घुटने टेकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

घुटने टेकना मुहावरे का अर्थ ghutne tekna muhavare ka arth – हार मान लेना ।

दोस्तो पहले जब राजा का कोई विरोध करता था तो राजा अपनी सेना को आदेश देता था की उस विरोधी व्यक्ति को पकड़ कर हमारे सामने लेकर आ जाओ । और इस तरह से कहने पर सेनिक उस राजा विरोधी व्यक्ति को पकड़ने के लिए जाते थे । तो इस स्थिति में पहले तो वह राजा विरोधी व्यक्ति सेनिको से लड़ता है मगर अंत में सेनिक उसे पकड़ कर राजा के सामने लेकर आ जाते है ।

अब राजा विरोधी को पता चल जाता है की वह राजा का कुछ बिगाड़ नही सकता है तो इस स्थिति में वह अपनी गलती मानते हुए हार मान लेता है और इस स्थिति में वह राजा के सामने घुटने टेक देता है । और इसी तरह से अंग्रेजो का जो सामना नही कर पाता था वह उनके सामने घुटने टेक देता था जिसका मतलब है की उसने हार मान ली है ।

तो इस तरह से घुटने टेकना मुहावरे का सही अर्थ हार मान लेना होता है ।

घुटने टेकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

घुटने टेकना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग ||  ghutne tekna use of idioms in sentences in Hindi

1.        हम दुश्मनो के सामने घुटने टेकने वालो में से नही है ।

2.        मराठा मरते दम तक दुश्मनो का समाना करेगा मगर घुटने टेकेगा नही ।

3.        जब इंडियन आर्मी मैंदान में उतरती है तो अच्छे अच्छे दुश्मन घुटने टेक देते है ।

4.        पाकिस्तान जब इंडियन आर्मी का सामना नही कर पाया तो घुटने टेक दिया ।

5.        अंग्रेजो ने भारत पर कई वर्षों तक राजा किया मगर अंत में उन्हे भारत के लोगो के सामने घुटने टेकने पड़ गए ।

6.        कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को भारत के सामने घुटने टेकने पड़ गए ।

7.        प्रणवीर पहलवान के सामने तो शहर के अच्छे अच्छे पहलवान घुटने टेक देते है तो फिर आप क्या चिज हो ।

8.        सफलता के बिच में आने वाली समस्याओ को देख कर हमे घुटने टेकने नही चाहिए बल्की उनका सामना करते हुए सफलता हासिल करनी चाहिए ।

9.        भगवान श्री कृष्ण जी के सामने तो अच्छे अच्छे घुटने टेक देते है ।

10.      देश में पहुंचे आतंकवादियो का समाना जब फोजी भाई से हुआ तो आतंकवादियो को घुटने टेकने पड़े ।

11.      जंता के आगे सरकार को भी घुटने टेकने पड़ जाते है तो फिर तुम तो एक मामूली सरपंच हो ।

घुटने टेकना मुहावरे पर कहानी || ghutne tekna story on idiom in Hindi

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है एक छोटा सा राज्य हुआ करता था जहां पर रहने वाला राजा मगर छोटा नही था बल्की वह तो एक ऐसा राजा था जो की अपनी भुजाओ में बल भरे हुए रखता था और इसी कारण से उसने जल्द ही अपने छोटे से राज्य को बड़ा राज्य बना लिया था ।

क्योकी आस पास जो भी राज्य थे उन पर हमला करता गया और उन्हे अपने राज्य में सामिल करता गया । दरसल हम बात सूर्यप्रताप सिंह की कर रहे है जो की पहले के समय में काफी महान और बलवान राजा हुआ करते थे ।

हमारे यहां पर सूर्यप्रताप सिंह राजा के बारे में हर कोई जानता है । की उन्होने एक बार अपने दुश्मनो को इस तरह से हराया की दुश्मनो को घुटने टेकने पड़ गए थे ।

