घड़ी में तोला घड़ी में माशा मुहावरे का अर्थ और वाक्य

घड़ी में तोला घड़ी में माशा मुहावरे का अर्थ ghadi me tola ghadi mein masha muhavare ka arth  – जरा सी बात पर खुस और नाराज होना ।

दोस्तो तोला और माशा दोनो ही वजन की एक इकाई होती है और दोनो एक दूसर से अलग अलग होती है । क्योकी एक तोला में 11.6638 ग्राम यानि लगभग 12 ग्राम का होता है वही पर अगर माशा की बात करे तो यह वजन की वजन की सबसे छोटी इकाई है। जो की तोले का बारहवाँ भाग होता है ।

अब घड़ी में तोला का मतलब हुआ की पल भर में या जरा से समय में बहुत सारा और वही पर घड़ी में या जरा से समय में माशा का मतलब हुआ की पल भर में बहुत कम होना ।

ठिक ऐसे ही मानव जीवन में होता है यानि मानव कई बार जरा सी बात पर खुश हो जाता है और जरा सी बात पर नाराज हो जाता है । और यह घड़ी में तोला घड़ी में माशा की तरह ही होता है  । इस कारण से घड़ी में तोला घड़ी में माशा मुहावरे का सही अर्थ जरा सी बात पर खुस और नाराज होना होता है ।

घड़ी में तोला घड़ी में माशा मुहावरे का अर्थ और वाक्य

घड़ी में तोला घड़ी में माशा मुहावरे का वाक्य में प्रयोग ||  ghadi me tola ghadi mein masha  use of idioms in sentences in Hindi

1.        कंचन एक ऐसी लड़की है जो की छोटी सी बात पर खुश हो जाती है और जरा सा कुछ कह दिया तो नाराज हो जाती है सच कहे तो वह घड़ी में तोला घड़ी में पास की तरह है ।

2.        अनामिका को मैंने इतना कहा था की आज घर में मेहमान आ रहे है सुनते ही खुश हो गई और दूसरे ही पल खाना बनाने को कहा तो नाराज हो गई सच है अनामिका तो घड़ी में तोला घड़ी में पासा की तरह है ।

3.        पति पत्नी का झगड़ा हमेशा घड़ी में तोला घड़ी में पास है ।

4.        होमवर्क न करने के कारण से अध्यापक ने संतोष को जरा सा डाट दिया जिसके कारण संतोष दुखी हो गई, मगर दुसरे ही पल संतोष को अध्यापक ने अच्छी लड़की बता दिया तो संतोष खुश हो गई यह तो वही बात हुई घड़ी में तोला घड़ी में पासा ।

5.        पिता ने महेश को 10 रूपय दिए तो महेश खुश हो गया मगर अगले ही पल पिता ने 10 रूपय की सब्जी लाने को कहा तो महेश नाराज हो गया यह तो वही बात हुई घड़ी में तोला घड़ी में पासा ।

घड़ी में तोला घड़ी में पास मुहावरे पर कहानी || ghadi me tola ghadi mein masha  story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है एक छोटे से शहर में रविकांत और अनामिका नाम के पति पत्नी रहा करते थे जो की अपने जीवन में काफी खुश थे और अपने जीवन को काफी अच्छी तरह से चलाया करते थे । अनामिका ओर उसका पति रविकांत जो थे वे शहर में अध्ययन करने के लिए रहा करते थे ।

इस कारण से वहां पर उन दोनो के अलावा और कोई नही रह पाता था । और अनामिका जो थी वह हमेशा से लोगो के बिच में रही थी इस कारण से वह अकेली रह कर दुखी हो जाती थी ।

वह हमेशा अपने परिवार के साथ रहने के लिए रविकांत को कहा करती थी मगर रविकांत तैयारी का नाम ले लेता था और कहता की नही हमे कुछ समय तक यही रहना होगा क्या पता जीवन में नोकरी मिल जाए तो सब अच्छा हो जाए । और इस तरह से अनामिका को भी शहर में अपने पति के पास रहना पड़ जाता था ।

अब रिश्तेदार जो होते है वे शहर का सफर अक्षर करते रहते है और जो कोई अपना शहर में रहता है उनके पास कभी कभार मिलने के लिए चले जाते है । और ठिक ऐसे ही एक बार रविकांत और अनामिका जहां पर रहा करते थे वहां पर कोई रिश्तेदार चल गया और पतानही क्या हुआ की अनामिका इससे नाराज हो गई ।

दरसल बात कुछ इस तरह से है की एक बार रविकांत किसी काम से शहर गया हुआ था तो उसे फोन आया की उसके फुफा जी आ रहे है और यह सुन कर रविकांत खुश हो गया और उसने यह बात अपनी पत्नी को बतानी चाही मगर फिर सोचा की घर जाने के बाद में ही उसे बता देगे ।

इस कारण से रविकांत ने फिर शहर शहर से कुछ समान ले लिया और अपने घर चला गया । घर जाने के बाद में रविकांत की पत्नी अनामिका ने जैसे ही दरवाजा खोला तो रविकांत ने कहा की आज एक खुशखबरी है की घर में मेहमान आ रहे है और यह सुन कर अनामिका खुश हो गई ।

इसके बाद में अनामिका को रविकांत ने कहा की अब खुश होना तो ठिक है मगर मेहमान आ रहे है तो उनके लिए जरा अच्छा सा भोजन बना लो मिठाईया बना लो और कुछ रोटिया बना लो और यह  सुन कर अनामिका को पता नही क्या हुआ और वह नाराज हो गई ।

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और कहा की मेरे से इतना भोजन नही बनाया जाएगा । तब रविकांत ने कहा की तुम्हे ही लोगो के बिच में रहना था और अब मेहमान आ रहे है तो उन्हे भोजन खिलाना भी जरूरी है और इस तरह से कह कर समझाने लगा और फिर जाकर अनामिका भोजन बनाने के लिए तैयार हुई ।

अब अनामिका ने अच्छा भोजन बना लिया और तैयार कर कर रख दिया । कुछ समय के बाद में रविकांत के फुफाजी वहां आ गए और इस कारण से अनामिका ने उनकी उन्हे जूस वगैरह पिला दिया जिसके कारण से फुफाजी ने जूस अच्छा बना है यह कह दिया और यह सुन कर अनामिका खुश हो गई ।

मगर जब भोजन करने बैठे तो भोजन में जरा सा नमक कम था तो फुफाजी ने कह दिया की शब्जी मे नमक कम हो जाए तो मजा नही रहता है । और इतना सुन कर अनामिका नाराज हो गई और कमरे में चली गई ।

घड़ी में तोला घड़ी में माशा मुहावरे का अर्थ

अब पीछे पीछे रविकांत गया तो अनामिका ने कहा की फुफाजी ने सब्जी को बुरा बताया है और यह सुन कर रविकांत ने उससे कहा की तुम तो घड़ी में तोला घड़ी में मासा की तरह हो जो बात बात पर खुश और नाराज हो रही हो और फिर रविकांत ने उसे समझाया और फिर से राजी कर लिया और इस तरह से शाम होते ही फुफाजी चले गए ओर इधर रविकांत और अनामिका भी वहां पर रह कर बाकी का काम पूरा करने लगे ।

तो इस तरह से दोस्तो बहुत बार लोग घडी में तोला घड़ी में मासा की तरह होते है जैसे की अनामिका होती थी । वैसे इस कहानी से मुहावरे के अर्थ के बारे में पता चल गया होगा की इसका अर्थ जरा सी बात पर खुस और नाराज होना होता है।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।