‌‌‌चेहरे का रंग पीला पड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

चेहरे का रंग पीला पड़ना मुहावरे का अर्थ chehre ka rang pila padna muhavare ka arth – घबरा जाना ।

दोस्तो जब कोई व्यक्ति किसी अन्य से ऐसी बाते कहता है जो की झुठी बाते होती है । मगर जब वह व्यक्ति झुठी बाते कहते हुए पकडा जाता है तो वह घबरा जाता है । तब कहा जाता है की झुठ पकडा जाने के ‌‌‌कारण से घबराहट के मारे उसका चेहरा का रंग पीला पड जाता है।

और इसी तरह से जब अन्य कार्यों के कारण से घबरा जाने की बात होती है तो चेहरा का रंग पीला पड जाता है । इसी कारण से इस मुहावरे का अर्थ घबरा जाना होता है और जहां पर घबरा जाने की बात होती है वही पर इस मुहावरे का वाक्य प्रयोग किया जाता है।

‌‌‌चेहरे का रंग पीला पड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

चेहरे का रंग पीला पड़ना ‌‌‌मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

  • जब राहुल अपने पिता के पैसे चुराते हुए पकडा गया तो उसके चेहरे का रंग पीला पड़ गया ।
  • कुलदिप की धम्मकी सुन कर राहुल के चेहरे का रंग पीला पड़ गया ।
  • अपने सामने जंगली शेर को देख कर प्रताब के चेहरे का रंग पीला पड़ गया और वह अपना प्राण बचा कर भागने लगा ।
  • राजा सुरजमल को ‌‌‌अपनी सेना पर हावी होते देख कर कालूराम के चेहरे का रंग पिला पड गया ।
  • जंगल में तरह तरह की आवाज सुन कर राहुल के चेरहे का रंग पिला पड़ गया ।
  • रात के अंधेरे में रिया अकेले घर आ रही थी तो उसके चेहरे का रंग पिला पड़ गया था ।
  • ‌‌‌आवारा गुंडो को देख कर ‌‌‌डेजीएमलिन के चेहरे का रंग पिला पड़ गया ।

‌‌‌चेहरे का रंग पिला पडना मुहावरे पर कहानी

‌‌‌दोस्तो कुछ वर्षों पहले की बात है एक बहुत बडा शहर हुआ करता था और वहा पर एक लडकी रहती थी । दरसल उसका नाम ‌‌‌डेजीएमलिन था जो की एक बहुत ही बडे शहर में रहा करती थी । ‌‌‌डेजीएमलिन कॉलेज में अध्ययन करती थी और वह उस शहर से काफी अधिक अनजान थी क्योकी ‌‌‌उसका घर उस शहर में नही था बल्की वह दूसरे शहर से वहां पर अध्ययन करने के लिए आई थी ।

मगर ‌‌‌डेजीएमलिन कॉलेज के साथ साथ बैंक की नोकरी की तैयारी भी करती थी जिसके कारण से जब उसका कॉलेज का समय खत्म हो जाता है तो श्याम के 6 बजे कॉचिंग करने के लिए जाया करती थी । शर्दी का समय था जिसके कारण से 6 बजे ‌‌‌अंधेरा हो जाता था । और कॉचिग भी तीन घंटे चला करती थी । जिसके कारण से उसे अपने घर में जाते समय काफी अधिक समय बित जाता था ।

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क्योकी जहां कॉचिग 9 बजे छूटता तो वह 1 घंटा और मोज मस्ती में अपनी सहेलियो के साथ बिता दिया करती थी । इसके बाद जब वह अपने घर में जाती तो एक घंटा और बित जाता था । ‌‌‌क्योकी उसके साथ उसकी दो सहेलिया और भी थी जिसके कारण से वे रास्ते में पैदल यात्रा करती हुई अपने रूम तक जाती थी ।

इतना अधिक समय बित जाने के बाद में उन्हे कोई वाहन भी नही मिल पाता था । मगर क्या करती बिचारी बैंक में नोकरी के लिए यह सब करना पडता था । इस तरह से उसे कॉचिग करते हुए एक ‌‌‌महिने से भी अधिक हो गया था । मगर उसे अभी तक किसी तरह की परेशानी का सामना नही करना पडा था ।

