जी चुराना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

जी चुराना मुहावरे का अर्थ ji churana muhavare ka arth – काम से पीछा छुड़ाना ।

दोस्तो आज के समय मे जब किसी को जबरदस्ती कोई काम करने के लिए दे दिया जाता है ।  तो वह उस काम से किसी तरह पिछा छुड़ाने की कोशिश करने लग जाता है । जिसके कारण वह काम धिरे हो जाता है । और इस तरह से जब कोई ‌‌‌काम अचानक छिरे पड जाता है तो जो उससे वह काम करता है उसे समझ मे आ जाता है की यह इस काम से पिछा छुड़ाने की कोशिश कर रहा है । तब वह कहता है की काम से जी जुराने से कुछ नही होग ‌‌‌इसे कर लो और फिर जहां जाना है वहा चले जाना । इस तहर से हमे यह पता चलता है की जब कोई काम से पिछा छुड़ाने की कोशिश करता है ‌‌‌तब जी चुराना कहा जाता है ।

जी चुराना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

जी चुराना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग

  • महेश को नोकरी तो मिल गई पर काम करने से जी चुराने के कारण उसकी नोकरी वापस चली गई और अब वह नोकरी ढूंढता फिर रहा है ।
  • अगर इसी तरह से पढाई से जी चुराओगे तो नोकरी लगने की आशा छोड दो ।
  • रजेश काम से जी चुरा रहा था इस कारण से सेठ ने उसे ‌‌‌काम पर आने के लिए मना कर दिया ।
  • जब मां ने भाई को कहा की जा पानी का लोटा लेकर आ तो वह काम से जी चुराने लगा ।
  • घर मे जब काम हो तो जी चुराना नही चाहिए ।
  • अगर तुम अपनी बहन की शादी मे काम से जी चुराओगे तो काम कैसे होगा । ‌‌‌
  • सजन टेलर काम से जी चुराने वालो मे से नही है इसी कारण से उसके पास काम आए रहते है ।
  • अगर सेठ ही अपनी दुकान मे काम से जी चुराने लगा तो उसकी दुकान चलने से रही ।

जी चुराना मुहावरे पर कहानी

‌‌‌प्राचिन समय की बात है राजेश नाम का एक लडका अपने पिता के साथ रहा करता था । उसके घर मे उसकी मां नही थी वह तो उसको जन्म देते समय ही चल गई थी । राजेश के पिता के पास धन की कोई कमी नही थी ।

उसके पिता गाव के अमीर लोगो मे से एक थे । उस समय गाव मे विधालय नही था पर उसके पिता ने उसे पढने के लिए शहर ‌‌‌भेजने की बहुत कोशिश की पर वह शहर पढने के लिए नही जाना चाहता था ।

इसका कारण यह था की उसके जितनी उमर के लडके पढाई करने के लिए कम ही जाते थे और उसके घर के आस पास के लडको मे से कोई नही जाता था । इस कारण से जब भी राकेश के पिता उसे शहर पढने के लिए ले ‌‌‌भेजते तो वह विलाप कर कर ‌‌‌‌‌‌वहां से भाग जाता ‌‌‌था ।

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जब वह इस तरह से विलाप करता तो राकेश के पिता को उसके आस पास जो लोग रहते थे वे कहते की अगर यह पढने के लिए नही जाना चाहता तो मत भेजो । इस तरह से कहने के कारण उसके पिता ने उसे पढने के लिए भेजने की ज्यादा कोशिश नही की थी ।

अब राकेश विधालय तो जाता नही था इस कारण से वह गाव मे ही इधर उधर ‌‌‌खेलता हुआ बडा हो गया था । जब राकेश बहुत बडा हो गया तो उकसे पिता को लगा की अगर मैं इसे कोई काम खोल कर दे दुगा तो यह वह काम कर लेगा जिसके कारण यह अपना पेट भर सकता है ।

इस तरह से सोच कर राकेश के पिता ने उसके लिए शहर मे एक दुकान खोल कर दे दी । दुकान खोल देने के कारण उसके पिता उसे रोजाना वहां ‌‌‌पर काम करने के लिए भेजने लगे थे । वहां पर एक आदमी भी रखा था जो दुकान का काम करने मे साहयता कर दे ।

अब राकेश वहां दुकान मे जाकर काम से जी चुराता और आराम से सो जाया करता था । जिसके कारण से वह आदमी दुकान मे जो भी समान होता उसे लोगो को ऐसे वैसे ही देने लगा था । जिसके कारण से तिन महिने मे वह दुकान डूब ‌‌‌गई यानी वह सफल नही हो पाई ।

