जीती मक्खी निगलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

जीती मक्खी निगलना मुहावरे का अर्थ jiti makhi nigalna muhavare ka arth – जान बूझकर गलत काम करना ।

दोस्तो मक्खी एक छोटा कीट होता है और इसका भी अपना जीवन होता है जिसको नष्ट करना एक तरह का गलत काम होता है । साथ ही मक्खी जो होती है वह खाने के लिए नही है यानि इस पृथ्वी पर कोई नही है जो की मक्खी को अपना भोजन मानकर उसे खाता है ।

मगर जो कोई मक्खी को खाता है और कंठ से निचे निगल लेता है तो इसका मतलब है की एक तरह का गलत काम कर रहा है और इस बारे में वह जानता है मगर फिर भी करता है मतलब जानते हुए गलत काम कर रहा है ।

तो इस तरह से जीती मक्खी निगलना मुहावरे का सही अर्थ जान बूझकर गलत काम करना होता है ।

जीती मक्खी निगलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

जीती मक्खी निगलना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || jiti makhi nigalna  use of idioms in sentences in Hindi

1.   थोड़े से धन के लिए रामू ने जीती मक्खी निगल ली ।

2.   सभी को पता है की शराब पीने से उनकी उम्र कम होगी मगर फिर भी सभी जीती मक्खी निगल रहे है ।

3.   कुछ भ्रष्ट नेता लोग जीती मक्ख निगल लेते है ।

4.   पैसो के लिए आज कल सरकारी कर्मचारी जीती मक्खी निगलने को तैयार है ।

5.   तुम तो डॉक्टर साहब मरीज के साथ गलत करने के लिए कह रहे हो भला डॉक्टर साहब क्यो जीती मक्खी निगले ।

6.   मरीज की मृत्यु की खबर छीपाने के लिए रामू ने डॉक्टर साहब को पैसे देने चाहे मगर डॉक्टर ने जीती मक्खी निगलने से मना कर दिया ।

7.   पुलिसकर्मी को पता था की धनमल का बेटा ही चोर है मगर फिर भी पैसे लेकर पुलिसकर्मी ने जीती मक्खी निगल ली ।

जीती मक्खी निगलना मुहावरे पर कहानी || jiti makhi nigalna story on idiom in Hindi

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है एक छोटा सा गाव हुआ करता था जहां पर बहुत सारे लोग रहा करते थे और उन ही लोगो में से एक धनमल था जो की केवल नाम का ही धनवान था क्योकी उसके पास धन की हमेशा कमी रहा करती थी ।

 दरसल धनमल जो था वह पहले काफी धनवान हुआ करता था मगर एक दिन उसकी छोटी सी लापरवाही के कारण से सारा का सारा धन जल कर नष्ट हो गया ।  दरसल उसके पैसो में आग लग गई थी और धनमल ने नशे की लत में यह सब कर दिया था ।

जिसके बाद में धनमल जो था वह गरीब लोगो क श्रेणी में आ गया था । मगर अब भी धनमल के पास इतना पैसा था की वह अपनाजीवन चलाने के लिए स्वयं का काम कर सके इस कारण से उसने शहर में एक किराणे की दुकान खोल ली और उसमें काम करने लगा जिसके कारण से मुश्किल से धनमल का घर चल पाता था ।

धनमल के घर में उसके माता पिता जो की वृद्ध थे और धनमल की पत्नी और एक बेटा रहा करता था । इसके अलावा धनमल के यहां कोई और नही रहा करता था । धनमल का जो बेटा था वह भी अपने पिता के पास काम करने के लिए शहर में जाता और दुकान में समान देता रहता था ।

दरसल धनमल का जो बेटा था उसका नाम सुरजीत था और वह देखने में काफी अच्छा लड़का लगता था और आस पास के लोग भी उसे अच्छा लड़का मानते थे । मगर एक दिन धनमल को पता चल गया की उसका लड़का कैसा है ।

दरसल सुरजीत जो था वह हमेशा शहर में किराणे की दुकान में काम करने के लिए जाता था और वहां पर आस पास में बहुत सारी दुकान भी थी । जिसके कारण से जो ग्राहक होते थे वे उन दुकानो में भी चले जातेथे और बहुत से लोग तो ग्राहको को बुला लेते थे

और इसी तरह से एक बार धनमल के सामने वाला दुकानदार धनमल के पास खड़े ग्राहक को बुला लिया और उसे समान दे दिया और इसी बात को लेकर सुरजीत ओर दुकानदार में झगड़ा हो गया ।

अब सुरजीत घुस्सेलू लड़का था जिसके कारण से उसके मन में दुकानदार के प्रति क्रोध भर गया था और उसी दिन की बात है रात के समय में उस दुकानदार की दुकान में चोरी हो गई और इस बारे में दूसरे दिन दुकानदार को पता चला ।

जिसके कारण से दुकानदार ने सिधे ही सुरजीत पर कैस कर दिया क्योकी सक सिधा जा रहा था पहले दिन झगड़ा हुआ था और दूसरे दिन चोरी और यह सब देख कर पुलिसकर्मी भी छानबिन करने लगे और तक पुलिसकर्मी को पता चलाकी सुरजीत ही चोर है ।

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अब पुलिसकर्मी जो था वह धनमल का अपना करीबी थी । जिसके कारण से उसने धनमल को इस बारे में बताया तो धनमल को यकिन नही हुआ मगर अपने बेटे को डाट, पीट कर पूछने पर उसने भी कह दिया की उसी ने रात का समय देख कर दुकानदार के यहां चोरी की है और जो कुछ चुराया था वह दूर किसी शहर में बेच दिया और जो पैसे प्राप्त हुए थे वे धनमल को दे दिए ।

यह बस जानने के बाद में धनमल ने पुलिसकर्मी को बुलाया और मामले को रफा दफा करने को कह दिया । मगर पुलिसकर्मी ने कहा की मैं क्यो भला जीती मक्खी निगलू इसमें मेरा क्या फायदा है

और यह सुन कर धनमल को समझ गया की इसे पैसे देने होगे ओर इस कारण से धनमल ने पुलिसकर्मी को पैसे दिए और कहा की अब इस मामले को रफा दफा करने की जिम्मेदारी तुम्हारी है मेरे बेटे का नाम चोरी में नही आना चाहिए ।

जीती मक्खी निगलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

और ऐसा करने के कारण से पुलिसर्मी ने जीती मक्खी निगल ली और दुकानदार को कहता रहा की हम छानबिन कर रहे हे और एक साल तक हीपुलिसकर्मी ने दुकानदार को चोर के बारे में नही बताया ।

जिसके कारण से दुकानदार को पता चल गया की पुलिस उसकी कुछ साहायता नही करने वाली है । अब दुकानदार ने भी इस बात को भूलना सही समझा और फिर से अपनी दुकान पर ध्यान देने लगा और उसे अच्छी तरह से चलाने लगा था । और इस तरह से फिर सुरजती का जीवन बितने लगा था ।

तो कभी कभार ऐसा भी हो जाता है ओर लोग जीती मक्खी निगल लेते है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।