बगुला भगत मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

बगुला भगत मुहावरे का अर्थ bagula bhagat muhavare ka arth – ढोंगी व्यक्ति

दोस्तो आज के समय मे अनेक लोग ऐसे होते है जो अपनी असलियत को ‌‌‌छिपा कर लोगो को लूटने मे लगे है । इसी तरह के लोगो मे अगर कोई हो कहने का अर्थ है की ऐसा व्यक्ति जो देखने मे ‌‌‌सही लगता हो पर वह ‌‌‌अंदर से ‌‌‌ढोंगी या धोकेबाज हो । तो इस तरह के लोगो के लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।‌‌‌

बगुला भगत मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

बगुला भगत मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • आज के जमान बगुल भगत की कोई कमी है जो एक और आ गया ।
  • इन बगुल भगत से बच कर रहना बेटा ये कहते कुछ और है और करते कुछ और है ।
  • आज तो बहुत बगुल भगत फिर रहे है आखिर बात क्या है ।
  • जब गाव के लोगो को पता चला की यह साधू तो बगुल भगत है तो गाव के लोगो ने उसे चपल से मार कर गांव से बाहर निकाला ।‌‌‌
  • आजकल बगुल भगत  अपना पेट भरने के लिए साधू बने फिरते है ।
  • उन बगुल भगत के पास जाने से मेरा क्या फायदा होगा, तुम्हें जाना हो तो जाओ मैं तो नही जाउगा ।
  • जब पेट नही भर रहा था तो यह बगुल भगत बन गया, इसने तो कमाई का अच्छा साधन देख लिया है ।
  • अगर इसी तरह से हर कोई बगुल भक्त बनता रहा तो देश का विकाश कैसे होगा ।

बगुला भगत मुहावरे पर कहानी Idiom story

प्राचिन समय की बात है किसी नगर की पहाडी पर एक साधू रहा करता था । उस नगर के लोग भगवान ‌‌‌की बहुत ही मान्यता रखते थे । इस कारण से जब उन लोगो को पता चला की हमारे गाव की पहाडी पर साधू रहता है तो वे रोजाना उससे मिलने के लिए जाने लगे थे । लोगो को आते देख ‌‌‌साधू वहां पर ‌‌‌ध्यान लगाकर बैठ जाता था ।

लोग भगवान को ‌‌‌मानते थे इस कारण से ‌‌‌वे साधू के लिए बहुत ही अच्छे अच्छे पकवान लेकर आ जाते थे । जिसके कारण साधू का अच्छा पेट भर जाता था । साधू को पता था की लोग किस समय उसके पास आते है इस कारण से जब लोगो के आने का समय होता तो साधू दिखाने के लिए ध्यान करने लग ‌‌‌जाता था ।

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जब लोग साधू को ध्यान करते देखते तो वे मन ही मन मे सोचते की साधू परमात्मा का ध्यान कर रहा है । पर असल मे ऐसा कुछ नही था । वह एक ढोगी था इस बारे मे गाव के लोगो को पता नही था । जब साधू के पास लोग आने लगे और उसे ‌‌‌भोजन पैसे देने लगे तो वह समझ गया की उसकी कमाई का साधन यही है ।

जिसके ‌‌‌कारण उसका पेट भरता रहेगा । धिरे धिरे साधू के पास गाव के आधे से ज्यादा लोग आने लगे थे । यह देखकर गाव का एक आदमी बहुत ही परेशान था । क्योकी वह एक नास्तिक था । वह भगवान को नही मानता था । साथ ही वह यह भी मानता था की इस संसार मे ढोगी लोगो की कोई कमी नही है ।

इस कारण से उसने सोचा की वह साधू भी ‌‌‌बगुल भगत होगा । ऐसा सोचकर उस आदमी ने साधू का सच गाव के लोगो के सामने लोने की कोशिश करने गला था । पर इसके लिए उसे साधू के पास जाना पडता था । इस कारण से एक दिन वह भी साधू के पास जाने लगा था ।

वहां पर जाकर उसेन देखा की साधू लोगो को अपनी समस्या दूर करने का मार्ग बता रहा है । तब उस आदमी ने मन ही मन ‌‌‌मे सोचा की अगर यह साधू लोगो के दूख दूर कर देता तो इन्हे  साधू को अपने दूख बताने की जरुरत तक नही पडती थी । उस आदमी को भी साधू के पास जाते हुए एक महिना बित गया था ।

फिर एक दिन उस आदमी ने साधू से कहा की महाराज मै आपको गलत समझता था आप तो इस जग के महान पुरुष है । आप तो इस जग की आत्म हो । इस तरह ‌‌‌से उस आदमी ने साधू की तारीफ की जिसके कारण साधू बहुत ही खुश हो गया था । तब उस आदमी ने साधू से पूछ लिया था की आप कब ध्यान करने बैठते हो ।

साधू को लगा की यह मेरा अच्छा चेला है इस कारण से उसने सब उसे बता दिया था ।  साधू ने लोगो के सामने ही उस आदमी से कहा की मैं शुबह चार बजे ध्यान करने के ‌‌‌बैठ जाता हूं और मुझे उस समय यह पता चल जाता है की ‌‌‌कौन मेरे आस पास है और ‌‌‌कौन मेरे बारे मै क्या सोच रहा है ।

