जी तोड़ काम करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

जी तोड़ काम करना मुहावरे का अर्थ है ji tod kam karna muhavare ka arth – ‌‌‌बहुत अधिक ‌‌‌मेहनत करना

‌‌‌दोस्तो व्यक्ति अपना जीवन जीने के लिए इतनी मेहनत तो करता ही है की उसका पेट कम से कम आज तो आराम से भर जाए । कहने का अर्थ है की पेट भरने के लिए लोग मेहनत करते है और जीतना पेट भर पाता है उतना ही काम करते है । मगर यह बात सभी के लिए लागू होती नही है ।

क्योकी संसार में एक व्यक्ति ने ‌‌‌इतने अधिक रिश्ते बना लिए है की उन्हे निभाने के लिए पैसो की जरूरत होती है । इसके अलावा वर्तमान मे हर वस्तु की महगाई के कारण से हर कोई पहले से अपने पास धन कमा कर रखना चाहता है की उसे मुश्किल मे काम आ सके ।

‌‌‌इस कारण से वर्तमान मे हर कोई इतनी अधिक मेहनत करते हुए काम करता है की उसकी मेहनत बहुत अधिक नजर आती है । और जब कोई व्यक्ति इतनी अधिक मेहनत करता है तो इसे जी तोड काम करना कहा जाता है । यानि मेहनत इतनी अधिक हो की व्यक्ति जी तोड दे ।

जी तोड़ काम करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

इस मुहावरे को कुछ जगहो पर अलग तरह से भी देखा जाता है जैसे –

1. जी तोड़ काम करना मुहावरे का अर्थ है (ji tod kam karna muhavare ka arth)- ‌‌‌बहुत अधिक मेहन्त करना ।

2. ‌‌‌जी तोड मेहनत करना मुहावरे का अर्थ (ji tod mehnat karna muhavare ka arth) – बहुत अधिक काम करना या बहुत अधिक परिश्रम करना ।

3. ‌‌‌जी तोड कर काम करना मुहावरे का अर्थ (ji tod kam kar karna muhavare ka arth) – बहुत अधिक परिश्रम या मेहनत करना ।

‌‌‌इस कारण से इस मुहावरे के बारे मे यह कनफुजन न रहे की यह मुहावरा कोनसा है असल मे यह सब मुहावरे एक ही होते है मगर इनको अलग अलग तरह से पेश करने के कारण से इनका रूप अलग अलग हो जाता है । साथ ही इस मुहावरे के अर्थ के बारे मे भी कह सकते है की इनका अर्थ एक ही होता है यानि बहुत अधिक परिश्रम (काम / ‌‌‌मेहनत) करना ।

‌‌‌ती तोड काम करना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

  • जब से रामू के पिताजी गूजरे है तब से घर की सारी जिम्मेदारियां रामू पर आ गई जिसके कारण से वह दिन रात जी तोड काम करता है तब जाकर उसका घर मुश्किल से चल पाता है ।
  • बेटी के विवाह ती तारीख निकलने के कारण से महेश कई दिनो से जी तोड कर काम कर रहा है । ‌‌‌
  • सुसिला के विवाह मे हर कोई व्यक्ति सुसिला के भाई को देख कर कहने लगा की यह लडका तो जी तोड कर काम कर रहा है ।
  • जब किशोर अपने भाई राजवीर से पैसे उधार लेने के लिए आया तो राजवीर ने कहा की भाई किशोर तुम्हे तो पता है की इस वर्ष कोरोना ने कितनी बेरोजगारी कर दी और अब मैं कुछ दिनो से जी तोड कर ‌‌‌काम करता हूं फिर भी घर सही तरह से नही चल रहा है तो तुम्हे उधार दे कहा से सकता हूं ।
  • ‌‌‌इस बार चुनाव के समय मे रामलाल सरपंच के पद मे खडा हुआ है और वह जी तोड काम कर रहा है लगता है की इस बार वही जीतेगा ।
  • रिया 10 वी कलाश मे अपने जीले मे टॉप किया था मगर इसके लिए उसने जी तोड काम किया ।
  • भाईसाहब आपकी बेटी सुरीली को मैं जब देखता हूं पढती ही रहती है लगता है की इस बार इसका नम्बर ‌‌‌बैंक की नोकरी में ‌‌‌आ जाएगा क्योकी यह तो जी तोड काम कर रही है ।
  • राजवीर के पिता हेडमास्टर है फिर भी राजवीर पढाई नही करता और एक सुरेश है जिसके पिता उसी विधालय मे चपरासी है फिर भी वह जी तोड काम करता है लगता है की वह इस बार अच्छे नम्बरो से पास होगा ।
  • सुरेश तो जी तोड काम करता है लगता है वह कुछ ही दिनो मे ‌‌‌धनवान हो जाएगा ।