मगर एक दिन क्या हुआ की ‌‌‌डेजीएमलिन की दोनो सहेलियो में से एक अपने गाव चली गई थी और दूसरी ‌‌‌बीमार हो गई थी । जिसके कारण से ‌‌‌डेजीएमलिन अकेले ही कॉचिग करने के लिए गई थी। वहां पर हमेशा की तरह ही अधिक समय बित गया ‌‌‌था । मगर ‌‌‌डेजीएमलिन ने नही सोचा की मैं अकेली हूं तो आज ज्यादा समय नही बिताना चाहिए ।

बल्की वह सोचने लगी की मैं कोई ऑटो लेकर अपने रूम तक पहुंच जाउगी । मगर ‌‌‌डेजीएमलिन अपने दोस्तो के साथ बाते करने लगी थी जिसके कारण से समय बित गया और हमेंशा की तरह ही समय हो गया था ।

जब ‌‌‌डेजीएमलिन अपने रूम के लिए जाने लगी तो ‌‌‌उसने देखा की कोई ऑटो आ रहा है की नही । मगर ‌‌‌डेजीएमलिन को कोई ऑटो दिखाई नही दिया था । इस तरह से लगभग आधा घंटा बित गया था । मगर तभी ‌‌‌डेजीएमलिन को एक ऑटो दिखाई दिया तो ‌‌‌डेजीएमलिन ने उसे रूकाया और अपने मकान तक जाने के लिए पूछा ।

जिसे सुन कर ऑटो वाले ने मना कर दिया और कहा की मैं उधर नही जाता हूं । जिसके कारण ‌‌‌से ‌‌‌डेजीएमलिन ने उसे ज्यादा पैसे लेने को भी कहा मगर वह नही माना और वहां से चला गया । कुछ समय बित जाने के बाद मे भी जब ‌‌‌डेजीएमलिन को ऑटो नही मिला तो वह अकेले ही अपने मकान के लिए पैदल ही जाने लगी थी ।

मगर उसे अभी भी ऑटो नही मिला था । इसका मूल कारण केवल यही था की समय अधिक हो रहा था जिसके कारण से सभी ‌‌‌अपने अपने घर चले गए थे । अब रात के 11 बजने को थे और अंधेरा भी अधिक था । जिसके कारण से ‌‌‌रास्ते के अलावा कुछ दिखाई नही दे रहा था ।

यह सब देखने के बाद में ‌‌‌डेजीएमलिन को अंदर ही अंदर डर लगने लगा था और वह डर के मारे घबराने लगी थी । कुछ दुरी पर जाने के बाद में उसे एक कुत्ता भौकता हुआ दिखाई दिया । जिसकी ‌‌‌आवाज सुन कर ‌‌‌डेजीएमलिन काफी अधिक डर गई और वह डर के मारे जल्दी जल्दी अपने मकान की तरफ जाने लगी थी । 

इस तरह से जब ‌‌‌डेजीएमलिन अपने मकान के नजदिक पहुंचने को थी तभी उसे कुछ लडके रास्ते पर दिखाई दिए । ‌‌‌जिन्होने दारू की बोतल अपने हाथ में ले रखी थी और कभी पी रहे थे तो कभी उल्टी सिधी बाते कर रहे थे । ‌‌‌यह सब देख कर ‌‌‌डेजीएमलिन के चेहरे का रंग पिला पड़ गया ।

और वह अपनी नजर निचे कर कर जल्दी जल्दी अपने मकान की तरफ जाने लगी थी । मगर उन लडको ने ‌‌‌डेजीएमलिन को जैसे ही दिखा तो ‌‌‌डेजीएमलिन और अधिक घरा गई और वह अपने मकान की तरफ दोड पडी । मगर उन लडको ने ‌‌‌डेजीएमलिन को कुछ नही कहा बल्की वे इसी तरह से रास्ते पर दारू पी रहे ‌‌‌थे ।