जब दुकान डूब गई तो राकेश वापस अपने गाव मे इधर उधर फिरने लगा । यह देख कर उसके पिता ने उसे एक दुकान और खोल ‌‌‌कर दे दी । पर इस बार उसके पिता ने किसी और चिज की दुकान खोली साथ ही किसी को भी उस दुकान मे काम करने के लिए नही रखा था ।

अब फिर राकेश काम करने के लिए शहर जाने ‌‌‌लगा और उसकी दुकान मे जो भी कोई आता वह उससे सही तरह से बात नही करता था और महगा समान देने लगा था । ‌‌‌इस तरह से उसे काम करते हुए एक वर्ष बित गया था पर अभी तक जो दुकान मे समान लाया था वह भी नही बिक पाया ।

तब उसके पिता ने उस दुकान को बेच दिया । ‌‌‌फिर उसके पिता को लगा की ‌‌‌इससे तो खेत का काम ही होगा । इस कारण से उसके पिता उसे खेत मे काम करने के लिए भेजने लगे थे । ‌‌‌इस बार उसके पिता ने अपने खेत मे फसल उगा दी । राजेश का तो वही हाल था वह अपने खेत मे जाता और ‌‌‌अराम से सो जाया करता था ।

इस तरह से एक दिन राजेश के पिता राजेश का काम देखने के लिए गए तो उन्होने देखा की वह तो आराम से सो रहा है और उनके खेत मे एक बैल फसल खा रहा है । ‌‌‌तब राकेश के पिता ने उस बैल को अपने खेत से बाहर निकला और फिर राजेश को जगा कर कहा की बेटा अगर इस तरह से हर काम से तुम जी चुराने लगे तो तुम किसी भी काम मे सफल नही होग पाओगे ।

अपने पिता की बात उसके समझ मे नही ‌‌‌आई और जब उसके पिता ने फिर देखा की वह काम से पिछा छुटाने की कोशिश कर रहा है । तो ‌‌‌एक दिन उसके पिता ने कहा की अगर तुम कुछ काम करोगे तो ही तुम्हे रोटी मिलेगी वरना नही मिलेगी । तब राकेश ने सोचा की पिताजी ऐसे ही कह रहे है ।

पर जब श्याम को ‌‌‌जब रोटी नही मिली तो राकेश अगले दिन काम करने लगा था । इस तरह से जब वह काम करता तो उसे रोटी मिलती वरना नही मिलती थी । ‌‌‌जिसके कारण से राकेश रोजाना काम करने लगा ।

जब उसके पडोसियो ने देखा की राकेश काम करने लगा है तो वे लोग राकेश के पिता से कहने लगे की अब तो तुम्हारा लडका काम करने लगा है ।

जी चुराना मुहावरे पर कहानी

तब राकेश के पिता कहते की इसे मैंने क्या क्या काम खोलकर दे दिया पर यह उनसे जी चुराकर उनमे सफल नही हो ‌‌‌सका । पर आज जब इसे ‌‌‌काम करने पर ही रोटी मिलती है तब जाकर यह काम करने लगा है ।

धिरे धिरे राकेश को काम करते हुए एक वर्ष हो गया था । और अब वह काम अपना समझ कर करने लगा था । इस कारण से उसके पिता ने फिर उसे कोई अच्छा काम खोलकर दे दिया ।

पर इस बार वह काम बहुत ही अच्छी तरह से करने लगा और वह उसमे सफल हो गया था । इस ‌‌‌तरह ‌‌‌से राकेश बादमे अपना काम करता और आराम से अपना जीवन गुजारने लगा । इस तरह से आप लोगो को इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है।

जी चुराना मुहावरे पर निबंध || ji churana  essay on idioms in Hindi

वैसे इस मुहावरे का प्रयोग तो हमारे अनुसार बच्चो पर कुछ ज्यादा ही बैठता है । दरसल बच्चे हमेशा खेलने की कोशिश करते है और उन्हे खेलना ही पसंद होता है । और यह सब आपको पता है ।

मगर जब बच्चे को कोई काम करने को दिया जाता है तो वह बच्चा उस काम को बेमन से करता है । मतलब उस काम में मन नही होता है तो ऐसे में बच्चा क्या करेगा की उस काम को नही करना चाहेगा और काम से पीछा छुडाने की कोशिश करेगा ।

जैसे की मान ले की कोई बच्चा है जो की खेल रहा है और आप उसे घर का कुछ काम करने को दे देते हो तो ऐसे में बच्चा उस काम को नही करना चाहेगा या फिर करना चाहेगा तो जल्दी से कर कर खेलने के लिए चला जाएगा क्योकी वह इस काम से पीछा छुडाने की कोशिश करता है और यही इस मुहावरे का सही अर्थ है । यानि दोस्तो सही तरह से समझे की ji churana muhavare ka arth – काम से पीछा छुड़ाना है ।

‌‌‌निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।