जी तोड काम करना मुहावरे पर एक प्रसिद्ध कहानी

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे सुरजमल नाम का एक सेठ रहा करता था और उसके घर मे उसकी पत्नी व दो बेटे रहा करते थे । सुरजमल बहुत ही धनवान था जिसके कारण से सुरजमल के बैटो को कभी पैसो की कमी महसुस तक नही हुई ।

जिसके कारण से सुरजमल ‌‌‌के दोनो बेटे पैसे को खुब खर्च किया करते थे । इन दोनो बेटो का नाम किसन और मुलचंद था । किसन बडा लडका और मुलचंद छौटा था । मगर देखने वाला बडा व छोटा तक नही बता पाता था । क्योकी छोटा लडका मुलचंद खा खा कर अपने बडे भाई किसन की तरह हो गया था ।

उन दोनो का वजन काफी अधिक बढ़ने लगा था और जब तक वे बड़े ‌‌‌हुए यानि 25 वर्ष के हुए तो उन दोनो का वजन कुल 100 से भी पार हो गया था । जिसके कारण से दोनो का विवाह तक नही हो रहा था । यह देख कर सुरजमल को लगा की आज उसके पैसो के कारण से ही इन दोनो का यह हाल है ।

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यह सोचते हुए सुरजमल ने अपने दोनो बेटो को अपने पास बुलाया और कहा की दोनो को वजन कम करना होगा । यह सुन ‌‌‌कर दोनो ने कहा ठिक है । यह सुन कर सुजमल को लगा की दोनो बेटे बात मान गए है । जब अगले दिन सुरजमल सुबह उठा तो उसने देखा की दोनो बेटे आराम से सो रहे है ।

तब सुरजमल को लगा की इन दोनो से वजन कम होना बहुत ही मुश्किल है । तब सुरजमल ने अगले दिन फिर अपने बेटो को समझाया की जो वजन कम कर लेगा उसे मैं ‌‌‌20 हजार रूपय दूगा । अब सुरजमल को लग रहा था की पैसो की लालच मे दोनो वजन कम कर लेगे ।

मगर दोनो में से किसी ने पैसो के लिए वजन कम नही किया । जब इसी तरह से नई नई योजना लेकर सुरजमल अपने बेटो से कहता तो उसके बैटे वजन कम करने का नाम ही नही ले रहे थे । तब आखिर में सुरजमल थक गया और अपनी पत्नी ‌‌‌से बात करने लगा ।

तब सुरजमल की पत्नी ने कहा की वजन कम नही करते है तो रहने दो आपको क्या है कोई न कोई लडकी इनके लायक होगी वह मिल ही जाएगी । मगर असल मे सुरजमल स्वयं ही बहुत वजनदार थे जिसके कारण से उन्हे पता था की शरीर मे बहुत अधिक वजन होने के कारण से क्या नुकसान होगे । अब सुरजमल ने ठान ‌‌‌लिया की वजन तो कम करवाना ही होगा ।

अब सुरजमल के दोनो बेटे 27 वर्ष को हो गए थे । तब एक दिन सुरजमल को एक चाय वाले ने सुझाव दिया की दोनो को पैसो की कमी महसुस होने दो जिसके कारण से दोनो काम करने के लिए जाएगे और मेहनत करने के कारण से दोनो का वजन कम हो जाएगा ।

सुरजमल अच्छा आदमी था और समझदार भी ‌‌‌था तो उसने उस आदमी की बात मान ली । तब सुरजमल ने अपनी पत्नी से बात की मगर सुरजमल की पत्नी को यह अच्छा नही लगा की उसके बैटे पैसो की कमी के कारण से बहुत काम करे । तब सुरजमल की पत्नी ने यह करने से साफ मना कर दिया ।

इसी के चलते हुए एक दिन सुरजमल अपने गाव से कही चला गया और गाव के एक बहुत ही ‌‌‌धनवान ‌‌‌सेठ के पास अपना घर गिरवी रखा । मगर असल मे वह सेठ सुरजमल की मदद कर रहा था । जिसके कारण से जैसे ही सुरजमल गाव से गया तो ‌‌‌अगलें ही दिन सेठ सुरजमल के बेटो के पास गया और कहा की तुम्हारे पिता ने यह घर गिरवी रखा है और इसके साथ ही सारा कारोबार हमारे पास रख दिया है ।

