‌‌‌लोहे के चने चबाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

‌‌‌लोहे के चने चबाना मुहावरे का अर्थ lohe ke chane chabana muhavare ka arth – बहुत कठिन काम करना या संघर्ष करना ।

दोस्तो अगर किसी को किसी कार्य को करने मे बहुत कठिनाई महसुस हो रही है फिर भी वह उस कार्य को करता रहता है और एक समय ऐसा आता है की वह उस कार्य को कर लेता है । तो ‌‌‌उसके लिए कहा जाता है की यह तो ‌‌‌लोहे के चने चबाना जानता है क्योकी इतनी कठिनाई मे भी इसने हार नही मानी और अपने काम को ‌‌‌पूरा कर कर ही माना । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ बहुत कठिन काम करना हुआ ।

‌‌‌लोहे के चने चबाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

‌‌‌लोहे के चने चबाना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌जब तक लोह के चने न जावे तब तक किसी भी काम मे सफलता ‌‌‌नही मिलती ।
  • आज के समय मे IAS मे प्रथम आना लोह के चने चबाने जैसा है ।
  • अगर प्रथम आना इतना ही आसान होता तो हर किसी को लोहे के चने चबाने की जरुरत नही पडती ।
  • नोकरी पाने के लिए रमेश बाबू को लोहे के चने चबाने पडे तब जाकर वे आज ‌‌‌इस मुकाम पर पहुंचे है ।
  • ‌‌‌जीवन के संघर्ष मे हर किसी को लोहे के चने चबाने पडते है।

class="wp-block-heading has-vivid-red-color has-text-color">‌‌‌लोहे के चने चबाना मुहावरे पर कहानी ||  lohe ke chane story on idiom in Hindi

‌‌‌राजवीर नाम का एक आदमी अपने गाव मे रहता था । राजवीर के घर मे खाने पिने को भी नही मिल पाता था इस कारण वह अपने गाव से शहर मे कमाने के लिए जाता था । क्योकी गाव मे इतना काम नही था की वह पैसे कमा सके । राजवीर के शरह जाकर कमाने से भी उसे कुछ लाभ नही होता था ।

क्योकी राजवीर के घर मे खाने वाले लोगो ‌‌‌की सख्या बहुत अधिक थी इस कारण वह जो भी कमाता था वह सब उनके खाने मे चला जाता था । राजवीर के घर मे उसके दो बेटे व चार बेटिया थी और राजवीर की पत्नी थी । इस तरह से राजवीर के घर मे सभी खाने वाले ही थे क्योकी उसके जो बेटे थे वे भी बहुत छोटे थे ।

इसी तरह से राजवीर कमाता रहता और अपने परिवार को पालता ‌‌‌था । धिरे धिरे समय बितता गया और उसके घर के बेटे व बेटिया बडी होने लगे । तब राजवीर ने सोचा की मेरी तो चार बेटी है और इनका विवाह भी करना होगा । इसके लिए मुझे बहुत रुपयो की जरुरत पडेगी ।

इसी तरह से राजवीर ने सोचा की क्यो न मै कुछ काम खोल लू जिससे मेरे पास पैसे भी आने लगे । यह सोचकर राजवीर ने ‌‌‌अपने बेटो से कहा की तुम दोनो मेरे साथ शहर मे चलो । राजवीर के दोनो बेटे पडे लिखे थे इस कारण जब वे शरह गए तो वहा पर कमाने के बारे मे जानने लगे ।

शहर जाकर दोनो ने कुछ दिनो तक तो इधर उधर घुम ‌‌‌कर जाना की कोन सा काम करे तो अच्छा रहता है और धन भी ज्यादा प्राप्त होता है । एक दिन उनके पिता ने उनसे ‌‌‌ ‌‌‌कहा की अब तुम मेरे साथ काम करने के लिए चलना शुरु कर दो ।

राजवीर के बेटो को समझ मे नही आ रहा था की पिता जी ‌‌‌हमसे क्या काम करना चहाते है । एक दो महा ‌‌‌तक राजवीर ने अपने बेटो को अपने साथ काम करने के लिए ‌‌‌लेजाता रहा ।  ‌‌‌तब उसे पता चल गया की इस काम मे तो इनको कोई भी फायदा नही होगा

इस तरह से काम कर कर कुछ दिनो ‌‌‌तक रुकना भी पडता है जिससे हमे कोई भी फायदा नही ‌‌‌होता। एक दिन उनके बेटो ने कह दिया की पिताजी आप हमसे काम ही करवाना चहाते है और धन कमाना चहाते है तो आप हमे किसी ऐसे काम मे जाने के लिए कहे जो हमेशा चले और हम उस काम को अकेले भी कर सके ।

अपने बेटो की बात राजवीर को अच्छी लगी । तब राजवीर ने दोनो ‌‌‌से कहा की तुम दोनो कोन सा काम करना चहाते हो तुम स्वयं ही बाता दो । तब एक ने कहा की मै तो मशीने ठिक करने के बारे मे जानुगा । और दुसरे ने कहा की मै वाहन ठिक करने के बारे मे जानुगा ।

