काठ का उल्लू मुहावरे का अर्थ kath ka ullu muhavare ka arth – अज्ञानी या मूर्ख होना ।
दोस्तो अगर कोई व्यक्ति ऐसा हो जिसको किसी बात का ज्ञान नही होता है तो उस व्यक्ति को अज्ञानी कहा जाता है । साथ ही आज के समय मे अज्ञानी वही होते है जो पढे लिखे नही होते है । इस तरह से जो लोग पढे लिखे न हो या पढे लिखे होने पर भी किसी बात मे अज्ञानी हो यानि उस बात का ज्ञान न हो । तो ऐसे ज्ञान न होने वाले व्यक्तियों को मूर्ख कहा जाता है । और साथ ही ऐसे मूर्ख व्यक्ति जिसको किसी बात का ज्ञान न हो उसे ही काठ का उल्लू कहा जाता है । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ मूर्ख होना होता है ।
काठ का उल्लू मूहावरे का वाक्य मे प्रयोग
- महेश तो पूरा काठ का उल्लू है उसे कुछ नही आता ।
- लखन को समझाना बेकार है वह तो ऐसा काठ का उल्लू है जा ढूंढने पर भी नही मिलता है ।
- अगर मुझे पता होता की तुम काठ के उल्लू हो तो मैं तुम्हे कभी कोई काम सोपता भी नही ।
- अगर तुम जैसे कुछ काठ के उल्लू और मिल गए तो मैं तो बर्बाद हो जाउगा ।
- तुम क्या काठ के उल्लू हो जो हर बात समझानी पडती है ।
- अगर हर काम मे ऐसा करोगे तो लोग तो तुम्हे काठ का उल्लू समझेगे ही ।
- तुमने तो आज काठ के उल्लू वाला काम कर दिया ।
- आपको कोई और नही मिला क्या जो इस काठ के उल्लू से मदद मागनी पढ गई ।
काठ का उल्लू मुहावरे पर कहानी
प्राचिन समय की बात है राजेश नाम का एक लडका अपने माता पिता के साथ रहता था । उसके घर मे उनके अलावा उसकी एक छोटी बहन थी । राजेश और उसकी बहन दोनो एक साथ पढने के लिए स्कुल जाते थे । पर राजेश बडा था इस कारण से वह अपनी बहन से तिन कलाश आगे पढता था ।
राजेश के पिता अपने खेत मे काम करते और साथ साथ मजदूरी मिल जाती तो वहां जाकर पैसे कमा लेते थे । इस तरह से मुसीबत मे झूझ कर राजेश के पिता उन दोनो भाई बहन को पढा रहे थे ।
राजेश पढाई मे कमजोर था अगर उसे शिक्षक कुछ बता देते तो उसे समझ मे नही आता और जब पैपर लगते तो वह ऐसा वैसा ही कुछ लिख कर आ जाया करता था । फिर भी अध्यापक उसे पास करते गए क्योकी सरकार का ऑडर था की आठवी तक किसी भी बालक को फेल मत करना ।
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राजेश की बहन उसकी तुलना मे पढाई मे बहुत होशियार थी । इस कारण से वह पढती रहती और राजेश आराम से सो जाया करता था । इस तरह से पढाई करते हुए राजेश जब दसवी मे पहूंचा तो उसे पता चला की अगर इस बार नही की तो मुझे कलाश मे फैल होना पडेगा।
ऐसा सोच कर वह कुछ समय तक तो पढा पर जब पढाई मे मन नही लगा तो वह वापस पढाई छोडकर खेलने के लिए चला गया । अब दसवी कलाश मे होने के कारण उसके अध्यापक बच्चो को जो भी पढता उसे पूछते थे ।
इस कारण से राजेश को भी प्रशन के उतर पूछने लगे पर राजेश को नही आए । तब अध्यापक ने सोचा की अगर नही पढेगा तो फैल हो जाएगा । जब दसवी कलाश का पेपर लगा और उसका रिजल्ट आया तो राजेश के साथ साथ उसके पिता को पता चला की वह फैल हो गया है ।
इस कारण से उसके पिता ने उसे फिर से पढने के लिए भेजा पर वह फिर फैल आ गया था । इस तरह से तिन बार फैल हो जोन के कारण से राजेश के पिता को गाव के लोग कहने लगे की तुम्हारा बेटा क्या काठ का उल्लू है जो बार बार फैल होता जा रहा है ।
साथ ही गाव के लोगो ने फिर कहा की उसे पढाने से अच्छा है की कमाने के काबिल बना दो । गाव के लोगो की बात राजेश के पिता को समझ मे आ गई इस कारण से उसे छोटी सी उमर मे काम करने के लिए भेजने लगे थे ।
राजेश और उसका पिता कभी कभी ही काम करने के लिए साथ जाते थे वरना दोनो अलग जाते थे । इसी तरह से एक दिन की बात है राजेश काम करने के लिए गाव के सेठ के पास गया था ।
जब राजेश सेठ के पास काम करने लगा तो पहले दिन सेठ उसे बातने लगा की कोनसे काम को किस तरह से करना है । क्योकी सेठ को लगा की यह काम करने मे नया है इस कारण से इसे पता नही है की कोनसे काम को कैसे करना है ।
इस तरह से सेठ को राजेश को काम करने के बारे मे बाताते हुए तिन दिन हो गए थे । पर राजेश को समझ मे नही आ रहा था की काम को कैसे करते है । चोथे दिन सेठ कही पर जा रहा था इस कारण से सेठ ने उसे कहा की आज यह काम करना है।
वह पहले ही वाला काम था जो राजेश ने किया था । इस कारण से सेठ को लगा की यह काम कर लेगा और ऐसा सोच कर सेठ वहा से चला गया था । जब रात्री होने से पहले सेठ अपने घर आया तो उसने देखा की राजेश को जो काम दिया था वह उसनेसही तरह से नही किया है ।
तब सेठ ने राजेश को बुलाया और कहा की तुम क्या काठ के उल्लू हो जो तुम्हे बार बार बताना पडेगा की इस काम को कैसे करते है । उस समय राजेश अपना सिर झुका कर खडा था । तब सेठ ने उसे कहा की कल से काम करने के लिए मत आना ।
राजेश का क्या था राजेश तो अलगे दिन किसी और के पास काम करने के लिए चला गया था । और वहा पर उसे काम करने के बारे मे बता देने के बाद भी उसने गलती कर दी तो उन्होने भी उसे निकाल दिया था।