जिससे अब तुम इस घर मे नही रह सकते ‌‌‌हो । तब सुरजमल के बेटो को लगा की यह मजाक कर रहा है । मगर जब उन्होने सेठ के हाथो मे कागजाद देखे तो उन्हे यकिन हो गया । तब सेठ दोनो भाई किसन और मुलचंद को वोरनिग दी की तुम दोनो कल घर को खाली कर देना या मेरे पास काम करने के लिए आ जाना तभी तुम इस घर मे रह सकते हो। इतनाक हते हुए सेठ वहां से चला ‌‌‌गया ।

जी तोड काम करना मुहावरे पर एक प्रसिद्ध कहानी

कुछ समय के बाद मे किसन और मुलचंद ने इस बारे मे अपनी मां से कहा तो उसकी मां सेठ के पास जाकर उससे झगडा करने लगी । मगर असल मे सुरजमल ने लिखा की अगर किसी ने भी झगडा किया तो उसे घर मे किसी भी हाल मे नही रहने देना है । यह जब सुरजमल के दोनो बेटे ने पढा तो वे अपनी मां को किसी तरह से चुप करवा ‌‌‌लिया ।

तब सेठ ने कहा की अब काम करना चाहते हो की गाव के लोगो के सामने बेइज्जत होकर घर से निकलना चाहते हो । क्योकी सुरजमल की तरह उसके दोनो बेटे किसन और मुलचंद समझदार थे जिसके कारण से उन्होने गाव के लोगो के सामने इस बारे में बात न आने दी और काम करना शुरू कर दिया।

अब किसन और मुलचंद रोजाना काम ‌‌‌करने के लिए सेठ के पास जाते जिसके कारण से सेठ उन्हे खाने के लिए पैसे दे देता था । मगर इन पैसो के कारण से उनका पैट ही भरपाता था । कुछ दिन तक काम करने के कारण से सेठ ने दोनो के पैसे ‌‌‌बढा दिए और कहा की अधिक पैसे इकट्ठा कर कर मुझे दोगे तो मैं तुम्हारा घर छोड़ दूंगा ।

यह बात दोनो ने अपनी मां से कही तो ‌‌‌उसे समझ मे आ गया की यह सब सुरजमल ने ही किया है । तब जाकर सुरजमल की योजना उसकी पत्नी को समझ मे आ गई । जिसके कारण से सुरजमल की पत्नी ने सेठ की हर बात मे सहयोग किया और सेठ से भी कहा की मैं आपके साथ हूं ।

तब सुरजमल की पत्नी को समझ मे आ गया था की अगर वह ऐसा नही करेगी तो सुरजमल और सेठ दोनो ही उन्हे ‌‌‌भी कष्ट मे रखेगे । तब सुरजमल की पत्नी अपने दोनो बेटो को कहती की बेटो काम करो और अपने घर को छूटवा लो । अपनी मां की बात सुन सुन कर दोनो ने काम तो किया मगर काम के कारण से उनका गुजारा ही हो पाता था ।

तब सुरजमल ने अपनी पत्नी के पास संदेश पहुचाया की अगर इनका वजन कम करने में साहयता करोगी तो जल्दी ‌‌‌ही सब कुछ पहले जैसा होगा । ‌‌‌अपने पति की सुचना जान कर वह अपने बेटो के साथ काम करने की बात उन्हे कहने लगी और साथ ही कहने लगी की तुम दोनो से काम नही होगा और ‌‌‌तुम तो इस तरह से पूरी उमर लगे रहोगे काम करने में मगर घर नही छुटेगा ।

अपनी मां की बातो को सुन कर दोनो ने बहुत परिश्रम किया और एक वर्ष तक दिन रात काम करने लगे थे । जहा ‌‌‌काम 8 घंटो का था वे 12 घंटे करते थे । जिसके कारण से उन्हे आराम करने का काम समय ‌‌‌नही मिलता था । और काम भी इतना कठिन था की उनका वजन कम होते जा रहा था और शरीर की चर्बी गायब हो रही थी ।

मगर वजन के बारे मे अब वे सोच भी नही रहे थे । एक वर्ष के अंदर ही उनका वजन कम हो गया । जिसके कारण से अंत मे सेठ ने ‌‌‌उन्हे बता दिया की यह सब तुम्हारे पिता की ही योजना थी । यह जान कर किसन और मुलचंद को बहुत बुरा लगा मगर अंत मे ‌‌‌उन्होने जब अपनी शरीर पर ध्यान दिया तो उन्हे पता चला की उनके पिता ने अच्छा किया है ।

