आओ समझें, माथा ठनकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

माथा ठनकना मुहावरे का अर्थ maatha thanakana muhavare ka arth – आशंका होना ।

दोस्तो आज के समय मे लोगो के बिच मे झगडा होता ही रहता है और इसी बिच मे अचानक झगडा करने वाले मे से एक व्यक्ति दुसरे के साथ अच्छा व्यवाहर करने लग जाता है । तो दुसरे व्यक्ति को अहसास हो जाता है की पहले तो ‌‌‌इसने कभी भी मेरे साथ ऐसा व्यवाहर नही किया है आज यह कर रहा है ।

तो उसे उस पर आशंका हो जाती है ‌‌‌की जरुर कुछ न कुछ इसके दिमाग मे चल रहा है । और इस तरह से आशंका हाने को ही माथा ठनकना कहा जाता है । यहां पर एक बात ध्यान रखने योग्य है की आशंका का कारण कोई भी हो सकता है ।

माथा ठनकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

माथा ठनकना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌रामलाल का माथा तो ठनका ही होगा जब तुम उसके साथ दोस्ती करने के लिए गए थे ।
  • तुम उसकी बातो मे मत आ जाना वह बडा नालायक है मैंरा तो उसकी बातो को सुनते ही माथा ठनक गया था ।
  • तुम्हारे मेरे साथ ऐसी बाते करने के कारण ही मेरा माथा ठनका था ।
  • तुम पहले तो उसके साथ लडाई करते थे और ‌‌‌अब चुपडी चुपडी बाते कर रहे हो इस कारण से उसका माथा ठनका होगा ।
  • ‌‌‌भुआ जब अचानक मेरे घर आ गई तो मेरा माथ ठनक गया और अगले दिन हमे पता चला की वह घर का बटवारा माग रही है ।
  • मेरा तो माथा तभी ठनक गया था जब काली बिल्ली ने रास्ता काट दिया और मेने तुम्हे वहां पर जाने से मना भी किया था पर तुम चले गए और आज यह दुर्घटना हो गई ।
  • करमचंद के पास पहले तो उसके भाई के लडके जाते नही थे और जब आज उसके पास पास रहने लगे तो करमचंद का माथा ठनक गया ।
  • वह तो पूरा बूधू है मै उसे आपना मित्र बनाने के बहाने ‌‌‌गया और उसका एक बार भी माथा नही ठनका ।

‌‌‌ ‌‌‌माथा ठनकना मुहावरे पर कहानी Idiom story

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे करमचंद नाम का एक आदमी रहता था । करमचंद के पास बहुत धन दोलत थी इस कारण से उसे कभी भी किसी चिज की कमी महसुस नही होती थी । उसके घर मे उसका भाई था और उसके भाई की अभी अभी शादी हो गई थी ।

करमचंद का भाई बडा नालायक था वह दुसरो के धन पर अपनी नजर रखता था और अपने धन ‌‌‌के बारे मे वह कभी भी सोचता नही था यानि वह अपना काम कम करता था । जिसके कारण से उसके पास धन नही आता था । अब दोनो भाई मे से एक कमाता और उसका भाई घर पर बैठ कर खाता था ।

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इस कारण से करमचंद ने उससे अलग होने का फैसला ले लिया था और किसी तरह से उसके साथ अलग हो गया था । अलग हो जाने के कारण से करमचंद के भाई ने ‌‌‌करमचंद के पास जो धन था उसमे भी बटवारा मागा था ।

जिसके कारण से करमचंद को अपने भाई को अपना धन भी देना पडा था । धन ले लेने के कारण से करमचंद की पत्नी को बहुत बुरा लगा और उसने सोच लिया की अब इन लोगो के साथ बातें भी नही करुगी ।

ऐसा सोचकर करमचंद की पत्नी उन दोनो के साथ बाते भी नही करती थी । धिरे धिरे समय ‌‌‌बित गया और अब करमचंद के घर मे उतने ही लोग रहते थे कहने का अर्थ है उसके घर मे कोई भी संतान नही थी । पर करमचंद के भाई के घर मे उसके तिन बेटे थे ।

जब करमचंद के भाई ‌‌‌के बेटे बडे हुए तो ‌‌‌उनके पिता ने उनकी शादी कर कर तिनो को अलग कर दिया था । ‌‌‌अब करमचंद का भाई जिस बेटे के पास रहता था वह उसके पास बहुत ही खुश रहता था । पर वह समय के साथ दारू पिने लगा था और किसी कारण से वह अपने भाई को दिन और रात गालिया देने लग जाता था ।

इसी तरह से उसके दो बेटे थे वे भी करमचंद को भला बूरा कह देते थे पर उसका बडा बेटा समझदार था । इस कारण से वह करमचंद को कुछ भी नही कहता और दिन और रात उसका हाल चाल पूछता था ।