दरसल सूर्यप्रताप सिंह राजा जो था वह अब काफी बड़ा राजा बन चुका था तो वह अपने राज्य को बढाने के लिए हमेशा कुछ नया करने की योजना में रहता था और इसी कारण से उसे पता चला की एक ऐसा भी राज्य है जो की काफी बलवान है और बढा भी है ।

 मगर राजा सूर्यप्रताप को यकिन न था की वे उन्हे रहा सकते है । मगर तभी सूर्यप्रताप सिंह को पता चला की वह राजा तो उन पर हमला करने की योना बना रहा है । दरसल उस राजा को डर लग रहा था की अगर राजा सूर्यप्रताप सिंह इसी तरह से आगे बढता रहा तो वह दिन दूर नही होगा जब राजा सूर्यप्रताप सिंह उनके राज्य पर भी हमला करेगा और उसे अपना गुलाम बना लेगा ।

और इसी कारण से वह राजा एक योजना बनाने लगा की वह राजा सूर्यप्रताप सिंह के हमला करने से पहले ही उन पर हमला कर कर उन्हे हार कर सामना करवा देगा । मगर उन्हे पता नही था की यह इतना आसान नही होगा ।

 क्योकी अब राजा सूर्यप्रताप के पास भी एक बड़ी सेना हो चुकी थी और वे बलवान काफी हो गए थे । मगर अब युद्ध काफी मजेदार होने वाला था । कुछ ही दिनो में युद्ध शुरू हो गया और इधर तो वह राजा युद्ध के लिए अपनी सेना को लेकर आ गया

और उनका स्वागत करते हुए राजा सूर्यप्रताप सिंह ने भी अपनी सेना को युद्ध भुमी में उतार दि और अब घमासाम युद्ध होना शुरू हो गया । युद्ध में जो सेनिक थे उनकी मोत हो रही थी मगर राजा और राजा सूर्यप्रताप को इस बात से कोई लेना देना नही था ।

मगर फिर राजा सूर्यप्रताप सिंह की सेना ने पता नही मन ही मन क्या योजना बना ली सभी ने एक बड़ा घेरा बना लिया और सभी उसी घेरे के साथ में आगे बढने लगे जिसके कारण से जो विपक्ष राजा की सेना थी उनकी मृत्यु होती जा रही थी

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 और इसी तरह से चलने के कारण से पल भर में विपक्ष राजा की सेना की मृत्यु होने लगी अब धरती का रंग भुरे से लाल होने लगा था और अब यह सब देख कर विपक्ष राजा हिल कर रह गया और उसने फिर राजा सूर्यप्रताप पर हमलो पर हमला करना चाहा मगर यह भी इतना आसान नही था

क्योकी राजा ने केवल एक ही तीर चलाया था ओर वह जाकर विपक्ष राजा के पेर में लग गया जिसके कारण से विपक्ष राजा समझ गया की इन्हे हराना आसान नही होगा और अब राजा सूर्यप्रताप के सामने विपक्ष राजा ने अपने घुटने टेक दिए ।

घुटने टेकना मुहावरे का अर्थ

और यह सब देख कर राजा सूर्यप्रताब ने कहा की देखो मैं तुम्हारे राज्य का आज से नया राजा हूं और इसी बात के कारण से तुम्हे जाने दे रहा हूं  । और मैं जैसा कहूगा वैसे ही तुम्हारे राज्य में अब होगा और यह कहने पर विपक्ष राजा मान गया और इस कारण से राजा सूर्यप्रताप ने उसे जाने दिया । 

और इधर राजा सूर्यप्रताप के बिना युद्ध किए ही राज्य हासिल हो गया और इसी तरह से दुश्मन राजा राजा सूर्यप्रताप के सामने घुटने टेक देते थे जिस तरह से विपक्ष राजा ने कहानी में टेक दिए थे ।

वैसे कहानी से आप समझ सकते है की घुटना टेकना मुहावरे का अर्थ हार मान लेना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।