आइए समझाते है, सावन हरे न भादों सूखे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

सावन हरे भादों सूखे मुहावरे का अर्थ  savan hare na bhadon sookhe muhavare ka arth हमेशा ऐक ‌‌‌स्थिती मे रहना

दोस्तो आप लोगो ने देखा होगा की आलसी लोगो के लिए चाहे कोई भी महिना हो वह तो अलसी की तरह सोता रहता है । साथ ही ऐसा भी कह सकते है की आलसी लोगो के लिए कोई भी मुसीबत क्यो न आ जाए उनको ‌‌‌उस बात से कोई लेना देना ‌‌‌नही होता है की अगर हम उठ कर काम नही करेगे तो क्या होगा । बल्की वे तो पहले की तरह ही आराम से सोते रहते है । इसी तरह से यह कह सकते है की आलसी लोग हमेशा ही ऐक जैसे होते है । उनके व्यवाहर मे काई परिवर्तन नही आता है । इसी तरह से जब कोई व्यक्ति सदैव ऐक जैसी स्थिती मे रहता है । ‌‌‌तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

सावन हरे न भादों सूखे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

सावन हरे न भादों सूखे मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • प्रताब के लिए कुछ भी नामुमकिन नही है इसके लिए तो सावन हरे न भाइो सूखे ।
  • तुम्हे यह काम करते हुए कितने वर्ष बित गए पर तुम तो सावन हरे न भादो सूखे हो।
  • रजनी तो सारे दिन सोती ही रहती है चाहे आसमना ही ‌‌‌क्यो न फट जाए वह तो फिर भी सोती रहेगी इसके लिए तो सावन हरे न भादो सूखे ।
  • पढाई का इतना बडा किडा लग गया की यह मुसीबत मे ही पढता रहता है । सच कहा है की सावन हरे न भादो सूखे ।
  • तुम तो हर काम मे सवान हरे न भादो सूखे ही रहोगे ।
  • इतना समय बित गया पर अभी तक तुम्हे ‌‌‌यह काम करना नही आया इसे तो सावन हरे ‌‌‌न भादो सूखे कहते है ।

‌‌‌सावन हरे भादों सूखे मुहावरे पर कहानी Idiom story

प्राचिन समय की बात है रामलाल नाम का एक आदमी था । उसके घर मे उसकी पतनी और उसके दो बेटे रहा करते थे । रामलाल के बडे बेटे का नाम राजेश था और छोटे बेटे का नाम किसन था । रामलाल के पास पैसो की कोई कमी नही थी । इस कारण से उसने अपने दोनो बेटो को कोई भी काम नही करने ‌‌‌दिया था ।

साथ ही जब वे दोनो छोटे थे तो तेज धूप मे बहार जाते थे तो रामलाल उन्हे घर से बाहर नही जाने देता था । रामलाल का छोटा बेटा बडा अनाडी था वह अपने पिता का कहना बिल्कुल भी नही मानता था और छुप कर अपने घर से बाहर चला जाता था ।

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जिसके कारण उसके पिता उसे बहुत मारते थे पर फिर भी वह अपने पिता ‌‌‌की एक नही सुनता था । रामलाल का बडा बेटा समझदार था इस कारण से वह अपने पिता की बात मानता और दिन रात अपने घर मे ही रहता था ।

राजेश दिन रात अपने घर मे रहता तो वह अकेला कुछ भी नही करता इस कारण से वह आराम से सोता रहता था । उस समय उसके पिता यह सब देखकर ‌‌‌खुश होते थे की उनका बेटा उनकी बात मानता ‌‌‌है । धिरे धिरे समय के साथ रामलाल के दोने बेटे राजेश और किशन बडे हो गए थे।

बडे हो जाने के कारण भी राजेश पहले की तरह ही आराम से सोता रहता था । क्योकी वह छोटा था तब से ही सोता आ रहा था । इस कारण से वह आलसी बन गया और जब भी उनके पिता उससे कोई काम ‌‌‌कराते तो वह उस काम को न कर कर सो जाया करता था ।

इस ‌‌‌तरह से राजेश मे अब इतना आलस बड गया था की वह किसी की भी नही सुनता और आराम से सोता रहता था । अगर उसे कोई जगाने के लिए चला जाता तो उसे जगा जगा कर हार जाता था और कहता की वह तो कुंभकरण की तरह सो रहा है ।

पर उसे खाने का लालच देकर ‌‌‌जगाया जा सकता था पर इसे तो किसी तरह से जगाना भी नामुमकिन है । ‌‌‌इस तरह से अब उसके पिता को लगने लगा था की ‌‌‌पहले मैं अपने बेटो को नही रोकता तो राजेश भी किसन की तरह काम कर लिया करता था वह ‌‌‌इस तरह से आलसी नही बनता पर अब क्या हो सकता है ।