इस तरह से चार वर्ष बित गए थे पर राजेश को काम करना नही आया तब एक बार फिर उसी सेठ को कुछ मजदूरी का काम कराना था । इस कारण से उसने गाव के एक आदमी से कहा की किसी ऐसे लडके को मेरे पास भेजना जो मेरा काम कर दे ।
जब उसके सामने राजेश आया तो सेठ को लगा की यह और कोई है इस कारण से उससे काम करवाने लगा था । उस समय सेठ को अपने घर अनाज की बोरीया गिरानी थी । तो सेठ ने उसे बोरीया गरने के लिए कह दिया था ।
अब राजेश को यह पता नही था की उन बोरी को उठा कर गेरीनी है वह तो उन्हे गसीट कर गेरने लगा था । तब सेठ ने उसे अपने पास बुलाया और कहा की तुम्हारा नाम क्या है । तब राजेश ने अपना नाम बताया तो सेठ को लगने लगा की यह वही है ।
इस कारण से उसके बारे मे और पूछा और उसके बारे मे जानने के बाद सेठ ने उस आदमी को बुलाया और कहा की तुम्हे इस गाव मे और कोई नही मिला जो इस काठ के उल्लू को काम करने के लिए ले आए । तब उस आदमी ने पूछा क्या बात हो गई ।
तब सेठ ने उसे सारी बात बता दी । सारी बात जान कर उस आदमी ने राजेश को अपने साथ ले गया । उस दिन के बाद राजेश को सेठ काम करने के लिए नही बुलाता था ।
जब राजेश को कोई काम नही मिलता तो उसके पिता उसे अपने खेत मे काम करने के लिए भेजने लगे थे । और फिर वह वही काम करता और अपना जीवन गुजारने लगा । इस तरह से आप लोगो को इस कहानी से इस मुहावरे के बारे मे पता चल गया होगा की इसका अर्थ क्या है ।
काठ का उल्लू मुहावरे पर निबंध || kath ka ullu essay on idioms in Hindi
दोस्तो वैसे अगर आप इस मुहावरे को नही समझते है तो भी आप इस मुहावरे को समझने के लिए उल्लू शब्द का प्रयोग कर सकते है । क्योकी आपको पता है की उल्लू को हमेशा से मूर्ख माना गया है तो जाहिर होगा की मुहावरे का अर्थ मूर्ख से जुड़ा होगा ।
और सच में काठ का उल्लू मुहावरे का अर्थ भी अज्ञानी या मूर्ख होना से होता है । तो अगर मूर्ख होने की बात होती है तब ही इस मुहावरे का सही रूप मे प्रयोग किया जाता है ।
दोस्तो काठ का उल्लू मुहावरे को याद करने के लिए हमने आपको उपर इसके बारे में काफी कुछ समझाया है और मुहावरे के अर्थ को समझने के लिए एक कहानी दी है और कहानी में बताया गया है की काठ का उल्लू होना मुहावरा कैसा है और इसका प्रयोग कैसे किया जाता है ।
मतलब यह हुआ की अज्ञानी या मूर्ख होने की जहां पर बात होती है वही पर इसका वाक्य में प्रयोग होता है और यही कहानी के माध्यम से किया जा रहा है ।
निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।
रंग जमाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
लोहे के चने चबाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
सिर उठाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
लकीर का फकीर होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
हाथ मलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
हवा से बातें करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
हवाई किले बनाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
कागज काला करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
चोर की दाढ़ी में तिनका मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
गाल बजाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
गूलर का फूल होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
छक्के छुड़ाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
छठी का दूध याद आना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
कोल्हू का बैल मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
घोड़े बेचकर सोना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
काला अक्षर भैंस बराबर मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
कान खड़े होना मुहावरे का अर्थ और वाकय मे प्रयोग
कान काटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग
कान का कच्चा होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
कलम तोड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
एक अनार सौ बीमार मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
एक आँख से देखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग
उँची दुकान फीका पकवान मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
आस्तीन का सांप होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
उँगली उठाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
आपे से बाहर होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
आग में घी डालना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
आँखों में धूल झोंकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
आँखें बिछाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
आकाश पाताल एक करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग