ऊंट के मुंह में जीरा मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

ऊंट के मुंह में जीरा मुहावरे का अर्थ oont ke munh mein jeera muhaavare ka arth – ज़रूरत से कम वस्तु का मिलना ।

दोस्तो अगर हमे भोजन मिल रहा है पर वह भोजन हमारी भुख को दुर नही कर सकता है । वह भोजन हमारे लिए आधा है जिस कारण हम आधे भुखे रह जाते है । हमको बहुत अधीक खाना चाहिए होता है ‌‌‌पर जब हमे भोजन पुरा नही मिलता है तो इसे ही ऊंट के मुंह मे जिरा कहा जाता है ।

ऊंट के मुंह में जीरा मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

ऊंट के मुंह में जीरा मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग  || oont ke muh mein jeera use of idioms in sentences in Hindi

  • ‌‌‌जब भी रमेश जिम जाकर वापस आता है तो उसे एक कप दुध से ज्यादा नही मिलता इसे ही कहते है ऊंट के मुंह मे जिरा ।
  • रामबाबू बहुत अमिर आदमी है पर जब भी उनके घर कोई आता है तो वे उसे भोजन मे तिन रोटि से ज्यादा कभी नही देते है इसे ही कहते है की ऊंट के मुंह मे जिरा ।
  • पहलवान को अगर दो रोटि दि जाए तो वह ‌‌‌भुखा ही रहेगा इसे कहते है ऊंट के मुंह मे जिरा ।
  • रामकिसन जब श्याम को भोजन कराने लगा तो श्याम ने रामकिसन से कहा की भोजन अच्छा कराना कभी ऊंट के मुंह मे जिरे वाली बात मत कर देना ।

ऊंट के मुंह में जीरा मुहावरे पर कहानी ||  story on idiom oont ke muh mein jeera in Hindi

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक राजा रहा करता था वह राजा बहुत ही कंजुश था । उसके घर मे उसकी पत्नी व एक बेटा रहता था । राजा के ‌‌‌दरबार मे अनेक सैनिक थे मगर वे सैनिक केवल दिखावे के ही थे उनमे जान बिलकुल भी नही थी वे कोई भी युद्ध लडकर जित नही सकते थे ।

‌‌‌राजा के पास धन दोलत की कोई कमी नही थी। उसने अनेक राज्य को जित लिया था जो सभी राज्य राजा के कहने पर चलते थे । उस राज्य के सैनिक भी राजा के कहने पर कार्य करते थे पर राजा के खुद के राज्य के अलावा अन्य राज्य के सैनिक बहुत ही बलवान थे । राजा के सैनिको की सख्या दस हजार से भी ज्यादा थी ।

‌‌‌जब भी राजा के पास कोई आता तो राजा उसे भोजन तो कराता था पर भोजन नाम का कराता था । एक आदमी को तिन रोटि से ज्यादा कभी भी नही देता था । इस कारण जो भी दुसरे राज्य के लोग राजाके पास एक बार आने के बाद दुबारे कभी भी नही आते थे ।

राजा के पास से जाकर वे अपने राज्य के लोगो को कहते की वह राजा तो ‌‌‌पेट ‌‌‌भर कर खाना भी नही देता है केवल नाम का भोजन कराकर वापस भेज देता है ना जाने वह अपने सैनिको को क्या खिलाता है । उसके सैनिक भी मरने के समान हो रहे है । पर उन लोगो को क्या पता की राजा अपने सैनिको को दो रोटियो से ज्यादा कभी नही देता था । और उन्हे पैसे भी कम देता था ।

जिसके कारण अनेक सैनिक उस ‌‌‌राजा को छोडकर दुसरा काम करने लग गए थे । राजा के सैनिको की सख्या कम होती जा रही थी पर राजा को इस बात से कोई भी ‌‌‌फर्क नही पड रहा था । यहा तक की राजा अपने बेटे को भी पेट भर कर खाना नही देता था । उसे भी पांच रोटि देता था जिस से वह केवल कुछ समय तक ही अपनी भुख रोक सकता था ।

‌‌‌राजा के ऐसा करने से ‌‌‌राजा के खुद के बेटे को भी बहुत बुरा लगता था। वह कभी तो कह देता था की आप मुझे और अपने सैनिको को पेट भर कर खाना भी नही देते हो । आप तो ऊंट के मुंह मे जिरे वाली बात कर रहे हो । राजा को इस बात से कोई भी ‌‌‌फर्क नही पडता था कि कोई उसके बारे मे क्या सोचता है ।

‌‌‌एक बार दुसरे राज्य के राजा ने राजा के राज्य पर हमला बोल दिया । जिसके कारण राजा अपने आप को बचाने के लिए उससे लडने के लिए अपनी सेना तैयार करने का हुकम दिया । तब उसकी सेना तैयार हो गई थी । राजा ने जब देखा की उसकी सेना आधी हो गई है तब भी उसे कुछ नही समझ मे आया और अपने बेटे से कहा की जाओ और ‌‌‌हमारे राज्य को हमसे छीनने से बचाकर लाओ ।

तब उसके पुत्र ने कहा की जरा इन सैनिको की तरफ देखा ये लडने की हालात मे आपको दिख रहे है क्या इनको समय पर पुरा खाना नही मिलने के कारण ये मरने वाले है ऐसे लगने लगे है । मुझे तो इन्हे देखकर युद्ध हारे का ढर लग रहा है । राजा ने कहा की अपने राजा की बात नही सुन रहे हो ।

जो मै कह रहा हूं वेसा करो वरना तुम्हे बंदी बना लिया जाएगा । अपने पिता की ऐसी बात सुनकर वह युद्ध लडने के लिए चला गया । कुछ ही समय मे युद्ध हार गया और राजा के महल को बंदी बना लिया गया और राजा को भी बंदी बना लिया ।

ऊंट के मुंह में जीरा मुहावरे पर कहानी

तब उस राजा से दुसरे ‌‌‌राज्य के सैनिक कहने लगे की अपने ‌‌‌सैनिको की सही तरह से सेवा करते तो तुम आज युद्ध मे हारते नही । इन्हे भोजन तो समय पर कराते नही हो और कराते हो तो उनका पैट भरते नही हो  इसे ही  ऊंट के मुंह मे जिरा होना कहते है जो तुम इन लोगो के साथ करते हो ।

तब जाकर राजा को पता चला की भोजन पेट भर कर नही खिलाने के कारण मेरे सैनिक कमजोर हो गए और ‌‌‌युद्ध मे हार गए । इस कहानी से आप समझ गए होगे की ऊंट के मुंह मे जिरा किसे कहते है।

ऊंट के मुंह में जीरा मुहावरे पर निबंध || essay on idioms oont ke muh mein jeera in Hindi

‌‌‌साथियो अगर आपकी क्षमता के जितनी आपको वस्तु नही मिल रही हो तो इसे ऊंट के मुंह मे जिरा कहते है । यानि अगर किसी आदमी की क्षमता दस रोटिया खाने की हो और उसे चार या पाच ही रोटिया दि जाएगी तो उसका पैट नही भरेगा यानि उसकी क्षमता के हिसाब से उसे भोजन नही मिला तो इसे ऊंट के मुह मे जिरा कहते है ।

‌‌‌ऐसे लोगो को अगर क्षमता के हिसाब से भोजन नही दिया जाए तो वे कमजोर रह जाएगे । जिस तरह से एक पहलवान को अनेक फल फ्रुट खाने की आवश्यक्ता होती है पर उसे उसके घर के लोग केवल एक दुध का गिलाश ही देते है तो वह पहलवान नही बनेगा और कमजोर होता जाएगा ।

 इस तरह के लोगो को अनेक कारणो से उनकी क्षमता ‌‌‌के हिसाब ‌‌‌से वस्तुए नही मिलती है । ऐसे लोग बहुत होते है जो आपको हर जगह मे मिल जाएगे । अगर हम भोजन की बात करे तो भोजन होते सिवा भी भोजन नही दिया जाता है और दुसरी तरफ भोजन न होने के बारण वह आधा भुखा रह जाता है ।

इन दोनो बातो मे बहुत ‌‌‌फर्क है । इस मुहावरे का सिधा सा अर्थ यही है की अगर आपकी क्षमता ‌‌‌अधीक हो और आपको वस्तुए कम दि जा रही हो जैसे भोजन कम कराया जाए तो इसे ही ऊंट के मुह मे जिरा कहते है । इस तरह से आप समझ गए होगे कि इस मुहावरे का अर्थ क्या है।

ऊंट के मुंह में जीरा मुहावरे का तात्पर्य क्या है || What is the meaning of oont ke muh mein jeera in Hindi

वैसे यह जो मुहावरा है वह मेरा पसंदिदा मुहावरा है । वैसे आपको बता दे की इस मुहावरे से तात्पर्य होता है की जब किसी व्यक्ति को उसकी जरूरत से कम वस्तु मिलती है । यानि इस मुहावरे का अर्थ ज़रूरत से कम वस्तु का मिलना होता है ।

आज हर कोई अपने ‌‌‌जीवन में काफी लंबी सोच रखते है और आपको इस बारे में पता है । तो वह पूरी होना तो कम ही होता है। मगर जब बात भुख की आती है तो जरूत के अनुसार उसे भोजन मिलना चाहिए । मगर कम मिलता है तो यह सही नही होता है । आपको पता है की एक उंट के लिए जिरा कितना कम भोजन है तो आप इसी बात से समझ सकते है की इस ‌‌‌मुहावरे का तात्पर्य क्या है ।

वैसे आपको पता होगा की यह जो मुहावरा है वह आज के समय में बच्चे को भी पता है । क्योकी यह काफी प्रसिद्ध मुहावरा है । हमे लगता है की आप विद्यालय में पढने वाले एक विद्यार्थी है और आपको भी इस मुहावरे के बारे में पता है तो आप समझ ले की यह कितना प्रसिद्ध मुहावरा है

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।