जब करमचंद की ‌‌‌उमर काफी अधिक हो ‌‌‌गई तो करमचंद के भाई ने अपने छोटे बेटे से कहा की बेटा अब तुम करमचंद के पास रहा करो जिसके कारण से इसके पास जो भी धन है वह तुम्हारा हो जाए। अपने पिता की बात उसके बेटे को समझ मे आ गई थी ।

इस कारण से अगले ही दिन से करमचंद ‌‌‌का भाई और उसका छोटा बेटा करमचंद के आस पास रहने लगा था । ताकी करमचंद अपने भाई के छोटे बेटे ‌‌‌को अपने पास रख ले और घर व खेत के साथ साथ अपना धन भी उसे दे दे।

पर जब करमचंद के घर वे दोनो आने लगे तब करमचंद का माथा ठनग गया और उसे पता चल गया की ये दोनो आज मेरे पास क्यो आ रहे है । जब करमचंद का भाई और उसका छोटा बेटा दिन और रात उसके पास रहने लगे तब करमचंद ने सोचा की इतने दिनो तक तो ये मुझे गालिया देते ‌‌‌थे और आज ये लोग मेरे पास आकर चुपडी चुपडी बाते करते है ।

तब उसने सोच लिया की मै इन दोनो को तो अपनी जमीन नही दुगा । बल्की उसने सोचा की मै तो मेरे भाई के बडे बेटे को ही दुगा ।  ‌‌वही एक इतने दिनो से मेरे साथ अच्छा व्यवाहर करता रहा था। ऐसा सोचकर वह एक दिन शहर गया था और वहां पर जाकर अपनी सारी जमीन अपने ‌‌‌भाई के बडे बेटे के नाम लिखा दी ।

अब करमचंद का भाई करमचंद के पास आता और कहता की तुम मेरे छोटे बेटे को अपने पास रख लो वह तुम्हारी देखभाल कर देगा । तब उसने कहा की ठिक है । ऐसा सुनकर जब करमचंद का भाई अपने घर गया तो अपने बेटे को बताने लगा की मैंने तो उसे मना लिया और उसका माथा भी नही ठनका ।

‌‌‌ ‌‌‌माथा ठनकना मुहावरे पर कहानी Idiom story

उसने जब छोटे ‌‌‌बेटे को रखने के लिए कह दिया तो ‌‌‌वे लोग करमचंद का बहुत ध्यान रखने लगे थे । और जब वह मर गया तब जाकर करमचंद के भाई को पता चला की यह जमीन तो इसने मेरे बडे बेटे को कब ही दे दी थी । और मैं और मेरा बेटा इसका ध्यान रख रहे थे ।

तब से करमचंद की पत्नी के पास अब बडा बेटा रहने लगा था । और एक दिन बडे बेटे ने अपने पिता से कहा ‌‌‌की आप तो उसके पास पास हो रहे थे पर उसका उसी समय माथा ठनक गया था जब आप उसके साथ चुपडी चुपडी बाते करने लगे थे और उसे गालिया देना बंद कर दिया था ।

इस कारण से ही आज यह जमीन मेरे नाम हो गई है । ऐसा कहने पर करमचंद के भाई को भी पता चल गया की आखिर उसे पहले ही पता चल गया था की हम उसके पास किस कारण से हो ‌‌‌रहे है । इस तरह से आप लोगो को यह तो समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।  

माथा ठनकना मुहावरे पर निबंध || maatha thanakana essay on idioms in Hindi

दोस्तो जिस तरह से कहानी मे बताया गया है की दो भाई होते है जिनमे से एक का नाम करमचंद होता है और उसका कोई बेटा नही होता है । जिसके कारण से उसके बड़े भाई के दो लड़के होते है वे ही जमीन को हासिल करना चाहते है ।

और इसी के चलते भाई के छोटे लड़के ने बहुत कोशिश की और करमचंद को चिकनी चुपड़ी बातो में फसाने की कोशिश की मगर उसकी बातो को सुन कर वह समझ गया की की कुछ तो गड़बड़ है मतलब उसे आशंका होने लगी और इसी के चलते करमचंद ने अपना सब कुछ अपने भाई के बडे बेटे को दे दिया और स्वयं आराम से जीवन जीते हुए मर गया ।

और कहानी में आगे बताया गया की मरने के बाद में करमचंद के भाई को पता चला की उसने जमीन तो कबका मेरे बड़े बेटे को ​दे दिया और इसी समय छोटे बेटे के द्वारा maatha thanakana मुहावरे का प्रयोग किया गया था ।

जिसके माध्यम से कहा जा रहा था की करमचंद को कब का आशंका हो गई ​थी और इसी बात से समझा जा सकता है की आशंका होना ही इस मुहावरे का अर्थ है ।

नीचे जिन मुहावरों की लिंक दी जा रही है वे अकसर लोग जानना चाहते है और महत्वपर्ण भी है ।

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मक्खी मारना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।