सिर उठाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सिर उठाना मुहावरे का अर्थ sir uthana muhavare ka arth – विद्रोह करना ।

दोस्तो अगर कोई किसी काम के कारण या फिर किसी बात करे कारण किसी का विरोध करता है तो उसे सिर उठाना कहा जाता है । जिसका विरोध करता है उसके खिलाफ सिर उठाना कहा जाता है । जिस तरह से गलत बातो पर लोग सिर ‌‌‌उठाकर सामने वाले की बातो का विरोध करता है । विरोध करने को ही सिर उठाना कहते है ।

सिर उठाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सिर उठाना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌ ‌‌‌आजकल चारो और गलत हो रहा है फिर भी कोई सिर नही उठाता ।
  • आतंकवादियो को देखते ही भारत के लोग सिर उठा लेते है और उनका सामना करने लग जाते है ।
  • जब अग्रेजो के फिलाफ भारत के लोगो ने अपना सिर उठाया तो अग्रेजो को भारत छोडकर भागना पडा।
  • जब लोगो को पता चला की रमेश तो हमे बहकार हमे ही हडपना चहाता है तो लोग एक साथ सिर उठाकर खडे हो गए ।
  • अपने राजा के बारे मे ‌‌‌जानकर लोगो ने सिर उठाया और राजा को रास्ते पर ला दिया ।

सिर उठाना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

‌‌‌प्राचिन समय की बात है धनश्याम नाम का एक सेठ था । सेठ बहुत ही लालची था इस कारण जब भी उसे कोई उसके फायदे का काम दे देता तो वह उसे कर देता था । चाहे फिर वह किसी के लिए गलत भी क्यो न हो । सेठ की इस आदत के बारे मे किसी को भी नही पता था । इस कारण सेठ के गाव के लोग उसे बहुत समान देते थे । ‌‌‌

अगर सेठ लोगो से कुछ कह भी देता तो लोग बिना सोचे समझे  उसकी बात मान लेते थे । इसी कारण से सेठ को बहुत घमण्ड हो गया था और वह जो चाहता वह लोगो से करवा लेता था । एक बार सेठ को पता चला की गाव के लोगो के खेतो का आने वाले समय मे बहुत रुपय मिलेगे ।

सेठ को पता चला की यह गाव शहर से काफी ‌‌‌दूर है इस कारण ‌‌‌अनेक लोग यहां की जमीन खरीदेगे और अपना काम शुरु करेगे । जिसके लिए वे लोग मुह मागी रकम भी देने को तैयार हो जाएगे । तब सेठ ने सोचा की गाव के लोगो की सारी जमीन मै ले लेता हूं तो आने वाले समय मे मै तो अरबपति बन जाउगा ।

सेठ को लालच आ गया था और उसने एक बार भी गाव के लोगे के बारे मे नही सोचा और लोगो ‌‌‌के खेत लेने की योजना बनाने लगा । सेठ ने सोचा की इन लोगो को पता तो कुछ भी नही है तो मै किसी तरह से इनसे कागजातो पर साईन करवा लूगा जिससे ये खेत मेरे हो जाएगे ।

इस तरह से सेठ के पास जब भी कोई कुछ काम करवाने के लिए आता तो सेठ उनसे कागजातो पर साईन करवा लेता था । सेठ ने कुछ ही महिनो ‌‌‌मे सभी लोगा के खेतो की जमीन पर साईन करवा लिए थे और लोगो को इस बारे मे पता भी नही चला की हमारी जमीन सेठ ने हडप ली है ।

अब भी गाव के लोग सेठ को अच्छा मानते थे और कभी भी उनकी बात पर सवाल नही करते थे । सेठ को इससे लगता की ये गाव के लोग मेरा कुछ भी नही कर सकते है । ‌‌‌ ‌‌‌इस तरह से 20 वर्ष बित गए थे और 20 वर्षो के बाद ‌‌‌शहर से कुछ लोग आए और गाव के लोगो से कहा की आप लोग अपनी जमीन हमे दे दे ताकी हम यहा पर कंपनी खोल सके जिससे आपको भी फायदा होगा ।

गाव के लोग अपनी जमीन देने के लिए तैयार नही हुए । क्योकी गाव के लोग वहा पर खेती करते थे । लोगो को लगा की अगर हम हमारी जमीन इन्हे दे देगे तो हमे काम ‌‌‌न जाने कब तक मिलेगा और मिल भी जाएगा तो क्या होगा ये लोग हमे कब भी निकाल सकते है । इस तरह से सोच कर गाव के लोगो ने उन्हे वहा से जाने को कहा ।

