हाहाकार मचाना मुहावरे का मतलब और कहानी व वाक्य में प्रयोग

हाहाकार मचाना मुहावरे का अर्थ hahakar machana muhavare ka arth – उधम मचाना, शोर शराबा मचाना, ‌‌‌हंगामा मचाना

‌‌‌दोस्तो आपने अपने स्कूल जीवन में देखा होगा या देख रहे होगे की जब भी शिक्षक कलाश से बाहर चला जाता है तो बच्चे बहुत ही ‌‌‌अधिक शोर शराबा करने लग जाते है । जिसके कारण से शिक्षक वापस कलाश में आकर कहता है की मैं कुछ समय के लिए बाहर क्या चला गया तुम सब ने तो हाहाकार मंचा दिया ।

इस तरह से ‌‌‌शोर शराबा मचाने को हाहाकार मचाना कहा जाता है । क्योकी हंगामा होने पर शोर शराबा होता है तो इसे भी हाहाकार मचाना कहा जा सकता है । उसी तरह से हंगामा मचाना या शोर शराबा करने को उधम मचाना भी कहते है । इस कारण से हाहाकार मचाने का अर्थ उधम मचाना, शोर शराबा मचाना, हंगामा मचाना होता है ।

हाहाकार मचाना मुहावरे का मतलब और कहानी व वाक्य में प्रयोग

हाहाकार मचाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग use of idioms in sentences

  • शिक्षक कुछ समय के लिए कक्षा से बाहर क्या चला गया बच्चो ने तो हाहाकार मचा दिया ।
  • अध्यापक को परेशान करने के लिए विधार्थीयो ने हाहाकार मचा दिया ।
  • प्रताबसिंह की बात सुन कर गाव के लोगो ने हाहाकर मचा दिया ।
  • जब लोगो पर अन्याय होते देखा तो मिडिया ‌‌‌ने हाहाकर माचा दिया ।
  • जब कंचन को कार वाले ने टक्कर दे दी तो लोगो ने तुरन्त हाहाकार मचा दिया ।
  • ताडकासुर के आंतक के कारण से देवताओ में हाहाकर मच गया ।
  • ‌‌‌एक बार फिर से कोरोना के कारण से लोगो में हाहाकर मच गया ।
  • ‌‌‌किसान बिल को लेकर किसानो ने दिल्ली में हाहाकार मचा रखा है ।

‌‌‌हाहाकार मचाना मुहावरे पर कहानी story on idiom

प्राचीन समय की बात है एक नगर हुआ करता था जो की किसी नदी के किनारे पर था । वहां पर जो नदी का पानी हुआ करता था वह काफी अधिक बहता था जिसके कारण से लोगो को काफी अधिक फायदा होता था क्योकी वे आराम से अपनी ‌‌‌फसल को उगा सकते थे और अच्छी तरह से सिंचाई कर सकते थे । ‌‌‌

जिसके कारण से लोग काफी अधिक खुश रहा करते थे । मगर लोगो के घर नदी से काफी अधिक दूर हुआ करते थे । जिसके कारण से लोगो को एक परेशानी का सामना करना पडता था और वह पानी का था । क्योकी जहां लोगो के घर थे वहां पर पानी नही था बल्की नदी का पानी ही था जो की घरो से दूर होने के कारण से लोगो को कुछ ‌‌‌कठिनाईयो का सामना करना पडता था ।

जिसके कारण से लोग अपने सुख के कारण धिरे धिरे नदी के पास अपने घर बनाने लगे थे । उस नगर में एक व्यक्ति रहा करता था जो की काफी अधिक ‌‌‌पढा लिखा था और उसे बहुत ही अधिक ज्ञान था । जिसका नाम कालूराज था ।

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कालूराज को इतना अधिक ज्ञान होने के बाद भी वह नोकरी नही लग ‌‌‌सका जिसके कारण से बच्चो से लेकर बडे तक उसकी बातो को सुनना पसंद नही करते थे । बल्की वह जब भी कुछ कहता तो लोग शोर शराबा मचाने लग जाते थे । और इसी तरह से जब लोग नदी के पास अपना घर बनाने लगे तो कालूराज ने लोगो को कहा की आप नदी के किनारे घर न बनाए ।

