आंसू बहाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

आंसू बहाना मुहावरे का अर्थ aansu bahana muhavare ka arth— बहुत विलाप करना।

दोस्तो आपने देखा होगा की मानव जब विलाप करता है तो उस स्थिति के अंदर मानव की आंखो से कुछ पानी जैसा तरल निकल आता है और इसे आंसू कहा जाता है । क्योकी यह सब रोने के कारण से ही होता है और रोने को ही विलाप करना कहा जाता है ।

मगर जब बहुत अधिक रोया जाता है या बहुत अधिक विलाप किया जाता है तो उस स्थिति के अंदर आंसू बहुत बहते रहते है । और इसी तरह से आंसू बहाने का मतलब बहुत विलाप करना होता है ।

आंसू बहाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

आंसू बहाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || aansu bahana   use of idioms in sentences in Hindi

1.   पत्नी के मर जाने पर सुरज ने खुब आंसू बहाए ।

2.   बेटी के स्वर्ग सिधार जाने पर मां उसकी यांद में उम्र भर आंसू बहाती रही ।

3.   छोटे से खेल में रामू को छोटी सी चोट लग गई और रामू आंसू बहाने लगा ।

4.   क्रिकेट के खेल में सज्जन को चोट क्या लग गई वह तो आंसू बहाने लगा ।

5.   कंचन ने होमवर्क नही किया था तो अध्यापक ने उसे डाट दिया और इतने में कंचन आंसू बहाने लगी ।

6.   बाबूल का घर छोड़ते समय रजनी ने खुब आंसू बहाए ।

7.   राजीव की कंपनी में आग लग गई और सब कुछ नष्ट हो गया तो राजीव आंसू बहाने लगा मगर अब क्या हो सकता था ।

आंसू बहाना मुहावरे पर कहानी || aansu bahana  story on idiom in Hindi

दोस्तो एक गाव हुआ करता था जहां पर एक स्कूल था और वह जो स्कूल था वह सच में एक अच्छा स्कूल था और वहां पर काम करने वाले जो अध्यापक थे वे भी नेक दिल थे क्योकी वे अध्यापक हमेशा बच्चो के लिए कुछ अलग करने की हिम्मत रखते थे और हमेशा नए नए खेलो में बच्चो को शामिल करते रहते थे ।

और इन सबका श्रेय वहां पर रहने वाले राजीव सर को ही जाता था क्योकी वे ही पीटीआई थे और उन्होने ही यह सब शुरू किया था । जिसके कारण से बहुत से बच्चो ने तरह तरह के खेलो में भाग ही नही लिया बल्की स्कूल का नाम रोशन भी किया था और इसी तरह से एक बार की बात है ।

 आस पास सभी आने वाले दो महिने के बाद में क्रिकेट का मैंच होने वाला था तो राजीव सर ने सोचा की इस बार हमारे स्कूल को टॉप आना है और इसी बात को सोचने के बाद में राजीव ने सभी अध्यापको से बात की और स्कूल में बच्चो को क्रिकेट खलेने को कहा ।

मगर यह सुन कर बच्चो ने कहा की यह क्रिकेट किस चिड़िया का नाम है हमे तो पता ही नही यह सुन कर राजीव सर ने अपना माथा मकड़ लिया । मगर फिर सोचा की अभी तो दो महिने बाकी है सभी तैयारी कर सकते है

इस कारण से राजीव सर ने कहा की क्रिकेट एक खेल है और इस तरह से कहने के बाद मे क्रिकेट के बारे में जानकारी दी और अंत में कहा की जो भी इस खेल में भाग लेना चाहता है वह स्कूल की छुट्टी होने के दो घंटे तक स्कूल में ही रहेगा और तैयारी करेगा ।

 हालाकी इस खेल के बारे में बच्चो को ज्यादा तो पता नही था मगर सभी मान गए और सभी इस खेल को खेलने के लिए तैयार हो गए और यह सब देखने के बाद में राजीव सर खुश हुए क्योकी बच्चो को खेलना पसंद आ रहा था ।