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तब राजवीर ने कहा की इससे तो हमे कोई भी फायदा नही होगा और इस तरह से तो हमे पैसे भी नही मिलेगे । तब उनके बेटो ने ‌‌‌कहां पिताजी अगर हमे हमारी गरीबी को दुर करना है तो पहले हमे लोहे के चने चबाने ही पडेगे ।

अपने बेटो की बात उसे समझ मे आ गई इस कारण उसने दोनो को काम करने के लिए भेज दिया और स्वयं भी मजदुर बनकर काम करता था । इस तरह से राजवीर और उसके बेटो ने 6 महा तक काम किया फिर राजवीर के बेटो ने कहा की पिता ‌‌‌जी अगर हम अपना काम खोल लेगे तो बहुत पैसे मिलेगे । अपने बेटो की बात सुनकर राजवीर को लगा की इसमे तो बहुत कठिनाई आएगी ।

तब उसने अपने बेटो को समझाया और कहा की अपना काम खोलने के लिए हमारे पास पैसे कहा से आएगे क्योकी हमे ‌‌‌ही सब कुछ लाना पडेगा । राजवीर नही माना और एक दिन वह शहर मे गया हुआ था तो उसने ‌‌‌किसी से बात की तो उसने कहा की तुम्हारे बेटे कह तो सही रहे है पर इसमे कठिनाई भी बहुत आएगी ।

अगर तुम लोहे के चने चबाकर कोई काम शुरु करोगे तो वह अवश्य ही सफल होगा । साथ ही अपना काम शुरु करने के लिए कठिनाई का सामना तो करना ही होगा और तभी तुम्हारी गरीबी दुर हो सकती है । उस आदमी की बात सुनकर राजवीर ‌‌‌को समझ मे आ गया था । ‌‌‌तब उसने अपने दोनो बेटो को दुकान खोल कर दे ‌‌‌दी।

इसके लिए उसने लोगो से पैसे उधार लिए थे और अपना घर गिरवी रखा था । राजवीर के बेटो की दुकाने कुछ दिनो तक तो नही चल रही थी तो राजवीर को बहुत ही टेंसन होने लगी । तब उसके बेटो ने कहा की पिताजी अगर हम इसी तरह से कार्य करते रहेगे ‌‌‌तब ही हमारी सारी इच्छा पुरी होगी ।

राजवीर ने कहा की ‌‌‌ठिक है जैसा तुम चाहो । इस तरह से कह कर राजवीर ने तो आसा छोड दि पर अपने बेटो के कहने पर उसने हिम्मत बना ली और उनका साथ देने लगा । कुछ महीनो के बाद दोनो बेटो की दुकान मे लोग आने लगे थे जिसे देखकर राजवीर खुश हो गया ।

‌‌‌लोहे के चने चबाना मुहावरे पर कहानी Idiom story

जब एक वर्ष ‌‌‌तक दोनो ‌‌‌भाई और उसके पिता राजवीर ने अपनी दुकान को चलाते रहे तो उनकी दुकान मे लोगा की सख्या बहुत अधिक आने लगी थी । इसी तरह से  दोनो ‌‌‌भाईयों को दुकान चलाते चार वर्ष हो गए थे तब राजवीर और उसका घर पुरी तरह से बदल गया था ।

अब जब भी राजवीर और उसके बेटो को कोई कहता की तुमने तो अपना नक्सा ही बदल लिया है तब ‌‌‌वे कहते की इस नक्से को बदलने मे हमे लोहे के चने चबाने पडे तब जाकर आज हम यहा पर पहुंच पाय है । इस तरह से इस काहनी से मुहावरे का अर्थ आप सही तरह से समझ गए होगे ।

‌‌‌लोहे के चने चबाना मुहावरे पर निबंध || lohe ke chane essay on idioms in Hindi

इस तरह से दोस्तो आपने उपर इस कहानी को पढा है और इस पूरे लेख को पढा है तो आपने कुछ न कुछ तो इससे समझा होगा । मतलब विशेष रूप से आपको यह याद हो चुका होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या होता है ।

क्योकी इस कहानी में और इस पूरे लेख मे आपको हमने बताने की पूरी कोशिश की है की आखिर किस तरह से लोहे के चने चबाना किसी कठिन काम या किसी संघर्ष करने से कम नही होता है ।

जैसे की इसे इस तरह से समझे की आपको एक कटोरी लोहे के चने दिया जाए और कहा जाए की इन्हे चबाना है तो आप काफी सघर्ष करेगे ओर इसे पूरा नही कर पाएगे । तो आपको पता चलेगा की यह एक कठिन काम होता है ।

और केवल इस बात से ही आपको समझ जाना है की लोहे के चने चबना का सही अर्थ  बहुत कठिन काम करना या संघर्ष करना होता है ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।