उस समय साधू ने लोगो को बहुत ही घहरी बात कही साधू ने कहा की मैं जब ध्यान करता हूं तब मेरी आत्मा बाहर आ जाती है वह यह सब देखती है । यह सुनकर उस आदमी को यकिन होने लगा की यह साधू पूरा ढोगी ‌‌‌है । इस कारण से अगले ही दिन उस आदमी ने कुछ लोगो से कहा की हम भी साधू के पास जाते है और ध्यान करते है ।

तब लोगा ने उसे मना कर दिया था फिर उस आदमी ने लोगो को समझाया और कहा की जब साधू ध्यान करता है । ‌‌‌तब उस समय जो भी उसके पास जाकर ध्यान करता है तो उसे परमात्मा का दर्शन होता है साथ ही उसके सभी दूख ‌‌‌दूर हो जाते है । ऐसा सुनकर लोगो को लगा की उनका दूख भी दूर हो जाएगा । इस कारण से अगले दिन चार लोग उस आदमी के साथ चले गए थे ।

जब ‌‌‌वे लोग वहां पर पहुंचे तो लोगो ने देखा की साधू तो आराम से सोना ‌‌‌चांदी बिछा कर सो रहा है। तब वे लोग साधू के उठने का इंत्जार करने लगे थे । इतने मे गाव के लोग और आ गए थे । ‌‌‌उस दिन गाव के लोग भी जल्दी आ गए थे । इस कारण से साधू नही उठा था ।

जब गाव के लोगो के आने का समय हुता तब जाकर साधू उठा उस समय सूरज की किरणे बहुत तेज हो गई थी । तब अपने सामने लोगो को देखकर साधू ‌‌‌हेरान हो गया था । तब लोगो ने साधू से पूछा की आप आराम क्यो कर रहे ‌‌‌हो आप तो कहते हो की मैं चार बजे से ‌‌‌ध्यान करता हूं ।

तब साधू अपनी सफाई देने लगा था । तभी वह आदमी बोल पडा और कहने लगा की यह साधू तो ढोगी है यह लोगो के धन को ले लेता है और इसे अपनी पत्नी को देकर आ जाता है । उस आदमी की बात सुनकर साधू घबरा गया था और वहां से भागने लगा था ।

यह सब देखकर गाव के लोग समझ गए की साधू बगुल भगत है । इस कारण से ‌‌‌वे साधू को पत्थर और चपलो से मारने लगे थे । जब साधू भाग गया तब लोगो ने उस आदमी से कहा की भाई तुमने तो हमे उस बगुल भगत से बचा लिया है । तभी कुछ लोग बोलने लगे की तुम्हे ‌‌‌कैसे पता चला की साधू लोगो को लूटता है और वह साधू होने का ढोग करता है ।

तब उस आदमी ने कहा की मैंने उसकी बातो पर गोर किया था पर ‌‌‌उसे ‌‌‌देखने पर वह नही जच रहा था की वह जो बोल रहा है वह सच है । फिर मैंने उसका पिछा किया तब मुझे पता चला की वह साधू होने का ढोग करता है ।

इस कारण से ही मै आज लोगो को यहां पर लेकर आ गया था और यहां पर सुबह सुबह आने पर साधू के बारे मे आप लोगो को पता चल गया है । इस तरह से उस आदमी ने लोगो की आंखे खोल दी। ‌‌‌इस तरह से आप इस कहानी से समझ गए होगे की बगुल भगत किसे कहते है ।

बगुला भगत मुहावरे पर निबंध || bagula bhagat essay on idioms in Hindi

दोस्तो जैसा की आपने अभी अभी उपर कहानी को पढा है तो कहानी में आपने यह पढा की एक साधू होता है जो की असल मे साधू नही है बल्की वह साधू होने का ढोंग कर रहा था और लोगो को झूंठी बाते बता कर उन्हे ज्ञान देने की कोशिश करता था । ​ताकी वह लोगो से धन लूट सके और इसी तरह से साधू का जीवन चल रहा था ।

मगर कहानी में साफ बताया जा रहा है की एक दिन साधू के बारे में लोगो को पता चल गया और उस समय लोग समझ गए की यह एक ढोंगी है और वहां पर साधू के लिए बगुला भगत होने का प्रयोग किया गया था ।

तो इस कहानी का मतलब यह हुआ की साधू एक ढोंगी व्यक्ति था और उसके लिए बगुला भगत का प्रयोग किया जा रहा है तो इसका मतलब है की bagula bhagat muhavare ka arth – ढोंगी व्यक्ति है  । और यह बात आप इस कहानी से शायद पहले ही समझ चुके है ।

‌‌‌निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

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अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

हाथ साफ करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

होश उड़ जाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

ऊंट के मुंह में जीरा मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सिर चढ़ाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

लोहा मानना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आँखें चुराना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आंखों में खटकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आँखें चार होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आँख भर आना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अंगारे बरसना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अंगारों पर पैर रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

उड़ती चिड़िया पहचानना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

उल्टी गंगा बहाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

आसमान से बातें करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आँखें दिखाना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

खाक में मिलना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

‌‌आँखों का तारा मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

कान भरना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

अपना उल्लू सीधा करना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

चिराग तले अंधेरा होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

अक्ल पर पत्थर पड़ना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मेप्रयोग

हृदय भर आना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

‌‌‌ अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

पानी में आग लगाना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

सौ सुनार की एक लुहार की मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

अपना हाथ जगन्नाथ मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

अंत भला तो सब भला मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।