अब सुरजमल भी अपने घर आ गया था। जिसके कारण से कुछ दिनो तक तो घर के लोग उनसे नाराज रहे थे मगर कुछ ही दिनो मे ‌‌‌सुरजमल के बेटो के लिए विवाह का प्रस्ताव आया । और अब कन्याए बहुत ही ‌‌‌अमीर घर से थी साथ ही बहुत ही सुंदर भी थी । यह जान कर किसन और मुलचंद को समझ मे आ गया की आज उनके वजन और चर्बी कम होने के कारण से ही यह सब हो सकता है ।

इसके साथ ही उन्हे अहसास हुआ की उनके शरीर मे किसी प्रकार की समस्या नही है । यानि बिमारी उनके करीब तक ‌‌‌नही आ रही थी । तब सुरजमल को सेठ ने बताया की उनके बैटो ने किस तरह से जी तोड काम किया था जिसके कारण से आज उनका वजन घट कर 50 पहुंचा है। यह जानने के बाद मे सूरजमल ने अपने दोनो बेटो को सरी जायदाद बाट कर दे दी ।

जिसके कारण से दोनो खुश हो गए । अब सुरजमल और उसकी पत्नी के मरने के बाद मे दोनो भाई किसन ‌‌‌और मुलचंद अपने जी तोड ‌‌‌काम करने का नतिजा लोगो के सामने रखने लगे थे । और कहते की आज पिताजी के कारण से ही यह सब हो सका है क्योकी वरना हम जी तोड काम नही कर सकते थे ।

जी तोड काम करना मुहावरे पर एक प्रसिद्ध कहानी

इस तरह से इस कहानी का अंत होता है । ‌‌‌इस कहानी मे जी तोड काम करने के कारण से वजन का कम होने के प्रभाव को बताया गया है । यानि बहुत अधिक महेनत या परिश्रम से काम करने के कारण से जीवन सुखमय बन जाना समझाया गया है ।

‌‌‌जी तोड काम करना मुहावरे पर निबंध

साथियो हमनें उपर कहानी के रूप मे जाना की जी तोड काम करना किसे कहते है यानि जब सुरजमल के बेटे अपने घर को छुटवाने के लिए दिन रात काम करते है तो उनका काम में बहुत ही परिश्रम लगता है । यानि वे बहुत अधिक मेहनत करते है ।

जिसके कारण से इसे जी तोड काम करना कहा ‌‌‌जाता है । इस तरह से जी तोड काम करने के कारण से सूरजमल के दोनो बेटो का वजन कम हो गया था यह काम करने का परिणाम था । इसके साथ ही उन्होने सेठ से अपना घर छुटवा लिया था । मगर इसके लिए उन्होने बहुत अधिक मेहनत की थी ।

इस तरह से कहानी से समझ में आता है की जब भी कोई व्यक्ति किसी कारण से बहुत ‌‌‌अधिक परिश्रम या मेहनत करता है तो इसे जी तोड काम करना कहा जाता है । और उसी समय इस मुहावरे का प्रयोग होता है ।

अब हम अच्छी तरह से समझ गए है की जी तोड काम करना मुहावरे का अर्थ बहुत ही अधिक परिश्रम या मेहनत करना होता है ।

जी तोड़ काम करना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of in Hindi

दोस्तो इस मुहावरे के अर्थ को समझना काफी असान होता है क्योकी आपको पता है की मुहावरा यहां पर काम करने की बात कर रहा है । मगर काम भी कोई ऐसा वैसा नही करना है । मतलब साधारण काम नही करना है बल्की उस काम को करना है जिसमें जी को तोड़ा जा सके ।

वैसे तो सभी काम कठिन ही होते है तो अगर किसी काम को करते समय मनुष्य बहुत ही अधिक मेहनत करता है तो असल में वही पर आप इस मुहावरे का प्रयोग कर सकते है ।

दरसल हिंदी में यह माना जाता है की  ji tod kam karna muhavare ka arth – ‌‌‌बहुत अधिक ‌‌‌मेहनत करना होता है । क्योकी आपको पता है की जब कोई व्यक्ति बहुत ही अधिक मेहनत करता है तो वह बहुत ही थक जाता है जिसके कारण से उसका जी जो होता है वह भी काम करने से मना करने लग जाता है और इसी कारण से इस मुहावरे का अर्थ यह है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।