कुछ समय के बाद में ‌‌‌डेजीएमलिन अपने मकान पर पहुंच गई थी और वह काफी अधिक थक गई थी जिसके कारण से जोर जो से सांस ले रही थी । जिसे देख कर ‌‌‌डेजीएमलिन की सहेली ने पूछा की क्या हुआ ‌‌‌डेजीएमलिन ।

तब ‌‌‌डेजीएमलिन ने अपनी सहेली से पानी मागा और पानी पी कर अपनी सहेली को पूरी बात बताई और कहा की आज तो मेरे चेहरे का रंग ‌‌‌पीला पड गया था । तब ‌‌‌डेजीएमलिन की सेहेली ने कहा की तुम्हे स्वयं ही सोचना चाहिए था की आज मैं अकेली हूं तो मकान पर जल्दी चला जाना चाहिए ।

तब ‌‌‌डेजीएमलिन ने कहा की बहन आज के बाद में मैं ऐसा नही करूगी । बल्की हम हमेशा ही कोचिग से छूटने के बाद में घर आ जाएगे ।

इस तरह से ‌‌‌डेजीएमलिन और ‌‌‌डेजीएमलिन की दोनो सहेली जैसे ‌‌‌ही कोचिग से छूटती तो तुरन्त अपने मकान के लिए निकल जाती थी और अपने दोस्तो के साथ बात चित नही करती थी । इस तरह से फिर ‌‌‌डेजीएमलिन ‌‌‌और उसकी सहेली ने कभी भी 10 बजे से अधिक समय अपने मकान पर पहुंचने में नही लगाया ।

‌‌‌चेहरे का रंग पिला पडना मुहावरे पर कहानी

‌‌‌कहानी का निषर्क

दोस्तो यह कहानी बताती है की ‌‌‌डेजीएमलिन अकेले होने के कारण से बहुत ही अधिक डर गई और जिससे वह घबराती जा रही थी । हालाकी यह सब उसका अधिक समय तक रूकने के कारण से हुआ था । मगर ऐसा नही करना चाहिए क्योकी जब भी कोई काम पूरा हो जाता है तो तुरन्त वहां से निकल जाना चाहिए । खास कर रात के ‌‌‌समय में ।

चेहरे का रंग पिला पड़ना मुहावरे पर निबंध

साथियो ‌‌‌डेजीएमलिन की तरह हमारे जीवन में भी ऐसे बहुत से पल आते है जब हम बहुत ही अधिक डर जाते है और घबरा जाते है। जिस तरह से हमने एक कहानी में बताया की जंगल से जाने पर किस तरह से घबराता है और वही रात में तरह तरह की आवाज सुन कर डर जाना और घबरा जाना ‌‌‌।

इस तरह से हमारे जीवन में वह असल में भी होता है । और इसके अलावा भी बहुत से कारण है जब हम काफी अधिक घबरा जाते है और इतने अधिक घबरा जाते है की हम अंदर से कापने लग जाते है ।

इस तरह से जब कभी घबराने की बात होती है या घबरा जाने की बात होती है वहां पर चेहरे का रंग उडना कहा जाता है । क्योकी ‌‌‌चेहरे का रंग उडना मुहावरे का अर्थ घबरा जाना ही होता है।

इस तरह से घबरा जाने का कोई एक कारण नही होता है बल्की किसी भी कारण से घबरा सकते है और वहा पर इस मुहावरे का प्रयाग किया जा सकता है ।

जिस तरह से अगर हम एक चोर की बात करे तो ‌‌‌वह पुलिस को देख कर डर जाता है और घबरा जाता है । जिसके कारण से चोर से गलती हो जाती है और वह पकडा जाता है । तो वहां पर भी इस मुहावरे का प्रयोग कर सकते है ।

इस तरह से आप इस मुहावरे के बारे में अच्छी तरह से जान गए होगे ।

मैं आसा करता हूं की आप अपने जीवन में इस मुहावरे को कभी नही भूल पाओगे ।

अगर ‌‌‌कुछ पूछना हो तो कमेंट बॉक्स ‌‌‌आपके प्रशन का इंतजार कर रहा है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।