अंत पाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

अंत पाना मुहावरे का अर्थ ant pana muhavare ka arth  – भेद पाना या भेद जानना ।

दोस्तो आज के सयम में बहुत से लोग है जिनके जीवन में किसी न किसी तरह का भेद होता है और वे इस भेद को भेद ही रखना चाहते है। अगर एक बार भेद खुल जाता है या भेद के बारे में कोई जान लेता है तो इसका मतलब है की भेद का अंत हो गया और इसका मतलब है की किसी ने भेद का अंत पा लिया और अब वह भेद भेद नही रह गया है ।

तो इस तरहे कहा जा सकता है की अंत पाना मुहावरे का सही अर्थ भेद पाना या भेद जानना होता है ।

अंत पाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

अंत पाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग ||  ant pana use of idioms in sentences in Hindi

1.   अरे वह शिव भक्त है और उसका अंत पाना आसान नही है।

2.   सुरज जीवन को सफल बनाने के लिए बहुत कुछ लोगो से छीपा कर रखता है और कहते है की उसका अंत पाना कठिन है ।

3.   राहुल अमीर लोगो के जल्दी अमीर बनने का अंत पा चुका है तभी वह जीवन मे तरकी करने लगा है ।

4.   जीवन में सफल होने के लिए पहले से सफल हुए लोगो की सफलता का अंत पाना जरूरी है ।

5.   ईश्वर की महिमा का अंत पाने के लिए पहले ईश्वर के बराबर होना पड़ता है ।

6.   जो लोग पूरी तरह से शुन्य हो गए है वे ही ईश्वर की कृपा का अंत जान पाते है।

7.   तुमने आज तक ईश्वर की पूजा की नही और बात ईश्वर की महिमा के अंत पाने की कर रहे हो ।

8.   नेताजी के जीवन में बहुत कुछ गुप्त है उनका अंत पाना इतना आसान नही है।

9.   चुनाव के समय में लोग नेताजी के बुरे कार्यों का अंत पा गए और नेताजी चुनाव में विजय न हो सके ।

अंत पाना मुहावरे पर कहानी || ant pana story on idiom in Hindi

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है एक आदमी था जो की लकड़ी काट कर बेचने का काम करता था इस कारण से लोग उसे लकड़हारा कहा करते थे । लकड़हारे के घर में उसकी पत्नी और उसके दो बेटे व एक बेटी रहा करती थी ।

और इसका मतलब है की लकड़हारे का परिवार बड़ा था और अपने परिवार को पालने के लिए लकड़हारा सुबह होते ही जंगल में जाता और वहां जाकर लकड़िया काटने लग जाता था और शाम होने को होती थी तो उन्हे लेकर शहर चला जाता था जहां पर बेचने के कारण से लकड़हारे को अच्छा मुनाफा मिल जाता था ।

अब जो पैसे हासिल होते थे उनका उपयोग कर कर लकड़हारा घर में उपयोग होने वाले समान को लेकर घर की और चला जाता था इसी तरह से लकड़हारे का जीवन चल रहा था ।

लकड़हारा काफी मेहनती था और ईश्वर में भरोषा करता था वह ईश्वर से हमेशा एक ही प्राथना करता था की उसे इस गरीबी सेमुक्त कर दिया जाए ताकी बेटो का भविष्य अच्छा हो सके और कहते है की ईश्वर को बार बार एक बात कहने के कारण से कभी न कभी वे सुन ही लेते है और ऐसा ही लकड़हारे के साथ हो गया । मतलब ईश्वर ने लकडहारे की बात सुन ली और उसे अमीर बना दिया ।

दरसल लकड़हारा जो था वह जंगल में हमेशा जाता था और दूर दूर तक चला जाता था और इसी तरह से एक दिन की बात है जब लकड़हारा लकडी लेने के लिए जंगल के अंतिम छोर की और चला गयाथा । बल्की लकडी तो बहुत पहले ही मिल जाती थी मगर लकड़हारा दूसरे छोर पर जा पहुंचा ।

