है । और पूरे शरीर के अंगो में खुशी की लहर दोड जाती है । जिसके कारण से ही बहुत अधिक खुश होने को अंग अंग मुस्कुराना कहा जाता है । जो की आप भली प्रकार से समझ गए होगे ।
क्या आपके जीवन में भी ऐसा समय आया है जब आपका अंग अंग मुस्कुराने लगा हो? बताना न भूले ।
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