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तभी वहा पर सेठ आ गया था । सेठ को आते देखकर गाव के लोगो ने पहली बार सेठ से कहा की आप इन्हे यहा से जाने को कह दे हम अपनी मजीन इन्हे नही देगे । तब ‌‌‌सेठ ने लोगा से कुछ नही कहा और जो लोग शहर से आए थे उन्हे अपने घर ले गया। वहां पर जाकर सेठ ने कहा की आप लोग उनसे जमीन माग रहे है पर उनके कागजात मेरे पास है ।

जब उन लोगो ने यह सुना तो कहा की आप इन जमीनो को बचोगे क्या ? तब सेठ ने कहा की जरुर । सेठ का जबाब सुन कर उन लोगा ने कहा की गाव के लोगो को इस ‌‌‌बारे मे जब पता चलेगा तो वे ‌‌‌हमे यह जमीन लेने देगे क्या । सेठ उन लोगो की यह बात सुनकर हसने लगा और कहा की ये लोग कुछ भी नही कर सकते ।

आप बस अपना काम करना शुरु करे । अगले ही दिन सभी लोग ‌‌‌ने वहा पर आकर काम करना शुरु कर दिया और जब ‌‌‌गाव लोग उन्हे रोकने लगे तो वे वहा से नही गए और जमीन के कागजात दिखाए । ‌‌‌अपनी अपनी जमीन के कागजात देखकर गाव के लोग हेरान हो गए और चुप चाप अपने घर चले गए ।

कुछ दिनो तक तो वे इसी तरह से घर मे पडे रहे फिर एक आदमी ने कहा की हमे उनके खिलाफ सिर उठाना ही पडेगा और ये कागजात गलत भी है । जब इस बारे मे लोगो ने सोचा तो उन्हे भी लगा की हमे सिर उठाना ही पडेगा ।

अगले ही दिन ‌‌‌जब काम शुरु हुआ तो लोग वहा पर पहुंच गए और उन लोगो को वहा से जाने के लिए कहा । जब उन लोगो ने गाव के लोगो की बात नही मानी तो गाव के लोग उनका विरोध करने के लिए खडे हो गए । यह देखकर सेठ भी वहा पर आ गया और लोगो को समझाने लगा ।

तब गाव के लोगो ने काह की सेठ हमने तो आप पर विश्वास किया था पर आप ने ‌‌‌न जाने कब हमसे कागजातो पर साईन करवा लिए है । अब हम आपकी एक भी बात नही मानेगे । ऐसा कहकर गाव के लोगो ने सेठ को कहा की आप चुप चाप हमारे कागजात हमे दे दे और यह काम बंद करवा दे वरना हमे हथियार उठाना आता है ।

सिर उठाना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

जब सेठ ने उनकी बात नही मानी तो गाव के लोगो ने सेठ और जो लोग शहर से आए थे उन पर हमला बोल दिया । ‌‌‌गाव के लोगो की सख्या बहुत अधिक थी और सेठ और शहर से आए लोगी की सख्या कम थी । अपनी जान बचाने के लिए सेठ ने लोगो को अपने अपने खेत के कागजात वापस दे दिए और शहर के लोग वहां से भाग गए ।

तब सभी को समझ मे आ गया था की जब तक हम सर नही उठाएगे तक तक हमारे साथ इसी तरह से होगा । तब से उस गाव के लोग जब ‌‌‌गलत होते देखते तो सर उठाना शुरु कर ‌‌‌देते थे । इस तरह से आप इस काहनी से इस मुहावरे का सही अर्थ समझ गए होगे ।

सिर उठाना मुहावरे पर निबंध || sir uthana essay on idioms in Hindi

दोस्तो अपने अभी तक इस कहानी को पूरा पढा है तो आपने सिखा होगा की किस तरह से गाव के लोग विद्रोह पर उतर जाते है और इसी कारण से सेठ को लोगो को उनके खेत की जमीन वापस देनी होती है ।

क्योकी कहानी को पढने पर समझ में आता है की जब तक लोगो ने विद्रोह नही किया था तब तक यह मुमकिन नही था मगर जैसे ही विद्रोह किया गया वैसे ही यह​ मुमकिन बन गया था ।

क्योकी जब लोगो ने विद्रोह ​करना शुरू किया था तो उस समय सिर उठाना का प्रयोग किया गया था तो आप इस बात से समझ सकते है की सिर उठाना मुहावरे का सही अर्थ विद्रोह करना होता है । और यही कारण है की दोस्तो कहानी से मुहावरे के अर्थ को समझना असान माना जाता है ।

हालाकी आपको बात दे की इस मुहावरे के अर्थ को समझाने के अनेको तरीके है मगर आप कहानी से समझते है तो आप काफी आसानी से इसे समझ सकते है ।

अर्थ sir uthana muhavare ka arth – विद्रोह करना ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।