पगड़ी रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

पगड़ी रखना मुहावरे का अर्थ pagdi rakhna muhavare ka arth— इज्जत बचाना या इज्जत रखना ।

दोस्तो जो पगड़ी होती है उसे इज्जत का प्रतिक मानते है और यही कारण है की मान लोग जो की काफी इज्जतदार है वे ज्यादातर पगड़ी में देखे जाते है । जैसे की सिख की बात करे वह हमेशा अपनी पगडी को इज्जत देते है और कभी जमीन पर नही गिरने देते है । उनका मानना है की अगर पगडी उतर गई इज्जत नष्ट हो जाएगी । और इस तरह की बातो के आधार पर पगड़ी रखना मुहावरे का अ​र्थ होता है इज्जत रखना या इज्जत बचाना ।

पगड़ी रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

पगड़ी रखना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग   || pagdi rakhna use of idioms in sentences in Hindi

1.        रामू ने समय पर सेठ को उसका उधार नही दिया तो सेठ रामू को परेशान करने लगा मगर तभी उसका श्यामू ने पैसे देकर उसकी पगड़ी रख ली ।

2.        पर्वतसिंह को पुलिस बेवजह गुन्हेगार बना कर पकड़ने लगी थी मगर तभी राजू वकिल ने आकर उन्हे रोक दिया और पर्वतसिंह की पगड़ी रख ली ।

3.        रमेश जैसे नेक आदमी की पगड़ी रखने से कोई पीछे नही हटता है ।

4.        संतोष का विवाह था और पिता के पास अच्छी तरह से विवाह करने के लिए पैसे नही थे तो रामू ने उसकी पैसे देकर मदद की और संतोष की पगड़ी रख ली ।

पगड़ी रखना मुहावरे पर कहानी  || pagdi rakhna story on idiom in Hindi

दोस्तो एक समय पहले की बात है एक गाव हुआ करता था जहां पर रामू नाम का एक आदमी रहा करता था जो की अपना जीवन गुजारता था । रामू के घर में उसकी एक बेटी और एक बेटा था ।

इसके अलावा रामू की पत्नी और उसके पिता भी साथ में रहा करते थे । इसके अलावा रामू के घर में और कोई नही था । रामू जो था वह एक स्कूल में चपरासी का काम करता था जिसके कारण से उसे अच्छी तनख्वाह मिल जाती थी । क्योकी वह एक सरकारी चपरासी था ।

रामू जो था वह अपने काम को काफी इमानदारी के साथ करता था और जो कुछ धन उसकी बेंक मे आता था वह उसके लिए काफी जरूर होता और उसका उपयोग भी वह अपने घर को चलाने के लिए कर लेता था । तो इसत रह से रामू था जो की अपना जीवन चला रहा था ।

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क्योकी जब बेटे बड़े हो जाते है तो फिर पिता की एक जिम्मेदारी होती है और वह उसे पूरी करनी ही होती है और उसी तरह से रामू जो था उसके बेटे बड़े हो गए और वह भी विवाह के लायक हो गए । तो रामू ने अपने बेटे ​और बेटी के विवाह के लिए रिश्ता देखा था ।

उसका एक दोस्त था जिसका नाम श्यामू था और वह उसका खास दोस्त था । जिस तरह से दोनो के नाम मिल रहे है ठिक वैसे ही दोनो के विचार भी मिला करते थे ।

तो यह जो श्यामू था वह काफी धनवान आदमी था और उसने ही रामू की बेटी और बेटे का विवाह करवा दिया था और यह सब होने के कारण से वे काफी खुश थे ।

मगर विवाह तय होना भी काफी बड़ी बात नही है क्योकी जब तक विवाह पूरा नही हो जाता है तब तक एक पिता के सिर पर टेंसन बनी रहती है  और इसी तरह से रामू के सिर पर भी टेंसन थी और उसका मूल कारण यही था की रामू जो था उसके पास इतना रूपया नही था की वह विवाह को अच्छी तरह से कर सके इस कारण से उसने उधारलेने की सोची और श्यामू के पास से पता नही किस कारण से उधार नही लिया और गाव के सेठ से उधार ले लिया ।

तब सेठ ने अच्छा खास ब्याज बताया मगर फिर भी रामू ने उधार ले लिया । और फिर अपने बेटे और बेटी का विवाह इतनी धुम धाम से किया की पूरे गाव के लोग तक देखने लग गए थे । क्योकी विवाह में एक तो अच्छी रोनक सोनक थी और दूसरा की तरह तरह की मिठाईया बनी हुई थी ।

 और यह सब देखने के बाद में श्यामू को यह जरूर लगा की आखिर इसके पास इतना रूपय कहा से आ गए मगर उसने इस बात पर ध्यान नही दिया । समय बित गया और अब रामू जो था उसके उधार देने का समय आ गया था और समय आते ही सेठ उसके पास आया और कहा की हमारे पैसे कहा है कब मिलेगे ।

तब रामू ने कहा की अभी तो पैसे नही है आप दो महिने बाद ले लेना और काफी कोशिश करने के बाद में रामू जो था वह सेठ को मनाने में सफल हो सका था । अब सेठ जो था वह यह सोच कर मान गया की क्या है दो महिने बाद पैसे लेगे तो ज्यादा मिलेगे और यही कारण रहा था की वह मान गया ।

अब समय बितता जा रहा था और ओर इसी तरह से समय के चक्कर ने रामू को इस तरह से फंसाया की उसके पास पैसे आने का नाम तक नही ले रहे थे । अब जो सरकार से मिल रहे थे वह खर्च हो जाते थे और यह सब देखने के बाद में रामू को समझ में नही आया की आखिर किया क्या जाए ।

पगड़ी रखना मुहावरे का अर्थ

 क्योकी उसे पता था की इस बार अगर सेठ के पैसे नही दिए गए तो पूरे गाव के लोगो को पता चल जाएगा की मैने उधार लेकर बेटे और बेटियो का विवाह किया है । और हुआ कुछ ऐसा ही था दो महिने बितने के बाद में सेठ उसके घर आया और पैसे मागा ।

मगर पैसे न मिलने के कारण से सेठ गुस्सा हो गया और प्रत्येक दिन आने लगा और एक दिन सेठ ने कहा की पैसे कल नही मिले तो तुम्हारी खैर नही है । और तभी श्यामू वहां पर आ गया और उसे बात का पता चला तो श्यामू ने रामू को पैसे दे दिए और कहा की जाओ सेठ को दे आओ ।

श्यामू से पैसे लेकर सेठ को रामू ने दे दिए और फिर श्यामू के पास जाकर कहा की भाई तुमने तो मेनी पगड़ी रखी ली । और यह सुन कर श्यामू ने कहा की तुम आखिर सेठ के पास जाकर पैसे लिए ही क्यो थे मुझे बता देते मैं तुम्हे दे देता और ऐसा सुन कर रामू ने कहा की मैंने नही लिए और फिर दोनो में बाते हुई और फिर रामू ने इस समय को अपने जीवन में हमेशा याद रखा की उसके दोस्त ने उसकी पगड़ी रखी थी ।

तो इस तरह से दोस्तो पगड़ी रखना मुूहावरे का अर्थ होता है इज्जत बचाना ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।