डंके की चोट कहना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

डंके की चोट कहना मुहावरे का अर्थ danke ki chot par kehna muhavare ka arth — खुल्लम खुल्ला कहना।

दोस्तो आपने नगाड़ा देखा होगा वही असल में डंका होता है और यह दिखने में एक बजने वाले ढोल की तरह है।

पहले क्या होता था की जब भी कुछ कहना होता था और खासकर बहुत से लोगो को एक बात ही कहनी होती थी तो इसी डंके का उपयोग होता था और इस डंके पर चोट लगाई जाती थी जिसके कारण से डंका बजने लग जाता था और फिर सभी को खुल्लमखुल्ला जो कुछ कहना होता था वह कहा जाता था ।

तो इस तरह से डंके की चोट पर कहना मुहावरे का अर्थ हुआ खुल्लम खुल्ला कहना और यह आप समझ गए है ।

डंके की चोट कहना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

डंके की चोट पर कहाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग ||  danke ki chot par kehna use of idioms in sentences in Hindi

1.        सरकार ने करोड़ो का घोटाला किया है यह बात न्यूज चैनल वाले डंके की चोट पर कह रहे है ।

2.        राजा साहब ने ही जंता का धन चोरी करवाया है यह अफवा भला कोन डंके की चोट पर कहेगा ।

3.        जो गलत है उसे कोई भी डंके की चोट पर नही कह सकता है ।

4.        पुलिस ने रिश्वत लेकर चोर को छोड़ दिया है यह बहुत से लोग डंके की चोट पर कह रहे है ।

5.        राजकिशोर ने डंके की चोट पर कहा की इस कलयुग का राम योगी आदित्यनाथ है ।

6.        सेठजी उधार धन तो दे देते है मगर समय पर वापस नही मिलता है तो डंके की चोट पर कह कर वापस धन मागते है ।

7.        गांव का सेठ ही सारे गलत काम गाव में करवा रहा है यह बात राहुल ने डंके की चोट पर कह डाली ।

8.        मैं डके की चोट पर कह रहा हूं की अध्यापको ने नंदकिशोर को चिटिंग करवा कर 10 वी कक्षा में पास करवाया है ।

9.        लोगो ने राजवीर को गलत काम करते हुए देखा है तो वे अदालत में डंके की चोट पर कह सकते है ।

10.      जो सच है उसे मैं कही पर भी डंके की चोट पर कह सकता हूं ।

11.      जब कंचन ने सुरेखा को भला बुरा कहा तो सुरेखा ने डंके की चोट पर कहा की कंचन मैं तुम्हे काट खाउगी ।

डंके की चोट पर कहाना मुहावरे पर कहानी || danke ki chot par kehna story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है एक गाव हुआ करता था जहां पर बहुत सारे लोग थे और उस गाव में एक सेठ था जो की काफी अच्छा और नेक था । दरसल सेठ जो था वह लोगो के लिए महेशा मदद करने के लिए तैयार रहता था जिसके कारण से हमेशा लोग सेठ को मानते थे ।

मगर लोगो की सोच के विपरीत सेठ था वह तो असल में गाव में जो कुछ गलत होता था उसे करने वाला ही था । और इस बारे में उसके ही नोकर ने लोगो को कह दिया ।

दरसल बात कुछ इस तरह से है की उस गाव में जो सेठ था वह सबसे धनवान था और अपने धनवान होने के कारण से सभी से श्रेष्ठ बना रहना चाहता था । यहां तक की उस गाव में सरपंच या पंचो की ज्यादा इज्जत न होकर सेठ की होती थी और यह सब करने के लिए कुछ भी कर सकता था ।

मगर सेठ के पास एक नोकर काम करता था जो की करीब 38 वर्षों से उसके पास काम करता आ रहा था । उस नोकर का नाम सुरजमल था और सुरजमल जो था वह अपने बचपन यानि 15 वर्षों की उम्र से ही काम करता आ रहा था और इस कारण से सेठ को उस पर पुरी तरह से विश्वास था ।

सेठ जो था वह जो कुछ गलत करता था उसके बारे में सुरजमल को पता था और वह उसके साथ मिल कर ही करता था । बदले में सुरजमल को धन देता था इस कारण से वह किसी को कुछ नही बताता था । मगर कहते है की बुराई एक दिन सामने आ ही जाती है और ऐसा ही एक बार हुआ था ।

दरसल सेठ लोगो का धन हड़प लेता था यहां तक की खेतो में जो फसल होती थी उसे भी नष्ट करवा देता था ताकी उसकी जो फसल है वह ज्यादा बिक सके । इतना ही नही किसी को गाव से बाहर जाकर काम करने नही देता था इस कारण से सभी को गाव में रह कर काम करना पड़ता था ।

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इस तरह से सेठ कभी कभार लोगो को चोट भी पहुंचाने वाला काम कर देता था ताकी लोग उसके पास ही धन लेने के लिए आए और वह मदद कर दे और बदले मे उसे ब्याज मिल जाए साथ उसक वाह वाह भी हो जाए ।

मगर एक दिन क्या हुआ था की सुरजमल को यह अहसास हुआ की जो कुछ वह कर रहा है और सेठ कर रहा है वह गलत है इस कारण से सुरजमल ने सेठ को ऐसा करना बंद करने को कहा था ।

 मगर सेठ धनवान था इस कारण से उसने कहा की तुम नोकर हो अपनी हद में रहो और इस तरह से छोटी सी बात बढी हो गई और सुरजमल और सेठ के बिच में झगड़ा हो गया ।

इस कारण से सेठ ने सुरजमल को काम से निकाल दिया और इतना ही नही बल्की उसका जो धन सेठ के पास था वह भी करीब 50000 था और सेठ ने सुरजमल को वह धन नही दिया जिसके कारण से सुरजमल को काफी बुरा लगा ।

अब सुरजमल जो था उसकी आंखो में गुस्सा साफ दिख रहा था और इसी के चलते सुरजमल ने उसी दिन डंके की चोट पर सभी को कहा की सेठ क्या क्या गलत काम करता है

और तभी यह बाते सुन कर एक आदमी सेठ के पास चला गया और सेठ को कहा की आपका नोकर डंके की चोट पर कह रहा है की आपने लोगो का कितना नुकसान कर रहा है और यह सुन कर सेठ डर गया और जल्दी से नोकरी के पास जाकर उसे शांत करवाने लगा ।

डंके की चोट कहना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

 मगर अब नोकर शांत होने वाला नही था उसने फिर से कहा की यही है जो आपकी समस्याओ का मुल कारण है और सेठ के नोकर के डंके की चोट पर ऐसा कहने के कारण से लोगो को लगा की यह जो कह रहा है वह सत्य है

और इसी कारण से सेठ को पकड़ लिया और उस दिन के बाद में लोगो के सामने सारी सच्चाई आ गई । और फिर सभी ने सुरजमल का धन्यवाद किया की उन्होने सेठ के बारे में पूरे गाव के लोगो को बताया है । और यह देख कर सुरजमल को लगा की वह एक अच्छा काम कर चुका है और अब सेठ से अलग रह कर वह अपना जीवन बिताने लगा था ।

तो इस तरह से दोस्तो सेठ के बारे में उसके नोकर ने डंके की चोट पर कहा और आप डंके की चोट पर कहना मुहावरे के अर्थ के बारे में कहानी से समझ गए होगे ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।