मगर इतनी ही बात लोगो ने सुनी और सुन कर इधर उधर ‌‌‌चले जाते थे । कुछ समय के बाद में एक मिटिग हुई थी तब गाव के सभी लोग वहां पर थे । तभी मोके का फायदा उठा कर कालूराज ने लोगो को अपनी बात कहने का कदम उठाया और वह लोगो को अपनी बाते कहने लगा की आप सभी नदी के किनारे घर न बनाए ।

यह सुन कर कुछ लोग शोर करने लगे थे जिसे देख कर बाकी भी करने लगे थे । मगर ‌‌‌कालूराज ने फिर से लोगो को कहा की आप सभी कुछ समय के लिए चुप रहो । मगर लोगो ने बात नही सुनी जिसके कारण से कालूराज ने कहा की आज तुम मेरी बात नही सुन रहे हो मगर एक दिन ऐसा आएगा तब आपको पता चल जाएगा की मैं जो कहना चाहता था वह आपके लिए ही सही था । ‌‌‌

मगर कालू की बाते किसी ने नही सुनी बल्की सभी शोर शराबा करते जा रहे थे । अगले ही दिन गाव के सेठ ने कालूराज को अपनी हवेली पर किसी काम के लिए बुला लिया । तब कालूराज ने सेठ से कहा की सेठजी मैं आपको एक बात कहना चाहता हूं और वह यह है की नदी के किनारे घर नही बनाना चाहिए ।

यह सुन कर सेठ ने भी कहा ‌‌‌की कालू जाने दो तुम क्यो बेमतलब की बाते कर रहे हो। तब कालूराज ने कहा की सेठजी अगर सभी लोग वहां पर घर बना लेगे और कभी नदी का पानी तेज हो जाएगा तो सभी के घर पानी में बह जाएगे । मगर सेठ ने भी उसकी बात पर गोर नही किया । बल्की वह भी यही सोचता था की कालू ऐसे ही बकवास कर रहा है ।

‌‌‌जैसे जैसे समय बितता जा रहा था लोग धिरे धिरे नदी के किनारो पर अपना घर बनाने लगे थे । यह सब देख कर कालू लोगो को बताने के लिए घर घर जाने लगा । और लोगो को कहने लगा की नदी के किनारे घर बनाओगे और जब नदी का पानी बढ जाएगा तो सब कुछ नष्ट हो जाएगा ।

मगर कुछ लोग उसकी बात सुन लेते और कुछ लोग उसे देखते ‌‌‌ही अपने घर का दवाजा बंद कर लेते थे । यह सब देख कर कालू को पता चल गया की लोग मेरी बात नही मानने वाले है । कुछ समय के बाद में दिपावली का समय आया जिसके कारण से लोग फिर से एक स्थान पर इकट्ठा हो गए ।

और इसी बात का फायदा कालूराज ने उठाया और लोगो को कहा की नदी के किनारे घर बनाओगे तो कभी पानी के साथ ‌‌‌आप सब का घर बह जाएगा । मगर इतना ही लोगो ने सुना और फिर सभी शोर करने लगे थे ।

जिसके कारण से कालूराज ने कहा की आज आप मेरी बात सुनते ही हाहाकार मचा रहे हो मगर एक दिन आएगा तब आपको पता चल जाएगा की कालूराज सही था । इस तरह से कालूराज ने लोगो को चेतावनी देने की काफी अधिक कोशिश की मगर किसी ने उसकी ‌‌‌बात नही मानी थी ।

एक वर्ष बित गया और अब सभी लोग नदी के किनारे रहने लगे थे । मगर कालू अपने पहले वाले स्थान पर ही था और नदी से काफी दूर । वहा पर कालू का ही घर था । यहां तक की गाव का सेठ भी नदी के किनारे रहने लगा था ।

मगर ‌‌‌दिपावली के दो महिनो के बाद में ‌‌‌एक दिन लोगो ने देखा की नदी का पानी बढ रहा है ।  देखते ही ‌‌‌देखते पानी का बहाव इतना अधिक हो गया की वहां जो भी घर थे वह पानी के साथ बह गए । यहां तक की लोग भी पानी में डूबने लगे थे ।