इस तरह से एक बार की बात है राजेश अपने खेत मे गया हुआ था । वह खेत मे जाकर काम तो करता नही था बल्की जहां भी उसे ‌‌‌लगता की यहां ‌‌‌पर आराम से सो सकते है तो वह वहां पर जाकर सो जाया करता था । उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ था ।

उसे एक पेढ दिखा जो काफी अधिक घना था । उसमे सुरज की रोसनी भी दिखाई नही देती थी। इस कारण से ‌‌‌वह वहां पर जाकर सो गया था । अब उसे निंद आ गई थी जिसके कारण उसे पता नही चला की कितना समय बित गया है ।

अब रात होने को थी पर उसे जाग नही आ रही थी । इस तरह से जब रात हो गई तब भी उसे जाग नही आई और वह मन ही मन मे सोच रहा था की मैं घर मे सो रहा हूं । इस कारण से वह रात भर वही पर सोता रहा ।

उधर उसके लोग उसे देख देख कर थक गए थे की वह कहा चला गया है । तभी किसन बोला की पिताजी हम खेत मे उसे देखकर आते है। क्योकी वह कल खेत मे गया था और तभी से वह गायब है । उसके पिता को किसन की बात सच लगी इस कारण से रामलाल और किसन अपने खेतो मे चले गए थे ।

वहा पर चारो और देखने पर उन्हे दिखा की राजेश ‌‌‌एक पेड़ के निचे सो रहा है । तब राजेश के पिता यानि रामलाल ने उसे जगाने की बहुत कोशिश की पर उसे जाग नही आई तब रामलाल ने अपने छोटे बेटे किसन से कहा की जाओ पानी की ‌‌‌बाल्टी लेकर आओ ।

तब वह पानी की ‌‌‌बाल्टी लेने के लिए चला गया था और कुछ समय बात वह पानी लेकर आ गया था । तब उसके पिता ने राजेश पर पानी डाला ‌‌‌फिर भी राजेश यह बोलकर वापस सोने लगा की यह बारीस भी अभी आनी थी । तब उसके पिता बोले की जब यह सोता है तब इसके आगे तो सावन हरे न भादो सुखे है ।

इस तरह से काफी समय तक प्रयास करने के बाद राजेश को होस आया तो वह उठा और कहने लगा की मेरे ‌‌‌पर पानी किसने डाला था । तब रामलाल ने राजेश को बहुत सुनाया और कहा ‌‌‌की रात भर यही पर सोते रहे थे तुम्हे पता नही क्या अब रात हो गई ।

‌‌‌सावन हरे न भादों सूखे मुहावरे पर कहानी Idiom story

यह सुन कर वह चुप रह गया था । और फिर रामलाल व किसन के साथ साथ राजेश भी अपने घर के लिए रवाना हो गए थे । घर जाते समय जब रास्ते मे ‌‌‌लोग मिले तो वे रामलाल से पूछने लगे की राजेश कहा मिला । तब उसके पिता कहने ‌‌‌लग जाते की यह तो खेत मे सो गया ‌‌‌था।

इस तरह से अनेक लोगो ने जब रामलाल से पूछा तो उन लोगो को पता चला की यह जब सोता है तो ‌‌‌इसके लिए सावन हरे न भादो सूखे । इस तरह से आप लोगो को भी पता चल गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

सावन हरे न भादों सूखे मुहावरे पर निबंध || savan hare na bhadon sookhe essay on idioms in Hindi

दोस्तो अगर आपको हिंदी के महिनो के नाम के बारे में पता है तो आपको पता होगा की मुहावरे में प्रयोग होने वाले यह दो सावन और भादों महिने के नाम ही होते है और साव के अंदर पेड़ पौधे हरे होते है और भादों में सूख जाते है ।

मगर मुहावरा यह दोनो के न होने के बारे में कहता है । तो इसका मतलब हुआ की जो स्थिति है वही की वही रहेगी । जैसे की अभी हरियाली है और भादों में कुछ सुखता नही है तो इसका मतलब है की भादों में भी हरियाली है अब सावन में हरा होने की बात हो रही है मगर पौधे तो पहले से ही हरे है तो इसका मतलब हुआ की सावन में भी पौधे हरे है ।

तो इस तरह से भादो और सावन दोनो में पौधे एक जैसे ही रहते आ रहे है तो इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ हुआ हमेशा एक जैसा रहना ।

इसके साथ ही आने इस मुहावरे के बारे में उपर काफी पढा है तो आपको यह याद हो गए होगे ।  

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।