मगर वहां पर जाने के कारण से लकडहारे को फायदा हो गया । दरसल अंतिम छोर में लकडहारे को एक गुफा दिखी जिसके अंदर लकडहारा चला गयाऔर वहां पर जाने के बाद में लकडहारे को पीले रंग का कुछ मिला जिसे लेकर लकडहारा शहर चला गया और वहां पर जाने के बाद में उसे पता चला की यह तो सोना है ।

मतलब उसे सोने की खदान मिल गई थी और इस कारण से लकडहारा खुश हुआ ।मगर इस खुशी को बाहर नही निकाला क्योकी अगर बाहर निकाला जाए तो दूसरो को पता चल जाता था और दूसरो को पता चल जाने के कारण से उसे सोना नही मिल पाता था ।

इस कारण से लकड़हारे ने मन ही मन योजना बनाई और योजना के तहत लकड़ी लेने के बहाने जंगल में जाता था और बहुत सारी लकड़ी के बिच में सोने की बड़ी मात्रा लेकर अपने घर में आने लग गया था ।

और अपने बेटो को भी अब वह जंगल में लेकर जाने लगा था और घर में कह दिया की इस बारे में किसी को बताना नही और इस तरह से बेटो के साथ मिल कर लकड़हारा सोने को लेकर आता और दूर दूर शहरो मे जाकर बेच देता था ताकी उस पर किसी को सक न हो और इस तरह से रोजाना करते रहने के कारण से लकड़हारा जल्द ही अमीर बन गया ।

अब लकड़हारे के अमीर बन जाने के कारण से लोगो को समझ में नही आया की आखिर यह इतना जल्दी अमीर कैसे बन गया क्योकी लकड़ी बेच कर कोई अमीर नही बन पाता है और सभी को पता था । मगर लोगो ने इस बात पर ज्यादा ध्यान नही दिया ।

मगर गाव में ही नंदकिशोर नाम का एक आदमी था जो की लकड़हारे का पड़ोसी था उसने इस बात को अपने मन में दबा लिया और यह पता करने की कोशिश करने लगा की आखिर लकड़हारा इतना जल्दी अमीर कैसे बन गया ।

इस कारण से एक दिन नंदकिशोर ने मोका पा कर लकड़हारे का पीछा करना शुरू कर दिया और पीछा करता हुआ जंगल के अंतिम छोर पर जा पहुंचा जहां पर उसे वही गुफा मिली और जिससे सोना लेकर लकड़हारा आ रहा था और यह देख कर नंदकिशोर बहार आ गया और लकड़हारे के सामने जा पहुंचा ।

और लकड़हारे से कहा की वहां भाई अकेले अकेले गुप्त भेद को छीपा रखे हो मगर आज से मैं तुम्हारा अंत जान चुका हूं की आखिर तुम कैसे अमीर बने हो ।

 और यह सब देख कर और सुन कर लकड़हारे ने नंदकिशोर को कहा की भाई तुमने मेरा अंत जान लिया मगर इसे सभी से छीपा कर रखना है क्योकी अगर सभी को पता चला तो हमे कुछ हाथ नही आने वाला है और इस तरह से लकड़हारे ने उसे समझाया और आधा अधा सोना लेने का फैसला लिया ।

अंत पाना मुहावरे का अर्थ

अब लकड़हारे के साथ साथ नंदकिशोर भी उस खादन से सोना निकालने लगा और वह भी धनवान बन गया । जिसके कारण से लोगो को सक हुआ और इसी सक के कारण से लोगो ने भी उनका पीछा किया और आखिर में सभी को खादान के बारे में पता चल गया और नंदकिशोर और लकड़हारा इतनी जल्दी अमीर कैसे बन गए है इस बारे में लोग अंत पा चुके थे ।

और सरकार को इस बारे में पता चला तो सरकार ने सभी गाव के लोगो को दूर कर कर खादान को अपने कब्जे मे ले लिया । जिसके कारण से लोगो को कुछ नही मिला और नंदकिशोर और लकड़हारा अमीर बन गए और अब दोनो अपना जीवन मोज मस्ती के साथ बिताने लगे थे और इसी तरह से उनका जीवन बित गया ।

तो इस तरह से दोस्तो कहानी से समझा जा सकता है अंत पाना मुहावरे का अर्थ भेद पाना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।