 जिसको तैरना आता था वह किसी तरह से पानी से बाहर निकल गया और जीसको तैरना नही आता था वह पानी के साथ दूर जाकर किसी पेड को पकड कर बाहर निकलने लगा था । इस तरह से वहां पर जो ‌‌‌घर थे वे सभी नष्ट हो गए थे । यहां तक की लोगो का धन और अन्न भी पानी के साथ बह गया था ।

अब केवल कालू ही एक ऐसा बचा था जिसका नुकसान नही हुआ था । यह सब जब गाव के लोगो ने देखा तो उन्हे समझ में आ गया की कालू जो कह रहा था वह सही था । तभी कालू लोगो के पास आ गया और जोर जोर से हसने लगा और लोगो से कहने ‌‌‌लगा की मेने आपको पहले ही चेतावनी ‌‌‌दी थी की पानी का बहाव कभी भी बढ सकता है और आपके घर नष्ट हो सकते है ।

मगर मैं अपने जीवन में कुछ नही कर सकता तो आपने मेरी बात नही मानी बल्की मै जब भी कहता तो आप लोग हाहाकार मचाने लग जाते थे । यह सब सुन कर लोग अपनी गर्दन झुकाने लगे थे और अब न ही लोग शोर शराबा कर रहे ‌‌‌थे ।

क्योकी लोगो को समझ में आ चुका था की कालूराज की बात नही सुनी तभी आज यह सब हो गया । वरना हम भी कालू की तरह सही सलामत रहते थे । तभी कुछ लोगो के पास सुचना पहुंची की पास के गाव में एक बांध था जो की टूट गया था और इसी कारण से पानी का बहाव इतना अधिक हो गया है।

‌‌‌यह सुन कर लोगो ने कहा की हमे कालूराज की बाते पहले ही सुन लेनी चाहिए थी मगर हम तो हाहाकर मचा देते थे । इस तरह से लोग फिर अपनी गलती पर शर्मिंदा होने लगे थे । इस घटना के बाद में लोग तो अपने घर वापस पहले वाले स्थान पर ही बनाने लगे थे । मगर नतीजा यह हुआ की लोग सभी की बात आराम से सुनते थे किसी की बात ‌‌‌को न सुनने के लिए हाहाकार नही मचाते थे ।

इस तरह से इस कहानी से आप मुहावरे के बारे में जाने होगे ।

‌‌‌हाहाकार मचाना मुहावरे पर कहानी story on idiom

‌‌‌हाहाकार मचाना मुहावरे पर निबंध

साथियो जैसा की आपको मालूम है की जब मनुष्य अपने मुंह से जोर जोर से हा हा कर कर हंसता है तो हाहा की तरह ध्वनी आती है और इस तरह से ध्वनी आने के कारण से काफी अधिक शोर सराबा भी होता है । जिसके कारण से इस तरह से शोर शराबा होने को हाहाकार मचाना कहा जाता है ।

मगर ‌‌‌आपको यह भी मालूम है की शोर शराबा केवल हंसने के कारण से तो होता नही है बल्की यह किसी भी कारण से हो सकता है । जैस भीड के जोर जोर से बोलने के कारण से शोर शराबा होना । इस तरह से उसे भी हाहाकार मचाना कहा जा सकता है ।

ठिक उसी तरह से कलाश ‌‌‌रूम में विद्यार्थी जब जोर जोर से बोलने लग जाते है तब भी काफी ‌‌‌अधिक शोर शराबा होता है । तो उसे भी हाहाकार मचाना कहा जा सकता है । मगर सभी जगह शोर शराबा कहा जाए यह नही कह सकते है ।

क्योकी जब हंगामा होता है तब भी शोर शराबा अधिक होता है । जिसके कारण से हंगामा होने को भी हाहाकार होना कहा जाता है । इस तरह से हाहाकार होना मुहावरे का अर्थ भी शोर शराबा होना, ‌‌‌या हंगामा होना कहा जाता है ।

इस तरह से जहां पर शोर शराबा होना या हंगामा होने की बात होगी वही पर इस मुहावरे का प्रयोग होता है और होता रहेगा ।

इस तरह से मैं आसा करता हूं की आप इस मुहावरे को अच्छी तरह से समझ गए होगे । जिसके कारण से आप अपने जीवन में इस मुहावरे को नही भूल पाओगे ‌‌‌।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।