मगर समस्या यह थी की इतने बच्चो को एक साथ क्रिकेट के खेल को खिलाना था तो राजीव सर ने एक योजना बनाई और दो टीम तैयार की और दोनो को कुल 10 दिन खेल के बारे में बताया और फिर तीन दिन के लिए सभी को खेल के बारे में जानकारी ली और आपस में मुकाबला ​करवाया था ।

इसके बाद में जो राजीव सर को बेस्ट लग रहे थे उन 35 खिलाड़ियो का चुनाव किया और बाकी सभी को कहा की आप सभी को खेल में भाग नही मिलेगा मगर खेल को देखने को मोका मिलेगा और दो महिने बाद सभी को खेल सिखा दिया जाएगा । इस तरह से कहने पर बच्चे भी नाराज और उदाश नही हुए ।

अब कुल 35 बच्चो को खेल खिलाना शुरू कर दिया और टीम को क्रिकेट के लिए तैयार करना शुरू कर दिया । इस तरह से उन 35 बच्चो में से एक सज्जन नाम कर कर लड़का था जो की खेलने में काफी होशियार था और करीब एक महिने के बाद की बात है एक दिन सज्जन को खेलते समय चोट लग जाती है और इस कारण से सज्जन जो था

वह आंसू बहाने लगा और यह सब देख कर राजीव सर ने उसे संभाला और कहा की अगर खेलना पसंद है तो चोट का सामना करना होगा क्योकी यह छोटी मोटी चोट तो एक नहीबल्की कई लगने वाली है और सज्जन ने यह सुन कर हिम्मत की मगर चोट के कारण से भारी घाव हो गया और उससे चला नही गया ओर इस घटना के बाद में वह करीब 5 दिनो तक इसी तरह से चोट से ग्रसीत रहा और खेल न सका ।

 मगर जब चोट ठिक हुई तो खेल में भाग लिया और सभी बच्चो से श्रेष्ठ बन गया और यह देखकर राजीवन सर खुश थे क्योकी उन्हे इसी तरह के बच्चे चाहिए थे । और इस महिने के अंत में कुल 11 खिलाड़ीयो का चुनाव करना था मगर साथ में 3 और खिलाड़ीयो का चुनाव किया गया जिनमे से सज्जन सबसे पहले नम्बर पर और पूरी टीम का कप्तान था ।

और अपनी पूरी टीम को कंट्रोल करने की जिम्मेदारी मिली । अब अगले दिन की बात है सभी खेलने के लिए चले गए । आस पास के स्कूलो की कई टीम आई थी और सभी का सामना करना था और इसी तरह से चलता रहा ।

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मगर करीब आधा दिन बित जाने के बाद में राजीव सर की टीम की बारी और और इस तरह से सज्जन जो कप्तान था उसने अपनी टीम को को खेलने के बारे में बताया और  इस तरह से खेल शुरू हुआ था इस तरह से खेलते समय बिच में सज्जन फिर से गिर गया मगर इस बार उसने आंसू बहाए नही और वह ​खड़ा होकर खेलने लगा और अपनी पूरी टिम को विजेता बना लिया ।

आंसू बहाना मुहावरे का अर्थ

और विजेता बनने के बाद में राजीव सर ने सज्जन के घाव को देखा तो पता चला की घाव भारी है मगर फिर भी इसने आंसू बहाए नही और यह देख कर सर खुश हुए और सज्जन को शाबासी देकर अपनी पूरी टीम के विजेता होने की खुशिया मनाने लगे । अंत में राजीव सर की टीम को इनाम मिला और फिर सभी अपनी स्कूल में आ गए । और इस तरह से दोस्तो टीम विजेता बनी ।

तो दोस्तो कहानी में आंसू बहाना मुहावरे के अर्थ के बारे में समझाने की कोशिश की है अगर आपको अर्थ समझ में आया तो कमेंट में बताना ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।